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केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने इलाज के नाम पर सरकारी खजाने से लुटाये 76 लाख रुपये, सोनिया गांधी के विदेश दौरे पर खर्च हुए थे 82 लाख रुपये

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स्वतंत्रता के बाद करीब 70 साल तक इस देश पर कांग्रेस ने शासन किए। इस दौरान नेताओं और नौकरशाहों ने लाखों विदेश यात्राएं की जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। लेकिन इन तमाम विदेश यात्राओं से देश की जनता को क्या हासिल हुआ, ये महत्वपूर्ण सवाल है। सबसे अहम बात यह है कि जो नेता देश में जात-पात, वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं वो जब विदेश यात्राएं करते हैं तो वो देश की भलाई के लिए नहीं, बल्कि अपने फायदे एवं मौज मस्ती के लिए करते हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में दागी और भ्रष्ट मंत्री-सांसद विदेश यात्राओं पर जाते रहे जो जमीन से जुड़े नहीं थे, जिन्हें देश का भूगोल सही से पता नहीं था, वो विदेश यात्राएं करके किसका भला कर रहे थे, ये बात आसानी से समझी जा सकती है। कांग्रेस के शासनकाल में अधिकतर नेता, जनप्रतिनिधि और अफसर विदेश यात्रा के नाम पर मौज-मस्ती करने, विदेश में रह रहे बच्चों व रिश्तेदारों से मिलने और निजी काम निपटाने के लिए ही प्रयोग करते रहे। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी उसी नक्शेकदम चल पड़े। सरकारी खजाने से फिजूलखर्ची में उन्होंने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। वर्ष 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद उन्होंने सरकारी खजाने से फिजूलखर्ची पर पूरी तरह रोक लगा दी है। पीएम मोदी का मूलमंत्र देश का विकास और देश के अंतिम गरीब व्यक्ति का जीवन स्तर उठाना है। पीएम मोदी की सादा जीवनशैली और सादगी से हर कोई परिचित है। पीएम मोदी अपने भोजन का खर्च, मेडिकल बिल और कपड़ों पर स्वयं खर्च करते हैं। जबकि अरविंद केजरीवाल एवं उनके मंत्रियों ने इलाज पर सरकारी खजाने से लाखों रुपये खर्च किए। वहीं कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेश दौरों पर सरकारी खजाने से अनगिनत धन लुटाए गए। यह अलग बात है कि इनसे संबंधित जानकारी कांग्रेस सरकार ने कभी बाहर नहीं आने दिया।

केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने सरकारी खजाने से लुटाये 76 लाख रुपये

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने इलाज के नाम पर सरकारी खजाने से 76 लाख रुपये लुटाए हैं। यह राशि सीएम केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने अपने और अपने परिवार के इलाज पर खर्च किए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडेय ने 11 जून 2022 को एक ऑनलाइन आरटीआई आवेदन दिल्ली सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को दाखिल की थी। इसमें वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2022 के मध्य मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के 6 अन्य मंत्रियों के इलाज पर खर्च किए गए सरकारी धन की जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद आरटीआई से जो जवाब मिला, उससे सीएम केजरीवाल और उनके मंत्रियों के बारे में चौंकाने वाली जानकारी मिली।

केजरीवाल और उनके परिवार के इलाज पर 15.78 लाख रुपये खर्च

आरटीआई के मुताबिक, सीएम अरविन्द केजरीवाल और उनके परिवार के इलाज पर इस दौरान 15,78,102 रुपये खर्च किए गए। सीएम केजरीवाल और उनके परिवार पर वर्ष 2015-16 में 2,91,931 रुपये, वर्ष 2016-17 में 4,37,848 रुपये, वर्ष 2017-18 में 4,12,573 रुपये खर्च किए गए, जबकि वर्ष 2018-19 में कोई खर्च नहीं हुआ। वहीं, वर्ष 2019-20 में 3,750 रुपये और वर्ष 2021-22 में 4,32,000 रुपये खर्च किए गए। यानि सीएम केजरीवाल ने पिछले आठ सालों में हर साल औसतन 2 लाख रुपये इलाज पर खर्च किए हैं।

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने 24 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए

