Home नरेंद्र मोदी विशेष मोदी है तो मुमकिन है…विदेश में मुसीबत में फंसे भारतीयों के लिए...

मोदी है तो मुमकिन है…विदेश में मुसीबत में फंसे भारतीयों के लिए फिर संकटमोचक बने PM Modi, यूक्रेन में फंसे भारतीयों को पोलैंड के रास्ते स्वदेश लाएगी सरकार

SHARE

मुश्किल की घड़ी में भी जो साथ निभाए सच्चा मददगार वही होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर संकटमोचक की भूमिका में हैं। क्योंकि वे हिंदुस्तान को ही अपना परिवार नहीं मानते, बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाला भारतीय उनके परिवार का हिस्सा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सकुशल स्वदेश वापसी की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युद्ध-स्तर पर तैयारियां की हैं। यूक्रेन से कुछ लोगों की वापसी हो भी चुकी है। अब यूक्रेन पर हमले के चलते वहां का एयर स्पेस बंद हो गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए प्लान-B पर काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्च स्तरीय बैठक में तय किया कि भारतीय नागरिकों को पोलैंड के रास्ते भारत लाया जाएगा।

पीएम का मानवीय और करुणामय स्वरूप…मदद करते हैं लेकिन सार्वजनिक नहीं करते
मुसीबत के मौके पर घर के बड़े की तरह व्यवहार करने का पीएम मोदी का ये कोई अकेला किस्सा नहीं है। ऐसे सैकड़ों किस्से हैं, जबकि मोदी ने देश-विदेश में मुसीबत में फंसे लोगों की मदद की। पीएम मोदी ज्यादातर ऐसे मदद के मामलों का सार्वजनिक तौर पर जिक्र नहीं किया करते। उनका मानना है कि बस लोगों की समय पर मदद हो जानी चाहिए। वे कुछ नहीं बताते, लेकिन जिसकी भी मदद होती है, उसके लिए ये जीवन का अमिट हिस्सा बन जाता है। ऐसे ज्यादातर लोग इसलिए सामने नहीं आते, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर पीएम मोदी के मानवीय और करुणामय स्वरूप को बताने वाले किस्से उन्होंने सार्वजनिक किए, तो ऐसा लगेगा मानों वो लोग पीएम मोदी से अपनी निकटता को साबित करने में लगे हैं।

यूक्रेन में फंसे भारतीयों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर किया जारी
हाई लेवल मीटिंग में यूक्रेन से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के वैकल्पिक तरीकों पर चर्चा की गई। इसके लिए हर संभव प्रयास करने पर जोर दिया गया। भारतीय नागरिकों को पोलैंड के रास्ते भारत लाया जाएगा। इसके लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाक रिपब्लिक और हंगरी के विदेश मंत्रियों से बात करेंगे। पोलैंड-यूक्रेन की सीमा पर भारतीय दूतावास ने अपना कैंप लगा लिया है। विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिए हैं। इसके तहत राज्य कन्ट्रोल रूम का (24X7) टोल फ्री हेल्पलाईन नं0-(0522) 1070, मोबाईल नंबर 9454441081 होगा। यूक्रेन में फंसे लोग ईमेल आई.डी. rahet@nic.in  पर भी संपर्क कर सकते हैं। मीटिंग में पीएम मोदी के अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, कैबिनेट सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, विदेश सचिव हर्ष वी. शृंगला आदि मौजूद रहे।

इंडियन एयरफोर्स की मदद से भारतीयों को सीधे यूक्रेन से एयरलिफ्ट करने पर भी विचार
विदेश सचिव हर्ष वी. शृंगला ने कहा कि इंडियन एयरफोर्स की मदद से भारतीयों को सीधे यूक्रेन से एयरलिफ्ट करने पर भी विचार किया गया। इसके लिए विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय के साथ संपर्क में है ताकि यूक्रेन की ताजा स्थिति के हिसाब से कदम उठाया जा सकें। इसके लिए विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भी यूक्रेन के विदेश मंत्री से बात की। विदेश सचिव ने कहा, हमने यूक्रेन की राजधानी कीव से सभी भारतीयों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए सड़क मार्गों की मैपिंग कर ली गई है।

