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पूर्व मेजर जनरल के नाम पर झूठ फैलाते पकड़े गए द प्रिंट के विवादास्पद संपादक शेखर गुप्ता

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प्रोपगेंडा पत्रकार शेखर गुप्ता ने अपनी वेबसाइट ‘द प्रिंट’ से एक बार फिर फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की। शेखर गुप्ता ने 23 जुलाई को द प्रिंट में Dropping lightweight tanks in Ladakh not enough. India’s forces need to be made more lethal शीर्षक से एक आर्टिकल प्रकाशित किया। द प्रिंट में दावा किया गया कि पूर्व मेजर जनरल बीएस धनोआ का कहना है कि लद्दाख में सिर्फ हल्के टैंक तैनात करना पर्याप्त नहीं है, यहां सेना को और अधिक घातक बनाने की जरूरत है। चीन के साथ तनाव के बीच वेबसाईट व्यूज बढ़ाने के लिए शेखर गुप्ता ने इस फेक न्यूज का सहारा लेकर सनसनी फैलाने की कोशिश की। फेक न्यूज फैलाने में माहिर शेखर गुप्ता ने ORF की वेबसाइट पर एक दिन पहले प्रकाशित बीएस धनोआ के आलेख Why Ladakh needs tanks को टाइटल बदलकर अपने यहां प्रकाशित किया। और ट्वीट कर सरकार को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन बीएस घनोआ ने उन्हें तगड़ी फटकार लगाई।

द प्रिंट का पाखंड- हर हाल में मोदी विरोध है इनका एजेंडा
शेखर गुप्ता अपनी वेबसाइट द प्रिंट से अक्सर इस तरह का नैरेटिव पेश करने की कोशिश करते है कि लोगों के मन में मोदी सरकार के प्रति गलत धारणा पैदा हो। ‘द प्रिंट’ में हाल ही में 2 मई को कोरोना को लेकर प्रकाशित खबर में कहा गया कि स्थिति सामान्य है, फिर भी सब कुछ बंद है, लॉकडाउन है।

इसी द प्रिंट ने 9 जून को लिखा कि देश को बहुत जल्द अनलॉक किया जा रहा है।

एक जगह लॉकडाउन करने का विरोध, दूसरी जगह लॉकडाउन में राहत देने का विरोध। हर हाल में मोदी विरोध ही इनका एजेंडा है। क्या आपने इससे बड़ा पाखंडी देखा है-

इसके पहले प्रोपगेंडा पत्रकार शेखर गुप्ता ने 30 मार्च को वेबसाइट ‘द प्रिंट’ से फेक न्यूज फैलाने की कोशिश की। द प्रिंट में दावा किया गया कि मोदी सरकार कोरोना वायरस लॉकडाउन को 14 अप्रैल के बाद भी कुछ हफ्तों के लिए बढ़ा सकती है। ‘Modi govt could extent coronavirus lockdown by a week a migrant exodus triggers alarm’ शीर्षक की ‘एक्सक्लूसिव’ रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली एनसीआर से पलायन संकट के कारण लॉकडाउन को एक हफ्ते बढ़ाया जा सकता है।

प्रसार भारती ने इस बारे में जब इस दावे पर सरकार से बात की तो कहा गया कि इस तरह की कोई योजना नहीं है और ये सरासर गलत खबर है।

कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने कहा कि लॉकडाउन बढ़ाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि केंद्र सरकार के पास अभी ऐसी कोई योजना नहीं है। ऐसी खबरों को देखकर हैरानी होती है। सरकार की अभी लॉकडाउन बढ़ाने की कोई योजना ही नहीं है।


द प्रिंट इससे पहले भी कई बार फेक खबर फैलाने की कोशिश कर चुकी है। इस फेक न्यूज को लेकर जब थू-थू होने लगी तो प्रिंट ने अपनी खबर वेबसाइट से डिलीट कर दी।

