महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अब इसका शिद्दत के अहसास हो रहा होगा कि किसी को धोखा देने का परिणाम क्या होता है। ठाकरे ने बीजेपी को धोखा देकर भले ही एनसीपी और कांग्रेस से मिलकर कुछ समय के लिए सरकार बना ली हो, लेकिन अब उसके हाथ से सत्ता और संगठन दोनों ही निकल रहे हैं। महाराष्ट्र की सत्ता में एकनाथ शिंदे बीजेपी की मदद से काबिज हो चुके हैं। अब शिवसेना के 12 सांसदों के लेकर कई पार्षद और पूर्व पार्षद तक उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर शिंदे कैंप में जा चुके हैं, या फिर जाने की तैयारी में है। ठाकरे की बदहाल स्थिति ‘माया मिली न राम’ की कहावत चरितार्थ कर रही है।ठाकरे की सत्ता के तख्तापलट के बाद संगठन में भी बगावत का सिलसिला
उद्धव ठाकरे की हिंदू विरोधी नीतियों और सरकार में शरद पवार की मनमर्जी ज्यादा चलने के खिलाफ शिवसेना के विधायकों ने ठाकरे का पाला छोड़कर शिंदे कैंप बना लिया था। इससे ठाकरे की सत्ता का तख्तापलट हो गया। महाराष्ट्र की सियासत में शुरू हुई उठापटक अभी भी जारी है। उद्धव ठाकरे अभी भी वह शिवसेना के अंदर होने वाली बगावत को रोकने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। विधायकों की बगावत के बाद अब पार्टी के पार्षद भी शिंदे गुट में शामिल हो रहे हैं और धीरे-धीरे उद्धव ठाकरे की सेना ताश के पत्तों की तरह बिखरती जा रही है।
ठाणे नगर निगम में पार्टी के 67 में से 66 शिंदे कैंप में, नवी मुंबई के 32 पूर्व पार्षद भी
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक और बड़ा झटका लगा है। ठाणे नगर निगम में शिवसेना के 67 पार्षदों में से 66 ने एकनाथ शिंदे कैंप जॉइन कर लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार देर रात सभी बागी पार्षदों ने एकनाथ शिंदे से उनके आवास पर मुलाकात की। महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई नगर निगम के बाद ठाणे नगर निगम दूसरा सबसे अहम नगर निगम है। ठाणे नगर निगम के 66 पार्षदों ने गुरुवार को एकनाथ शिंदे का समर्थन किया था। अब नवी मुंबई के 32 पूर्व पार्षद भी शिंदे गुट में शामिल हो गए। इन पार्षदों ने गुरुवार को ठाणे में शिंदे से मुलाकात की थी। पार्षदों का कहना है कि वे एकनाथ शिंदे के साथ हैं। वह हमेशा हमारा फोन उठाते हैं। यहां तक कि पार्टी के मामली कार्यकर्ता से भी बात करते हैं।
सांसद भी छोड़ सकते हैं उद्धव का साथ, लोकसभा में मुख्य सचेतक बदलना पड़ा
महाराष्ट्र में सिर्फ विधायक या पार्षद ही नहीं अब सांसदों के शिंदे खेमे में शामिल होने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवसेना के 14 सांसद एकनाथ शिंदे गुट के संपर्क में हैं। शिवसेना के 18 में से 12 सांसद तो जल्द ही शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। एक दिन पहले शिंदे खेमे के विधायक गुलाबराव पाटिल ने दावा किया था कि 12 सांसद शिंदे गुट में शामिल होने की तैयारी में हैं। उनके इस दावे के बाद शिवसेना नेता आनंद राव ने शिवसेना से इस्तीफा दे दिया। इधर, उद्धव ठाकरे को भी इस बात का डर है कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले उनके सांसद भी टूट सकते हैं। इसे देखते हुए पार्टी ने लोकसभा में अपने मुख्य सचेतक को बदल दिया। पहले वाशिम से सांसद भावना गवली चीफ व्हिप थीं। अब उनकी जगह सांसद राजन विचारे को चीफ व्हिप बनाया गया है। भावना गवली को एकनाथ शिंदे का करीबी माना जाता है।
इन सांसदों को शिवसेना में रोक पाने की नाकाम कोशिशों में लगे हैं ठाकरे और राउत
शिंदे गुट में आने वाले शिवसेना सांसदों में सबसे पहला नाम उनके पुत्र कल्याण से सांसद श्रीकांत शिंदे का है। इसके अलावा रामटेक से सांसद रामकृपाल तुमाने, हिंगोली से हेमंत पाटिल, शिर्डी से सदाशिव लोखंडे, यवतमाल से भावना गवली, दक्षिण-मध्य मुंबई से राहुल शेवाले, बुलढाणा से प्रतापराव जाधव, पालघर से राजेंद्र गावित, नासिक से हेमंत गोडसे, मावल से श्रीरंग बारणे और ठाणे से राजन विचारे के नाम की चर्चा है। इन सांसदों को पार्टी में रोकने की नाकाम कोशिशों में ठाकरे और संजय राउत लगे हुए हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे खेमे में 7 सांसद हैं, जिनमें दक्षिण मुंबई से अरविंद सावंत, उत्तर-पश्चिम मुंबई से गजानन कीर्तिकर, उस्मानाबाद से ओमराजे निंबालकर, हातकलंगणे से धैर्यशील माने, परभणी से संजय बंडू जाधव, कोल्हापुर से संजय मंडलिक और दादरा नगर हवेली से कलाबेन डेलकर हैं। इनमें से भी कुछ सांसदों के शिंदे कैंप में जाने की चर्चा जोरों पर है।
