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नरेन्द्र मोदी को PM Modi बनाने वाली हीरा बा की 10 प्रेरक कहानियां, पीएम ने मां से ऐसे सीखे जल संरक्षण, आत्मनिर्भरता, ईमानदारी, समय की पाबंदी, स्वच्छता और अथक परिश्रम करने के गुण

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दुनियाभर में प्रधानमंत्री मोदी से जो सबसे ज्यादा लाड-दुलार करती थी, वो ममतामयी और निष्काम कर्मयोगिनी हीरा बा ईश्वर में विलीन हो गई। हीरा बा ने अथक परिश्रम से नरेन्द्र मोदी की गढ़ा। कर्तव्यपथ पर चलते पीएम मोदी के कार्यों से लेकर योजनाओं तक में मां की दीक्षा, मां के संदेश, संस्कार और सद्कर्म साफ झलकते हैं। जिस हीरा बा ने उन्हें अद्भुत और अद्वितीय संस्कारों से पोषित किया, उस तपस्वी मां के समर्पण में खुद पीएम ने लिखा- “मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है। जीवन की ये वो भावना होती है, जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास और कितना कुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती, बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है। और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है।”हीरा बा में समाया है स्नेह, धैर्य और विश्वास: संतान के लिए  खुद को भुलाया 
सचमुच हीराबा ने नरेन्द्र मोदी को गढ़ने के लिए खुद को खपा दिया। वो खुद पढ़ी-लिखी नहीं थीं, लेकिन गुणी बहुत थीं। चाहती थीं कि उनके सारे बच्चे अच्छे से लिख-पढ़ जाएं। इसके लिए हीरा बा ने बहुत मेहनत की। पीएम मोदी ने एक बार इंटरव्यू में खुद आंसुओं के बीच बताया था कि अपने बच्चों को पालने के लिए उनकी मां ने आस-पड़ौस में बर्तन मांजे…काम किया और मजदूरी तक की। उन्हीं के परिश्रम, पूजा, विश्वास और संस्कारों का प्रताप है कि नरेन्द्र मोदी आज सीएम के बाद दूसरी बार प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचे है। मां की ताजिदंगी देखी मेहनत ही आज पीएम के कर्तव्यपथ में झलकती है। मां के संस्कारों ने ही उन्हें राष्ट्र प्रथम की शिक्षा दी है। यही वजह है कि पीएम मोदी ने कहा था- ‘मुझे कोई संदेह नहीं कि मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी मां को जाता है।’

