प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार का आम बजट एक फरवरी को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस बजट को लेकर सभी सेक्टर के लोगों की उम्मीदें हैं। खासकर बात करें कृषि क्षेत्र की तो बजट में खेती-किसानी पर खासा ध्यान दिए जाने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र की शुरुआत के मौके पर इस बात के संकेत भी दिए थे। पीएम मोदी ने कहा था कि इस बार का बजट देश की तेज की गति से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था को एक नई ऊर्जा देने वाला होगा। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस बजट से देश के सामान्य से सामान्य मानव की आशा-अपेक्षाओं को पूर्ण किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उन्होंने सर्वदलीय बैठक में भी सभी नेताओं से आग्रह किया है कि सत्र के बाद संसद की कमेटियों का भरपूर उपयोग विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए किया जाए और बजट का सर्वाधिक लाभ देश के सामान्य मानव तक कैसे पहुंचे इस पर विचार हो। इस पर विचार हो कि दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित को कैसे लाभ मिले? गांव के गरीब को कैसे लाभ मिले? किसान मजदूर को कैसे लाभ मिले? इस पर समीतियों में व्यापक चिंतन हो, समीतियां सकारात्मक सुझाव दें और रोडमैप बना करके दें जिस पर हम आगे बढ़ें।
हर वर्ष बढ़ रहा है कृषि क्षेत्र का बजट
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का फोकस हमेशा से कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों की आर्थिक स्थित सुधारने पर रहा है। एक तरफ जहां मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो, हर वर्ष कृषि बजट में बढ़ोतरी हुई है। 2015-16 में कृषि बजट लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का था, जो 2016-17 में दोगुने से भी अधिक बढ़कर लगभग 36 हजार करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2017-18 के आम बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 41 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
We hope we receive subsidy for buying seeds, aids for irrigation and fertilisers at proper rates. We get looted by middlemen. Majority of the aids get pocketed by those at the higher level before it reaches us: Munna, farmer from Patna #Budget2018 pic.twitter.com/iFKRh2KhIP
— ANI (@ANI) 31 January 2018
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है। केंद्र सरकार की इन कोशिशों का असर भी दिख रहा है, एक नजर डालते हैं उन योजनाओं पर।
मोदीराज में सशक्त हुआ किसान, दूध उत्पादन से बढ़ने लगी आमदनी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में मोदी सरकार ने किसानों के हित के लिए इतने कार्य किए हैं, जितने पहले किसी भी सरकार के दौरान नहीं हुए। केंद्र सरकार की योजनाओं का ही असर है कि इस साल वर्ष 2016-17 के दौरान देश में दूध उत्पादन में वर्ष 2013-14 के मुकाबले 20.13 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद दूध उत्पादन की वृद्धि दर वर्ष 2014-15 में 6.3 प्रतिशत, वर्ष 2015-16 में 6.3 प्रतिशत और वर्ष 2016-17 में 6.4 प्रतिशत रही है। अत: पिछले तीन वर्षों के दौरान दूध उत्पादन की वृद्धि दर उच्च स्तर पर बरकरार रही है। जहां तक सीजनल अनुमान का सवाल है, कुल दूध उत्पादन वर्ष 2016-17 (ग्रीष्म) के 51.33 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2017-18 (ग्रीष्म) में 53.77 मिलियन टन के स्तर पर पहुंच गया है, जो 4.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाता है। वर्ष 2017-18 के ग्रीष्म सीजन के दौरान प्रथम पांच सर्वाधिक दूध उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
पहली बार 10 करोड़ टन तक पहुंच सकता है गेहूं उत्पादन
