इतिहास गलतियों के लिए कभी माफ नहीं करता और कांग्रेस नेताओं ने तो गलतियां नहीं पाप किए हैं। सिखों के पवित्रतम स्थल अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश देने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद कुछ कांग्रेस नेताओं के भड़काने से देशभर में सिख विरोधी दंगे हो गए। 19 नवंबर, 1984 को इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी उनके पुत्र राजीव गांधी ने बोट क्लब में इकट्ठा हुए लोगों के हुजूम के सामने कहा- “जब इंदिरा जी की हत्या हुई थी़, तो हमारे देश में दंगे-फसाद हुए। हमें मालूम है कि भारत की जनता को कितना क्रोध आया, कितना ग़ुस्सा आया और कुछ दिन के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती थोड़ी हिलती है।” राजीव गांधी के इस वक्तव्य में कहीं कोई जिक्र नहीं था, उन हजारों सिखों का जो अनाथ और बेघर हो गए थे, बल्कि ये वक्तव्य उनके जख़्मों पर नमक छिड़कने जैसा था। माना जाता है कि इन दंगों में चार हजार से पांच हजार लोगों की मौत हो गई थी। अकेले दिल्ली में करीब दो-तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इन्हीं सिख दंगों को भड़काने वालों में एक नाम सज्जन कुमार का भी था।
सज्जन कुमार ने कहा- ‘हमारी मां मार दी, सरदारों को मार दो’
कांग्रेस नेता सज्जन कुमार का नाम दिल्ली में सिखों के खिलाफ दंगों को भड़काने में आता है। खासकर दिल्ली के सुल्तानपुरी, कैंट और पालम कॉलोनी जैसे इलाकों में। दंगों के पीड़ितों के मुताबिक, 1 नवंबर 1984 को दिल्ली में भीड़ को संबोधित करते हुए सज्जन कुमार को कहते सुना गया था- ‘हमारी को मां मार दिया, सरदारों को मार दो।’ सज्जन सिंह के खिलाफ दायर मामलों में कई गवाहों ने अपने बयान में कहा कि सज्जन सिंह ने निजी तौर पर सिखों के घरों की पहचान करवाकर भीड़ को हमले के लिए उकसाया था। आरोप ये भी थे कि सज्जन सिंह के समर्थकों ने दिल्ली में वोटर लिस्ट के जरिए सिखों के घर और बिजनेस की पहचान की और उनमें तोड़फोड़ की या आग लगा दी। कई सिखों को उनके घरों से निकालकर मारा गया।दंगों में सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर, भगत और कमलनाथ के भी नाम
1984 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख-विरोधी दंगे भड़काए गए थे। दरअसल, स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने वाले आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले को भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत मार गिराया था। इस अभियान को मंजूरी देने वाली पीएम इंदिरा गांधी ही थीं। 31 अक्तूबर 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। अब इस घटना के लगभग 41 साल बीतने के बाद सज्जन कुमार को एक और मामले में सजा हुई है। वहीं कांग्रेस के एक और नेता जगदीश टाइटलर पर भी केस चल रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस नेता एचकेएल भगत और कमलनाथ भी सिख दंगों से जुड़े मामलों में आरोपी रह चुके हैं।अब किस मामले में दोषी पाए गए सज्जन कुमार?
सज्जन कुमार को अब 1984 सिख दंगे से जुड़े एक और मामले में दोषी करार दिया गया है। यह मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार में भीड़ को भड़काने से जुड़ा है, जिसमें जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या हुई थी। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने कहा था कि सज्जन कुमार ने भीड़ को उकसा कर बड़े स्तर पर सिखों के घरों-दुकानों पर लूट और आगजनी कराई। इसी दौरान एक घर में लूट और आग लगाने से पहले भीड़ ने दो सिखों की जिंदा जलाकर हत्या कर दी थी। जांच कर रही तीन सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने सज्जन कुमार के खिलाफ जसवंत सिंह की पत्नी को चश्मदीद के तौर पर पेश किया। हालांकि, सज्जन कुमार की तरफ से पेश हुए वकीलों ने उनकी गवाही को नकारने की मांग की थी। उनका दावा था कि जसवंत सिंह की पत्नी घटना के सात साल बाद गवाह के तौर पर सामने आईं। इसलिए उनकी गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता।2014 में मोदी सरकार ने सिख दंगों के लिए गठित की एसआईटी
बताया जाता है कि इस मामले में पहली एफआईआर घटना के सात साल बाद 1991 में दर्ज हुई थी। वह भी 9 सितंबर 1985 को दिए गए एक एफिडेविट के आधार पर, जिसे शिकायतकर्ता ने जस्टिस रंगनाथ मिश्र के नेतृत्व वाले आयोग को सौंपा था। 2014 में मोदी सरकार की तरफ से गठित एसआईटी ने 1984 के सिख दंगों से जुड़े मामलों की जांच तेज की और पुराने मामलों को खंगालना शुरू किया। कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख दंगे से जुड़े एक मामले में दोषी पाया है। सज्जन सिंह पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से इन्हीं दंगों से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा पा चुके हैं। ऐसे में निचली अदालत की तरफ से एक और मामले में दोषी पाए जाने के बाद सिख दंगों में उनकी बड़ी भूमिका को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
किन खास घटनाओं से जुड़ा कांग्रेस नेता सज्जन कुमार का नाम?
