कर्नाटक में सिद्धारमैया की कांग्रेस सरकार ने महंगाई को चरम पर पहुंचा दिया है। कांग्रेस सरकार की नीतियों के कारण आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही उत्पाद शुल्क, संपत्ति कर, स्टाम्प पेपर ड्यूटी, रोड टैक्स में बढ़ोतरी के साथ ही आम लोगों के लिए सबसे जरूरी बिजली और दूध की कीमतें बढ़ा दी गईं। और अब राज्य की कांग्रेस सरकार बस किराये के साथ पानी पर टैरिफ बढ़ाने की तैयारी में है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पानी पर टैक्स बढ़ाने की घोषणा कर दी है। पानी पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद जब लोगों ने विरोध किया तो डिप्टी सीएम ने साफ कह दिया कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन क्या कहता है। उन्होंने साफ कहा कि विरोध प्रदर्शन का कोई असर नहीं होगा। मैं पानी की कीमतें बढ़ा दूंगा जिससे जल बोर्ड को हो रहे वित्तीय घाटे की भरपाई हो सके।
“No matter who says what, I will increase water prices.”
Karnataka Deputy CM DK Shivakumar is giving the people of Karnataka sleepless nights. This is exactly how #CONgress embraces their infamous Khata-Khat model! pic.twitter.com/rFsP5t9Ixk
— Vishnu Vardhan Reddy (@SVishnuReddy) August 23, 2024
कांग्रेस राज में बेंगलुरु जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। डीके शिवकुमार ने लोगों के विरोध को खारिज करते हुए कहा कि बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के सामने चल रही वित्तीय कठिनाइयों के कारण जल शुल्क में वृद्धि जरूरी है। ऐसे में चुनाव के समय खटाखट वादे में फंसकर कांग्रेस की सरकार बनाने वाले लोग अपनी खून-पसीने की कमाई को टैक्स में देने को मजबूर हैं।
कर्नाटक को फ्री की रेवड़ी पड़ रही महंगी
इतना ही नहीं फ्री रेवड़ी के कारण कांग्रेस ने कर्नाटक में महंगाई को भी चरम पर पहुंचा दिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वादा किया था कि सत्ता में सरकार आई तो महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा शुरू करेंगे। कांग्रेस सरकार आई और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने। सरकार बनते ही राज्य की बसों में महिलाओं की यात्रा फ्री कर दी गई। इसका बोझ राज्य सड़क परिवहन निगम पर पड़ा और तीन महीने में ही निगम को 300 करोड़ रुपये का घाटा हो गया।
बस किराया 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की तैयारी
कर्नाटक में सरकारी बसों के किराए को 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) ने बताया है कि पिछले तीन महीनों में उन्हें 295 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। KSRTC के अनुसार, इस घाटे का कारण शक्ति योजना है। इस योजना के तहत राज्य में महिलाओं को फ्री बस सुविधा दी जाती है। KSRTC के चेयरमैन और कांग्रेस विधायक एसआर श्रीनिवास ने कहा है कि बढ़ती महंगाई के बीच विभाग के रखरखाव के संतुलन के लिए ऐसा किया गया है। उन्होंने कहा कि 12 जुलाई को हुई बोर्ड की बैठक में किराया बढ़ाने का फैसला लिया गया।
🚨 Karnataka govt eyes bus fare hike! Free rides caused a whopping ₹295 crore loss. This move aims to balance finances while ensuring sustainable public transport. Stay tuned as this development unfolds! 🚌💸 #Karnataka #BusFareHike #PublicTransport pic.twitter.com/kDVA5W3FMc
— India Pulse (@_indiapulse) July 16, 2024
3 महीने में 300 करोड़ घाटा