यूक्रेन से सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी टॉप प्रायोरिटी पीएम मोदी
पीएम मोदी ने बैठक में कहा कि सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी टॉप प्रायोरिटी के रूप में लिया जाना सुनिश्चित किया जाए। भारत सरकार यूक्रेन की सभी यूनिवर्सिटीज से इंडियन स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन क्लासेज चलाने की रिक्वेस्ट भी कर रही है। शृंगला ने कहा कि एक माह से वहां मौजूद सभी भारतीयों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा था ताकि सही संख्या की जानकारी मौजूद रहे। इसी के आधार पर हमें करीब 20,000 नागरिकों की वहां मौजूदगी की जानकारी है। अब तक 4000 भारतीय नागरिक यूक्रेन से पिछले कुछ दिन में वापस लौट चुके हैं। दिल्ली में बनाए गए कंट्रोल रूम को अब तक 980 कॉल्स और 350 ई-मेल्स मिल चुके हैं।

मोदी ने पुतिन की बातचीत, भारतीयों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
इस बीच पीएमओ से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से फोन पर बातचीत की। इस दौरान खासतौर पर यूक्रेन के मसले पर बातचीत हुई। प्रधानमंत्री ने पुतिन से कहा कि नाटो और रूस को यूक्रेन मसला गंभीर बातचीत से सुलझाना चाहिए। यूक्रेन और रूस के बीच फौरन सीजफायर होना चाहिए। मोदी ने यूक्रेन में मौजूद भारतीयों और खासकर स्टूडेंट्स की सुरक्षा मुद्दा उठाया। मोदी ने कहा कि भारतीयों को सुरक्षित वापसी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि इस मुद्दे पर दोनों देशों के डिप्लोमैट्स संपर्क में रहेंगे।

यूक्रेन से भारतीयों कि स्वदेश वापसी के लिए भारत के प्रयास

  • यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने राजधानी कीव में दूतावास के पास स्कूल में 200 से अधिक भारतीय छात्रों के रहने का प्रबंध किया है।
  • ड्रीमलाइनर बी-787 विमान। यह फ्लाइट यूक्रेन के खार्किव से 256 भारतीय छात्रों को लेकर स्वदेश आई। 
  • कतर के दोहा में भारतीय दूतावास ने कहा है कि इंडिया-कतर बाइलेटरल एयर एग्रीमेंट के तहत यूक्रेन से आने वाले भारतीय यात्रियों को यहां से होते हुए यात्रा करने की भारत सरकार ने अनुमति दे दी है।
  • यूक्रेन में भारत के राजदूत पार्थ सत्पथी ने कहा है कि हम यहां प्रशासन के संपर्क में हैं। भारत सरकार, विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास प्रयास कर रहे हैं कि अपने नागरिकों को यहां (यूक्रेन) से कैसे निकाला जा सकता है। जब तक हर भारतीय वापस हमारे देश नहीं पहुंच जाता, तब तक भारतीय दूतावास यहां काम जारी रखेगा।
  • केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा, सरकार इराक, कुवैत से भी भारतीयों को वापस लाई है। यूक्रेन में हवाई क्षेत्र बंद है, इसलिए भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।
  • केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भोपाल में कहा, यूक्रेन में जैसे ही एयर स्पेस खोला जाएगा। स्पेशल फ्लाइट्स फिर से शुरू की जाएंगी।
  • यूक्रेन से भारतीय नागरिकों के बॉर्डर पार कर हंगरी, पोलैंड, स्लोवाक रिपब्लिक और रोमानिया पहुंचने की संभावना है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस संभावना को देखते हुए इन चारों देशों के भारतीय दूतावासों से स्पेशल टीम यूक्रेन से सटे बॉर्डर पोस्ट पर भेज दी गई है। ये टीमें वहां पहुंचने वाले भारतीयों के दस्तावेज पूरे करने में मदद करेगी।

भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए ड्रीमलाइनर बी-787 विमान को तैनात किया
यूक्रेन पर हमले की गहराती आशंका के बीच भारत ने यूक्रेन व आसपास के क्षेत्रों में रह रहे भारतीय की सुरक्षित स्वदेश वापसी का निर्णय लिया है। यूक्रेन व उसके आसपास के क्षेत्रों में ही 20 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिक रहते हैं। इनमें ज्यादातर छात्र हैं। सरकार ने तय किया है कि भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी के लिए अभियान शुरू किया जाए। भारत ने इस विशेष अभियान के लिए 200 से ज्यादा सीटों वाले ड्रीमलाइनर बी-787 विमान को तैनात किया है। यह फ्लाइट यूक्रेन के खार्किव से 256 भारतीय छात्रों को लेकर देश लौटेगी। जानकारी के मुताबिक, फ्लाइट आज रात 10.15 बजे देश लौट आएगी।

इससे पहले भी ऐसे मामलों में भारत का मान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में बढ़ा है। भारत एक विश्व शक्ति बनकर उभर रहा है। वैश्विक बीमारी कोरोना के काल समेत ऐसे कितने ही मौके आए, जबकि पीएम मोदी संकटमोचक के रूप में सामने आए। कोरोना काल में सफलतापूर्वक चलाए गए ‘वंदे भारत मिशन’ के बाद अब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आशंकाओं के चलते विदेश में फंसे हजारों भारतीय छात्रों के लिए भी मोदी सरकार ने पहल की है। यूक्रेन से भारतीयों को एयरलिफ्ट कराया जाएगा। भारत ने यूएन में जोर देकर कहा है कि इन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।

चीन में फंसे भारतीयों की सकुशल वापसी
कोरोना वायरस दुनिया के लिए संकट बनकर उभरा है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी दुनियाभर में फंसे भारतीयों के लिए देवदूत बनकर सामने आए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर चीन में फंसे भारतीयों की सकुशल वापसी सुनिश्चित की गई है। अब तक 766 लोगों को चीन से बाहर निकाला जा चुका है।  कोरोना वायरस पर अलर्ट मोदी सरकार ने दिल्ली समेत देश के तमाम हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की ताकि अगर  किसी शख़्स में संक्रमण के असर दिखते हैं तो उसकी तुरंत जांच कराई जा सके।

सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्वदेश पहुंचा चुका है भारत
भारत ने राहतऔर बचाव अभियान के मामले में सबसे अधिक उड़ानें भरी हैं। चीन, ईरान, इटली और जापान जैसे देशों से हजारों भारतीयों को निकाल कर देश वापस लाया गया है। कोरोना वायरस से प्रभावित देशों से भारत अब तक 1497 लोगों को सुरक्षित निकाल चुका है। भारत अब तक चीन से 766, जापान से 124, ईरान से 389 और इटली से 218 भारतीयों को सुरक्षित निकाल चुका है। कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक ईरान से 53 भारतीयों का चौथा जत्था सोमवार को भारत पहुंचा। अभी तक कुल 389 भारतीयों को ईरान से भारत लाया जा चुका है। ईरान से रविवार को 230 से अधिक भारतीयों का तीसरा जत्था नयी दिल्ली पहुंचा था जिन्हें जैसलमेर के भारतीय सेना स्वास्थ्य केन्द्र में पृथक रखा गया है।

भारतीय ही नहीं विदेशियों को भी सुरक्षित निकाला
कोरोना प्रभावित इलाकों से भारत ने सिर्फ अपने नागरिकों को ही नहीं 10 से भी ज्यादा देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला। इनमें मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मैडागास्कर, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार कई देशों में इसी तरह के अभियान चलाकर विपत्ति में फंसे लोगों की मदद कर चुकी है। डालते हैं एक नजर-