पीएम मोदी ने एक समर्पित पुत्र की भांति ही मां को अलविदा कहा। बेहद सादगी से उनका अंतिम संस्कार करके वो मां के दिखाए कर्तव्यपथ पर लौट आए। अब हीरा बा नहीं हैं, पर उनके कुछ प्रेरणादायी किस्से-कहानियों हैं, जो हमेशा याद आते रहेंगे। आइये, इनसे आपको रूबरू कराते हैं…आत्मनिर्भरता का पहला मंत्र मां से सीखा, आज पीएम आत्मनिर्भर भारत बना रहे
पीएम मोदी का बचपन आर्थिक अभावों में बीता। उनके पिता की चाय की दुकान थी। घर का खर्च चलाने में मदद करने के लिए हीरा बा भी कुछ घरों में बर्तन मांजती थीं। अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा चलातीं, सूत काततीं। हीरा बा दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं। आत्मनिर्भर रहने का मंत्र नरेन्द्र मोदी ने बचपन में ही मां से सीखा था। आज वो प्रधानमंत्री बनकर आत्मनिर्भर भारत बना रहे हैं। पीएम मोदी की कई योजनाओं में बचपन में मां से सीखे सबक और लोगों की जरूरतें और दिक्कतों का हल समाहित होता है।बचपन से ही हीरा बा को जल संरक्षण करते देख पानी बचाने का महत्व समझा
पीएम मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पूरे देश में जल संरक्षण के लिए अमृत सरोवर बनाने का आह्वान किया था। जल संरक्षण और प्रबंधन को लेकर सीएम से लेकर पीएम बनने तक नरेन्द्र मोदी लगातार काम कर रहे हैं। जल संरक्षण का पाठ भी प्रधानमंत्री ने बचपन में ही अपनी मां से सीखा था। दरअसल, मानसून हीराबा के मिट्टी के घर के लिए मुसीबत बनकर आता था। बरसात के दिनों में छत टपकती थी और घर में पानी भर जाता था। तब वो बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए लीकेज के नीचे बर्तन रख देती थीं। पीएम मोदी लिखते हैं- “इन विपरीत परिस्थिति में भी मां सहनशीलता की प्रतीक थीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह अगले कुछ दिनों तक मां इस बारिश के पानी का इस्तेमाल करतीं। जल संरक्षण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है!”कमजोर आर्थिक स्थिति में भी ईमानदार अर्थशास्त्रीः हर स्थिति में परिवार चलाना जानती थीं
हीरा बा के बेटे और पीएम मोदी के भाई प्रहलाद मोदी ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब हम किसी की दी हुई कोई चीज बाहर से लेकर आते तो मां डांट लगाते हुए वह चीज लौटाने के लिए भेज देती थीं। मां में ईमानदारी के गुण थे, जो उन्होंने अपने बच्चों को दिए। आर्थिक स्थिति कमजोर होने, अनपढ़ होने के बावजूद मां हीराबा का अर्थशास्त्र काफी मजबूत था। खर्च के लिए पांच हों या एक रुपए, वे जानती थीं कि घर का खर्च कैसे चलाना है। पैसे कम हो तो भी ठीक, अगर ज्यादा हों तो वे पैसे न होने की स्थिति के लिए भी पहले से तैयारी कर लेती थीं। पैसे न होने की स्थिति में भी वे किसी न किसी तरह परिवार चला लेती थीं। उन्होंने ही हम बच्चों को पैसे के महत्व की शिक्षा दी।

पीएम मोदी को समय की पाबंदी और तड़के उठने की आदत मां और पिता से मिली
पीएम नरेन्द्र मोदी आज अपने समय का सर्वोत्तम उपयोग करते हैं। जैसे आज पीएम मोदी की दिनचर्या तड़के ही शुरू हो जाती है, वैसे ही उनकी मां हीरा बा और पिता भी सुबह चार बजे जग जाते थे। पीएम मोदी अपने ब्लॉग में लिखते हैं-मेरे पिता सुबह चार बजे ही काम पर निकल जाते थे। उनके कदमों की आहट पड़ोसियों को बताती कि सुबह के 4 बज रहे हैं और दामोदर काका काम पर जा रहे हैं। वो अपनी छोटी सी चाय की दुकान खोलने से पहले पास के मंदिर में प्रार्थना करने जरूर जाते थे। मां भी उतनी ही समय की पाबंद थीं। वह भी पिता के साथ उठतीं और सुबह ही कई काम निपटा देती थीं। अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक मां के पास कोई सहारा नहीं था। उसने कभी हमसे मदद भी नहीं मांगी। मुझे खुद लगता था कि मदद करनी चाहिए। मैं घर से सारे मैले कपड़े ले जाता और उन्हें तालाब से धो लाता। कपड़े धोना और मेरा खेलना, दोनों साथ-साथ हो जाया करते थे।पीएम को 18 घंटे तक अथक परिश्रम करने की प्रेरणा अपनी मां हीरा बा से ही मिली
आज हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी दिन में 18 घंटे तक काम करते हैं। उनको ये प्रेरणा अपनी मां हीरा बा से ही मिली। स्थानीय मंदिर हटकेश्वर महादेव के पुजारी निरंजन सिंह रावल और पीएम मोदी के भाई ने एक इंटरव्यू में बताया कि वो शुरू से ही हीरा बा को निरंतर, बिना थके काम करते देखते थे। पीएम मोदी को काम करने की अद्भुत ऊर्जा और धार्मिक संस्कार अपनी मां से ही मिले हैं। वे बताते हैं कि मां अनपढ़ थीं, लेकिन मेरे पिता उनको धार्मिक किताबें पढ़कर सुनाते थे। वह शिवरात्रि और सावन के महीने में मंदिर आती थीं। वह पूजा करती थीं। हर पुरुष की सफलता के पीछे एक महिला होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की वह महिला उनकी मां हीरा बा ही हैं। उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया, मेहनत की और बच्चों को ऐसी शिक्षा दी, जिससे वे मेहनत से देश सेवा कर सकें।

