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मोदी सरकार की नीतियों का सुपरिणाम, 2027 तक तीसरी और 2030 तक दुनिया की दूसरी बड़ी कंज्यूमर इकोनामी बन जाएगा भारत, छह साल में डेढ़ गुना होंगे कंज्यूमर

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विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए तेजी से अग्रसर राष्ट्र दूरगामी नीतियों और विजनरी अप्रोच के चलते हर सेक्टर में कुलांचे भर रहा है। पीएम मोदी ने गारंटी दी है कि उनके तीसरे टर्म में भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगी। इसी दिशा में एक और उत्साहवर्धक खबर आई है। आय और खपत बढ़ने के चलते भारत दुनिया की सबसे तेज ग्रोथ बाली कंज्यूमर इकोनॉमी अभी से बन गया है। भारत फिलहाल दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंज्यूमर इकोनॉमी है। देश में जिस तेजी से ग्रोथ हो रही है उससे कहा जा सकता है कि भारत अगले तीन साल में आसानी से तीसरे और 2030 तक दूसरे स्थान पर पहुंच सकता है। आंकड़ों में बात करें तो आने वाले सिर्फ 6 साल में ही भारतीय कंज्यूमर करीब डेढ़ गुना हो जाएंगे।देश में तीन साल बाद सालाना 10 हजार डॉलर आय वाले 10 करोड़ लोग होंगे
दुनियाभर में उपभोक्ता खर्च आंकने वाली एजेंसी वर्ल्ड डेटा लैब के मुताबिक, 2030 तक भारत में रोज 12 डॉलर (करीब 1,000 रुपए) खर्च करने वाले कंज्यूमर 46% बढ़कर 77.3 करोड़ हो जाएंगे। अभी इनकी संख्या 53 करोड़ है। इस हिसाब से भारत चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी कंज्यूमर इकोनॉमी होगा। तब तक चीन में 100 करोड़ से ज्यादा ऐसे उपभोक्ता होंगे। फॉर्च्यून इंडिया का अनुमान है कि 2027 तक देश में सालाना 10 हजार डॉलर (करीब 8.3 लाख रुपए) आय वाले लोग 10 करोड़ होंगे। अभी इनकी संख्या करीब 6 करोड़ है। इसका सीधा फायदा देश की कंज्यूमर इकोनॉमी को होगा। इसके साथ ही भारतीय रिटेल कंपनियों की आय सालाना 27% तक बढ़ने का अनुमान भी लगाया जा रहा है।मोदी सरकार की विजनरी नीतियों से 9.5 प्रतिशत बढ़ा उपभोक्ता खर्च
भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर 2023 के दौरान देश में उपभोक्ता खर्च करीब 9.5% बढ़कर 25.6 लाख करोड़ रुपए हो गया। बीते साल खर्च करने योग्य व्यक्तिगत आय 8.4% बढ़कर 296 लाख करोड़ रुपए हो गई, जो 2022 में 273 लाख करोड़ रुपए थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले साल सितंबर में भी कंज्यूमर कॉन्फिडेंस 4 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि वर्तमान सामान्य आर्थिक स्थिति और रोजगार की स्थिति के बेहतर आकलन के कारण वर्तमान स्थिति सूचकांक चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। आरबीआई के अपने द्विमासिक उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण के मुताबिक सीएसआई 92.2 पर पहुंच गया है। आरबीआई का यह सर्वेक्षण देश के 19 प्रमुख शहरों में हजारों लोगों के बीच किया गया।

पीएम के फोकस के चलते टियर-2 और 3 शहर रिटेल निवेश के नए केंद्र बने
पीएम मोदी का विजन सबका विकास करने का है। यही वजह है कि बड़े और मेट्रो शहरों के साथ-साथ अब टियर-2 और टियर-3 के शहर भी रिटेल निवेश के नए केंद्र बनकर उभर रहे हैं। लग्जरी ब्रांड्स की 35% बिक्री नॉन-मेट्रो शहरों में हो रही है। रियल एस्टेट कंसल्टिंग फर्म सीबीआरई साउथ एशिया के मुताबिक, 2023 में चंडीगढ़, जयपुर, वडोदरा, नासिक, लखनऊ, इंदौर और भोपाल जैसे 14 टियर-2 शहरों में 35 से ज्यादा घरेलू और इंटरनेशनल रिटेल ब्रांड्स ने स्टोर खोले हैं। देश के टियर-2 और 3 शहर रिटेल निवेश के नए केंद्र बन रहे हैं। सीबीआरई के मुताबिक, 2025 तक देश का इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक (आईएंडएल) सेक्टर 10%-12% बढ़कर करीब 31.5 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। आईएंडएल सेक्टर ने करीब 2.5 करोड़ लोगों को रोजगार दिया हुआ है। हर साल करीब 10 लाख नई नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।

