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कर्तव्य पथ भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग, इसी पथ पर चलते हुए देश ने कई ऐसे निर्णय लिए हैं, जिनमें नेताजी के आदर्श और सपने समाहित-PM Modi

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि गुरूवार को कर्तव्य पथ से देश को संबोधित करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सपनों और महाकवि भरतियार ने जिस भारत का अपनी एक कविता में वर्णन किया है, हमें उस सर्वश्रेष्ठ भारत का निर्माण करना है और उसका रास्ता कर्तव्य पथ से होकर ही जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में हमने एक के बाद एक ऐसे कई निर्णय लिए हैं, जिनमें नेताजी के आदर्श और सपने समाहित हैं। देश की नीतियों और निर्णयों में सुभाष बाबू की छाप रहे, इसके लिए कर्तव्य पथ पर उनकी भव्य प्रतिमा हमेशा प्रेरणास्रोत बनेगी। इस मौके पर पीएम मोदी ने श्रमिकों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि श्रमिक साथियों ने कर्तव्य पथ को बनाया ही नहीं, बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से देश को कर्तव्य पथ दिखाया भी है।

भारत का गौरवमयी इतिहास हर भारतीय के खून में है, उसकी परंपराओं में है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के अनावरण के बाद उनको याद करते हुए कहा कि सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे जो पद और संसाधनों की चुनौती से परे थे। उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि, पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था। नेताजी सुभाष कहा कहते थे- भारत वो देश नहीं जो अपने गौरवमयी इतिहास को भुला दे। भारत का गौरवमयी इतिहास हर भारतीय के खून में है, उसकी परंपराओं में है। नेताजी सुभाष भारत की विरासत पर गर्व करते थे और भारत को जल्द से जल्द आधुनिक भी बनाना चाहते थे। अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता!नेताजी की ऊर्जा देश का पथ-प्रदर्शन करे, नेताजी की प्रतिमा इसका माध्यम बनेगी
पीएम मोदी ने कहा कि लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया। उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया। सुभाष बाबू के 125वें जयंती वर्ष के आयोजन के अवसर पर मुझे कोलकाता में उनके घर जाने का सौभाग्य मिला था। नेताजी से जुड़े स्थान पर उनकी जो अनंत ऊर्जा थी, मैंने उसे महसूस किया है। आज देश का प्रयास है कि नेताजी की वो ऊर्जा देश का पथ-प्रदर्शन करे। कर्तव्यपथ पर नेताजी की प्रतिमा इसका माध्यम बनेगी। देश की नीतियों और निर्णयों में सुभाष बाबू की छाप रहे, ये प्रतिमा इसके लिए प्रेरणास्रोत बनेगी।सरकार के कई निर्णयों और नीतियों पर नेताजी के आदर्शों और सपनों की छाप
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में हमने एक के बाद एक ऐसे कितने ही निर्णय लिए हैं, जिन पर नेता जी के आदर्शों और सपनों की छाप है। नेताजी सुभाष, अखंड भारत के पहले प्रधान थे जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था। उस वक्त उन्होंने कल्पना की थी कि लालकिले पर तिरंगा फहराने की क्या अनुभूति होगी। इस अनुभूति का साक्षात्कार मैंने स्वयं किया, जब मुझे आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष होने पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि हमारी ही सरकार के प्रयास से लालकिले में नेता जी और आजाद हिन्द फौज से जुड़ा म्यूज़ियम भी बनाया गया है।

