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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में सबकुछ फिक्स था, कहां जाना है किससे मिलना है सब तय था! छवि बनाने निकले थे… पप्पू बन गए कामेडियन! विदेशी मीडिया ने भी कहा- दिल्ली अभी दूर है!

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दक्षिण भारत के कन्याकुमारी से 7 सितंबर को शुरू हुई राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा 30 जनवरी को 14 राज्य का सफ़र करते हुए श्रीनगर में समाप्त हो गई। इस यात्रा के दौरान राहुल के चेहरे-मोहरे तो बहुत बदले, लेकिन कांग्रेस की उनकी नई छवि गढ़ने कोशिशों पर पानी फिर गया। कांग्रेस राहुल गंभीर नेता की छवि गढ़ना चाहती थी। कांग्रेस ने इसके लिए कई तरीके अपनाए गए। राहुल का आम लोगों से मिलना, बच्चों के साथ पानी में छलांग लगाना, बूढ़ी महिलाओं को गले लगाना, लड़कियों के हाथ अपने हाथ में लिए चलना, किसी के घर बैठ चाय पीना … जैसे कई फोटोज-वीडियोज सोशल मीडिया पर देखे गए। लेकिन क्या आपको पता है यह सब पहले से ही फिक्स था। कहां जाना है, किससे मिलना है, कहां चाय पिएंगे ये सब पहले से तय था। लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी राहुल पप्पू से कामेडियन बनकर निकले।

पप्पू की छवि तो नहीं टूटी, कामेडियन का टैग जरूर लग गया

कांग्रेस पार्टी के अनुसार, राहुल गांधी की इस यात्रा का घोषित उद्देश्य ”भारत को एकजुट करना और साथ मिलकर देश को मज़बूत करना है।” कांग्रेस पार्टी ने लगातार कहा है कि इसका चुनावी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन यह बात साफ है कि 2024 के आम चुनावों से पहले राहुल गांधी के मेकओवर के लिए यह यात्रा शुरू की गई और उनकी ‘पप्पू’ छवि तोड़कर एक गंभीर नेता की छवि बनाई जाए। हालांकि ये अलग बात है कि राहुल के चेहरे मोहरे को देखने से लगता है कि वह राजनेता से ज्यादा दार्शनिक बन गए। जब वह कहते हैं- ”राहुल गांधी आपके दिमाग में है। मैंने राहुल गांधी को मार दिया है।” इससे भी लगता है कि राजनेता के रूप में तो उनकी छवि नहीं बनी लेकिन कामेडियन के रूप में जरूर उनकी छवि बनी है।

भारत जोड़ो यात्रा में ‘आम आदमी’ भी पहले से फिक्स थे

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी को ‘आम आदमी’ के करीब दिखाने का भरपूर प्रयास किया गया। ‘दैनिक भास्कर’ की एक रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आया है कि ये ‘आम आदमी’ भी प्लान का ही हिस्सा थे। ऐसा नहीं था कि राहुल गांधी चलते-चलते ही सड़क किनारे किसी की चाय दुकान में घुस जाते थे या फिर किसी के भी घर जलपान कर लेते थे। उनकी ये मुलाकातें भी पहले से तय होती थीं। उनके पहुंचने से पहले ही इन जगहों पर तमाम व्यवस्थाएं हो जाती थी। इन मुलाकातों को आम दिखाने के लिए फोटोग्राफर्स और वीडियो बनाने वाली टीम अहम रोल निभा रही थी।

राहुल पहुंचे स्टेनली थाट्टूकड़ा की चाय की दुकान

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी तमिलनाडु के पास नेमम पहुंचे जो त्रिवेंद्रम से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां राहुल गांधी स्टेनली थाट्टूकड़ा की चाय की दुकान में पहुंचे थे। स्टेनली ने जानकारी दी कि राहुल गांधी के आने से 15 मिनट पहले उन्हें जानकारी दे दी गई थी। इसके बाद उनके दुकान की सुरक्षा जांच की गई। 15 मिनट क बाद राहुल गांधी पहुंचे और दुकान पर 30 मिनट तक ठहरे थे। स्टेनली की दुकान के पास ही हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले बर्नाड ने जानकारी दी कि वह राहुल से मिलना चाहते थे लेकिन सिक्योरिटी वालों ने उन्हें राहुल से मिलने नहीं दिया।