दुनिया के तमाम रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार दिखाई दे रहा है। अब एक अच्छी खबर है। आइये जानते हैं कि किस तरह भारत ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स में अपनी स्थिति में सुधार किया…ग्लोबल पीस इंडेक्स 2023 में 9 पायदान चढ़कर 126वें पर पहुंचा भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया के तमाम रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार दिखाई दे रहा है। जहां तक देश में शांति और सामाजिक सुरक्षा की बात है तो इसमें पिछले एक साल में बढ़ोतरी हुई है। ग्लोबल पीस इंडेक्स 2023 की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत 9 पायदान चढ़कर 126वें पर पहुंच गया है। जबकि पिछले साल 2022 में उसे 135वें स्थान पर रखा गया था। यह इंडेक्स घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संघर्ष, सामाजिक सुरक्षा समेत दो दर्जन मापदंडों के आधार पर मूल्यांकन के बाद जारी की गई है। ग्लोबल पीस इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडेक्स में 163 देशों की रैंकिंग दी गई है। इसमें भारत का स्थान 126वां है। हिंसक अपराध, पड़ोसी देशों के संबंधों और राजनीतिक अस्थिरता में सुधार के कारण, पिछले वर्ष देश में समग्र शांति में 3.5 प्रतिशत का सुधार हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, आइसलैंड (Iceland) दुनिया का सबसे शांत देश है, जबकि अफगानिस्तान सबसे अशांत देश है।

वैश्विक नवाचार सूचकांक 2023 में 40वें स्थान पर भारत
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2023 में भारत 40वें स्थान पर बरकरार है। वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में पिछले कई वर्षों से भारत साल 2015 में 132 अर्थव्यवस्थाओं में 81वें स्थान पर था। सितंबर 2023 में जारी इंडेक्स से पता चलता है कि स्टार्टअप के लिए बेहतर माहौल तैयार करने और नवाचार को बढ़ावा देने में भारत लगातार सुधार कर रहा है। यह सुधार स्टार्टअप के लिए अनुकूल माहौल बनाने सरकारी व निजी संगठनों की ओर से शोध पर जोर दिए जाने से आया है। जीआईआई दुनिया भर के देशों में नवाचार के नेतृत्व वाले सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों का आकलन करने के लिए दुनिया भर की सरकारों के लिए एक विश्वसनीय उपकरण है।

वैश्विक प्रत्यक्ष बिक्री रैंकिंग में 11वें स्थान पर पहुंचा भारत
प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग में 3.23 अरब डॉलर से ज्यादा के खुदरा कारोबार के साथ भारत वैश्विक प्रत्यक्ष बिक्री रैंकिंग में 11वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार भारत की रैंकिंग में एक पायदान का सुधार हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया-प्रशांत क्षेत्र रैंकिंग में भारत छठे स्थान पर बना हुआ है। इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (आईडीएसए) के अध्यक्ष रजत बनर्जी ने कहा कि भारतीय प्रत्यक्ष बिक्री बाजार ने तीन वर्षों में 13.3 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर हासिल की है। वैश्विक खुदरा बिक्री 2022 में लगभग 172.8 अरब डॉलर रही। 2021 में यह 175.5 अरब डॉलर था। 2019 में 168.17 अरब डॉलर व 2020 में 172.14 अरब डॉलर से अधिक की खुदरा बिक्री हुई।

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारतीय पासपोर्ट ने फिर लगाई छलांग
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय पासपोर्ट वैश्विक स्तर पर और ज्यादा मजबूत हो गया है। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स इंडेक्स में 2022 के मुकाबले भारतीय पासपोर्ट में 5 अंकों का सुधार देखा गया है। अब भारतीय पासपोर्ट 80वें स्थान पर है। भारतीय पासपोर्ट पर अब आप 57 देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं। टोगो और सेनेगल ने भी अब भारतीय पासपोर्ट धारकों को वीजा-मुफ्त यात्रा की अनुमति दे दी है। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स इंडेक्स के मुताबिक हालिया रिपोर्ट में सिंगापुर और जापान शीर्ष रैंकिंग पर बने हुए हैं।