गुलामी की निशानियों को मिटाकर द्वीपों को नेताजी से जोड़कर भारतीय नाम दिए
पीएम मोदी ने कहा कि मैं वो दिन भूल नहीं सकता जब 2019 में गणतन्त्र दिवस की परेड में आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों ने भी हिस्सा लिया था। इस सम्मान का उन्हें दशकों से इंतजार था। अंडमान में जिस स्थान पर नेताजी ने तिरंगा फहराया था, मुझे वहां भी जाने का, तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला है। वो क्षण हर देशवासी के लिए गर्व का क्षण था। अंडमान के वो द्वीप, जिसे नेताजी ने सबसे पहले आजादी दिलाई थी, वो भी कुछ समय पहले तक गुलामी की निशानियों को ढोने के लिए मजबूर थे! आज़ाद भारत में भी उन द्वीपों के नाम अंग्रेजी शासकों के नाम पर थे। हमने गुलामी की उन निशानियों को मिटाकर इन द्वीपों को नेताजी सुभाष से जोड़कर भारतीय नाम दिए, भारतीय पहचान दी।मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश ने अपने लिए ‘पंच प्राणों का विजन रखा है। इन पंच प्राणों में विकास के बड़े लक्ष्यों का संकल्प है, कर्तव्यों की प्रेरणा है। इसमें गुलामी की मानसिकता के त्याग का आवाहन है, अपनी विरासत पर गर्व का बोध है। आज भारत के संकल्प और लक्ष्य अपने हैं। हमारे पथ और प्रतीक अपने हैं। इसीलिए राजपथ का अस्तित्व समाप्त हुआ है और कर्तव्य पथ बना है। आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति हटाकर नेताजी की भव्य प्रतिमा लगी है, तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक, निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है।

अब भारतवर्ष गुलामी की मानसिकता वाले सारे प्रतीकों का परित्याग कर रहा है
पीएम मोदी ने कहा कि देश गुलामी के छोटे से छोटे प्रतीकों को भी त्याग रहा है। देश के प्रधानमंत्री जहां रहते आए हैं, उस जगह का नाम रेस कोर्स रोड से बदलकर लोक-कल्याण मार्ग हो चुका है। हमारे गणतन्त्र दिवस समारोह में अब भारतीय वाद्य यंत्रों की भी गूंज सुनाई देती है। Beating Retreat Ceremony में, अब देशभक्ति से सराबोर गीतों को सुनकर हर भारतीय आनंद से भर जाता है। अभी हाल ही में, भारतीय नौसेना ने भी गुलामी के निशान को उतारकर, छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रतीक को धारण कर लिया है। नेशनल वॉर मेमोरियल बनाकर देश ने, समस्त देशवासियों की बरसों पुरानी इच्छा को भी पूरा किया है।अंग्रेजों के जमाने के क़ानूनों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बदलाव
उन्होंने कहा कि ये बदलाव केवल प्रतीकों तक ही सीमित नहीं है, ये बदलाव देश की नीतियों का भी हिस्सा बन चुका है। आज देश अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सैकड़ों क़ानूनों को बदल चुका है। भारतीय बजट, जो इतने दशकों से ब्रिटिश संसद के समय का अनुसरण कर रहा था, उसका समय और तारीख भी बदली गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए अब विदेशी भाषा की मजबूरी से भी देश के युवाओं को आजाद किया जा रहा है। यानी, आज देश का विचार और देश का व्यवहार दोनों गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो रहे हैं। ये मुक्ति हमें विकसित भारत के लक्ष्य तक लेकर जाएगी।कर्तव्य पथ भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग
पीएम मोदी ने कहा कि महाकवि भरतियार ने भारत की महानता को लेकर तमिल भाषा में बहुत ही सुंदर कविता लिखी थी। ये कविता हर भारतीय को गर्व से भर देने वाली है, जो बताती है कि हमारा देश भारत, पूरे विश्व में सबसे महान है। जिस भारत का वर्णन महाकवि भरतियार ने अपनी एक कविता में किया है, हमें उस सर्वश्रेष्ठ भारत का निर्माण करना है और उसका रास्ता कर्तव्य पथ से होकर ही जाता है। उन्होंने कहा कि कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है। ये भारत के लोकतान्त्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। यहाँ जब देश के लोग आएंगे, तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वार मेमोरियल, ये सब उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे!