राहुल के पहुंचने से पहले चायपत्ती और चीनी भी चेक की गई

राहुल गांधी पल्लिचल में कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता रतिश के घर ठहरे हुए थे। यहां भी राहुल गांधी के पहुंचने से पहले सुरक्षाकर्मी पहुंचे हुए थे। उन्होंने पूरे घर को स्कैन किया जिसके बाद राहुल गांधी रतिश के घर पहुंचे। रतिश की पत्नी चित्रा ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों ने अपने सामने ही चाय बनाने के लिए कहा था। चायपत्ती और चीनी भी चेक की थी। चाय पीने के बाद राहुल गांधी चले गए लेकिन रतिश कहते हैं कि हो सकता है सब पहले से तय रहा हो।

यात्रा की तैयारियां महीने भर पहले से शुरू हो गई थी

राहुल की यात्रा 11 सिंतबर, 2022 को त्रिवेंद्रम पहुंची। कांग्रेस के जिला प्रमुख पलोडे रवि बताया कि यात्रा की तैयारियां महीने भर पहले से हो रही थी। यात्रा को लेकर कई कमेटियां और दफ्तर खोले गए। पानी की तरह पैसा बहाया गया। पलोडे ने बताया कि तिर्ची मंदिर जाने से लेकर जिले भर में आयोजित राहुल गांधी के सभी कार्यक्रम पहले से सुनियोजित थे। जान-पहचान के लोगों को राहुल के करीब जाने दिया गया। राहुल को कहां रुकना है और कौन उनसे मिलेगा यह स्थानीय कांग्रेस के नेता तय करते थे। ये लिस्ट राहुल की कोर टीम के पास जाती थी और आखिरी फैसला वहां लिया जाता था।

यात्रा के लिए इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों की मदद ली गई

भारत जोड़ो यात्रा के लिए कई राज्यों में इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों की भी मदद ली गई थी। महाराष्ट्र में भारत जोड़ो यात्रा के संचालने के लिए दो बड़ी प्राइवेट इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को जिम्मेदारी दी गई। यहां तक कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता यात्रा का मैनेजमेंट समझने के लिए केरल भेजे गए थे। कांग्रेस प्रवक्ता संतोष पंधागले के मुताबिक यात्रा में कई राज्यों के कार्यकर्ता शामिल थे। कार्यकर्ताओं को उनके पसंद का खाना खिलाया जाता। संतोष ने बताया कि राहुल कहां रुकेंगे और किससे मिलेंगे यह उनकी कोर टीम ने ही तय किया। साथ ही पार्टी के जिन लोगों को राहुल गांधी से मिलना था उनकी लिस्ट पहले से बनी हुई थी। राहुल हजूर साहिब सचखंड गुरुद्वारा जाने वाले हैं इसकी जानकारी तीन दिन पहले ही दे दी गई थी।

भारतीय इतिहास में पहली बार कांग्रेस के पास 10 प्रतिशत भी सांसद नहीं

भारतीय इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि कांग्रेस के पास 10 प्रतिशत भी सांसद नहीं हैं। इस कारण संसद में नेता प्रतिपक्ष का स्थान खाली पड़ा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के पतन के पतन के पीछे बहुसंख्यकवाद का उदय है। इसके साथ ही पार्टी की अंदरूनी कमजोरी का भी इसमें बड़ा योगदान है।

कांग्रेस की इस यात्रा को भारत के साथ-साथ विदेशी मीडिया का भी खासा कवरेज मिला है। इस्लामिक देशों, खासकर पाकिस्तान, यूएई, तुर्की आदि देश के अखबारों ने राहुल गांधी की यात्रा पर कई आर्टिकल्स छापे।

