Home विचार मोदी सरकार की संवेदनशीलता की सुगंध जाती है सरहद पार तक

मोदी सरकार की संवेदनशीलता की सुगंध जाती है सरहद पार तक

SHARE

‘अल्लाह के बाद आप ही हमारी आखिरी उम्मीद हैं।‘ पाकिस्तानी नागरिक शाहजैब इकबाल द्वारा भारत सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भेजे गए इस संदेश से साफ पता चलता है कि भारत के मानवीय चेहरे पर पूरे विश्व का विश्वास कितना अधिक मजबूत हुआ है। आज पूरा संसार इस बात को जानता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जहां भारत की छवि दिन पर दिन और अधिक सशक्त होती जा रही है, वहीं उसकी विनम्रता और मानवीय उदारता का भी कहीं कोई सानी नहीं। आज भारत के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए खुले हैं, जो दोस्ती का हाथ बढ़ाता है या फिर मदद की गुहार करता है। चाहे वह समय-समय पर भारत पर असहिष्णुता के मनगढंत आरोप लगाने वाला पाकिस्तान ही क्यों न हो। ऐसी हर आलोचना का जवाब वर्तमान मोदी सरकार द्वारा इस रूप में दिया जा रहा है कि पूरा विश्व भारत का कायल हो जाता है। भारत के इस संवेदनशील पक्ष के उदाहरण एक नहीं, अनेक हैं। यहां हम उन्हीं में से कुछेक की चर्चा कर रहे हैं-

अंधेरों में उम्मीद का चिराग है भारत

हाल ही में पाकिस्तानी नागरिक शाहजैब इकबाल ने अपने भाई के लिवर ट्रांसप्लांट की जानकारी देते हुए भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्विटर के माध्यम से संदेश भेजा था। अपने संदेश में शाहजैब ने अपने भाई की बिगड़ती दशा का हवाला देते हुए भारत सरकार से गुहार की थी कि उसे मानवीय आधार पर चिकित्सकीय वीजा उपलब्ध कराया जाए। ऐसे समय में जब पाकिस्तान की नापाक हरकतों के चलते भारत को उस पर लगातार सख्ती करनी पड़ रही है, किसी के लिए भी यह सबसे आसान होता कि ऐसी गुहारों को अनसुना कर दिया जाए। यहीं वह विशिष्टता उजागर होती है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को सबसे अलग बना देती है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा इस पर तुरंत संज्ञान लिया गया और इस जवाब के साथ शाहजैब को उनके भाई के इलाज के लिए वीजा उपलब्ध कराया गया कि ‘भारत तुम्हें कभी नाउम्मीद नहीं होने देगा।‘

बेहतरीन है भारत की चिकित्सा व्यवस्था

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा अपने पड़ोसी देशों के लिए उदारता बरती गई हो। मानवीय आधार को हर कूटनीति और कड़वाहट से ऊपर रखते हुए मोदी सरकार ने पाकिस्तान के ऐसे अधिकांश मामलों में संवेदनशीलता दिखाई है, जिसमें चिकित्सीय आधार पर मदद मांगी गई है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में लिवर से संबंधित किसी भी बीमारी के इलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इस कारण वहां से इस बीमारी से पीड़ित लोग इलाज के लिए बड़ी संख्या में भारत आते हैं, क्योंकि भारत में इस रोग के उपचार की बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रभावी चिकित्सा व्यवस्था के अतिरिक्त यहां इसके उपचार पर आने वाला खर्च भी काफी कम होता है।

मासूम को भारत में मिला नया जीवन

शाहजैब इकबाल के भाई के लिवर ट्रांसप्लांट के अतिरिक्त भी ऐसे अनेक मामले हैं, जिनमें इलाज के लिए पाकिस्तान से भारत आने के लिए आवेदन करने वालों को बड़ी संख्या में सहायता उपलब्ध कराई गई है। चाहे वह पाकिस्तानी युवती सादिया का अपनी मां के लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मेडिकल वीजा देने की बात हो या हीरा अजहर के पिता का लिवर ट्रांसप्लांट। यहां तक कि चार महीने के बच्चे के पिता काशिफ की मदद के लिए की मांगी गई मदद का जवाब इतनी तत्परता से दिया गया, ताकि उस मासूम के इलाज में जरा भी देरी न हो, क्योंकि उस बच्चे की दवा तक खत्म हो रही थी। इस मामले में जरा सी भी देरी से उस बच्चे का जीवन संकट में पड़ सकता था। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि मोदी सरकार की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ममता से वशीभूत होकर इस बच्चे को सर्जरी के बाद उसे देखने स्वयं अस्पताल जा पहुंची। उनके इस कदम से यह पाकिस्तानी दंपति इतना अधिक द्रवित हो गया कि अपने को यह कहने से नहीं रोक पाया कि ‘आज अगर हमारे बच्चे का दिल धड़क रहा है तो यह सिर्फ आप के कारण ही मुमकिन हुआ है।’