इलाज पर खर्च के मामले में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मुख्यमंत्री केजरीवाल से आगे हैं। वर्ष 2015-22 के दौरान उनके और उनके परिवार के इलाज पर कुल 24,84,074 रुपये खर्च कर दिए गए। वर्ष 2015-16 में 25,104 रुपये, वर्ष 2016-17 में 3,41,005 रुपये, वर्ष 2017-18 में 3,81,000 रुपये, वर्ष 2018-19 में 3,82,000 रुपये, वर्ष 2019-20 में 3,56,403 रुपये, वर्ष 2020-21 में 5,88,519 रुपये और वर्ष 2021-22 में 4,10,043 रुपये खर्च किए गए। यानि मनीष सिसोदिया ने इलाज के नाम पर हर साल औसतन 3 लाख रुपये से अधिक खर्च किए हैं।

इलाज पर गोपाल राय ने सबसे ज्यादा 26 लाख रुपये खर्च किए

इलाज पर खर्च के मामले में दिल्ली सरकार में पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव, विकास और सामान्य प्रशासन मंत्री गोपाल राय सबसे आगे हैं। गोपाल राय और उनके परिवार के इलाज पर वर्ष 2015 से 2022 के बीच 26,74,132 रुपये खर्च कर दिए गए। वर्ष 2015-16 में 2,39,845 रुपये, वर्ष 2016-17 में 2,06,529 रुपये, वर्ष 2017-18 में 1,56,635 रुपये, वर्ष 2018-19 में 1,07,000 रुपये, वर्ष 2019-20 में 12,549 रुपये, वर्ष 2020-21 में 5,80,001 रुपये और वर्ष 2021-22 में 13,71,573 रुपये खर्च किए गए। यानि पिछले आठ सालों में गोपाल राय ने हर साल औसतन तीन लाख रुपये से अधिक खर्च किए हैं।

स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने 3 लाख रुपये खर्च किए

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने वर्ष 2015 से 2022 के बीच खुद और अपने परिवार के इलाज पर कुल 3,00,187 रुपये खर्च किए। इसमें वर्ष 2016-17 में 14,895 रुपये, वर्ष 2017-18 में 30,394 रुपये और वर्ष 2020-21 में 2,54,898 रुपये खर्च शामिल है। आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा कोरोना काल में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इलाज पर खर्च किया गया। इस दौरान दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य मंत्री होने के बावजूद, सरकारी अस्पताल में कोरोना का इलाज करवाने की बजाए सत्येंद्र जैन ने साकेत स्थित एक निजी अस्पताल मैक्स को चुना।

इमरान हुसैन ने इलाज पर 5 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए

केजरीवाल के एक अन्य मंत्री इमरान हुसैन ने इलाज पर 5,75,937 रुपये खर्च किए। इमरान हुसैन और उनके परिजनों के इलाज पर 2016-17 में 1,59,211 रुपये, 2018-19 में 59,986 रुपये, 2019-20 में 27,551 रुपये, 2020-21 में 55,560 रुपये और 2021-22 में 2,73,629 रुपये खर्च किए गए।

कैलाश गहलोत ने इलाज पर 27 हजार रुपये खर्च किए

केजरीवाल सरकार में एक अन्य मंत्री कैलाश गहलोत ने इलाज पर 27,506 रुपये खर्च किए। उन्होंने यह राशि वर्ष 2021-22 में खर्च किए।

सोनिया गांधी के विदेश दौरे पर खर्च हुए थे 82 लाख रुपये

RTI एक्टिविस्ट रमेश शर्मा ने सोनिया गांधी के दौरे पर यूपीए सरकार के दौरान 10 साल में सरकारी खर्च का ब्योरा मांगा था। इकोनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कैबिनेट सचिवालय ने इस RTI को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और संसदीय मामलों के मंत्रालय को भेज दिया। लेकिन इस संबंध में किसी मंत्रालय ने जानकारी बाहर नहीं आने दी बल्कि इसे छुपा लिया। केवल विदेश मंत्रालय ने – विदेशों में कुछ वाणिज्य दूतावासों के माध्यम से – विदेश यात्रा के दौरान सोनिया गांधी पर खर्च का कुछ विवरण प्रदान किया। यहां भी पूरी जानकारी नहीं दी गई। जो जानकारी दी गई उसके अनुसार, चीन की दो यात्राओं और बेल्जियम, यूके, जर्मनी एवं दक्षिण अफ्रीका की एक-एक यात्रा पर कुल खर्च 82 लाख रुपये किया। यह जानकारी शर्मा को उपलब्ध कराई गई थी, जो खुद कहते हैं कि इस बारे में पूरा खुलासा नहीं किया गया। दिलचस्प बात यह है उस वक्त यह जानकारी देने के लिए मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा ने कैबिनेट सचिवालय की खिंचाई करते हुए कहा था, “”आरटीआई अनुरोध को बहुत लापरवाही से संभाला गया।” यानी उनकी मंशा इस जानकारी को भी छुपा लेने की थी। 