ठाकरे गुट पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, उधर कांग्रेस ने अपने विधायकों को भेजा नोटिस
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस याचिका में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के 30 जून के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसके तहत उन्होंने सरकार बनाने और विधानसभा में अध्यक्ष के चुनाव के लिए एकनाथ शिंदे को आमंत्रित किया था। दूसरी ओर महाराष्ट्र कांग्रेस ने फ्लोर टेस्ट में शामिल न होने वाले 11 विधायकों को नोटिस भेजा है। नोटिस में कांग्रेस ने पूछा कि आप फ्लोर टेस्ट में शामिल क्यों नहीं हुए थे। फ्लोर टेस्ट में जिन कांग्रेस विधायकों ने वोट नहीं दिया, उनमें अशोक चव्हाण, प्रणति शिंदे, जितेश अंतापुरकर, विजय वडेट्टीवार, जीशान सिद्दीकी, धीरज देशमुख, कुणाल पाटिल, राजू अवले, मोहन हम्बर्दे,शिरीष चौधरी के नाम शामिल हैं।
शिंदे ने सत्ता पर काबिज होने के बाद शिवसेना के लिए भी झंडा बुंलद किया
शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे ने सीएम बनने के बाद पार्टी से नहीं, बल्कि ठाकरे परिवार के खिलाफ भी बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है। एक के बाद एक ऐसे कदम उठा रहे हैं, जिनसे उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। शिंदे अब बालासाहेब ठाकरे के नाम पर दावेदारी कर रहे हैं। इस बात को खुद बागी नेता दीपक केसरकर ने कुछ निजी चैनलों से बातचीत में कहा है। खबर यह भी है कि शिवसेना के चुनाव चिन्ह को भी छीनने की तैयारी शिंदे गुट की तरफ से की जा रही है। इससे उद्धव ठाकरे के खेमे में काफी बेचैनी देखी जा रही है। आलम ये है कि अब उद्धव ठाकरे को अपने पिता के नाम के दुरुपयोग को लेकर चुनाव आयोग से गुहार लगानी पड़ रही है।
बालासाहेब ठाकरे के नाम पर घमासान
इस बीच कुछ समय पहले हुई शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संजय राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे का नाम अगर कोई अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है, तो हमें ये मंजूर नहीं है। उसपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राउत ने कहा कि जो लोग छोड़कर गए हैं। वे शिवसेना के नाम से वोट मत मांगे। अगर मांगते हैं तो अपने खुद के पिता के नाम पर मांगे। शिवसेना के बाप बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट मत मांगे।
People will come to know what actions will be taken against those who have left the party by the evening. The work that CM Uddhav Thackeray has done is commendable. We will all fight the elections under his leadership: Shiv Sena leader Sanjay Raut pic.twitter.com/qJtB2MocWr
— ANI (@ANI) June 25, 2022
शिंदे गुट की नई पार्टी – शिवसेना बालासाहेब ठाकरे !
दरअसल शनिवार (25 जून, 2022) को मुंबई में जब उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी की कार्यकारिणी में ललकार रहे थे तो दूसरी ओर गुवाहाटी में ‘नई शिवसेना’ बनाने की रणनीति तैयार हो रही थी। एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को और “शर्मिंदा” करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अपने गुट का नया नाम दिया है। सूत्रों के मुताबिक शिंदे ने शिवसेना से बगावत करने वाले विधायकों के गुट का नाम “शिवसेना बालासाहेब ठाकरे” रखा है। बताया जा रहा है कि जल्द ही शिंदे समर्थक इस नाम को लेकर रस्मी तौर पर ऐलान कर सकते हैं। शिंदे गुट मान कर चल रहा है कि इसी के जरिए ज्यादा से ज्यादा शिवसैनिक उनके गुट से इमोशनली कनेक्ट होंगे।
‘Shiv Sena Balasaheb’ new group formed by Eknath Shinde camp: Former MoS Home and rebel MLA Deepak Kesarkar to ANI
(File photo) pic.twitter.com/nMOm6UFj7b
— ANI (@ANI) June 25, 2022
#MaharashtraPoliticalCrisis | Huge crowd gathers in support of rebel leader Eknath Shinde outside his residence in Thane pic.twitter.com/IrVBl5jf2g
— NDTV (@ndtv) June 25, 2022