‘द प्रिंट’ का एक और कारनामा
तथाकथित सेक्युलर और बुद्धिजीवी मीडिया और इससे जुड़े लोग लगातार धर्म और जाति के नाम पर देश को बांटने का काम कर रहे हैं। इस मामले में द प्रिंट न्यूज बेवसाइट काफी आगे हैं। द प्रिंट ने Hindi news anchors such as Rubika Liyaquat and Sayeed Ansari are like Muslim leaders of BJP हेडलाइन से एक खबर प्रकाशित की। इस लेख के जरिए समाज को धर्म और जाति के नाम पर बांटने की भरपूर कोशिश की गई।

लेख की शुरूआत में लिखा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में न्यूज मीडिया के लिए रिपोर्टिंग करना एक मुश्किल और जोखिम भरा काम है। इसमें संक्रमण होने का पूरा खतरा है, फिर भी कई रिपोर्टर जान जोखिम में डालकर अपनी पेशेवर जिम्मेदारी निभा रहे हैं, लेकिन पत्रकारिता के पेशे में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी जान तो जोखिम में नहीं डाल रहे हैं लेकिन वे हर दिन पेशेवर कारणों से अपनी अंतरात्मा, अपने जमीर और वजूद को खतरे में डाल रहे रहे/रही हैं और उसे बचाने की कोशिश कर रहे/रही हैं या मान चुके/चुकी हैं कि ये मुमकिन नहीं है। 

इस लेख में ये कहने की कोशिश की गई है कि आखिर मुसलमान होते हुए भी रोमाना इसार खान, रुबिका लियाकत और सईद अंसारी जैसे मुस्लिम एंकर्स कैसे अपने ही समुदाय को खबरें प्रसारित कर निंदा करते हैं और कहीं न कहीं ये सब ये लोग मजबूरी में करते हैं। 

द प्रिंट की इस खबर का रुबिका लियाकत ने तीखी निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मुझे विक्टिम कार्ड वाले एजेंडा में फ़िट न पा कर, भाई लोगों को काफी दुख हो रहा है। मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग ऐसे रखा जाता है। हिंदुस्तान में मुसलमान ख़ुद को बेचारा और डरा हुआ बताए तभी इन जैसों का हीरो बना पाता है। @ThePrintIndia अपनी दुकान कहीं और सजाना..

एएनआई की पत्रकार स्मिता प्रकाश ने भी इस लेख की निंदा की है और लिखा है कि आगे क्या? हिन्दू एंकर, जैन एंकर, बौद्ध एंकर, सिख एंकर और फिर इसके बाद किस जाति के एंकर और फिर नार्थ, साउथ, वेस्ट और ईस्ट इंडिया के एंकर !

आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है कि इन लोगों ने मनगढ़त और गलत खबरें फैलाकर देश को बदनाम करने की कोशिश की हो। 

सेना ने किया इमरजेंसी की अफवाहों का खंडन
भारतीय सेना को ट्वीट के जरिये सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही उन अफवाहों का खंडन करना पड़ा, जिसमें कहा गया था कि अप्रैल के मध्य में इमरजेंसी की घोषणा कर दी जाएगी। सेना ने साफ किया है कि सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा ये वायरल मैसेज पूरी तरह से गलत और दुर्भावनापूर्ण है।

‘द वायर’ ने फैलाया सीएम योगी का झूठा बयान
‘द वायर’ जैसे प्रोपेगेंडा पोर्टल्स इस आपदा काल में भी अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। ताज़ा मामला ‘द वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन का है, जिसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में फेक न्यूज़ फैलाई है। तबलीगी जमात को बचाने के लिए तड़पते ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ चलाया कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के एमडीए सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने सिद्धार्थ वरदराजन की ये चोरी पकड़ ली और उन्हें जम कर फटकार लगाई। उन्होंने ‘द वायर’ और उसके संस्थापक पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने कभी कोई ऐसी बात कही ही नहीं है, जैसा कि लेख में दावा किया गया है। उन्होंने सिद्धार्थ को चेताया कि अगर उन्होंने अपनी इस फेक न्यूज़ को तुरंत डिलीट नहीं किया तो कार्रवाई की जाएगी और उन पर मानहानि का मुकदमा भी चलाया जाएगा। साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए ये भी कहा कि कार्रवाई के बाद वेबसाइट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी सिद्धार्थ वरदराजन को डोनेशन माँगना पड़ जाएगा।