विदेशी मीडिया ने भारत जोड़ो यात्रा पर क्या लिखा है उस पर एक नजर-

पाकिस्तान का अखबार, ‘डॉन’
भारत जोड़ो यात्रा की चमत्कारिक उपलब्धि नहीं

पाकिस्तान का प्रमुख अखबार ‘डॉन’ लिखता है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी का हिजाब पहने स्कूली लड़की का हाथ थामना ये दिखाता है कि वो भी उसी विचारधारा से आते हैं जो गांधी और नेहरू की थी। 12 राज्यों में घूमना और 150 दिनों में 4000 किलोमीटर की दूरी तय करना, कोई बहुत चमत्कारिक उपलब्धि नहीं है। और न ही ये कोई बड़ा चमत्कार है कि राहुल गांधी बिना कैमरे की मौजूदगी के समुद्र में गोते लगा रहे हैं।

पाकिस्तान का अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून
लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी को टक्कर नहीं दे पाएंगे

पाकिस्तान के एक और प्रमुख अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपने एक लेख में लिखा है कि राहुल गांधी अपनी बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद भी 2024 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को टक्कर नहीं दे पाएंगे। लेकिन वो अगर इसी गति से आगे बढ़ते हैं तो भाजपा की जीत के अंतर में भारी सेंधमारी कर सकते हैं। कांग्रेस की वापसी भारत के लिए ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य लोकतंत्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

यूएई का खलीज टाइम्स
राहुल गांधी को अब भी अधिकतर लोग गंभीरता से नहीं लेते

इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात के अखबार खलीज टाइम्स ने लिखा है कि कुछ लोगों को भले ही यह लग रहा हो कि राहुल गांधी की लोकप्रियता में इजाफा हो रहा है लेकिन सच बात तो ये है कि राहुल गांधी को अब भी अधिकतर लोग गंभीरता से नहीं लेते। राहुल यात्रा के जरिए अपनी इस छवि को सुधारने की कोशिश जरूर कर रहे हैं।

रिपोर्ट में लिखा गया, ‘लोग कह रहे हैं कि राहुल गांधी और उनकी भारत जोड़ो यात्रा भारत के गांवों में मोदी को चुनौती दे सकती है। लेकिन ये भी एक बड़ा सच है कि अपनी ‘पप्पू’ की छवि को बदलने के लिए अभी भी वो संघर्ष कर रहे हैं ताकि लोग उन्हें गंभीरता से लें। ये मार्च शायद उनकी छवि बदलने का एक मौका हो सकता है।

‘तुर्की का सरकारी ब्रॉडकास्टर टीआरटी वर्ल्ड
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया

मुस्लिम बहुल देश तुर्की के सरकारी ब्रॉडकास्टर टीआरटी वर्ल्ड में छपी एक रिपोर्ट में लिखा गया है कि कांग्रेस ने मोदी सरकार पर देश में नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए इस यात्रा को शुरू किया। रिपोर्ट में राहुल गांधी के बयानों का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि उन्होंने मोदी पर गरीब किसानों और श्रमिकों की अनदेखी कर बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने ये भी कहा कि हिंदू-मुस्लिम तनाव को बढ़ाकर सरकार डर और नफरत का माहौल तैयार कर रही है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है, ‘भारत के कई लोग अभी भी कांग्रेस से उम्मीद लगाए बैठे हैं। कांग्रेस वो पार्टी रही है जिसने 1947 में भारत को आजादी दिलाई और दशकों तक सत्ता में बनी रही।

कतर का अलजजीरा
नफरत के बीच प्यार से देश को जोड़ने का काम

मुस्लिम देश कतर स्थित अंतरराष्ट्रीय ब्रॉडकास्टर अलजजीरा ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में लिखा है कि देश का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा है और राहुल गांधी नफरत के बीच प्यार से देश को जोड़ने का काम कर रहे हैं। ‘रिपोर्ट में लिखा गया है कि पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी का मुख्य फोकस महंगाई और बेरोजगारी पर रहा है।

ब्रिटेन के लंदन में रॉयटर्स
कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता बढ़ी, लेकिन लोकसभा चुनावों में वोटों में तब्दील नहीं कर पाएगी