पड़ोस तक जाए उजाला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा इस बात को अपने कार्यों द्वारा सिद्ध किया है कि पड़ोसियों के घर में यदि अंधेरा छाया हो तो अपने घर की दिवाली भी अधूरी लगती है। इसके चलते ही दिवाली के अवसर पर मोदी सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा यह घोषणा की गई कि इस दिन पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग द्वारा सभी जरूरतमंदों को मेडिकल वीजा उपलब्ध कराया जाएगा। यह उन पाकिस्तानी नागरिकों के लिए एक अनमोल सौगात थी, जो  गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं और जिन्हें पल-पल तकलीफ से तड़पते देखकर उनके घरवाले भी तिल-तिल कर मरते हैं।

फितरत से मजबूर पाकिस्तान

इतना होने के बावजूद पाकिस्तानी सरकार हर समय या तो भारत द्वारा उठाए जाते रहे कदमों की आलोचना करती रही है या उपहास। जिस समय पाकिस्तान भारत पर यह आरोप लगा रहा था कि भारत इलाज पर भी कूटनीति कर रहा है और पर्याप्त मात्रा में मेडिकल वीजा नहीं उपलब्ध करा रहा है। ठीक उसी समय भारत में ऐसे चार पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा देने की प्रक्रिया जारी थी, जो कि तीन दिन बाद ही उन्हें जारी कर दिए गए थे। शायद पाकिस्तान इस बात को हमेशा भुला देता है कि भारत लाशों की राजनीति नहीं करता।

बेटियों के लिए नहीं है कोई सरहद

मानव और मानवता का दर्जा भारत की नजर में सबसे ऊंचा है। इस बात का बहुत बड़ा उदाहरण पूरे विश्व ने उस समय देखा था, जब चंडीगढ़ में आयोजित ‘ग्लोबल यूथ फेस्टिवल’ में भाग लेने के लिए 19 लड़कियां भारत आई थीं। उसी दौरान पाकिस्तान की नापाक हरकतों का जवाब देते हुए भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई की गई थी। इतने तनावपूर्ण माहौल में भी भारत ने उन बच्चियों की सुरक्षा पर जरा भी आंच तक नहीं आने दी। उन्हें न केवल अतिरिक्त सुरक्षा उपलब्ध कराई गई, बल्कि उनकी सकुशल घर-वापसी भी सुनिश्चित की गई। उनके साथ ही भारत सरकार की विदेश मंत्री का यह संदेश भी सरहद पार पहुंचा कि ‘बेटियों के लिए कोई सरहद नहीं होता। बेटियों का ताल्लुक सब से होता है।‘ तब एक पाकिस्तानी युवती ने तो यहां तक कह दिया था कि यदि आप पाकिस्तान की प्रधानमंत्री होतीं तो पाकिस्तान की समस्याएं बहुत पहले हल हो गई होतीं।

हर मौके पर बढ़ाया दोस्ती का हाथ

नरेन्द्र मोदी अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाने के प्रति हमेशा से कितने प्रयत्नशील रहे हैं, इस बात को समझने के लिए उनके कार्यों की संक्षिप्त समीक्षा ही काफी है। अपने शपथ ग्रहण समारोह में अनेक पड़ोसी राष्ट्रों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी आमंत्रित करके नरेन्द्र मोदी ने दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया था। यहां तक कि अफगानिस्तान से भारत लौटते हुए बीच में ही नवाज शरीफ के घर पहुंचकर उन्होंने पूरे विश्व को घोर आश्चर्य में डाल दिया था। यह न केवल एक सद्भावनापूर्ण दौरा था, बल्कि एक अत्यंत साहसिक कदम भी था। पिछले 10 सालों में यह पहला मौका था, जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री पाकिस्तान गया हो और जिस ढंग से वे वहां गए, उसकी मिसाल तो ढूंढ़े नहीं मिलेगी। उन्होंने यह साबित कर दिया था कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ औपचारिक नहीं, बल्कि आत्मीय संबंध बनाने में विश्वास करता है। फिर भी इन तमाम कोशिशों का पाकिस्तान द्वारा क्या जवाब दिया गया, यह पूरी दुनिया जानती है।

अपनों का हमेशा थामा है हाथ

इन सभी मामलों के अलावा भी उजमा मामले में भी भारत का यही चेहरा सामने आया था। उजमा की पाकिस्तान यात्रा के दौरान वहां बंदूक की नोंक पर एक व्यक्ति ने उस से जबर्दस्ती शादी कर ली थी। पेशे से डॉक्टर इस भारतीय नागरिक ने अपनी स्थिति बताते हुए पाकिस्तान में स्थित भारतीय उच्चायोग से मदद की गुहार की थी। अथक प्रयासों द्वारा उजमा को देश वापस लाया गया। उजमा की स्थिति देख कर यह साफ पता चल रहा था कि उसके साथ जो कुछ हुआ, वह किसी भयानक सपने से कम नहीं था। उसकी जिंदगी आज अगर सही-सलामत उसे वापस मिली है तो यह केवल भारत सरकार के प्रयासों के कारण ही संभव हो पाया।

भारतीय परंपरा का गौरव बढ़ाने वाले और इस विरासत को निरंतर आगे बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी भारत की मानवीयता का वह चेहरा हैं, जो प्यार और प्रहार दोनों का जवाब उसी ढंग से देने में सक्षम हैं। यह और बात है कि वे दुश्मन को भी गले लगाने का हुनर जानते हैं।

Leave a Reply