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ये है केजरीवाल का नया झूठ, मीडिया को भी किया गुमराह

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दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब और गोवा में मिली करारी हार को अबतक नहीं पचा पाए हैं। हार के लिए वोटिंग मशीन ईवीएम में छेड़छाड़ का बहाना बनाकर बीएसपी सुप्रिमो मायावती तो शांत बैठ गई हैं, लेकिन सियासी हताशा में केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता झूठ फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

केजरीवाल और उनकी टीम के लोग अब इस दुष्प्रचार में लग गए हैं कि वीवीपीएटी (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) लगे वोटिंग मशीन की चैंकिंग के दौरान ईवीएम का बटन दबाने पर कमल का फूल प्रिंट हुआ। वीवीपीएटी से लगे ईवीएम में बटन दबाने पर एक पर्ची निकलती है, जिससे पता चलता है कि आपने किस पार्टी और निशान को वोट दिया है।

आप संयोजक इस बात को कई बार ट्वीट कर चुके हैं कि मध्य प्रदेश के भिंड में वीवीपीएटी वाले ईवीएम मशीन की चेकिंग के दौरान बटन दबाने पर बीजेपी के पक्ष में वोट जा रहे थे। केजरीवाल ने इस बारे में सहारा न्यूज नेटवर्क के समय (मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) न्यूज चैनल की खबर का हवाला दिया है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित आप के तमाम नेता और कार्यकर्ता ईवीएम में छेड़छाड़ को लेकर ट्वीट कर रहे हैं।

केजरीवाल ने एक तथाकथित पत्रकार के ट्वीट को भी रि-ट्वीट किया है। अगर आप उस ट्वीट के वीडियो को देखेंगे तो सब कुछ साफ हो जाएगा। वीडियो में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह पत्रकारों के साथ हंसी-मजाक के मूड में दिख रही हैं। लोग हंस भी रहे हैं। सलीना सिंह मजाक में हंसते हुए मीडियाकर्मियों से कह रही है कि प्रेस में ऐसा नहीं देना, नहीं तो फिर आपको हम थाने में बैठाएंगे।

सलीना सिंह के मजाक को कुछ तथाकथित पत्रकार धमकी मानते हुए इसे ही हेडलाइन में चलाने लगे। कई बड़े पत्रकारों ने भी सच जानने की कोशिश नहीं की और गलत खबर दिखाने लगे। अगर आप वीडियो देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि-

  • मध्य प्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह विधानसभा उप-चुनाव से पहले पत्रकारों और विभिन्न दलों के नेताओं के साथ ईवीएम मशीन की चेकिंग कर रही है।
  • सलीना सिंह जब चार नंबर बटन दबाती हैं तो वीवीपीएटी से बीजेपी को वोट दिए जाने वाली पर्ची निकलती है।
  • बीजेपी के पक्ष में पर्ची निकलते ही सभी ये मान लेते हैं कि बीजेपी के पक्ष में ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ की गई है। ऐसे में सलीना सिंह जब मजाक में पत्रकारों को न्यूज ना दिखाने की बात करती हैं तो सभी हंसने लगते हैं। लेकिन कुछ तथाकथित पत्रकार इस मजाक को गलत रूप दे देते हैं।
  • जबकि सलीना सिंह ने डेमो देने के लिए जिस चार नंबर बटन को दबाया था वो बीजेपी के लिए ही सत्यदेव पचौरी के लिए था। फिर मशीन से गलत क्या निकला।
  • इसके बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने दूसरी बार ईवीएम का बटन दबाया तो हैंडपंप निशान की पर्ची आई और तीसरी बार बटन दबाया तो हाथ के पंजे की पर्ची निकली।

 

शुरू में बीजेपी की पर्ची निकलने पर कांग्रेसी नेताओं ने हो हल्ला करने की कोशिश की लेकिन जब कांग्रेस की भी पर्ची निकली तो वे शांत हो गए। तीन बार अलग-अलग बटन दबाने पर अलग-अलग पर्ची निकलने से यह साबित हो गया कि मशीन सही है। लेकिन मीडिया के कुछ तथाकथित पत्रकार इसे अलग रंग देने में लग गए। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह के माहौल के हल्का करने के व्यवहार को उन्होंने हंगामे में तब्दील कर दिया। 

मशीन को सही देखकर मध्य प्रदेश के स्थानीय कांग्रेसी नेता तो शांत हो गए लेकिन दिल्ली में केजरीवाल ने इसे एक नया राजनीतिक रंग दे दिया।

उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट कर ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ की झूठी खबर को फैलाने की पूरी कोशिश की। अगर केजरीवाल इसी तरह झूठ फैलाते रहे तो इसके लिए उन्हें कोई अवार्ड मिल जाए तो चौंकिएगा नहीं। वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। केजरीवाल इसके पहले भी कई बार झूठ बोल चुके हैं।

वो झूठी खबरों को बिना पुष्टि कराए ट्वीट और रि-ट्वीट कर वायरल करवाते हैं।

दरअसल केजरीवाल ने जेएनयू के वीसी के मोदी की रैली में होने की खबरों को जानबूझकर बिना कन्फर्म किए रिट्वीट कर दिया था….लेकिन अपनी गलती के लिए पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने माफी भी मांग ली…

लेकिन क्या आपको लगता है कि झूठ की खेती करने में माहिर अरविंद केजरीवाल के पास इतनी हया बची है कि वो माफी मांगेंगे? क्योंकि झूठ और मक्कारी तो उनके रग-रग में भरी है….ये कोई पहला वाक्या नहीं है…..अभी कुछ महीने पहले एक शख्स ने बैंक में खुदकुशी कर ली….किसी ने ट्वीट कर दिया कि उसने बैंक से पैसे नहीं मिलने से परेशान होकर फांसी लगा ली….केजरीवाल ने बिना छानबीन किए उसे रि-ट्वीट कर दिया।

जबकि वो एक चोर था, जिसने पकड़े जाने के चलते आत्महत्या की थी।

यही नहीं आम आदमी का माला जपकर दिल्ली की सत्ता हथियाने के बाद उन्होंने अपनी और अपने विधायकों की सैलरी और बाकी सुविधाओं में 400 प्रतिशत के इजाफे की कोशिश की…..लेकिन जब चारों ओर उनके फैसले पर सवाल उठने लगे तो वो फाइल केंद्र को बढ़ाकर अपने फैसले से मुकरने लग गए।

इस तरह के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।

 

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