ब्रिटेन लंदन स्थित रॉयटर्स ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कई रिपोर्ट्स छापी हैं। अपनी एक रिपोर्ट में रॉयटर्स लिखता है कि राहुल गांधी अपनी इस यात्रा से कांग्रेस की छवि को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि राहुल गांधी के मार्च में काफी भीड़ उमड़ती नजर आई। लोग मार्च में नफरत और सांप्रदायिकता के खिलाफ राहुल गांधी का साथ दे रहे हैं। इस यात्रा से राहुल गांधी की इमेज बदल रही है और उनकी लोकप्रियता में उछाल आ रहा है लेकिन कांग्रेस पार्टी उनकी इस लोकप्रियता को अगले लोकसभा चुनावों में भारी वोटों में तब्दील नहीं कर पाएगी।

ब्रिटेन का अखबार ‘द गार्डियन’
कांग्रेस और आम लोगों के बीच गहरी खाई पाटने की कोशिश

ब्रिटेन के अखबार ‘द गार्डियन’ में प्रोफेसर मुकुलिका बनर्जी का एक लेख छपा है जिसमें वो लिखती हैं कि सभी धर्मों और भाषा के लोगों का इस यात्रा में शामिल होना काफी दिलचस्प था। मुकुलिका बनर्जी भारत जोड़ो यात्रा में काफिले के साथ दो दिनों तक चलीं। अपने लेख में उन्होंने लिखा कि ये मार्च किसी अहिंसक सेना के विशाल सैन्य अभियान जैसा लग रहा था। उन्होंने आगे लिखा, ‘राहुल के लिए यह लड़ाई मात्र छवि बदलने की नहीं है बल्कि कांग्रेस को फिर से जीवंत करने का जिम्मा भी उन पर है। कांग्रेस और आम लोगों के बीच जो गहरी खाई बनी है, ये यात्रा उसे पाटने का भी एक रास्ता है।

जर्मनी के सरकारी ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले (DW)
राहुल गांधी को लोगों के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश

जर्मनी के सरकारी ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले (DW) ने लिखा कि कांग्रेस इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी को लोगों के नेता के रूप में स्थापित करना चाहती है। अखबार लिखता है कि भारत की राजनीति में कभी सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस आज बस तीन राज्यों, छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल की सत्ता तक ही सिमटकर रह गई है। राजनीतिक विश्लेषक जोया हसन ने डी डब्लयू से कहा कि कांग्रेस की ये स्थिति व्यक्तिगत या संगठनात्मक विफलताओं के कारण हो सकती है लेकिन उसकी स्थिति के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार धार्मिक और जातिगत ध्रुवीकरण से मुकाबला करने में विफलता है।

यात्रा का मक़सद साफ नहीं, कनफ्यूजन पैदा हुआ, राहुल गांधी ना तो दार्शनिक, ना ही धर्मगुरु

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जानी मानी पत्रकार राधिका रामासेशन कहती हैं, “इस यात्रा ने मुझे थोड़ा कन्फ़्यूज़ किया इसका मक़सद क्या है. राहुल गांधी ना तो कोई दार्शनिक हैं, ना ही कोई धर्म गुरु हैं, राहुल गांधी पूरी तरह एक राजनेता हैं तो फिर उन्हें राजनीति से अलग करके आप नहीं देख सकते हैं।” राधिका कहती हैं कि यात्रा के दौरान लोग राहुल गांधी से जुड़ते हुए साफ़ दिख रहे हैं, लेकिन राजनीतिक तौर पर इससे क्या हासिल हुआ, फ़िलहाल यह तय कर पाना मुश्किल है।

मोदी ने इमरजेंसी तो नहीं लागू की है तो फिर तानाशाही क्या

राधिका रामासेशन का मानना है कि इस मामले में बीजेपी काफ़ी कामयाब हुई है और राहुल गांधी जो सामाजिक ध्रुवीकरण की बात कर रहे हैं वो उनका सबसे कमज़ोर मुद्दा है और लोगों पर इसका असर नहीं हो रहा है। इसी तरह कांग्रेस की ‘राजनीतिक तानाशाही’ के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश भी कोई ख़ास सफल होती नहीं दिख रही है।

वो कहती हैं, “आज की तारीख़ में भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता काफ़ी ऊंचाई पर है। तानाशाही वाला मुद्दा लोगों के दिमाग़ में नहीं घुस रहा है। लोग कहते हैं कि मोदी ने इमरजेंसी तो नहीं लागू की है तो फिर तानाशाही क्या है?”

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