सऊदी अरब में फंसे लोगों की वतन वापसी
पूरी दुनिया में जहां कहीं भी भारतीय मुसीबत में होती है, मोदी सरकार प्राथमिकता के आधार पर उनकी मदद करती है। 19 जून, 2019 को ही मोदी सरकार ने सऊदी अरब में फंसे भारतीयों की सकुशल वतन वापसी कराई। दरअसल सऊदी अरब में दो कंपनियों की आपसी लड़ाई में सैंकड़ों भारतीय वहां फंस गए थे। मोदी सरकार की पहल पर 1200 भारतीय वतन वापस लाए गए। इनमें 500 के लगभग पंजाबी थे। वतन लौटे पंजाबियों ने वापसी के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।

जालंधर में वापस लौटे रूप लाल, करमजीत सिंह, सुरिदरजीत सिंह, कुलविंदर सिंह ने बताया कि पांच महीने तक कंपनी ने उन्हें बंधक बनाए रखा। वीजा न होने के कारण वापसी का कोई रास्ता नहीं था। पांच महीने तक वेतन नहीं मिला। जिस कंपनी में काम करने गए थे वह दो कपनियों की साझेदारी थी। कंपनियों में विवाद का असर हजारों कर्मचारियों पर पड़ा। कुछ लोग तो दूसरी कंपनियों में शिफ्ट हो गए उन्हें तो काम मिल गया लेकिन जो शिफ्ट नहीं हो पाए वह पांच महीने तक नारकीय जीवन जीते रहे। बाद में इन लोगों ने भारत में मौजूद नेताओं की मदद से पीएमओ में संपर्क किया और मोदी सरकार की पहल के बाद उनकी पतन वापसी संभव हो पाई।

तूफान प्रभावित मोजाम्बिक में राहत अभियान
 हाल ही में भारत ने खतरनाक चक्रवाती तूफान का सामना कर रहे मोजांबिक में 192 से ज्यादा लोगों को बचाया। तूफान प्रभावित अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में नौसेना के जवानों ने देवदूत बनकर वहां के लोगों की मदद की। इसके अलावा 1,381 लोगों का मेडिकल कैंपों में इलाज किया गया।

विदेश मंत्रालय के अनुसार इडाई तूफान ने मोजाम्बिक, जिंबाब्वे और मलावी में भारी तबाही मचाई। मोजाम्बिक के अनुरोध पर भारत ने तत्काल नौसेना के तीन जहाजों को मदद के लिए रवाना किया। आईएनएस सुजाता, आसीजीएस सारथी और आईएनएस शार्दुल ने तत्काल तूफान प्रभावित देश में लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराई। नौसेना का एक और जहाज आईएनएस मगर को राहत सामग्री लेकर मोजाम्बिक रवाना किया गया।

इंडोनेशिया में ऑपरेशन समुद्र मैत्री
पिछले साल अक्तूबर, 2019 में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी के कारण भारी तबाही हुई है। प्रधानमंत्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद भारत ने वहां ऑपरेशन ‘समुद्र मैत्री’ शुरू किया। भारत ने वहां भूकंप और सुनामी पीड़ितों की सहायता के लिए दो विमान और नौसेना के तीन पोत भेजें। इन विमानों में सी-130 जे और सी-17 शामिल हैं। सी-130 जे विमान से तंबुओं और उपकरणों के साथ एक मेडिकल टीम भेजी गई। सी-17 विमान से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए दवाएं, जेनरेटर, तंबू और पानी आदि सामग्री भेजी गई।

भारत से भेजे गए हैवी फ्लडपंप से निकाला गया था गुफा का पानी
थाईलैंड में थैल लुआंग गुफा में अंडर-16 फुटबाल टीम के 12 बच्चे और कोच के फंसने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। दुनिया में अब तक के सबसे जोखिम भरे राहत और बचाव अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, अमेरिका समेत तमाम देशों ने अपने विशेषज्ञ भेजे, पर इनसे कोई बात नहीं बनी तो थाईलैंड की सरकार ने भारत की मोदी सरकार से मदद की गुहार की। मोदी सरकार ने बगैर समय गंवाए भारतीय इंजीनियरों को मदद करने का निर्देश दिया। भारत सरकार के आदेश पर केबीएस का हैवी फ्लडपंप महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित किर्लोस्कर समूह की कंपनी से भेजा गया। भारत से हैवी कैबीएस फ्लडपंप थाईलैंड पहुंचने के बाद, गुफा में पानी का स्तर कम किया गया। पानी का स्तर कम होने के बाद ही गोताखोरों का काम आसान हुआ और तीन दिनों के कठिन ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। 

