Home समाचार विकासशील देशों में भारत की विकास दर रहेगी सबसे तेज, 6.6 प्रतिशत...

विकासशील देशों में भारत की विकास दर रहेगी सबसे तेज, 6.6 प्रतिशत की मजबूत दर से बढ़ेगी

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.6 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि का अनुमान लगाया है। विश्‍व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं और विकासशील देशों में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनी रहेगी। विश्‍व बैंक ने कहा है कि भारत की अर्थव्‍यवस्‍था 2023-24 में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। विश्‍व बैंक ने साल 2023 में मंदी की आशंका जाहिर की है। विश्व बैंक ने अमेरिका, यूरोप और चीन सहित विश्‍व की शीर्ष अर्थव्‍यवस्‍थाओं में वृद्धि दर कम रहने का अनुमान जताया है। विश्‍व बैंक ने इस साल वैश्विक वृद्धि दर के अपने पहले के अनुमान को 3 प्रतिशत से घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया है।

आइए देखते हैं देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर विभिन्न रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है…

सात प्रतिशत से ज्यादा रहेगी आर्थिक वृद्धि दर
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ेगी। इतना ही नहीं 2023-24 में भी यह वृद्धि दर बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि मंदी की आशंका कुछ समय से बनी हुई है, लेकिन अभी तक न तो अमेरिका और न ही यूरोपीय संघ इसकी चपेट में आया है। भारत के लिए सबसे खराब दौर खत्म हो चुका है। अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक झटकों के बीच ऊंची और जुझारू क्षमता का प्रदर्शन कर रही है। 

देश में कई साल रह सकता है 9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट
मोदी राज में विकास की स्थिति यह है कि देश में कई साल तक 9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट रह सकता है। राजस्थान के उदयपुर जिले में जी-20 अध्यक्षता के तहत आयोजित पहली शेरपा बैठक में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारत कई वर्षों तक 9 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि दुनिया लगातार उच्च वृद्धि दर हासिल करे। सान्याल ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति आय केवल 2,200 अमेरिकी डॉलर है और यह कई वर्षों की उच्च वृद्धि दर के बाद हासिल की गई है। विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में एसडीजी हासिल करने के लिए जीडीपी विकास दर को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

अगले साल जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा भारत
भारत अगले साल जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा। रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि राजकोष के स्तर पर भारत का मजबूत रुख बरकरार है और आने वाले समय में राजस्व के साथ कर्ज के स्थिर होने के मामले में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रिश्चियन डी गुजमैन ने कहा कि देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि भारत अगले साल जी-20 में तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाला देश होगा। मूडीज ने 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि 4.8 और 2024 में 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। जबकि मूडीज ने जी-20 अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर 2023 में 1.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

देश में मंदी की आशंका नहीं, छह से सात प्रतिशत रहेगी वृद्धि दर- राजीव कुमार
दुनियाभर में मंदी की आशंकाओं के बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि भारत में इसका कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन की अर्थव्यवस्थाएं नीचे आ रही हैं। ऐसे में यह स्थिति आने वाले महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जा सकती है। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित तो जरूर हो सकती है, लेकिन 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत में मंदी की ऐसी कोई आशंका नहीं है, क्योंकि भले ही हमारी वृद्धि वैश्विक परिस्थितियों से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है, इसके बावजूद 2023-24 में हम 6-7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने में कामयाब रहेंगे।”

विकास दर 6- 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद- पीएचडीसीसीआई
देश के लिए अच्छी खबर यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर 6- 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है। पीएचडीसीसीआई के नए अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि उत्पादन में तेजी आई है और देश में मजबूत मांग है। डालमिया ने यह भी कहा कि उद्योग मंडल ने अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि और रसायनों जैसे 75 संभावित उत्पादों की पहचान की है, ताकि वर्ष 2027 तक 750 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सके।

ग्लोबल इकोनॉमी में बढ़ेगी हिस्सेदारी- IMF
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के मुताबिक नए वर्ष में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को राहत मिलती नहीं दिख रही है। अमेरिका, यूरोप और चीन में मंदी के संकेत मिल रहे हैं। इन देशों की आर्थिक गतिविधायां कमजोर नजर आ रही है। वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी साल 2022 की तुलना में 2023 में बढ़कर 3.6 प्रतिशत होने की उम्मीद है। 2000 में भारत की हिस्सेदारी 1.4 प्रतिशत रही थी। इससे पहले आईएमएफ ने भारत के लिए अपनी वार्षिक परामर्श रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि, भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्त वर्ष में काफी मजबूती से आगे बढ़ रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि वास्तविक जीडीपी के वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में क्रमश: 6.8 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।

आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
इसके पहले आईएमएफ ने कहा था कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।

विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान- मुख्य आर्थिक सलाहकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट को संबोधित करते हुए नागेश्वरन ने कहा कि भारत ने हाल ही में ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवी बड़ी आर्थिक शक्ति बना है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन वास्तव में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में और एक दशक तक भारत की आर्थिक विकास दर सात प्रतिशत के आसपास रह सकती है।

ADB को भी सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद
एशियाई विकास बैंक- (एडीबी-ADB) को भी सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अपनी फ्लैगशिप एडीओ रिपोर्ट में कहा है कि जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

एशिया की दूसरी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत
भारत वर्ष 2030 तक जापान को पीछे छोड़कर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आईएचएस मार्किट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया कि वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जीडीपी 2030 में बढ़कर 84 खरब डॉलर होने का अनुमान है, जो फिलहाल 27 खरब डॉलर है। वर्ष 2030 तक भारत की जीडीपी की साइज जर्मनी और ब्रिटेन से ज्यादा होकर अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन सकती है। आईएचएस मार्किट ने दावा किया कि कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मजबूत और स्थिर दिख रहा है, जिससे अगले एक दशक तक यह सबसे तेज बढ़ती जीडीपी वाला देश बना रहेगा।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

Leave a Reply