राजपथ की भावना गुलामी का प्रतीक, आज आर्किटैक्चर से साथ-साथ आत्मा भी बदली है
पीएम मोदी ने कहा कि राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज इसका आर्किटैक्चर भी बदला है, और इसकी आत्मा भी बदली है। अब देश के सांसद, मंत्री, अधिकारी जब इस पथ से गुजरेंगे तो उन्हें कर्तव्यपथ से देश के प्रति कर्तव्यों का बोध होगा, उसके लिए ऊर्जा मिलेगी। नेशनल वॉर मेमोरियल से लेकर कर्तव्यपथ से होते हुए राष्ट्रपति भवन का ये पूरा क्षेत्र उनमें Nation First, राष्ट्र प्रथम की भावना का प्रवाह करेगा।डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी उतनी ही तेजी से काम
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारे पास कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर के ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि एक राष्ट्र के तौर पर हमारी संस्कृति क्या है, हमारे मूल्य क्या हैं और हम कैसे इन्हें सहेज रहे हैं। हमारे व्यवहार में, हमारे साधनों में, हमारे संसाधनों में, हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर में, आधुनिकता इस अमृतकाल का प्रमुख लक्ष्य है। जब हम इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं तो अधिकतर लोगों के मन में पहली तस्वीर सड़कों या फ्लाईओवर की ही आती है। लेकिन आधुनिक होते भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार इससे बहुत बड़ा है। आज भारत सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी उतनी ही तेजी से काम कर रहा है।देश में नई IIT’s, ट्रिपल आईटी, वैज्ञानिक संस्थाओं का आधुनिक नेटवर्क हो रहा है तैयार
पीएम मोदी ने सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर का उदाहरण देते हुए कहा कि आज देश में एम्स की संख्या पहले के मुकाबले तीन गुना हो चुकी है। मेडिकल कॉलेजों की संख्या में भी 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आज देश में नई IIT’s, ट्रिपल आईटी, वैज्ञानिक संस्थाओं का आधुनिक नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। बीते तीन वर्षों में ही साढ़े 6 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घरों को पाइप से पानी की सप्लाई सुनिश्चित की गई है। आज देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का महाअभियान भी चल रहा है। देश का ये सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक न्याय को और समृद्ध कर रहा है।

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में भारत आज विश्व के अग्रणी देशों में शामिल
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर आज भारत जितना काम कर रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। आज एक तरफ देशभर में ग्रामीण सड़कों का रिकॉर्ड निर्माण हो रहा है तो वहीं रिकॉर्ड संख्या में आधुनिक एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं। आज देश में तेजी से रेलवे का इलेक्ट्रीफिकेशन हो रहा है तो उतनी ही तेजी से अलग-अलग शहरों में मेट्रो का भी विस्तार हो रहा है। आज देश में अनेकों नए एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं तो वॉटर वे की संख्या में भी अभूतपूर्व वृद्धि की जा रही है। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में तो भारत, आज पूरे विश्व के अग्रणी देशों में है। डेढ़ लाख से ज्यादा पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाना हो, डिजिटल पेमेंट के नए रिकॉर्ड हों, भारत की डिजिटल प्रगति की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है।काशी-केदारनाथ-सोमनाथ से लेकर करतारपुर साहिब कॉरिडोर तक हुए हैं अभूतपूर्व काम
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के इन कार्यों के बीच, भारत में कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर पर जो काम किया गया है, उसकी उतनी चर्चा नहीं हो पाई है। प्रसाद स्कीम के तहत देश के अनेको तीर्थस्थलों का पुनुरुद्धार किया जा रहा है। काशी-केदारनाथ-सोमनाथ से लेकर करतारपुर साहिब कॉरिडोर तक के लिए जो कार्य हुआ है, वो अभूतपूर्व है। जब हम कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं तो उसका मतलब सिर्फ आस्था की जगहों से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है। इंफ्रास्ट्रक्चर, जो हमारे इतिहास से जुड़ा हुआ हो और हमारे राष्ट्र नायकों और राष्ट्रनायिकाओं से जुड़ा हो।सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के साथ ही सभी मेमोरियल कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर के उदाहरण
पीएम मोदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हो या फिर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित म्यूजियम, पीएम म्यूजियम हो या फिर बाबा साहेब आंबेडकर मेमोरियल, नेशनल वॉर मेमोरियल हो या फिर नेशनल पुलिस मेमोरियल ये सब कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर के उदाहरण हैं। ये बताते हैं कि एक राष्ट्र के तौर पर हमारी संस्कृति क्या है, हमारे मूल्य क्या हैं, और कैसे हम इन्हें सहेज रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि आज कर्तव्यपथ के रूप में देश को कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और बेहतरीन उदाहरण मिल रहा है। यहाँ की ऊर्जा आपको हमारे विराट राष्ट्र के लिए एक नया विज़न देगी, एक नया विश्वास देगी।

 

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