सबसे ताकतवर पासपोर्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत 69वें नंबर पर
आर्टन कैपिटल ने 2022 में दुनिया के सबसे ताकतवर और कमजोर पासपोर्ट वाले देशों की लिस्ट जारी की। इस लिस्ट में यूएई के पासपोर्ट को सबसे मजबूत बताया गया है। वहीं इस लिस्ट में भारत का पासपोर्ट 69 वें स्थान पर रहा है। इस लिस्ट से यह पता चलता है कि किस देश के नागरिकों को कितने देशों में वीजा फ्री प्रवेश और कितने देशों में वीजा ऑन अराइवल प्रवेश मिल सकता है। इस पासपोर्ट इंडेक्स को यूनाइटेड नेशन के 139 सदस्य देशों और इसके 6 विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाता है। इस इंडेक्स को तैयार करने में उपयोग किया गया डाटा सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाता है।

मजबूत ग्रोथ के बीच कारोबारी भरोसा सूचकांक बढ़कर 66.1 पर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दुनियाभर में भारत की साख मजबूत हुई है। मोदी सरकार ने कारोबार और व्यापार को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसका असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिल रहा है। इन सुधारों की वजह से हर क्षेत्र में भारत की रैंकिंग बेहतर हुई है। अब भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का कारोबारी विश्वास सूचकांक (बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स) अप्रैल-जून तिमाही में बढ़कर 66.1 हो गया है। जनवरी-मार्च की तिमाही में यह 64 पर था। सीआईआई के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कारोबारी विश्वास सूचकांक में जो सकारात्मक रुख दिखाई दिया है, वह उत्साहजनक है। मांग में सुधार से कई क्षेत्रों में क्षमता इस्तेमाल बढ़ा है जिससे इस साल निजी निवेश को और रफ्तार मिलेगी। सीआईआई के कारोबारी परिदृश्य सर्वे में शामिल 180 कंपनियों में से 63 प्रतिशत का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर छह से सात प्रतिशत रहेगी। सर्वे में शामिल 65 प्रतिशत कंपनियों का कहना था कि चालू वित्त वर्ष में निजी निवेश की रफ्तार कायम रहेगी।

एनर्जी ट्रांजिशन इंडेक्स में रैंकिंग में भी हुआ सुधार
एनर्जी ट्रांजिशन सूचकांक में भारत की स्थिति और बेहतर हुई है। 2014 से लेकर अभी तक भारत के प्रदर्शन में 8 प्रतिशत का सुधार आया है। विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम ) ने अपने एनर्जी ट्रांजिशन सूचकांक (ऊर्जा संचरण सूचकांक) में वैश्विक स्तर पर भारत को 67 वें स्थान पर रखा है। साल 2021 में भारत 87वें स्थान पर था। WEF का कहना है कि भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जहां सभी आयामों में एनर्जी ट्रांजिशन की गति तेज हो रही है। लिस्ट में स्वीडन सबसे ऊपर है। इसके बाद 120 देशों की सूची में डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड और स्विट्जरलैंड शीर्ष पांच में हैं। एक्सेंचर के सहयोग से प्रकाशित रिपोर्ट में डब्ल्यूईएफ ने कहा कि वैश्विक ऊर्जा संकट और भू-राजनीतिक अस्थिरता के बीच ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन स्थिर हुआ है, लेकिन भारत उन देशों में शामिल हैं जिन्होंने महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।

लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में 6 पायदान की छलांग लगा 38वें स्थान पर भारत
भारत विश्व बैंक के लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक 2023 में 6 स्थान की छलांग के साथ 139 देशों की सूची में 38वें पायदान पर पहुंच गया है। भारत 2018 में इस सूचकांक में 44वें स्थान पर था। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रदर्शन में 2014 से लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। उस दौरान वह 54वें स्थान पर था। मोदी सरकार ने अक्तूबर, 2021 में लॉजिस्टिक्स लागत घटाने के लिए पीएम गति शक्ति पहल की घोषणा करने का साथ 2022 में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति शुरू की। जिसका उद्देश्य तेजी से सामान पहुंचाना, परिवहन संबंधी चुनौतियों को खत्म करना, विनिर्माण क्षेत्र के लिए समय को घटाना और धन को बचाना था। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन नीतियों से भारत को लाभ मिला है।

