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दुनिया के सबसे बड़े चुनाव में युवा वोटर्स और नारीशक्ति का PM MODI का विशाल ‘परिवार’ लगाएगा जीत की हैट्रिक, उत्तर के साथ दक्षिण की 129 सीटें जीतने के लिए भी BJP ने बनाई विशेष रणनीति

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दुनिया अगले दो-ढाई महीने में विश्व के सबसे बड़े चुनाव की साक्षी बनने जा रही है। पहली बार 97 करोड़ मतदाता देश के भाग्यविधाता को चुनेंगे। इनमें से करीब 1.82 करोड़ नए मतदाता होंगे और पहली बार 85 लाख नई महिला वोटर्स लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी करेंगी। पीएम नरेन्द्र मोदी का अपने परिवारजनों में सर्वाधिक फोकस जिन चार ‘जातियां’ में है, उनमें से दो युवाशक्ति और नारीशक्ति ही है। यह दोनों शक्ति मिलकर पीएम मोदी के तीसरे टर्म का मार्ग प्रशस्त करेंगी। इसके अलावा गरीबों-वंचितों के जुड़ी कई योजनाओं के चलते मोदी सरकार जीत की लहर पर सवार है। बीजेपी की रणनीति उत्तर के साथ-साथ दक्षिण की 129 सीटों को भी अपने पाले में करने की भी है। दक्षिण के भी पूरी ताकत के साथ बीजेपी के साथ आने पर अबकी बार, चार सौ पार का एनडीए का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक के बाद मोदी के पीएम बनने पर देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू (1952, 1957 और 1962) की बराबरी कर लेंगे। तब वे ये उपलब्धि हासिल करने वाले देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनेंगे।