कांग्रेस विधायक एसआर श्रीनिवास ने कहा, ‘यदि हम पिछले तीन महीनों की बात करें तो निगम 295 करोड़ के घाटे में है। हमारे पास लगभग 8000 बसें हैं, सभी बसें 10 से 11 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं। लगभग 450 से 500 वोल्वो बसें हैं, वे भी 20 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं, इसलिए हमें नई वोल्वो बसें भी खरीदनी होगी। हमने बैठक में नई खरीद के बारे में चर्चा की है। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए और नई बसें खरीदने, पुरानी बसों के रखरखाव, बहुत सारे खर्च हैं। इसलिए यह अपरिहार्य है कि किराया बढ़ाया जाए। हमें हर चीज का ध्यान रखना है।’
65 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुकाने पर बेंगलुरु में 11 इंदिरा कैंटीन बंद
रेवड़ी कल्चर के कारण कर्नाटक की कांग्रेस सरकार कर्जे में आकंठ डूब गई है। फ्री में सुविधा देने के वादे ने राज्य का ये हाल कर दिया है कि कांग्रेस अब अपने नेता राहुल गांधी की दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर शुरू इंदिरा कैंटीन भी चला नहीं पा रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की फ्री रेवड़ी के कारण राज्य की कांग्रेसी सरकार के पास पैसे की तंगी है। इससे गरीबों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई इंदिरा कैंटीन भी आर्थिक संकट में आ गई है। कैंटीन के ठेकेदारों ने बिलों का भुगतान न होने के कारण बेंगलुरु में 11 इंदिरा कैंटीनों में भोजन परोसना बंद कर दिया है। बुधवार 17 जुलाई की रात से इन 11 कैंटीनों ने खाना परोसना बंद कर दिया है। कैंटीन ठेकेदार का कहना है कि ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) पर 65 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है।
बकाया पैसे का भुगतान ना होने के कारण बंगलुरु के बसवनगुड़ी, पद्मनाभनगर, भैरसंद्रा, वीवी पुरम, सिद्दापुरा, होमबेगौड़ा नगर, जयानगर, विद्यापीठ, ईजीपुरा, अदुगोडी वार्ड में स्थित इंदिरा कैंटीन को बंद कर दिया गया है। इससे राज्य की कांग्रेसी सरकार की किरकिरी हो रही है। कांग्रेस अपने पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर शुरू पहल को भी ठीक से जारी रखने में असमर्थ है। जो इंदिरा कैंटीन बीजेपी शासनकाल में बंद नहीं हुई वो कांग्रेसी शासनकाल में पैसे की कमी के कारण बंद हो गई है।
नंदिन दूध के दाम में 3 रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार विकास के काम रोकने के बाद आम आदमी को महंगाई का झटका देने से भी गुरेज नहीं करती। कर्नाटक सरकार ने नंदिनी दूध के दाम में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने का फैसला किया। अगर यह बढ़े हुए दाम दही, दूध पाउडर जैसे अन्य डेयरी प्रोडक्ट पर भी लागू होते हैं तो आम लोगों की परेशानी और भी बढ़ने वाली है।
कर्नाटक में बिजली दरें 2.89 रुपये प्रति यूनिट बढ़ीं
सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुफ्त बिजली का वादा कर आम आदमी की जेब काटने का काम कर रही है। सरकार ने नागरिकों को 200 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया। साथ ही बिजली की दरें 2.89 रुपये प्रति यूनिट बढ़ा दी गई। अगर कर्नाटक के लोग 200 यूनिट स्लैब से ज्यादा बिजली खर्च करते हैं तो उन्हें अब 2.89 रुपये प्रति यूनिट की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा।
पेट्रोल 3 रुपए, डीजल 3.20 रुपए महंगी
कर्नाटक सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिए। सरकार ने पेट्रोल की कीमत में 3 रुपए प्रति लीटर वहीं, डीजल के दाम में 3.20 रुपए का इजाफा किया है। यह बढ़ोतरी ‘कर्नाटक सेल्स टैक्स’ में बदलाव के बाद हुई है। क्योंकि राज्य सरकार ने बिक्री कर में 29.84 प्रतिशत और 18.44 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है।
कर्नाटक सरकार ने मोटर वाहन सहित अन्य की कीमतें बढ़ीं
मोटर वाहन कर : सरकार ने टैक्सियों, स्कूल वैन और बसों सहित वाणिज्यिक वाहनों पर कर बढ़ा दिया है। 15 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले वाहनों के लिए कर में 15 प्रतिशत की वृद्धि और 10-15 लाख रुपये की कीमत सीमा वाले वाहनों के लिए 9 प्रतिशत कर की वृद्धि की गई है। सरकार को इस टैक्स बढ़ोतरी से 472 करोड़ रुपये की कमाई होने का अनुमान है।
