Home विशेष डोकलाम पर हर बार दोहरी बात करता है चीन!

डोकलाम पर हर बार दोहरी बात करता है चीन!

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डोकलाम विवाद पर चीन की तरफ से कई बार धमकियां दी गईं और उसने कई बार झूठ भी बोला, लेकिन चीन की चालबाजी का भारत पर कोई असर नहीं दिख रहा। भूटान द्वारा चीन का इलाका मानने की बात हो या फिर भारत द्वारा सैनिकों को वापस बुलाने की बात। चीन ने हमेशा दोहरी बात की है। दरअसल चीन का यही चरित्र भी है, कभी वह भारत से शांति की बात करता है तो कभी युद्ध की।

‘भारत परिपक्व, चीन टीनेजर’
”अब तक नई दिल्ली ने सही चीजें की हैं। न तो वह विवाद में पीठ दिखाकर भागा है और न ही उसने पेइचिंग की तरह बढ़-चढ़कर भाषणबाजी से जवाब दिया है। सिक्किम गतिरोध पर भारत के संयमित व्यवहार और चीन के छिछलेपन पर अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में प्रफेसर जेम्स आर होम्स ने बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा, भारत एक परिपक्व शक्ति की तरह बर्ताव कर रहा है, जबकि चीन किसी बदमिजाज किशोर की तरह व्यवहार करता हुआ नजर आ रहा है।”

भूटान ने दिखाया आईना
भूटान ने चीन के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें ड्रैगन की ओर से कहा गया था कि डोकलाम हमारे देश का हिस्सा है। भूटान की ओर से आए बयान के साथ ही एक बार फिर चीन का झूठ सामने आ गया है। भूटान ने कहा है कि उसकी तरफ से चीन को यह बात साफ की जा चुकी है कि भूटान की सीमा में सड़क का निर्माण वर्ष 1988 और 1998 में हुए समझौते का उल्लंघन है।दरअसल दो दिन पहले चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से यह दावा किया गया था कि भूटान इस बात को मान चुका है कि डोकलाम, हमारे देश का हिस्सा है। 

चीन बार-बार ले रहा यू टर्न
डोकलाम विवाद पर चीन की ओर से दो तरह की बातें की जा रही हैं। जहां एक ओर चीन युद्ध की धमकी दे रहा है वहीं जानकारी मिल रही है कि चीन की सेना 100 मीटर पीछे हटने को सशर्त तैयार हो गई है। खबरें आईं थीं कि चीन की ओर से कहा गया है कि वह विवाद वाली जगह से सशर्त 100 मीटर पीछे हटने को तैयार है। चीन के इस कदम के बाद भारतीय सेना भी पूर्ववत स्थिति में लौट जाएगी। कहा जा रहा है कि डोकलाम विवाद को सम्मानित तरीके से खत्म करने के लिए दोनों देश ऐसा कदम बढ़ाने को तैयार हुए हैं। हालांकि इन खबरों के बीच चीन की ओर से तुरंत ही इसका खंडन कर दिया गया।

1890 पर चीन ने झूठ बोला
कुछ दिन पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंगे शुआंग ने कहा, ‘भारत-चीन सीमा का सिक्किम खंड ब्रिटेन और चीन के बीच सिक्किम और तिब्बत को लेकर 1890 में हुए संधि में परिभाषित की गई है।” लेकिन उनके दावे में दम नहीं है। भारत ने ब्रिटेन और चीन के बीच सिक्किम और तिब्बत को लेकर हुए 1890 में हुए संधि का पूरी तरह से समर्थन नहीं किया था। 1959 में जवाहर लाल नेहरु को जाऊ इनलाई के लिखे पत्र में साफ कहा गया है कि नई दिल्ली का बीजिंग के साथ चीन, भूटान और भारत की सीमा को लेकर मतभेद थे। जोऊ इनलाई उस वक्त चीन के पीएम थे।

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भारत को घेरना चाहता है चीन
चीन भारत को अपने वर्चस्व के लिए खतरा मानता है इसलिए उसकी तमाम रणनीति भारत को घेरने की है। चाहे वह डोकलाम का मामला हो, पीओके में ओबीओआर हो या फिर पर्ल ऑफ स्ट्रिंग हो। चीन की हर चालबाजी भारत को घेरने की है। चीन चाहता है कि वह भारत को अगर बस में कर लेगा तो उसके विस्तारवाद को रोकने वाला कोई नहीं होगा। इसी आधार पर चीन अपनी रणनीति बना रहा है और भारत को घेरने की कोशिश में लगा है। पाकिस्तान को तो वह आर्थिक और सामरिक मदद भी दे रहा है ताकि भारत को काबू किया जा सके।

 

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