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पीएम मोदी ने विपक्ष से बेरोज़गारी का मुद्दा भी छीना,75 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपकर जगाई बेहतर भविष्य की उम्मीद

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सियासी मैदान में दुश्मन के हथियार से ही दुश्मन को परास्त करने के लिए जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 22 अक्टूबर को धनतेरस के दिन 75 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपकर जहां युवाओं को दिवाली का गिफ्ट दिया, वहीं विपक्ष से उसका सबसे बड़ा हथियार छीन लिया। इसके साथ ही विपक्ष को उनके शासित राज्यों में युवाओें को रोजगार देने की चुनौती पेश कर दी है। बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष के लगातार हमलों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार युवाओं के लिए अधिकतम रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कई मोर्चों पर भी काम कर रही है। इससे युवाओं में बेहतर भविष्य की उम्मीद भी जगी है। 

38 विभागों या मंत्रालयों में भर्ती के लिए नियुक्ति पत्र जारी

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को पहले चरण के तहत 75,000 युवाओं को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा। इसके तहत रेलवे, यूपीएससी, एसएससी सहित केंद्र सरकार के अधीन 38 विभागों या मंत्रालयों में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए नियुक्ति पत्र जारी किए गए। इन नियुक्ति पत्रों में से आठ हजार लोग तो सिर्फ रेलवे के हैं। इनमें अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाले भी शामिल हैं। मोदी सरकार की 10 लाख भर्तियां करने की घोषणा से विपक्षी दलों को अब प्रहार करने का मौका नहीं मिलेगा। 

सरकारी और निजी क्षेत्र में रोजगार बढ़ने की संभावनाएं

मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में अगले पांच साल में 60 लाख़ रोज़गार पैदा करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में 10 लाख़ लोगों को नौकरी दे पाना बड़ी उपलब्धि होगी। निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ने की संभावनाएं और प्रबल हो रही हैं। इसके अतिरिक्त असंगठित क्षेत्र में भी रोजगार के मौके बढ़ रहे हैं। इसका प्रमाण यह है कि अगस्त माह में नौ लाख लोग ऐसे रहे, जो ईपीएफओ से जुड़े।

CMIE : रोजगार परिदृश्य में हो रहा सुधार

इसके अलावा ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी’ (CMIE) के रोजगार आंकड़े मोदी सरकार के लिए राहत देने वाले हैं। इनके मुताबिक सितंबर के महीने में रोजगार परिदृश्य में सुधार होने से बेरोजगारी का आंकड़ा घटकर 6.43 प्रतिशत आ गया। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर एक महीना पहले के 7.68 प्रतिशत से घटकर 5.84 प्रतिशत पर आ गई। वहीं शहरी इलाकों में यह 7.70 प्रतिशत पर रही जो अगस्त में 9.57 प्रतिशत रही थी।मोदी सरकार की इस नई पहल से रोजगार के मोर्चे पर मोदी सरकार को और राहत मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है। 

मोदी सरकार की पहल से रोजगार सृजन का बनेगा माहौल 

मोदी सरकार द्वारा रोजगार मेला आयोजित करने और 75 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौपने से देश में रोजगार देने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों में सकारात्मक प्रतियोगिता को बढ़ावा मिल सकता है। इससे युवाओं को सबसे अधिक फायदा होगा। मोदी सरकार से इस पहल से ऐसा वातावरण बनेगा, जिससे निजी क्षेत्र को बल मिलेगा और वह रोजगार के अधिकाधिक अवसर पैदा करने में समर्थ होंगे। मोदी सरकार रिक्त पदों को समय रहते भरने की कोशिश कर रही है, इससे युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रेरित करने वाला माहौल बनेगा। इसकी झलक महाराष्ट्र में देखने को मिली, जहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रोजगार देने का बड़ा ऐलान किया।

मोदी सरकार से प्रेरित होकर महाराष्ट्र सरकार ने नौकरी देने का किया ऐलान

मोदी सरकार की पहल की प्रशंसा करते हुए डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार अगले एक साल में 75000 युवाओं को सरकारी नौकरी देने का फैसला किया है। डिप्टी सीएम ने कहा कि 75000 नौकरियों में से 18,000 रिक्तियां पुलिस विभाग में होंगी और इसके लिए एक विज्ञापन अगले पांच से सात दिनों में प्रकाशित किया जाएगा। सीएम कार्यालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि राज्य सरकार को इन मसलों पर सलाह देने के लिए राज्य में एक नीति आयोग जैसी संस्था बनेगी। इसके साथ ही सीएम कार्यालय की ओर से कहा गया है कि ग्रुप बी, ग्रुप सी और ग्रुप डी के लिए 75 हजार पदों पर भर्ती के लिए आईबीपीएस परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।

रोजगार के मुद्दे पर पीएम मोदी ने विपक्ष के सामने पेश की चुनौती

इस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी दलों और उनकी राज्य सरकारों के सामने भी रोजगार के मुद्दे पर एक नई लकीर खींच दी है। दरअसल कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तक मोदी सरकार को बेरोज़गारी के मुद्दे पर घेरते रहे हैं। विपक्षी दलों के शासन वाली राज्य सरकारें बेरोजगारी के मामले में मोदी सरकार पर लगातार आरोप लगाकर बचती रही हैं। अब विपक्षी दलों के नेताओं को और उनकी राज्य सरकारों को भी बचने के लिए बहाना नहीं मिलेगा। उन्हें भी जनता और युवाओं के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करना होगा।   

रोजगार के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर आरोप लगाकर बचना हुआ मुश्किल

सीएमआईई के सितंबर 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में सर्वाधिक 23.8 प्रतिशत की बेरोजगारी दर कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में रही। चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जो वादे किए थे, उन वादों को पूरा करने में नााकाम रही है। इससे युवाओं में घोर निराशा है। इसके अलावा देश के 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं। इन राज्यों में भी बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। ऐसे में कांग्रेस और विपक्षी दलों को भी जनता के सामने बेरोजगारी के मुद्दे पर जवाब देना होगा। बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तो 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान बिहार में सरकार बनने पर 10 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा तक किया था। अब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने से इन वादों को पूरा करने की चुनौती है।

पीएम मोदी ने नियुक्ति पत्र सौंपकर वादा पूरा करने की जतायी प्रतिबद्धता

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जून 2022 में सभी विभागों और मंत्रालयों में मानव संसाधन की समीक्षा की थी और इस मिशन के तहत अगले साल के अंत तक 10 लाख लोगों को भर्ती करने का आदेश दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर इसके बारे में जानकारी दी थी। इसके तहत प्रधानमंत्री मोदी ने रोजगार मेला आयोजित करके पहले चरण में युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपकर अपना वादा पूरा करने की प्रतिबद्धता जतायी है। इससे सार्वजानिक और निजी क्षेत्र में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध होंगे और युवाओं में मोदी सरकार के प्रति सकारात्मक माहौल बनेगा। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने हमला करने वाले विपक्ष से मुद्दा छीनकर उनको अब जनता के कटघरे में खड़ा कर दिया है।

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