वैष्णों देवी में श्रद्धालुओं के फंसे होने की झूठी खबर
इसी तरह सोशल मीडिया पर ऐसी फैलाई जा रही हैं कि वैष्णो देवी तीर्थ में करीब 400 श्रद्धालु फंसे हुए हैं। जब पीआईपी की फैक्टचेक टीम ने इस खबर की जांच की तो पाया कि यह पूरी तरह झूठी खबर है। पीआईबी ने ट्वीटकर बताया कि कोई भी श्रद्धालु कटरा या वैष्णो देवी तीर्थ में नहीं फंसा हुआ है। यात्रा को लॉकडाउन होने से बहुत पहले, 18 मार्च को ही रोक दिया गया था।

सिर्फ आधिकारिक खबर साझा करने की झूठी खबर
गृहमंत्रालय के हवाले से सोशल मीडिया पर खबर फैलायी गई कि कोरोना वायरस के बारे में केवल सरकारी एजेंसियां खबर पोस्ट कर सकती हैं। जब इस खबर की पड़ताल की गई, तो पता चला कि गृह मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।

‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक ने फैलायी झूठी खबर
इसी तरह कथित फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने फेक अकाउंट को रीट्वीट कर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। एक ट्विटर अकाउंट जो कई दिनों से बंद पड़ा हुआ था। उस ट्विटर अकाउंट से अचानक से एक वीडियो ट्वीट किया जाता है, जिसमें एक महिला डॉक्टर बताती है कि किस तरह डॉक्टरों को सरकार द्वारा कुछ भी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। वो बताती हैं कि उसने जो मास्क पहना हुआ है, वो काफ़ी पुराना है और उसे बार-बार धो कर उसे पहनना पड़ रहा है। वो डॉक्टर बताती हैं कि वो एक सप्ताह से यही मास्क पहन रही हैं। इस ट्वीट का सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया था, वह अकाउंट किसी पुरुष के नाम पर था, जिसका हैंडल है- विक्रमादित्य। पहले नाम भी किसी पुरुष का था लेकिन इसको वायरल करने के लिए इसे किसी महिला के नाम पर बना दिया गया।
हैदराबाद में हुए सड़क हादसे को लॉकडाउन से जोड़ा गया
28 मार्च को हैदराबाद के बाहरी इलाके में हुए एक सड़क हादसे में 8 मजदूरों की मौत हो गई। लॉरी मजदूरों को कर्नाटक में उनके गांवों में ले जा रही थी। 31 मजदूर कर्नाटक के रायचूर जिले में अपने गांव लौट रहे थे। यह एक सामान्य सड़क हादसा था, लेकिन इस हादसे को भी लॉकडाउन से जोड़ दिया गया।
झूठ बोलते हुए पकड़ा गया टाइम्स ऑफ इंडिया का पत्रकार 
बरेली में टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार कंवरदीप सिंह ने ट्वीट के जरिए जिला प्रशासन से सवाल किया कि स्प्रे के जरिए कोरोना को मारने की कोशिश हो रही है या लोगों को ? कंवरदीप के बाद अवॉर्ड वापसी और लिबरल गैंग सक्रिय हो गया। इस मामले को मजदूर विरोधी बताकर मोदी और योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की गई। हालांकि कई ट्विटर यूजर्स ने कंवरदीप पर खबर को सनसनीखेज बनाने का आरोप लगाया। साथ ही ट्वीट कर बताया कि इस तरह के स्प्रे का इस्तेमाल कुछ ही दिन पहले केरल में किया गया था। लेकिन किसी ने इस पर कोई सवाल नहीं उठाया था, क्योंकि वहां पर लेफ्ट की सरकार है।

 

 

 

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