पूजा-अर्चना के लिए जाना, मां की सजगता और पिता का गुड़ लेकर आना
पीएम मोदी ने अपनी मां के बारे में बात करते हुए एक जगह लिखा है कि उनकी मां की ईश्वर में अगाध आस्था है। लेकिन साथ ही वह अंधविश्वासों से दूर रहीं और हममें भी वही गुण पैदा किए। पिता की इच्छा पर एक बार हमारा परिवार पूजा के लिए नर्मदा घाट गया था। तीन घंटे का सफर था। जबरदस्त गर्मी से बचने के लिए हम सुबह-सुबह ही घर से निकल गए। वहां पहुंचने के बाद कुछ दूरी पैदल ही तय करनी थी। गर्मी बहुत तेज थी। पैदल चलना आसान नहीं था। हमने नदी किनारे-किनारे चलना शुरू किया। मां ने तुरंत ही हमारी बेचैनी को देख लिया। उन्होंने पिता से कुछ देर रुकने और आराम करने को कहा। मां ने पिता से आसपास से थोड़ा गुड़ लाने को कहा। वे गए और किसी तरह कुछ गुड़ ले आए। गुड़ और पानी ने हमें फौरन ही ताकत दी और हम सभी दोबारा पैदल चल निकले। उस तपती धूप में पूजा के लिए जाना, मां की सजगता और पिता का गुड़ लेकर आना, वे सभी बातें मुझे आज भी याद रहती हैं।मां से मिला प्रोत्साहन के शब्दों का जादू- लगता है तुम अच्छा काम कर रहे हो
प्रधानमंत्री मोदी आज अच्छा काम करने वाले छात्रों से लेकर युवाओं तक, श्रमिकों से लेकर इंजीनियरों तक को प्रोत्साहित करते नजर आते हैं। ऐसा ही प्रोत्साहन पीएम मोदी को मां से भी मिलता था। वे बताते हैं कि जब मैं संगठन में काम करता था, ज्यादा बिजी होने की वजह से परिवार के संपर्क में बहुत कम रह पाता था। उस दौरान मेरे बड़े भाई मां को केदारनाथ ले गए। वहां स्थानीय लोगों को ये बात पता चल गई कि नरेंद्र मोदी की मां आ रही हैं। वे सड़कों पर बुजुर्ग महिलाओं से पूछते रहे कि क्या वे नरेंद्र मोदी की मां हैं। अंत में वे मां से मिले। उन्हें कंबल और चाय दी। केदारनाथ में उनके ठहरने की आरामदायक व्यवस्था की। बाद में जब वह मुझसे मिलीं तो मुझे प्रोत्साहित करते हुए बोलीं ‘ऐसा लगता है कि तुम कुछ अच्छा काम कर रहे हैं, क्योंकि लोग तुमको पहचानते हैं। हमेशा ऐसा ही काम करते रहो।’ पीएम बनने के बाद भी जब वो मिलती तो देश सेवा के लिए प्रोत्साहित करती रहतीं।