सोनिया के इलाज व विदेश दौरे पर हुए थे 1,880 करोड़ रुपये खर्च 

वर्ष 2012 में यूपीए चेयरपर्सन और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इलाज और विदेश दौरे पर हुए खर्च को लेकर सवाल उठा था। मीडिया रिपोर्ट से यह बात सामने आई थी कि सोनिया के अमेरिका में कराए गए इलाज एवं विदेश दौरे पर कुल 1,880 करोड़ रुपये खर्च किए गए। उस वक्त राजनीतिक दलों ने यह सवाल किया था इसका भुगतान किसने किया? यह बात सामने आनी चाहिए। उस दौरान जब सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी से पूछा गया कि क्या सोनिया गांधी की यात्रा, अस्पताल में भर्ती और इलाज और सुरक्षा पर कोई सरकारी धन खर्च किया गया है, तो मंत्री ने यह कहते हुए सभी सवालों को टाल दिया कि सरकार विवरण की घोषणा बाद में करेगी। हालांकि, उसके बाद कोई जानकारी नहीं दी गई और इसे छुपा लिया गया। सरकार इस प्रकरण पर पर्दा डालने में लगी रही। सरकार के इस टालमटोल से लोगों का संदेह गहराया और इस मुद्दे को लेकर उस वक्त मनमोहन सरकार की काफी फजीहत हुई थी। 

यूपीए सरकार के दौरान सोनिया को मिला हुआ था कैबिनेट मंत्री का दर्जा

सोनिया गांधी पर सरकारी खजाने से खर्च का मुद्दा इसलिए भी उठा था क्योंकि यूपीए सरकार के दौरान वह राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष थी और उन्हें कैबिनेट मंत्री दर्जा दिया गया था। सोनिया गांधी सरकारी खजाने से फिजूलखर्ची करती रहें इसीलिए उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। जनता के पैसे से ऐशो-आराम और फिजूलखर्ची कांग्रेस पार्टी के डीएनए में बसी हुई है। कांग्रेस के शासनकाल में आम आदमी के हिस्से और विकास में खर्च होने वाले पैसे का दुरूपयोग जमकर किया गया। 2004 में यूपीए सरकार बनने के बाद पहली बार राष्ट्रीय सलाहकार परिषद गठन हुआ था। लाभ के पद को लेकर हुए विवाद के बाद सोनिया गांधी ने 23 मार्च 2006 को परिषद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में सरकार ने लाभ के पद को लेकर एक विधेयक लाया जिसमें राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के पद सहित 56 पदों को लाभ के पद से मुक्त कर दिया गया। सोनिया को 2010 में फिर से राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष बना दिया गया जिससे जनता की गाढ़ी कमाई और सरकारी खजाने से फिजूलखर्ची चलती रहे। 

पीएम मोदी अपने मेडिकल बिल, भोजन का खर्च, कपड़ों का खर्च खुद वहन करते हैं। ये सभी जानकारी आरटीआई से मिली है। उन पर एक नजर-

दुनिया के सबसे प्रसिद्ध नेताओं में शुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही वीआईपी कल्चर के विरोधी रहे हैं। प्रधानमंत्री सिर्फ वीआईपी कल्चर को खत्म करने की बात ही नहीं करते हैं, बल्कि पालन भी करते हैं। पीएम मोदी की सादगी की मिसाल अक्सर देखने को मिलती रही है। यह बात पहले सामने आ चुकी है कि वे अपने भोजन और कपड़े पर खुद खर्च करते हैं और इस सरकार का एक पैसा भी खर्च नहीं होता है। अब RTI के जरिये एक नई जानकारी सामने आई है कि पीएम मोदी अपनी स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च खुद उठाते हैं। उनके मेडिकल बिल का भुगतान सरकारी खजाने से नहीं किया जाता है। प्रधानमंत्री के रूप में यह देश के लोगों के लिए एक बड़ी मिसाल है। पीएम मोदी की इसी सादगी और विजन की वजह से आज उन्हें लाखों लोग फॉलो करते हैं। उनकी एक अपील पर देश के लोग तिरंगा थाम लेते हैं, दीप जलाते हैं और थाली बजाते हैं।

