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आजादी के अमृत काल में भारतवंशी ऋषि सुनक बने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, भारत, हिंदुत्व और हिंदू परंपराओं के पक्षधर भारतीय मूल के और भी लीडर्स ने विश्व में बजाया भारत का डंका, पीएम मोदी से है दोस्ती

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ओर जहां भारत को विश्वगुरू बनाने कि दिशा में कई विश्वस्तरीय कदम उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विश्व में कई भारतवंशी ऐसे हैं, जिन्होंने अपने देश में प्रतिष्ठित राजनीतिक कद हासिल किया है। पीएम मोदी की तरह ही भारतीय मूल के ये टॉप लीडर भारत, हिंदुत्व और हिंदू परंपराओं तक को विश्व में विख्यात करने में लगे हैं। इनमें से कई बने नेताओं की तो पीएम मोदी के अच्छी दोस्ती भी है। भारत को वैश्विक ताकत बनाने के लिए पीएम मोदी न सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर देश को अगले पायदान पर ले जा रहे हैं, बल्कि कूटनीतिक रूप से भारत के दोस्त देशों के आंकड़े में भी बढ़ोत्तरी कर रहे हैं। पीएम मोदी के इन कदमों से भारत के विकसित राष्ट्र बनने का सपना भी साकार होगा।

ऋषि सुनकः ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति
भारतीय मूल के ऋषि सुनक पहले शख्स हैं जो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने हैं। ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने वाले भारतीय मूल के ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को ब्रिटेन के साउथम्पटन में एक भारतीय परिवार में हुआ था। उनके पिता यशवीर नेशनल हेल्थ सर्विस के जनरल प्रैक्टिशनर और उनकी मां ऊषा एक फार्मासिस्ट थीं। उनके दादा-दादी पंजाब से हैं। सुनक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं। ऋषि सुनक 2015 में पहली बार रिचमॉन्ड, यॉर्कशायर से सांसद बने और 2020 में ऋषि सुनक ब्रिटेन में कैबिनेट मंत्री बने थे। सुनक जुलाई 2022 में प्रधानमंत्री पद की रेस में लिज ट्रस से हार गए थे। लेकिन ट्रस के 45 दिन में ही पद से इस्तीफा देने के बाद अब ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए हैं।

पीएम मोदी ने दी ऋषि को बधाई, कृष्ण भक्त सुनक ने भगवत गीता से ली शपथ
ब्रिटेन के नव-नियुक्त प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इंफोसिस कंपनी के फाउंडर नारायणमूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ती से 2009 में शादी की थी। ऋषि और अक्षता की दो बेटियां अनुष्का और कृष्णा हैं। ऋषि सुनक हिंदू धर्म को मानते हैं और कृष्ण भक्त हैं। सांसद पद की शपथ उन्होंने ब्रिटिश संसद यानी ऑफ कामंस में भगवत गीता से ली थी। ऋषि कह चुके हैं कि भगवत गीता अक्सर उन्हें तनावपूर्ण परिस्थितियों से बचाती है और उन्हें कर्तव्य पर डटे रहने की याद दिलाती है। बोरिस जॉनसन की लीडरशिप में काम करने के दौरान ऋषि ने डाउनिंग स्ट्रीट स्थित अपने घर पर दीवाली में दीए जलाए थे।

ऋषि सुनक से पहले भी दुनिया भर में भारतवंशियों का डंका बजता रहा है। 15 से ज्यादा देशों में भारतीय मूल के कई लोग महत्वपूर्ण सार्वजनिक पदों पर पहुंच चुके हैं। यहां हम सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे कुछ भारवंशियों के बारे में आपको बताते हैं, जिनके पीएम मोदी के अच्छे संबंध रहे हैं…

2021: अमेरिकी की उपराष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला बनीं कमला हैरिस
डेमोक्रेटिक पार्टी से आने वाली कमला अमेरिकी इतिहास में उपराष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला और इस पद पर पहुंचने वाली भारतीय मूल की भी पहली महिला हैं। कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं। 57 वर्षीय हैरिस की जड़ें भारत के तमिलनाडु राज्य से जुड़ी हैं। उनकी मां श्यामला गोपालन का जन्म तमिलनाडु में हुआ था। श्यामला एक ब्रेस्ट कैंसर रिसर्चर थीं, जो बाद में तमिलनाडु से जाकर अमेरिका में बस गई थीं। कमला के पिता जमैका-अमेरिका मूल के डोनाल्ड जे हैरिस थे। 1964 में कमला हैरिस का और 1966 में उनकी बहन माया का जन्म हुआ था।