होटल स्नैक्सः दूध की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद होटल एसोसिएशन ने भोजन और नाश्ते की कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का फैसला किया है। इससे उपभोक्ताओं के बजट पर और दबाव पड़ने की आशंका है।
पंजीकरण और टिकटः सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री, जमीन खरीदने और घर बनाने की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। इससे इन प्रक्रियाओं के और अधिक महंगे होने की संभावना है, और लोग इन क्षेत्रों में निवेश करने से हतोत्साहित भी हो सकते हैं।
संपत्ति मार्गदर्शन मूल्यः कर्नाटक सरकार ने संपत्तियों के मार्गदर्शन मूल्य में 15-30 प्रतिशत की वृद्धि की।
शराब पर उत्पाद शुल्क बढ़ाः सभी स्लैब में भारत में निर्मित शराब (आईएमएल) पर 20 प्रतिशत का अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एईडी) लगाया, बीयर पर एईडी को 175 प्रतिशत से बढ़ाकर 185 प्रतिशत किया।
पंजीकृत वाहनों पर उपकरः नए पंजीकृत परिवहन वाहनों पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त उपकर लगाया। 25 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले ईवी (इलेक्ट्रिक वाहनों) पर आजीवन कर लागू किया और पंजीकरण की आवश्यकता नहीं वाले सभी दस्तावेजों के लिए स्टांप शुल्क में 200 प्रतिशत से 500 प्रतिशत की वृद्धि की।
कर्नाटक में विकास के काम पड़े हैं ठप
हालत यह है कि प्रदेश में विकास के काम ठप हैं और कांग्रेस फंड की कमी से चुनावी गारंटी को ही पूरा करने में नाकाम साबित हो रही है। कांग्रेस सरकार ने गारंटी को पूरा करने के लिए दलित समाज के साथ भी धोखा किया है। उसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण योजनाओं के लिए निर्धारित 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए डायवर्ट कर दिया है।
सिद्धारमैया जब-जब आते हैं कर्ज बढ़ जाता है… लिखने पर टीचर सस्पेंड
जब-जब सिद्धारमैया की सरकार आती है, तब-तब राज्य पर कर्ज बढ़ जाता है। कर्नाटक में एक सरकारी टीचर की टिप्पणी चर्चा में है। इस फेसबुक कॉमेंट के बाद चित्रदुर्ग जिले के शिक्षक शांतामूर्ति एमजी को सस्पेंड कर दिया गया है। टीचर ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि मुफ्त वादों पर अमल करने की वजह से राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ता चला जाता है। इस पोस्ट में शांतामूर्ति ने यह भी कहा कि सिद्धारमैया के पिछले कार्यकाल में (2013-18) के बीच कर्नाटक का कर्ज बढ़कर 2 लाख 42 हजार करोड़ तक पहुंच गया।
सीएम सिद्धारमैया ने 22 महीने में लिया था सबसे ज्यादा कर्ज
सिद्धारमैया सबसे पहले 2013 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। पूरे पांच साल तक उन्होंने कांग्रेस की सरकार चलाई। शिक्षक शांतामूर्ति ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि एसएम कृष्णा से लेकर जगदीश शेट्टार के कार्यकाल में लोन का आंकड़ा 71,331 करोड़ रुपये था। वहीं सिद्धारमैया के सीएम रहते यह आंकड़ा 2.42 लाख करोड़ रुपये तक चला गया।
सिद्धारमैया सरकार ने पहले कार्यकाल में सबसे अधिक 39161 करोड़ कर्ज लिया
दिसंबर 2015 में सिद्धारमैया सरकार के कर्ज के आंकड़ों के बारे में एक आरटीआई से जानकारी सामने आई थी। आरटीआई ऐक्टिविस्ट भीमप्पा गदड़ की आरटीआई के जवाब में पता चला कि सिद्धारमैया सरकार ने अपने 22 महीने के कार्यकाल (उस वक्त) में 39161.44 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। यह तमाम पिछले रेकॉर्ड्स से ज्यादा था। वित्त विभाग ने आरटीआई का जवाब देते हुए बताया कि राज्य पर 1 लाख 5 हजार 584 करोड़ का कर्ज है।
5 गारंटी कैसे बढ़ा सकती है कर्ज का बोझ?
