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वैश्विक नेताओं में बढ़ी पीएम मोदी की स्वीकार्यता, दुनिया के शीर्ष नेता अक्सर लेते हैं राय-हर्षवर्धन शृंगला

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन अंतर्राष्ट्रीय है और वो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना से काम करते हैं। पिछले आठ सालो में उन्होंने दुनिया की मानवता की रक्षा के लिए ऐसे कई काम किए, जो दूसरे देशों के नेताओं के लिए मिसाल बन गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उनकी बातों को काफी गंभीरता से लिया जाता है। यही वजह है कि आज वैश्विक नेताओं में प्रधानमंत्री मोदी की स्वीकार्यता बढ़ी है। भारत की जी-20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन शृंगला के मुताबिक दुनिया के शीर्ष नेता भी जटिल मुद्दों पर अक्सर प्रधानमंत्री मोदी की राय लेते हैं। इससे ना सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का, बल्कि भारत का भी कद बढ़ा है। आज भारत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व गुरु बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।  

शुक्रवार (06 जनवरी, 2023) को न्यूज एजेंसी एएनआई की एडिटर-इन-चीफ स्मिता प्रकाश के साथ पोडकास्ट में हर्षवर्धन शृंगला ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज वैश्विक नेताओं का मार्गदर्शऩ कर रहे हैं। दुनिया के तमाम नेताओं में सबसे अधिक पूछे जाने वाले नेता हैं। शृंगला ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लेकर राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों तक, विकसित और शक्तिशाली देशों के नेता प्रधानमंत्री मोदी से बात कर उनसे राय लेते हैं। श्रृंगला ने कहा कि जी-7 के हर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को बुलाया जाता है। आज भारत क्वाड, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स जैसे संगठनों का हिस्सा है।

हर्षवर्धन शृंगला ने यह भी कहा कि विश्व नेताओं के साथ पीएम मोदी की केमिस्ट्री ने विदेश नीति को एक नई दिशा देने में मदद की है और विश्व के नेताओं के साथ उनकी एक परिवार की तरह तस्वीरों में इसका प्रभाव देखा जा सकता है। भारत “समस्या समाधानकर्ता” है या नहीं, इस सवाल के जवाब में हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि इसके दो कारक हैं जो पीएम मोदी के तहत हमारी विदेश नीति को अलग करते हैं। मुझे लगता है कि पहला, विदेश नीति का संचालन करने के तरीके में बदलाव और दूसरा, आपकी घरेलू ताकत है।

भारत-चीन संबंधों के बारे में बात करते हुए जी-20 के मुख्य समन्वयक ने कहा कि डोकलाम संकट के बाद से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कई बार बातचीत की गई लेकिन कभी भी कोई कूटनीतिक निष्कर्ष नहीं निकला। श्रृंगला ने कहा कि चीन के साथ यह मुद्दा “मेरे करियर की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक” था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत क्षेत्रीय मुद्दों पर एक सामान्य राजनयिक संबंध की उम्मीद नहीं कर सकता है।

क्षेत्रीय मुद्दे के बावजूद व्यापार संबंधों के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए श्रृंगला ने कहा, “व्यापार लेन-देन का एक अनिवार्य हिस्सा है, विनिमय जो आपके पास किसी भी देश के साथ है जहां चीन एक बहुत बड़ा पड़ोसी है और आप जानते हैं कि आपके उद्योग को भी कच्चे माल की आवश्यकता है।” सामग्री जो चीन से आती है चाहे वह फार्मास्यूटिकल्स हो या कोई अन्य कच्चा माल और आप उस देश को कई वस्तुओं का निर्यात भी करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि चीन जापान और ताइवान के साथ व्यापार करता है, जबकि उनके भी समान क्षेत्रीय मुद्दे हैं और व्यापार को हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।

जी-20 के महत्व के बारे में बात करते हुए श्रृंगला ने कहा कि जी-20 इसकी सदस्यता के कारण महत्वपूर्ण है। इसमें ऐसे देश शामिल हैं जो दुनिया की कुछ सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और जी-7 के सभी सदस्य देश इसके सदस्य हैं। आपके पास यूएनएससी के सभी स्थायी सदस्य हैं। आपके पास सभी अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी हैं जो वास्तव में आज के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य भूमिका निभाते हैं। संयुक्त राष्ट्र, IMF, विश्व बैंक जैसे वैश्विक संगठनों और कुछ क्षेत्रीय संगठनों जैसे अफ्रीकी संघ सभी जी-20 बैठकों का हिस्सा है।

हर्षवर्धन शृंगला ने कहा कि दुनिया समाधान की तलाश कर रही है और उन देशों या उन समूहों की ओर देख रही है जो इस चुनौतीपूर्ण संकट के समय नेतृत्व कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मुझे लगता है कि यह भारत का समय है। अगर आप वैश्विक विकास को देखें तो यह 2021 में 6 प्रतिशत से घटकर 2022 में 3.21 प्रतिशत हो गया और 2023 में 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। कुछ देश मंदी की चपेट में हैं, जबकि दूसरी ओर भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है।

 

 

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