यमन संकट के दौरान विश्व ने माना भारत का लोहा 
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।

मालदीव के लोगों की प्यास बुझाई
दिसंबर 2014 में मालदीव का वाटर प्लांट जल गया और पूरे देश में पीने के पानी की किल्लत हो गई। वहां त्राहिमाम मच गया और आपातकाल की घोषणा कर दी गई। तब भारत ने पड़ोसी का फर्ज अदा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्वरित फैसला लिया। मालदीव को पानी भेजने का निर्णय कर लिया गया और इंडियन एयर फोर्स के 5 विमान और नेवी शिप के जरिये पानी पहुंचाया जाने लगा।

नेपाल भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण
27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की।

 

अफगानिस्तान में भूकंप में राहत
अक्टूबर 2015 को अफगानिस्तान-पाकिस्तान में 7.5 तीव्रता के भूकंप के चलते 300 लोगों के मौत हो गई। पीएम मोदी ने तत्काल दोनों देशों को मदद की पेशकश की। अफगानिस्तान में भारतीय राहत टीम को बिना देर किए रवाना किया गया और मलबे में फंसे सैकड़ों लोगों को निकालने में सफलता पायी।

सऊदी अरब में फंसे हजारों भारतीयों को निकाला
सऊदी अरब में गलत हाथों में जाकर फंसे करीब 20 हजार भारतीय तीन महीने के भीतर अपने वतन वापस लौट पाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयास से सऊदी अरब सरकार ने भारतीयों को 90 दिन के लिए ‘राजमाफी’ दी है। ‘राजमाफी’ के तहत 20 हजार से ज्यादा लोगों ने भारत लौटने के लिए अर्जी दाखिल की थी।

बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भेजी राहत
सितंबर,2017 में भारत ने बांग्लादेश में म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए राहत सामग्री भेजी थी। बांग्लादेश के मदद मांगने पर बिना देर किए भारत ने चावल, गेहूं, दाल, चीनी, नमक, खाद्य तेल, नूड्ल्स, बिस्किट, मच्छरदानी वगैरह की पहली खेप के साथ वायु सेना का विमान भेज दिया। विदेश मंत्रालय की निगरानी में ‘ऑपरेशन इंसानियत’ नाम से वहां राहत कार्यक्रम चलाया गया।

श्रीलंका ईंधन संकट: संकटमोचक बनी मोदी सरकार
श्रीलंका को नवंबर, 2017 में पेट्रोल और डीजल की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा। श्रीलंका में ईंधन की कमी के बीच राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बताया कि भारत, श्रीलंका को अतिरिक्त ईंधन भेज रहा है और विकास में सहयोग के लिए भारत के सतत समर्थन का भरोसा भी दिलाया। इसके पहले मई,2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए राहत भेजी थी। यहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने भारी तबाही मचायी थी, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे और 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

श्रीलंका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए घर
भारत ने हाल ही में श्रीलंका के चाय बागान में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए गए 404 घर उनको सौंप दिए। इसपर करीब 350 मिलियन अमेरीकी डॉलर की लागत आई है। भारत द्वारा किसी भी देश में यह सबसे बड़ी घर परियोजना है। श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल अधिकतर चाय और रबड़ बागानों में काम करते हैं और उनके पास उचित घरों का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है जहां सब की प्रगति और विकास की आंकक्षाएं पूरी हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उम्मीद है कि अतिरिक्त 10000 घरों का निर्माण जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाएगा। 60,000 घरों में से अब तक 47,000 के करीब पूरे हो चुके हैं।

Leave a Reply