• सज्जन कुमार का नाम 31 अक्तूबर 1984 को हुए दंगे में आता है। इस दौरान उन्होंने दिल्ली कैंट क्षेत्र में भीड़ को उकसाया था। इस भीड़ ने कई घरों में आगजनी की घटना को अंजाम दिया। सज्जन कुमार के उकसावे के बाद दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में भीड़ ने पांच सिखों- केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंद्र सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी थी।
• पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) और पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की तथ्य खोजने वाली टीमों ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में जो दंगे हुए थे, उनमें अधिकतर सिख पीड़ितों ने कांग्रेस सांसद पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया था। कई लोगों ने बाद में इस सांसद की पहचान सज्जन कुमार के तौर पर की।
कैसे हुईं कानूनी कार्रवाई, दोषी किस-किस मामले में पाए गए?
• सज्जन कुमार के खिलाफ कई अहम तथ्य और सबूत मौजूद होने के बावजूद उनके खिलाफ किसी भी मामले में आरोप तय नहीं किए जा सके। 2002 में सिख दंगे से जुड़े एक मामले में दिल्ली की एक निचली अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
• 2005 में सीबीआई ने जीटी नानावटी कमिशन की रिपोर्ट के आधार पर सज्जन कुमार के खिलाफ नया केस दर्ज किया।
• 2010 में इस मामले पर दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत में सुनवाई हुई। इस मामले में बलवान खोखर, महेंद्र यादव, महा सिंह समेत कई और को आरोपी बनाया गया।
• 2013 में कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया। हालांकि, मामले में पांच लोगों को दोषी करार दिया गया और सजा सुनाई गईं। इस घटना के बाद पीड़ित पक्ष में जबरदस्त गुस्सा था। एक प्रदर्शनकारी ने मामले की सुनवाई कर रहे जज की तरफ जूता तक उछाल दिया था।
• दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले को तब उठाया, जब जगदीश कौर नाम की एक पीड़ित और गवाह ने सीबीआई के साथ सज्जन कुमार के खिलाफ केस दायर किया। उन पर पांच सिखों की हत्या करने वाली भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया। जिन सिखों की हत्या हुई थी, उनमें जगदीश कौर के पति और बेटे शामिल थे। साथ ही जगशेर सिंह के तीन भाई शामिल थे। इस मामले में एक और मुख्य गवाह निरप्रीत कौर थीं।
• सीबीआई ने हाईकोर्ट के सामने कहा था कि इन घटनाओं के चश्मदीद गवाहों ने सज्जन कुमार का नाम इंक्वायरी के लिए गठित आयोग को दिया था। इसमें नरसंहार में सज्जन कुमार पर लगे आरोपों की जांच की मांग की गई थी। हालांकि, निचली अदालत ने चश्मदीदों की गवाही देने से रोक दिया था। इस मामले से जुड़ी सुनवाई के दौरान एक और चश्मदीद गवाह चम कौर ने कोर्ट को बताया था कि उन्होंने सज्जन कुमार को सुल्तानपुरी इलाके में भीड़ को संबोधित करते देखा था।
1984 के सिख दंगे पूरी तरह कांग्रेस द्वारा प्रायोजित- कैलाश
कांग्रेस नेता सज्जन सिंह के दोषी साबित होने पर मध्य प्रदेश में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए 1984 के दंगों को ‘कांग्रेस द्वारा प्रायोजित’ बताया, वहीं कुंभ स्नान पर कटाक्ष करते हुए कहा, “कुछ लोगों पर गंगा जल का भी असर नहीं होता।” मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दावा किया कि यह दंगा कांग्रेस द्वारा प्रायोजित था। उन्होंने कहा कि लंबे समय से इस फैसले की प्रतीक्षा थी और अब यह साबित हो गया कि इस हिंसा में कांग्रेस नेताओं की भूमिका थी।
सिख दंगों से सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद इतने बड़े दंगे के दोषी लोग खुलेआम घूम रहे थे, लेकिन अब न्याय हुआ है। जब उनसे कमलनाथ की भूमिका को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 1984 के दंगे सिखों को हिंदू परंपरा से दूर करने की साजिश थे, इसलिए दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। कैलाश विजयवर्गीय ने महाकुंभ में दिग्विजय सिंह के त्रिवेणी स्नान को लेकर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, “दिग्विजय सिंह नहाने चले गए, यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन कहा जाता है कि कुछ लोगों पर गंगा जल का कोई असर नहीं होता।” विजयवर्गीय ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं की भी सराहना की और कहा कि आयोजन बेहतरीन रहा। अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं।1984 सिख विरोधी दंगा: कब-क्या हुआ…
• 31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की गई थी।
• अगले दिन यानी 1 नवंबर को दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे।
• PTI के मुताबिक, तब सिर्फ दिल्ली में ही करीब 2700 लोग मारे गए थे। देशभर में मरने वालों का आंकड़ा 3500 के करीब था।
• मई, 2000 में दंगे की जांच के लिए जीटी नानावती कमीशन का गठन हुआ।
• 24 अक्टूबर, 2005 को CBI ने नानावती कमीशन की सिफारिश पर केस दर्ज किया।
• 1 फरवरी, 2010 को ट्रायल कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, बलवान खोकर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, किशन खोकर, महा सिंह और संतोष रानी को समन जारी किया।
• 30 अप्रैल, 2013 को कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया।
• 2014 में मोदी सरकार ने सिख दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया।
• इसके खिलाफ CBI ने 19 जुलाई, 2013 को हाईकोर्ट में अपील की। 22 जुलाई, 2013 को हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया।
• 17 दिसंबर, 2018 को हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को पांच सिखों की हत्या की हत्या के मामले में दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
• दंगों के 21 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था- जो कुछ भी हुआ, उससे उनका सिर शर्म से झुक जाता है।