केंद्र सरकार की योजनाओं का ही असर है कि इस साल 2017-18 के फसल वर्ष (जुलाई से जून) के दौरान देश में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 10 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है। पिछले फसल वर्ष 2016-17 में गेहूं का रिकॉर्ड 9 करोड़ 83.6 लाख टन उत्पादन हुआ था। कृषि सचिव एसके पटनायक ने कहा, सरकार ने चालू फसल वर्ष में 9 करोड़ 75 लाख टन गेहूं की पैदावार का लक्ष्य रखा था, लेकिन रकबा बढ़ने और उपज में बढ़ोतरी होने से पैदावार पिछले साल से अधिक होने की संभावना है।
देश भर में किसानों को मिलेगी निर्बाध बिजली
खेती-किसानी में बिजली का अहम योगदान होता है, क्योंकि खेतों में ट्यूबबेल चलाने, सिंचाई के लिए बिजली जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को बाखूबी समझते हैं। हालांकि किसानों के लिए बिजली की अलग फीडर लाइन पर पिछले डेढ़ दशक से चर्चाएं हो रही हैं, लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के दखल के बाद इस पर अमल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। देश में “पीएम सहज बिजली हर घर योजना” लांच की गई है। इसका फायदा खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में होगा, लेकिन किसानों को बिजली का असली फायदा देने के लिए अब फीडर लाइन को अलग किया जाएगा। अलग बिजली फीडर होने से किसानों को बिजली सब्सिडी सीधे बैंक खाते में देने की व्यवस्था शुरू करने में भी काफी आसानी होगी। साथ ही किसानों को समय पर पर्याप्त बिजली आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी।
10 करोड़ किसानों को मिला सॉयल हेल्थ कार्ड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि उत्पदकता बढ़ाने और उत्पादन लागत कम करने के लिए केंद्र सरकार ने देश के सभी किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना चलायी है। सॉयल हेल्थ कार्ड में सॉयल हेल्थ सुधार और उसकी उर्वरता बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पोषक तत्वों की उचित मात्रा की जानकारी के साथ खेतों की पोषण स्थिति पर किसानों को सूचना दी जाती है। इसके तहत अब तक 10 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। इससे 2015-16 की तुलना में वर्ष 2016-17 में खाद के उपयोग में 8 से 10 प्रतिशत की कमी और उत्पादन में 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही मिट्टी के नमूनों की जांच में तेजी के लिए सरकार ने वर्ष 2011-14 (174 मृदा-परीक्षण प्रयोगशालाएं) की तुलना में वर्ष 2014-17 के दौरान 9,063 प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गई।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य ही यह है कि ‘हर खेत में पानी।‘ शायद ही इस कारण की जटिलता को पहले किसी और सरकार ने इस गंभीरता से समझा हो, जितना मोदी सरकार ने कि भारतीय खेती की सिंचाई संबंधी निर्भरता बहुत बड़े स्तर पर वर्षा पर है। वर्षा की अनिश्चितता सीधे तौर पर फसलों के उत्पादन को प्रभावित करती है, जिससे किसान का हित प्रभावित होता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना इसी समस्या का सशक्त समाधान है।
प्रधानमंत्री कृषि कौशल योजना
किसी भी कार्य का व्यावसायिक तथा व्यावहारिक प्रशिक्षण उस कार्य में प्रगति की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा देता है। प्रधानमंत्री कृषि कौशल योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि से संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान करवाना है। विशेषकर ऐसे युवाओं को, जो बीच में पढ़ाई छोड़ चुके हैं अथवा खेती से विमुख हो रहे हैं। इस प्रशिक्षण द्वारा कुशल कामगारों को विकसित किया जाता है। इसके अंतर्गत पाठ्यक्रमों में सुधार करना, बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष जोर दिया गया है। प्रशिक्षण में अन्य पहलुओं के साथ व्यवहार कुशलता और व्यवहार में परिवर्तन भी शामिल है।
नीम कोटेड यूरिया