वफा खुद से नहीं होती और खता ईवीएम की कहते हो : चुनाव आयुक्त
लोकतंत्र के महोत्सव का शुभारंभ हो चुका है। लोकसभा के साथ 4 राज्यों- आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के विधानसभा चुनाव की तारीखें भी तय हो चुकी हैं। लोकसभा की 543 सीटों के लिए चुनाव सात फेज में होगा। पहले फेज की वोटिंग 19 अप्रैल को और आखिरी फेज की वोटिंग 1 जून को होगी। 4 जून को नतीजे आएंगे। इस बीच ओडिशा में 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को वोटिंग होगी। बाकी तीन राज्यों में एक फेज में चुनाव होंगे। अरुणाचल और सिक्किम में 19 अप्रैल, आंध्र प्रदेश में 13 मई को वोट डाले जाएंगे। चार राज्यों (आंध्र, अरुणाचल, सिक्किम और ओडिशा) की कुल 414 विधानसभा सीटों पर भी वोटिंग होगी। इसी के साथ देश में अगले 81 दिनों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है यानी कोई नीतिगत फैसला नहीं हो सकेगा। चुनाव आयुक्त ने तारीखों का ऐलान करने के दौरान ईवीएम पर सवाल उठाने वालों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने खुद की लिखी हुई लाइनें भी सुनाईं- ‘अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं। वफा खुद से नहीं होती और खता ईवीएम की कहते हो…।।’बीजेपी का दक्षिण के 5 राज्यों की 129 सीटों पर भी है पूरा फोकस
इस बार यूपी-बिहार जैसे देश के बड़े राज्यों के साथ-साथ ही सबकी नजरें दक्षिण के 5 राज्यों की 129 सीटों पर भी टिकी हुई हैं। 10 साल से केंद्र की सत्ता में शानदार काम कर रही भाजपा जहां केरल, तमिलनाडु और आंध्र में पैर जमाने में पूरी ताकत लगा रही है। वहीं, कर्नाटक में पिछला प्रदर्शन दोहराने और तेलंगाना में सीट बढ़ाने की रणनीति पर काम करने में लगी है। पीएम मोदी की दक्षिण के इन राज्यों में लगातार दौरों और उनमें उमड़ रही जनता से यह तो तय है की बीजेपी को लोकसभा चुनाव में दक्षिणी राज्यों में भी बड़ी बढ़त मिलने जा रही है। ऐसा होने पर कांग्रेस के साथ ही, तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके, केरल के वाममोर्चे, आंध्र की वाईएसआरसीपी के लिए अस्तित्व के लिए भी बीजेपी बड़ी चुनौती साबित होगी।समावेशी विकास से तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश में BJP के पक्ष में माहौल
अब पार्टी की नजर दक्षिण भारत के राज्यों पर है। BJP को लगता है कि पार्टी इन राज्यों में लोकसभा चुनाव के दौरान बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। दक्षिण के राज्यों में अभी BJP के पास 29 सीटें ही हैं। इनमें भी 25 सीटें अकेले कर्नाटक से है। इसलिए BJP की नजर अब दक्षिणी राज्यों की अधिक से अधिक सीटों पर सेंध लगाने पर टिकी है। नॉर्थ ईस्ट में मिली जीत और दक्षिण भारत के राज्यों में 2019 और 2024 के बीच आए राजनीतिक बदलाव से BJP उत्साहित है। BJP की नजर इस बार दक्षिण में सिर्फ कर्नाटक और तेलंगाना पर ही नहीं है। पार्टी की योजना में तमिलनाडु भी शामिल है। BJP ने 2019 में तेलंगाना से चार सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। पीएम मोदी की लगातार सभाओं और केंद्र सरकार के समावेशी विकास के चलते तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश में भी माहौल BJP के पक्ष में आने लगा है।2014 : लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी का आरंभ ही प्रचंड था
लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें तो इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की थी। वहीं इस चुनाव में विपक्ष का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा था। इस चुनाव में देश की जनता ने एनडीए को 334 सीटें दिलाई थीं, जिनमें से 282 सीटों पर अकेले भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी को महज 44 सीटों पर ही सफलता मिल सकी थी। इस बड़ी जीत के साथ ही भाजपा 30 साल के बाद लोकसभा में अपने बूते पूर्ण बहुमत पाने वाला पहला दल बना। जाहिर सी बात है इस चुनाव में ‘मोदी लहर’ चर्चा में रही और चुनाव में जीत मिलने के बाद नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।2019: पिछले लोकसभा चुनाव से बीजेपी को मिली ज्यादा सीटें
पांच सालों के बाद लोकसभा चुनाव 2019 में भी भारतीय जनता पार्टी ने ही जीत दर्ज की। भाजपा की ये जीत पिछली जीत से भी बड़ी थी। इस चुनाव में एनडीए गठबंधन को जनता ने 353 सीटें दे दीं, जिनमें से अकेले भाजपा ने 303 सीटों पर जीत दर्ज की। 303 सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ भारतीय जनता पार्टी के पास अकेले पूर्ण बहुमत था। वहीं यूपीए गठबंधन को 90 सीटें मिलीं, जिनमें से कांग्रेस पार्टी को 52 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी। जिस तरह से एनडीए ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करते हुए 334 से 353 तक की छलांग लगाई, उसी तरह से भाजपा का मानना है इस चुनाव में जनता-जनार्दन का आशीर्वाद और मोदी लहर आसानी से आंकड़ा 400 पार कर देगी।लोकसभा चुनाव 2024 के यह तथ्य और आंकड़े बहुत दिलचस्प हैं…