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जनता के बीच पांच गारंटियों के वादे के साथ वोट मांगने गई। कांग्रेस को बहुमत मिला और सरकार बन गई। अब पांच गारंटियों को पूरा करने में ही पूरी सरकार जुटी है।
पहली गारंटीः मुफ्त बिजली पर सालाना साढ़े 14 हजार करोड़ खर्च होगा
पांच गारंटियों में पहला वादा है कि हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली मुहैया कराई जाएगी। इस पर सालाना करीब साढ़े 14 हजार करोड़ का खर्च आने का अनुमान है।
दूसरी गारंटीः ग्रैजुएट बेरोजगार को भत्ता पर तीन हजार करोड़ खर्च होगा
दूसरी गारंटी है कि ग्रैजुएट बेरोजगार को तीन हजार मासिक और डिप्लोमा धारक को डेढ़ हजार रुपये मासिक भत्ता दिया जाएगा। इस पर तकरीबन तीन हजार करोड़ खर्च हो सकते हैं।
तीसरी गारंटीः बीपीएल परिवार को भत्ता पर 30 हजार करोड़ खर्च होगा
तीसरा वादा है कि हर बीपीएल परिवार (गरीबी रेखा से नीचे) की महिला मुखिया को दो हजार रुपये मासिक भत्ता दिया जाएगा। इस पर अमल करने में 30 हजार करोड़ से ज्यादा का सालाना खर्च आ सकता है।
चौथी गारंटीः 10 किलो अनाज पर पांच हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे
चौथी गारंटी है कि हर बीपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को 10 किलो अनाज। इस पर तकरीबन पांच हजार करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।
पांच गारंटी पर करीब 53 हजार करोड़ खर्च होंगे
कांग्रेस की पांच गारंटियों का पांचवां वादा है- हर महिला को सरकारी बसों में मुफ्त सफर। इस पर कितना खर्च आ सकता है, इसका आकलन नहीं हो पाया है लेकिन इससे भी कुल बजट में इजाफा होना तय है। मोटे तौर पर सिद्धारमैया सरकार को इन गारंटियों के लिए तकरीबन 53 हजार करोड़ रुपये सालाना अतिरिक्त जुटाने होंगे।
रेवड़ी कल्चर से कई राज्य आर्थिक संकट के मुहाने पर
आरबीआई ने राजस्थान सहित 10 राज्यों के वित्तीय हालत पर चिंता जताई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के अलावा केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल जैसे राज्य कर्ज के भारी बोझ तले दबे हैं। पंजाब को एक्ट्रा बजटरी बोरोइंग देने के लिए आरबीआई ने बैंकों को ही मना कर दिया है। इसी तरह बीजेपी से पहले की कांग्रेसी राज में राजस्थान का कर्ज बढ़कर 4.77 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया। इसमें 82 हजार करोड़ रुपये का गारंटेड लोन भी शामिल कर दें तो प्रदेश पर कुल कर्ज 5.59 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। साल 2019 तक बजट में शामिल कर्ज 3.39 लाख करोड़ रुपये था। इसके अलावा 61 हजार करोड़ से ज्यादा का गारंटेड लोन था।