किसानों के हितों को दूरदर्शितापूर्वक नीति प्रदान करते हुए मोदी सरकार ने एक और महत्वपूर्ण पहल की। सरकार ने सभी उर्वरक कंपनियों को सौ प्रतिशत नीम कोटेड यूरिया बनाने के दिशा-निर्देश जारी किए। नीम कोटिंग वाले यूरिया को बढ़ावा दिया गया है ताकि यूरिया के इस्तेमाल को नियंत्रित किया जा सके, फसल के लिए इसकी उपलब्धता बढ़ाई जा सके और उर्वरक की लागत कम की जा सके। घरेलू तौर पर निर्मित और आयातित यूरिया की संपूर्ण मात्रा अब नीम कोटिंग वाली है। किसान द्वारा सामान्यत प्रयोग किया जाने वाला यूरिये का अधिकांश भाग पौधों द्वारा उपयोग किए बिना ही नष्ट हो जाता है। इस यूरिया की विशेषता है- ट्राइंटपींस तथा डीनाइट्रीफाइंग तत्त्वों की अधिकता का होना। नीम कोटेड यूरिया मिट्टी में धीरे-धीरे समावेशित उसकी गुणवत्ता को बढ़ाना। साथ ही यूरिया की बार-बार होने वाली अनुपलब्धता व कालाबाजारी की समस्या समाप्त होना। यह सिर्फ खेती के लिए किसानों को ही मिल पाती है
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
किसानों के हित में बनने वाली किसी भी अन्य योजना के मुकाबले इस योजना का महत्त्व कई गुना अधिक इसलिए है, क्योंकि यह अन्य योजनाओं की समीक्षा कर, उसके गुण-दोषों की विवेचना के आधार पर बनाई गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण पहुंची क्षति को प्रीमियम के भुगतान द्वारा एक सीमा तक कम किया जा सकेगा। इसके अंतर्गत 8,800 करोड़ रुपये खर्च होंगे, ताकि किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम किया जा सके। यह खरीफ और रबी की फसल के अतिरिक्त वाणिज्यिक और बागवानी फसलों को भी सुरक्षा प्रदान करेगी। खराब फसलों के विरूद्ध किसानों द्वारा दी जा रही बीमा की फसलों को बहुत नीचे रखा गया है।
सस्ता कर्ज उपलब्ध कराना
पहले की सरकारों द्वारा किसानों के लिए नीति के नाम पर कर्ज की ऐसी व्यवस्था की गई थी, जिसमें उन्हें नौ प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज मिलता था। मोदी शासन में ब्याज-दर को घटाकर केवल चार प्रतिशत कर दिया गया। सरकार इस स्कीम के अंतर्गत ब्याज का 5 प्रतिशत भाग किसानों को वापस करेगी। नए प्रस्ताव के अनुसार केंद्र सरकार किसानों के ब्याज में दो प्रतिशत की सब्सिडी देगी। सही समय पर कर्ज वापस करने वाले किसानों को ब्याज में 3 फीसदी की राहत अतिरिक्त रूप से दी जाएगी। इसमें 3 लाख तक के कर्ज की सुविधा भी दी गई है।
कृषि एप का लाभ
मौसम से जुड़ी सही-सही जानकारी को समय पर किसानों को उपलब्ध कराना इस योजना का उद्देश्य है। मौसम में बदलाव, वर्षा अथवा इस विषय से संबंधित सभी महत्वपूर्ण सूचनाएं इस एप पर उपलब्ध हैं।
ई-कृषि मंडी योजना
कड़ी से कड़ी मेहनत और उत्पादन का कोई लाभ नहीं, यदि किसान को उसके उत्पादन के सही दाम न मिलें। यही वह विषय है, जो पूरी कृषि-प्रक्रिया का सबसे संवेदनशील पक्ष है। बिचौलियों के वर्चस्व के चलते किसानों का हित हमेशा से प्रभावित होता रहा है। इसी समस्या के समाधान के तौर पर इ-कृषि मंडी योजना की रूपरेखा तय की गई, ताकि किसान अपनी उपज के सही दाम जानकर उसी पर फसल बाजार में बेच पाएं।
परंपरागत कृषि विकास योजना
परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) को लागू किया जा रहा है ताकि देश में जैव कृषि को बढ़ावा मिल सके। इससे मिट्टी की सेहत और जैव पदार्थ तत्वों को सुधारने तथा किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
भंडार गृह की सुविधा
किसानों द्वारा मजबूरी में अपने उत्पाद बेचने को हतोत्साहित करने और उन्हें अपने उत्पाद भंडार गृहों की रसीद के साथ भंडार गृहों में रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे छोटे और मझौले किसानों को ब्याज रियायत का लाभ मिलेगा, जिनके पास फसल कटाई के बाद के 6 महीनों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड होंगे।