दिल्ली की केजरीवाल सरकार और राजस्थान की गहलोत सरकार में क्या कोई समानता है ? हां है….दोनों ही सरकारें सुनियोजित दंगे की साजिश को रोकने में नाकाम रहीं। केजरीवाल सरकार इसलिए एक कदम आगे रही कि आप नेताओं ने दंगों को भड़काने का भी काम किया था। 2020 में हुए दिल्ली दंगे की तर्ज पर राजस्थान के करौली में हुआ उपद्रव पहले से ही प्लांड था। छतों से सैकड़ों टन पत्थर और दर्जनों लाठी-सरिए, चाकू की बरामदगी इसके चीखते सबूत हैं। करौली में हिंसा का अलर्ट होने और जुलूस के दौरान छतों पर पुलिस जवान लगाने में लापरवाही नहीं, पुलिस अधीक्षक ने जान-बूझकर ऐहतियातन कदम उठाने की जरूरत नहीं समझी।
राज्यपाल बोले-पत्थरबाजी पूर्व नियोजित, दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी कहा है कि करौली में पत्थरबाजी पूर्व नियोजित थी। मिश्र वाराणसी एयरपोर्ट से सड़क मार्ग द्वारा सर्किट हाउस पहुंचे जहां उन्होंने करौली हिंसा को लेकर बड़ा बयान दिया। मीडिया से बातचीत में कलराज मिश्रा ने राजस्थान के किरौली में घटी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि जिस ढंग से पत्थरबाजी हुई, मैं ये कह सकता हूं कि ये घटना पूर्वनियोजित है। यदि सावधानी से कदम उठाए गए होते तो इस घटना को रोका जा सकता था। इसकी जांच चल रही है, उसके बाद सारे तथ्य सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
दंगाइयों को रोकने के बजाए पुलिसकर्मी तमाशबीन बनकर वीडियो बनाते रहे
करौली के दंगों की पड़ताल में यह सामने आया है कि जब दंगाई पत्थर बरसा रहे थे, दुकानें जला रहे थे, लोगों पर लाठी-सरियों से हमला कर रहे थे, पुलिस तमाशबीन बनकर खड़ी थी। मोबाइल में वीडियो रिकॉर्ड किए जा रहे थे। साफ दिख रहा है कि पुलिस ने दंगों को कंट्रोल करने की कोशिश ही नहीं की। पथराव के बाद लोग घरों से लाठी-डंडे लेकर गली में आ गए। वाहनों में तोड़फोड़ करते रहे। पुलिस की मौजूदगी में दंगाई लोगों को लाठी-सरियों से मार रहे थे।
दंगाइयों ने मकानों की छतों पर कई टन पत्थर जमा किए हुए थे
बाइक रैली पर पथराव किया जाएगा, ये पहले से तय था। उपद्रव के 24 घंटों बाद पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने मौके का जायजा लिया तो उन्हें कई घरों की छत पर पत्थरों के ढेर मिले। कई मकानों के ऊपर कई टन पत्थर पहले से ही जमा किए हुए थे। सांसद मनोज राजोरिया ने बताया- ‘मैंने कलेक्टर व एसपी के साथ मौके का दौरा किया। जहां कई मकानों पर पत्थरों के ढेर मिले हैं। मकानों से दो-तीन ट्रॉली पत्थर निकाले गए। इनमें एक मकान के ऊपर जिम संचालित हो रहा था।’ चश्मदीदों ने बताया कि पथराव के बाद अफरा-तफरी का माहौल बन गया और लोग जान बचाने के लिए भागे। अचानक भीड़ में मुंह पर नकाब बांधे युवक घुस आए। उनके हाथ में लाठी-सरिए और चाकू थे। उन्होंने भागते लोगों पर हमला किया।
दंगाइयों ने बेखौफ होकर पुलिसकर्मियों के सामने ही जलाईं दुकानें, मोटरसाइकिल
दंगे के चश्मदीद बताते हैं कि पुलिसकर्मी दंगाइयों को केवल बोलते रहे कि ठीक है, गाड़ी तोड़ दिया, अब चले जाओ, जाओ, नहीं तो दंगा हो जाएगा। अरे हो गया, हो गया, अब बस जाओ, जाओ, आराम से घर जाओ। पथराव के बाद दंगाइयों ने पुलिस के सामने दुकानों में आग लगाई, गाड़ियां जलाईं। पुलिस सख्ती से निपटने के बजाय सिर्फ दंगाइयों से औपचारिक समझाइश करते नजर आई। इसी लापरवाही का नतीजा था कि 1 मकान, 35 दुकानें और 30 से ज्यादा बाइक्स जला दी गईं। 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनमें 4 पुलिसकर्मी भी हैं।
“तम में प्रकाश हूँ,
कठिन वक़्त की आस हूँ।”
So proud of constable Netresh Sharma of Rajasthan Police for saving a precious life. This picture is in deed worth a thousand words.. pic.twitter.com/U2DMRE3EpR— Sukirti Madhav Mishra (@SukirtiMadhav) April 4, 2022
काश, कॉन्स्टेबल नेत्रेश जैसी बहादुरी दूसरे पुलिसकर्मी भी दिखाते
करौली दंगों के दौरान पुलिस के दो चेहरे सामने आए। एक कॉन्स्टेबल नेत्रेश, जिन्होंने बहादुर दिखाते हुए जान की परवाह किए बगैर आग में फंसी मां और उसकी ढाई साल की बेटी को बचाया। वहीं पुलिस को दूसरा चेहरा चिंता बढ़ाने वाला है। वीडियो में दिख रहे ये पुलिसकर्मी भी कॉन्स्टेबल नेत्रेश जैसी बहादुरी दिखाते तो शायद दंगों की आग इतनी नहीं भड़कती।