हीरा बा की पढ़ाई में आर्थिक तंगी आड़े आई, लेकिन बच्चों की पढ़ाई के किए खूब जतन
हीरा बा के बेटे प्रहलादभाई ने एक इंटरव्यू में बताया कि मां की 15-16 साल की उम्र में शादी हो गई थी। शादी के बाद वो मेहसाणा जिले के वडनगर में रहने लगी थीं। आर्थिक तंगी और पारिवारिक वजहों से मां तो कभी पढ़ाई नहीं कर सकीं, लेकिन मां चाहती थीं कि उनके सभी बच्चे अच्छी पढ़ाई करें। पीएम मोदी ने पढ़ाई वडनगर के एक स्कूल में की। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि स्कूल की फीस दी जा सके, लेकिन मां ने न तो हार मानी, न ही किसी से पैसे उधार लिए। हर बार वो कुछ ज्यादा काम करके स्कूल की फीस चुकाती रहीं। उस वक्त स्कूल पहनकर जाने के लिए सिर्फ एक ड्रेस होती थी। ऐसे में जब भी ड्रेस फट जाती तो मां किसी और रंग के कपड़े का अस्तर लगाकर उसे सिल देती थीं, ताकि हमारी पढ़ाई न रुके।

हीरा बा ने अपने बच्चों को सिखाया दूसरों की पसंद और भावनाओं का सम्मान करना
पीएम मोदी ने इस साल 18 जून को लिखे अपने ब्लॉग में मां के बारे में बहुत कुछ बताया है। उन्होंने लिखा कि कैसे मां ने हमें दूसरों की पसंद और भावनाओं का सम्मान करना सिखाया। पीएम मोदी ने लिखा- “मैं अपने भाई-बहनों की तुलना में थोड़ा अलग हुआ करता था। मेरी खास आदतों और असामान्य प्रयोगों की अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए मां को अक्सर विशेष प्रयास करने पड़ते। लेकिन मां ने न कभी इनको बोझ समझा और न ही कभी इससे परेशान हुईं। मैं अक्सर कई महीनों के लिए नमक छोड़ देता था। कई हफ्तों के लिए दूध या अनाज नहीं खाता था या केवल दूध पीता था। कई बार मैं छह-छह महीनों तक मिठाई नहीं खाता था। सर्दियों में मैं खुले में सोता था और मटके के पानी से नहाता था। मां जानती थी मैं खुद को परख रहा था। वह कभी मुझे रोकती नहीं थी। वो सबकी पसंद और भावनाओं की कद्र करतीं। बस इतना कहतीं- सब ठीक है, जैसा तुम्हारा मन करे करो।“

स्वच्छता: 100 साल की उम्र में भी कुछ खिलाने के बाद मोदी का मुंह पोछतीं
देशभर में स्वच्छता अभियान पीएम मोदी का सिग्नेचर कैंपेन रहा है। पीएम मोदी लिखते हैं कि मां इस बात का खास ख्याल रखती थीं कि बिस्तर साफ और ठीक से बिछा हुआ हो। वह बिस्तर पर धूल का एक कण भी बर्दाश्त नहीं करती थी। हल्की सी सिलवट का मतलब था कि चादर को झाड़ा जाएगा और फिर से बिछाया जाएगा। इस आदत को लेकर भी हम सभी काफी सावधान थे। मैं जब भी उनसे मिलने गांधीनगर जाता हूं तो वह मुझे अपने हाथों से मिठाई खिलाती हैं और एक छोटे बच्चे की दुलारी मां की तरह, वह एक रुमाल निकालती हैं और मेरे खाना खत्म करने के बाद मेरे चेहरे को पोंछ देती हैं। वह हमेशा अपनी साड़ी में एक रुमाल या छोटा तौलिया लपेट कर रखती। स्वच्छता का संदेश देने के साथ ही मां देसी नुस्खों की वैद्य थीं। उनको कई देसी नुस्खों के बारे में जानकारी थी। मां दिन में दो बार कुएं से पानी भरती थीं, जिससे उनकी कमर मजबूत बनी रहे। वह रोजाना तालाब में कपड़े धोने जाती थीं और इसके लिए उन्हें काफी सीढ़ियां चढ़नी होती थीं, इससे उनके पैर को मजबूती मिलती थी। ऐसे में लोग उन्हें देसी मां कहा करते थे। भले ही वह कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन वह हमारे गांव की डॉक्टर थीं। कड़ी मेहनत और देसी नुस्खों के दम पर ही उन्होंने अपनी उम्र के 100 साल पूरे किए।

 

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