पीएम मोदी के स्वास्थ्य पर सरकार का एक पैसा खर्च नहीं

महाराष्ट्र के पुणे के निवासी प्रफुल्ल सारदा ने RTI के जरिए प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछा कि साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके मेडिकल पर कितना खर्च हुआ है। RTI के जवाब से खुलासा हुआ कि पीएम के स्वास्थ्य की देखभाल पर एक रुपए का भी खर्च नहीं हुआ है। RTI के जवाब में PMO ने कहा कि उसके द्वारा प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य पर खर्च को लेकर मेनटेन किए जाने वाले डिटेल के अनुसार कोई खर्च नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव बिनोद बिहारी सिंह ने RTI का जवाब देते हुए कहा कि सरकारी बजट का एक रुपया भी पीएम के व्यक्तिगत चिकित्सा उपचार के भुगतान में उपयोग नहीं किया जाता है। पीएमओ ने साफ कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के स्वास्थ्य पर देश और विदेश में 2014 से अब तक कोई व्यय नहीं किया गया है।”

प्रधानमंत्री मोदी के भोजन पर नहीं होता सरकारी खर्च

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपना जीवन बड़ी सादगी से जीते हैं। आम तौर पर प्रधानमंत्री पद पर आसीन व्यक्ति का सारा खर्च केंद्र सरकार ही वहन करती है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में अलग सोच रखते हैं। उनका मानना है कि सक्षम व्यक्ति न केवल अपना खर्च खुद वहन करें, बल्कि जरूरतमंदों की मदद के लिए भी आगे आएं। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी अपने भोजन और कपड़ा के लिए भारत सरकार के पैसे का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वो अपने भोजन का खर्च खुद उठाते हैं। दरअसल हाल ही में एक आरटीआई में प्रधानमंत्री मोदी के ऊपर होने वाले भोजन के खर्च को लेकर सवाल पूछा गया था। इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय के केंद्रीय सूचना अधिकारी ने विस्तार से जवाब दिया है। आरटीआई के जवाब में अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अपने खाने का खर्च खुद उठाते हैं। उनके खाने पर सरकार का कोई खर्च नहीं होता है। यहां तक कि देश या विदेश में यात्रा के दौरान भी विमान में घर का बना खाना पैक कराकर ले जाते हैं और खाते हैं। इसमें अधिकतर खिचड़ी होती है।

कपड़ों के खर्च का भुगतान स्वयं करते हैं पीएम मोदी

एक आरटीआई प्रधानमंत्री मोदी के कपड़ों पर होने वाले खर्च को लेकर भी लगाई गई थी, तब पीएमओ ने बताया कि प्रधानमंत्री अपने कपड़ों के खर्च का भुगतान स्वयं करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के निजी कपड़ों पर होनेवाला खर्च प्रधानमंत्री अपनी सैलरी से ही उठाते हैं। इसके लिए सरकारी कार्यालय की तरफ से कोई रकम खर्च नहीं की जाती है। सूचना के अधिकार के तहत इस जवाब के बाद आरटीआई कार्यकर्ता रोहित सभरवाल ने कहा था, ‘बहुत से लोगों को अब तक ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के कपड़ों पर सरकारी खजाने से बड़ी रकम खर्च की गई है। आरटीआई से मिली जानकारी से लोगों का यह भ्रम दूर होगा।’

संसद भवन की कैंटीन में पीएम ने खुद किया भुगतान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 मार्च, 2015 को बजट सत्र के दौरान संसद भवन की कैंटीन में पहुंचकर सभी को चौंका दिया था। यह पहली बार था जब किसी प्रधानमंत्री ने कैंटीन में भोजन किया था। यह उनकी सादगी ही थी कि उन्होंने पानी भी आरओ का ही लिया। पीएम ने शाकाहारी भोजन थाली का खुद ही 29 रुपये का भुगतान किया था।

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