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) को सरकार उनकी जरूरतों के मुताबिक राज्यों में लागू कर सकेगी, जिसके लिए राज्य में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। राज्यों को उऩकी जरूरतों, प्राथमिकताओं और कृषि-जलवायु जरूरतों के अनुसार योजना के अंतर्गत परियोजनाओँ/कार्यक्रमों के चयन, योजना की मंजूरी और उऩ्हें अमल में लाने के लिए लचीलापन और स्वयत्ता प्रदान की गई है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), केन्द्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत 29 राज्यों के 638 जिलों में एनएफएसएम दाल, 25 राज्यों के 194 जिलों में एनएफएसएम चावल, 11 राज्यों के 126 जिलों में एनएफएसएम गेहूं और देश के 28 राज्यों के 265 जिलों में एनएफएसएम मोटा अनाज लागू की गई है ताकि चावल, गेहूं, दालों, मोटे अऩाजों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। एनएफएसएम के अंतर्गत किसानों को बीजों के वितरण (एचवाईवी/हाईब्रिड), बीजों के उत्पादन (केवल दालों के), आईएनएम और आईपीएम तकनीकों, संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकीयों/उपकणों, प्रभावी जल प्रयोग साधन, फसल प्रणाली जो किसानों को प्रशिक्षण देने पर आधारित है, को लागू किया जा रहा है।
राष्ट्रीय तिलहन और तेल मिशन कार्यक्रम
राष्ट्रीय तिलहन और तेल (एनएमओओपी) मिशन कार्यक्रम 2014-15 से लागू है। इसका उद्देश्य खाद्य तेलों की घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए तिलहनों का उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है। इस मिशन की विभिन्न कार्यक्रमों को राज्य कृषि/बागवानी विभाग के जरिये लागू किया जा रहा है।
बागवानी के समन्वित विकास के लिए मिशन
बागवानी के समन्वित विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच), केन्द्र प्रायोजित योजना फलों, सब्जियों के जड़ और कन्द फसलों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंध वाले वनस्पति,नारियल, काजू, कोको और बांस सहित बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 2014-15 से लागू है। इस मिशन में ऱाष्ट्रीय बागवानी मिशन, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, नारियल विकास बोर्ड और बागवानी के लिए केन्द्रीय संस्थान, नागालैंड को शामिल कर दिया गया है।
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अन्य कदम इस प्रकार है-
*सरकार ने कृषि उत्पाद और पशुधन विपणन (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2017 को तैयार किया जिसे राज्यों के संबद्ध अधिनियमों के जरिये उनके द्वारा अपनाने के लिए 24.04.2017 को जारी कर दिया गया। यह अधिनियम निजी बाजारों, प्रत्यक्ष विपणन, किसान उपभोक्ता बाजारों, विशेष वस्तु बाजारों सहित वर्तमान एपीएमसी नियमित बाजार के अलावा वैकल्पिक बाजारों का विकल्प प्रदान करता है ताकि उत्पादक और खरीददार के बीच बिचौलियों की संख्या कम की जा सके और उपभोक्ता के रुपए में किसान का हिस्सा बढ़ सके।
*सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर्गत गेहूं और धान की खरीद करती है। सरकार ने राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों के अनुरोध पर कृषि और बागवानी से जुड़ी उन वस्तुओं की खरीद के लिए बाजार हस्ताक्षेप योजना लागू की है जो ऩ्यनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत शामिल नहीं है। बाजार हस्ताक्षेप योजना इन फसलों की पैदावार करने वालों को संरक्षण प्रदान करने के लिए लागू की गई है ताकि वह अच्छी फसल होने पर मजबूरी में कम दाम पर अपनी फसलों को न बेचें।
*न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीफ और रबी दोनों तरह की फसलों के लिए अधिसूचित होता है जो कृषि आयोग की लागत और मूल्यों के बारे में सिफारिशों पर आधारित होता है। आयोग फसलों की लागत के बारे में आंकडे एकत्र करके उनकी विश्लेषण करता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है। देश में दालों और तिलहनों की फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर खरीफ 2017-18 के लिए बोनस की घोषणा की है। सरकार ने पिछले वर्ष भी दालों और तिलहनों के मामले में न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर बोनस देने की पेशकश की थी।
*सरकार के नेतृत्व में बाजार संबंधी अन्य हस्तक्षेप जैसे मूल्य स्थिरीकरण कोष और भारतीय खाद्य निगम का संचालन भी किसानों की आमदनी बढ़ाने का अतिरिक्त प्रयास है।
*उपरोक्त के अलावा सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मधु मक्खियां रखने जैसे क्रियाकलापों पर ध्यान दे रही है।