उद्यमशीलता इकोसिस्टम में चौथे स्थान पर पहुंचा भारत
भारत उद्यमशीलता इकोसिस्टम में 12 स्थान की लंबी छलांग लगाते हुए चौथे स्थान पर पहुंच गया है। ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर (जीईएम) की ओर से साल 2023 में जारी राष्ट्रीय उद्यमशीलता सूचकांक रिपोर्ट में भारत को 51 देशों के बीच चौथे स्थान पर रखा गया है। इस तरह भारत की रैंकिंग में खासा सुधार आया है। वर्ष 2021 में भारत इस सूचकांक में 16वें स्थान पर मौजूद था। भारत को सूचकांक में 6.1 अंक मिले हैं जो पिछले कुछ वर्षों में कारोबारी माहौल सुधारने की दिशा में किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।

वैज्ञानिक प्रकाशनों की वैश्विक रैंकिंग में भारत ने लगाई छलांग
भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों की वैश्विक श्रेणी में 7वें स्थान से छलांग लगा कर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) के विज्ञान और इंजीनियरिंग इंडीकेटर्स 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 में 7वें स्थान से सुधर कर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई है। इसके साथ ही भारत के विद्वानों का कार्य 2010 में 60,555 शोध पत्रों से बढ़कर 2020 में 1,49,213 पेपर हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) में भारतीय वैज्ञानिकों को दिए गए पेटेंट की संख्या भी 2018-19 के 2511 से बढ़कर 2019-20 में 4003 और 2020-21 में 5629 हो गई है। भारत में पिछले 12 साल में पहली बार घरेलू पेटेंट फाइलिंग की संख्या विदेशी फाइलिंग से ज्यादा है। यह भारत की बढ़ती वैज्ञानिक शक्ति को दर्शाता है। पेटेंट दाखिल कराने में भारत की रैंक विश्व स्तर पर सातवीं है जबकि ट्रेडमार्क पंजीकरण में यह पांचवें स्थान पर है। पिछले पांच वर्षों में भारत के पेटेंट पंजीकरण में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आईआईएससी बेंगलूर के नाम 2023 में कुल 145 पेटेंट दर्ज किए गए हैं।

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत ने लगाई दो स्थानों की छलांग
जलवायु सुरक्षा के मामले में भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है। कॉप 27 में जारी जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक(CCPI -2023) में भारत दो स्थानों की छलांग लगाकर 8वीं रैंक हासिल किया। पिछले साल भारत की 10वीं रैंकिंग थी। वहीं जलवायु परिवर्तन के प्रदर्शन के आधार पर भारत को विश्व के शीर्ष 5 देशों में शामिल किया गया, जबकि G20 देशों में भारत टॉप पर है। सीसीपीआई की इस रिपोर्ट में भारत से ऊपर चार देश है। इनमें डेनमार्क को चौथे, स्वीडन को पांचवें, चिली को छठे और मोरक्को को सातवें स्थान पर रखा गया है। किसी भी देश को पहला, दूसरा और तीसरा स्थान नहीं दिया गया है। मोदी सरकार बनने के समय साल 2014 में CCPI में भारत 31वें स्थान पर था।

सीआरआईआई इंडेक्स में छह रैंक का सुधार
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उनकी सरकार ने देश में असमानता दूर करने के लिए जो प्रतिबद्धता दिखाई है, उसके परिणाम भी अब आने लगे हैं। असमानता सूचकांक में भारत की स्थिति में छह स्थान का सुधार हुआ है। सीआरआईआई इंडेक्स-2022 में भारत 129वें स्थान से 123वें स्थान पर पहुंच गया है। इस इंडेक्स में नॉर्वे सबसे आगे है और उसके बाद जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया का स्थान है। सीआरआईआई-2022 में कोविड-19 महामारी के दौरान असमानता कम करने के लिए 161 देशों की सरकारी नीतियों और कार्यों की समीक्षा की गई। असमानता कम करने के लिए प्रगतिशील व्यय के मामले में भारत ने 12 पायदानों का सुधार कर 129वां स्थान प्राप्त किया। प्रगतिशील कर प्रणाली के मामले में भारत ने अपनी स्थिति तीन पायदान मजबूत कर 16वां स्थान प्राप्त किया।

