देश में मंगलवार यानि 1 जून, 2021 को पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई। मंगलवार रात ग्यारह बजे तक 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में कोरोना के 1.3 लाख नए मामले सामने आए।तमिलनाडु स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य में कोरोना के 26,513 नए मामले दर्ज किए गए, जो देश में सबसे अधिक है। लेकिन हैरानी की बता है कि देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में सबसे अधिक बढ़तोरी जिन सात राज्यों में दर्ज गई है, उनमें सिर्फ एक भाजपा शासित राज्य कर्नाटक शामिल है, जबकि 6 राज्य गैर-एनडीए शासित है।
कोरोना संक्रमण में बढ़तोरी वाले टॉप 7 राज्य
तमिलनाडु | 26,513 |
केरल | 19,760 |
कर्नाटक | 14,304 |
महाराष्ट्र | 14,123 |
आंध्र प्रदेश | 11,303 |
पश्चिम बंगाल | 9,424 |
ओडिशा | 8,735 |
देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में सबसे अधिक बढ़तोरी वाले दस राज्यों पर गौर करते हैं, तो जो तस्वीर उभरकर सामने आती है, वो भी हाैरान करने वाली है। इन दस राज्यों में भाजपा शासित सिर्फ दो राज्य शामिल है। देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में मंगलवार को दर्ज आकड़े के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1221 नए मामले सामने आए। इस तरह कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की सूची में जहां कर्नाटक का तीसरा और असम का आठवां स्थान है, वहीं उत्तर प्रदेश का स्थान 15वां है।
कोरोना संक्रमण मामलों के इन आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना की दूसरी लहर को बढ़ावा देने में गैर-एनडीए शासित राज्यों का प्रमुख योगदान रहा है। अगर गैर-एनडीए शासित राज्य राजनीति छोड़कर कोरोना के खिलाफ जंग में केंद्र सरकार के साथ सहयोग किया होता, तो कोरोना के कहर को काफी हदतक कम किया जा सकता था। लेकिन इन राज्यों ने पहले कोरोना वैक्सीन के खिलाफ माहौल बनाकर लोगों को गुमराह किया और कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में लापरवाही बरती। जब संक्रमण के मामले बढ़ने लगे तो अपनी जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर डालकर अपने हाथ खड़े कर दिए।