आस्थावान कमला हैरिस बचपन में मंदिर में भक्ति गीत भी गाया करती थीं
तलाक के बाद मां श्यामला ने ही कमला और उनकी बहन की अकेले परवरिश की। कमला हैरिस का कहना है, ‘मेरी मां को अपनी भारतीय विरासत पर बहुत गर्व था और उन्होंने हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया।’ कमला हैरिस को बचपन में उनकी मां मंदिर ले जाती थीं, जहां वो भक्ति गीत गाया भी करती थीं। कमला और उनकी बहन बचपन में कई बार मद्रास (अब चेन्नई) में अपनी मां की फैमिली से मिलने आ चुकी हैं। हैरिस अपने पिता की फैमिली से मिलने जमैका भी जा चुकी हैं। कमला 2010 से 2014 के बीच वह दो बार कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल रहीं। 2017 से 2021 तक वह अमेरिकी सीनेटर रहीं। 20 जनवरी 2021 को वह अमेरिका की 49वीं उपराष्ट्रपति बनी थीं।

2020: सूरीनाम के राष्ट्रपति बने चान संतोखी ने संस्कृत के श्लोक पढ़कर ली शपथ
संतोखी का जन्म 3 फरवरी 1959 को भारतीय-सूनीनामीज हिंदू परिवार में हुआ था। पुलिस अधिकारी से राजनेता बने 63 वर्षीय चंद्रिका प्रसाद ‘चान’ संतोखी सूरीनाम के वर्तमान राष्ट्रपति हैं। 19वीं सदी की शुरुआत में संतोखी के दादा को अंग्रेज बिहार से सूरीनाम ले गए थे। 1982 में वह 23 साल की उम्र में मॉरिशस पुलिस में इंस्पेक्टर के तौर पर जुड़े। 1989 में वह नेशनल क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख बने और 1991 में पुलिस कमिश्नर बने। 2005 में उनकी राजनीति में एंट्री मिनिस्टर ऑफ जस्टिस एंड पुलिस के रूप में हुई थी। संतोखी अब सूरीनाम की प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी के नेता हैं। 2 दिसंबर 2020 तो संतोखी सूरीनाम के नौवें राष्ट्रपति बने। संतोखी ने राष्ट्रपति बनने की शपथ हाथ में वेदों लेकर संस्कृत श्लोकों और मंत्रों को पढ़ते हुए ली थी। 2020 में संतोखी और उनकी पत्नी कविता सीनाचेरी ने अपनी शादी हिंदू रीति-रिवाजों से की थी।2017: मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ में हिंदू परिवार में जन्मे
मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ का भारत और खासकर हिंदू आस्था से बेहद जुड़ाव है। इसी साल अगस्त में प्रविंद जगन्नाथ वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के तीन दिवसीय दौरे पर आए थे। प्रविंद जगन्नाथ 2017 से ही मॉरिशस के प्रधानमंत्री हैं। 25 दिसंबर 1961 को मॉरिशस में भारतीय मूल के हिंदू परिवार में जन्मे जगन्नाथ मॉरिशस की मिलिटेंट सोशलिस्ट मूवमेंट, यानी MSM पार्टी के सदस्य हैं। उनका राजनीतिक करियर 1987 में शुरू हुआ था और वह 1990 में एमएसएम पार्टी से जुड़े। 2000 में वह पहली बार कृषि मंत्री और फिर 2005 में वित्त मंत्री बने थे। इसके अलावा वह विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं। 1992 में शादी करने वाले प्रविंद की तीनों बेटियों के नाम (सोनिका, सोनाली और सारा) भारतीय हैं।