  • लोकसभा चुनाव में बीजेपी के जीतने के साथ ही नरेन्द्र मोदी का पीएम बनना भी कमोबेश तय है। हैट्रिक के बाद मोदी के पीएम बनने पर वे पहले प्रधानमंत्री नेहरू (1952, 1957 और 1962) की बराबरी कर लेंगे।
  • देश में पहली बार 1000 पुरुषों पर 948 महिला वोटर। यह संख्या सर्वाधिक। 2019 में हजार पुरुषों पर 928 महिलाएं ही थीं।
    देश में 12 राज्य ऐसे जहां महिला वोटर की संख्या पुरुष वोटर से ज्यादा हो गई है।
  • इस बार 47.1 करोड़ महिला व 49.7 करोड़ पुरुष मतदाता हैं। पिछले चुनाव में 43.85 करोड़ महिलाएं थीं। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 2029 के चुनाव तक महिला वोटर पुरुषों से अधिक हो जाएंगी।
  • सबसे ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस के नाम है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उठी सहानुभूति लहर के चलते 1984 में कांग्रेस ने 415 सीटें जीती थीं। बीजेपी-एनडीए गठबंधन का लक्ष्य इस रिकॉर्ड के पार जाना है।
  • सोनिया गांधी के 1998 में अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला मौका होगा, जब कांग्रेस गांधी परिवार से बाहर किसी अध्यक्ष की अगुवाई में चुनाव लड़ेगी।
  • इस लोकसभा चुनाव के लिए अब तक भाजपा 267 प्रत्याशी, कांग्रेस 82, सपा 42, तृणमूल बंगाल में सभी 42 प्रत्याशी उतार चुकी है।
  • दो दशक में पहली बार लोकसभा चुनाव के नतीजे जून महीने में आएंगे।
  • चुनाव इको फ्रेंडली होंगे। इको फ्रेंडली वाहन को बढ़ावा देंगे। कागज का कम से कम इस्तेमाल होगा।
  • चुनाव कवरेज में लगे होने के कारण पत्रकारों को डाक मतपत्र से वोटिंग की सुविधा रहेगी।
  • देश का यह पहला लोकसभा चुनाव होगा, जिसमें आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंसी का भी उपयोग होगा।
  • लोकसभा चुनाव में भी पहली बार होम वोटिंग की सुविधा। विधानसभा चुनाव में 80 की उम्र के लोगों को यह सुविधा दी गई थी। लोकसभा में 85 साल किया गया है।

राजस्थान में 5.32 करोड़ मतदाता, 2019 की तुलना में 9.48 प्रतिशत बढ़े
राजस्थान की बात करें तो बीजेपी आश्वस्त है कि प्रदेश में एक बार फिर से कांग्रेस का सूपड़ासाफ होगा और 25 में से 25 सीटें बीजेपी की झोली में जाएंगी। विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने इसका ट्रैलर दिखा ही दिया है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए पिछले महीने जारी आंकड़ों के मुताबिक 5 करोड़ 32 लाख 9789 मतदाता हैं। 2019 के चुनाव में कुल 4.86 करोड़ 2 हजार से अधिक मतदाता थे, यानी 9.48% वोटर बढ़े हैं। 18 से 19 वर्ष उम्र के वोटर पिछली बार 12 लाख 82 हजार थे जो अब बढ़कर 15.70 लाख हो गए हैं। महिला मतदाता पिछली बार 2 करोड़ 32 लाख थीं, जो अब बढ़कर 2.54 करोड़ 70 हजार से अधिक हैं। महिला वोटर की संख्या 9.70 प्रतिशत बढ़ी है। वहीं, 18 से 39 वर्ष उम्र के मतदाता 52% से अधिक हैं, जो इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।मतदाता सूची से जुड़कर विकसित राष्ट्र के निर्माण में भागीदारी अभी भी मौका है
नए मतदाताओं के पास अभी भी वोटर के रूप में पंजीयन का मौका है। 18 वर्ष या अधिक आयु का कोई व्यक्ति वोटर हेल्पलाइन एप अथवा मतदान केन्द्र पर नाम जुड़वा सकता है। 1 अप्रैल 2024 को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले युवा भी मतदाता पंजीयन के लिए आवेदन दे सकते हैं। मतदाता उम्मीदवार के नामांकन की वापसी की अन्तिम तारीख से 10 दिन पहले तक भी मतदाता सूची में नाम जुड़वाकर वोट डाल सकेंगे। लोकसभा चुनाव में पहला मौका होगा जब 200 मतदान केंद्रों की जिम्मेदारी वोटिंग के दिन दिव्यांग कर्मचारी संभालेंगे। हालांकि यह प्रयोग विधानसभा चुनाव में हो चुका है। मतदाता सूचियों में लैंगिक अनुपात 920 की तुलना में 923 हो गया है। प्रदेश में दिव्यांग मतदाता 2019 में 4.86 लाख थे, जो करीब 31% की बढ़त के साथ अब 57 लाख से अधिक हैं। 80 वर्ष से अधिक आयु के 11 लाख 72 हजार वोटर 260 पंजीकृत थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 12.86 लाख हो गई है।

 

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