बौद्धिक संपदा रैंकिंग में सुधार,आईपी स्कोर बढ़कर 38.6 प्रतिशत पर
यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार व्यवस्था पर जारी एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपने समग्र आईपी स्कोर में 38.4 प्रतिशत से 38.6 प्रतिशत तक सुधार किया और अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक में 55 देशों में से 43 वें स्थान पर पहुंच गया। यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर की रिपोर्ट में कहा गया कि यह संकेतक 32 पर स्कोर वृद्धि को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह समीक्षा स्वागत योग्य है और भारत के राष्ट्रीय आईपी पर्यावरण की ताकत और कमजोरियों का व्यापक और विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, इनोवेटर्स और क्रिएटर्स बेहतरीन और उज्ज्वल कल देने के लिए लगातार होड़ कर रहे हैं।

हुरून इंडिया ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2023 : भारत तीसरा सबसे बड़ा देश

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में यूनिकॉर्न एवं गजेल की संख्या के लिहाज से अमेरिका व चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है। हुरुन ग्लोबल-500 कंपनियों की संख्या के मामले में यह पांचवें स्थान पर काबिज है। वहीं, रूस और सऊदी अरब जैसे 9 देशों में एक भी यूनिकॉर्न नहीं हैं। वहीं भारत में कुल 138 यूनिकॉर्न हैं और रूस व सऊदी अरब जैसे देशों में एक भी नहीं है। इससे पहले 2022 में आई हुरून इंडिया ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पहली छमाही में यूनिकॉर्न स्टार्टअप के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, पहली छमाही में पूरी दुनिया में 254 नए यूनिकॉर्न बने। अमेरिका ने कुल 138 नए यूनिकॉर्न जोड़े जो सबसे ज्यादा है। अमेरिका के बाद भारत का नंबर आता है। जनवरी से जून 2022 के बीच भारत में 14 नए यूनिकॉर्न बने जिसके साथ कुल यूनिकॉर्न की संख्या 68 हो गई। चीन ने तब 11 नए यूनिकॉर्न जोड़े और कुल यूनिकॉर्न की संख्या 312 है। 

वर्ल्ड हैपीनेस इंडेक्स : भारत की रैकिंग में तीन पायदान का सुधार
वर्ल्ड हैपीनेस इंडेक्स 2022 में भारत की रैकिंग में तीन पायदान का सुधार हुआ। कुल 146 देशों में भारत 136वें पायदान पर रहा। संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक सूचकांक में फिनलैंड पांचवें साल भी दुनिया का सबसे खुशहाल देश चुना गया। वहीं, अफगानिस्तान सबसे नाखुश देश माना गया। इसमें खुशी के एहसास, जीडीपी के लेवल, जीवन प्रत्याशा, जीवन विकल्प चुनने की आजादी, उदारता और भ्रष्टाचार की धारणा जैसे कारकों पर रैंक दी जाती है।

भारत बना दुनिया का दूसरा सबसे आकर्षक मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब
अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का दूसरा सबसे आकर्षक मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब बन गया। रियल एस्टेट कंसल्‍टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड के मुताबिक, ग्‍लोबल मैन्‍युफैक्‍चरिंग रिस्‍क इंडेक्‍स- 2021 में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर पहुंच गया। पिछले साल की रिपोर्ट में अमेरिका दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर था। इस रैंकिंग से पता चलता है कि अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की तुलना में मैन्‍युफैक्‍चरर भारत को ज्‍यादा पसंद कर रहे हैं। यह इंडेक्‍स यूरोप, अमेरिका और एशिया-पैसेफिक (एपीएसी) के 47 देशों में से ग्‍लोबल मैन्‍युफैक्‍चरिंग के लिए आकर्षक या प्रॉफिटेबल डेस्टिनेशन की रैंकिंग करता है। व्यापार सुविधा रैंकिंग में 11.83 प्रतिशत अंक की उछाल
मोदी सरकार की व्यापार प्रोत्साहन योजनाओं को असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिला है। इन सुधारों की वजह से भारत की व्यापार सुविधा रैंकिंग बेहतर हुई। वित्त मंत्रालय के मुताबिक डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा पर संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक सर्वेक्षण में भारत की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ। भारत ने 2021 के सर्वेक्षण में 90.32 प्रतिशत अंक हासिल किए, जबकि इससे पहले 2019 में उसे 78.49 प्रतिशत अंक मिले थे। दुनिया भर की 143 अर्थव्यवस्थाओं के मूल्यांकन के बाद 2021 के सर्वेक्षण में भारत की स्थिति पारदर्शिता, संस्थागत व्यवस्था और सहयोग, कागज रहित व्यापार सहित कई लिहाज से बेहतर हुई।

 

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