2019: मॉरिशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराजसिंह रूपन की हिंदू धर्म में गहरी आस्था
पृथ्वीराजसिंह न केवल भारतीय मूल के हैं, बल्कि एक धार्मिक व्यक्ति हैं। हिंदू धर्म में उनकी आस्था बेहद मजबूत है। काशी विश्वनाथ मंदिर में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से लेकर बिहार के गया में स्थित महोबाधि बौद्ध मंदिर की उनकी यात्रा उनके धार्मिक पक्ष को दिखाती है। उनका जन्म 24 मई 1959 को मॉरिशस के एक भारतीय आर्य समाजी हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लंकाशायर से इंटरनेशनल बिजनेस लॉ यानी एलएलएम में मास्टर्स डिग्री हासिल की है। रूपन ने 1983 में राजनीति में एंट्री की थी। 1995 में वह पहली बार चुनाव लड़े और 2000 में जीते। 2010 से 2012 तक वह मॉरिशस नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर रहे। मॉरिशस के राजनेता पृथ्वीराजसिंह रूपन 2 दिसंबर 2019 को वह मॉरिशस के सातवें प्रधानमंत्री बने।

2020: दिल्ली से एमए करने वाले इरफान अली गुयाना के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बने
गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली के दादा ब्रिटिश राज में भारत से गुयाना गन्ने की मिल में काम करने के लिए आए थे। इरफान ने दिल्ली की इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री हासिल की है। अली का जन्म 25 अप्रैल 1980 को गुयाना में एक भारतीय-गायनीज मुस्लिम परिवार में हुआ था। अली ने यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टइंडीज से अर्बन और रीजनल प्लानिंग में डॉक्टरेक्ट की डिग्री हासिल की है। मोहम्मद इरफान अली गुयाना के वर्तमान राष्ट्रपति हैं। वह गुयाना के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति हैं। गुयाना की 8 लाख की आबादी में से करीब आधे भारतीय मूल के लोग हैं। 2006 में अली की राजनीति में एंट्री गुयाना नेशनल असेंबली के सदस्य बनने से हुई थी। 2009 से 2015 तक वह हाउसिंग एंड वाटर मिनिस्टर और टूरिज्म इंडस्ड्री और कॉमर्स मिनिस्टर रहे। गुयाना की पीपुल्स प्रोग्रेसिव पार्टी/सिविक से आने वाले अली 2020 में हुए आम चुनावों में जीत के बाद 2 अगस्त 2020 को गुयाना के 10वें राष्ट्रपति बने।

गुयाना के राष्ट्रपति भरत जगदेव के दादा उत्तर प्रदेश के अमेठी से एक सदी पहले गए थे
गुयाना के उपराष्ट्रपति जगदेव के दादा राज जियावन 1912 में उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले से अंग्रेजों द्वारा गुयाना ले जाए गए थे। आगे चलकर इसी परिवार से निकले भरत जगदेव गुयाना के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म 23 जनवरी 1964 को गुयाना में एक भारतीय हिंदू परिवार में हुआ था। जगदेव महज 13 साल की उम्र में ही गुयाना की पीपुल्स प्रोग्रेसिव पार्टी की यूथ विंग से जुड़ गए थे और 16 की उम्र तक उसके नेता बन गए थे। 1990 में उन्होंने मॉस्को स्थित पैट्रिक लुमुंबा पीपुल्स फ्रेंडशिप यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी। 1993 में वह जूनियर फाइनेंस मिनिस्टर और 1995 में सीनियर फाइनेंस मिनिस्टर बने। 1997 से 1999 तक वह देश के उपराष्ट्रपति रहे। 1999 में वह 35 साल की उम्र में गुयाना के राष्ट्रपति बने। 2006 में वह दोबारा गुयाना के राष्ट्रपति बने और 2011 तक पद पर रहे।

पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा को कहा जाता है लिस्बन का गांधी
पुर्तगाल की सोशलिस्ट पार्टी से आने वाले एंटोनियो आधे पुर्तगाली और आधे भारतीय हैं। पेशे से लेखक रहे उनके पिता ओरलैंडो द कोस्टा का जन्म भारतीय राज्य गोवा के एक भारतीय परिवार में हुआ था। एंटोनिया की मां पुर्तगाली मूल की मारिया एंटोनिया पाला थीं। एंटोनिया कोस्टा पुर्तगाल के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं और 2022 में हुए हालिया चुनावों में जीत के बाद वह तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। प्रधानमंत्री बनने से पहले एंटोनियो संसदीय मामलों के स्टेट सेक्रेटरी और कानून मंत्री और लिस्बन के मेयर की भी भूमिकाएं निभा चुके हैं। भारत के समर्थकों के लिए कोस्टा ‘बाबुश’ के नाम से जाने जाते हैं। कोंकणी में इसका मतलब होता है एक प्यारा युवा। पुर्तगाल में उन्हें ‘लिस्बन का गांधी’ कहा जाता है।

 

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