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आज भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का Bright Spot कहा जा रहा है- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आज भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का Bright Spot कहा जा रहा है। 7 मार्च को ‘विकास अवसरों की रचना के लिए वित्तीय सेवाओं की दक्षता बढ़ाना’ पर बजट बाद वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी के दौरान भारत की वित्तीय और मौद्रिक नीति के प्रभाव को देख रही है। वह पिछले नौ वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्त्वों की मजबूती के लिए सरकार के प्रयासों को श्रेय देती है। उस समय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि एक समय था जब भारत पर भरोसा करने से पहले भी सौ बार सोचा जाता था। हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत को आज वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रकाश-पुंज (Bright Spot) कहा जाने लगा है।” उन्होंने कहा कि भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है और भारत ने वर्ष 2021-22 में सर्वाधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित किया है। इस निवेश का बड़ा हिस्सा निर्माण सेक्टर में लग रहा है। उन्होंने जोर दिया कि पीएलआई योजना का लाभ उठाने के लिये लगातार आवेदन आ रहे हैं, जो भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का अहम हिस्सा बनाते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत नई क्षमताओं के साथ आगे बढ़ रहा है और जो लोग भारत के वित्तीय जगत में कार्यरत हैं, उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि दुनिया में भारत के पास मजबूत वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली है, जो आठ-दस वर्ष पहले ढहने की कगार पर थी, लेकिन अब लाभ अर्जित कर रही है। इसके अलावा ऐसी सरकार है जो साहस, स्पष्टता और आत्मविश्वास के साथ नीतिगत निर्णय ले रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “समय की मांग है कि भारत की बैंकिंग प्रणाली की शक्ति के लाभ अधिकतम लोगों तक पहुंचें।” उन्होंने कहा, “एक करोड़ 20 लाख एमएसएमई को महामारी के दौरान सरकार की तरफ से काफी मदद मिली है। इस साल के बजट में एमएसएमई सेक्टर को बगैर जमानत के दो लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण दिया गया है। अब यह जरूरी है कि हमारे बैंक उन तक पहुंच बनायें और उनका समुचित वित्तपोषण करें।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मुद्रा ऋण प्रदान करके करोड़ों युवाओं के सपनों को पूरा किया है। पहली बार, 40 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे दुकानदारों को पीएम स्वनिधि योजना के जरिए बैंकों से कर्ज लेने में मदद मिली है। उन्होंने हितग्राहियों का आह्वान किया कि वे सभी प्रक्रियाओं को दोबारा दुरुस्त करें, ताकि लागत में कमी और ऋण प्रक्रिया में तेजी आए, जिससे वह छोटे उद्यमियों तक जल्द से जल्द पहुंच सके।

‘वोकल फॉर लोकल’ के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पसंद का मामला नहीं है, बल्कि “वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता की परिकल्पना राष्ट्रीय दायित्व है।” उन्होंने देश में वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता के प्रति जबरदस्त उत्साह की चर्चा की और कहा, “हमारा निर्यात सर्वोच्च बिंदु पर है, फिर चाहे वह माल हो या सेवाएं।” उन्होंने कहा, “हमें देखना होगा कि ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जहां हम भारत में ही क्षमता निर्माण करके देश का पैसा बचा सकते हैं।” उन्होंने इस सिलसिले में उच्च शिक्षा और खाद्य तेल का उदाहरण दिया, जहां बहुत पैसा लग जाता है।

पीएम गतिशक्ति मास्टर-प्लान द्वारा आने वाली गतिशीलता का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि जरूरत इस बात की है कि निजी सेक्टर को समर्थन दिया जाये, ताकि विभिन्न भौगोलिक इलाकों और आर्थिक सेक्टरों में प्रगति हो सके। उन्होंने कहा, “आज मैं देश के निजी सेक्टर का आह्वान करूंगा कि उन्‍हें उसी तरह अपना निवेश बढ़ाना चाहिये, जिस तरह सरकार करती है, ताकि देश को उससे अधिकतम फायदा मिल सके।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत के विपरीत, भारत में करों के बोझ में काफी कमी आई है, जिसका कारण जीएसटी, आयकर और कारपोरेट कर में कटौती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका नतीजा बेहतर कर संकलन में देखा जा सकता है। वर्ष 2013-14 में कुल कर राजस्व लगभग 11 लाख करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में 33 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है। इस तरह इसमें 200 प्रतिशत की वृद्धि हो जायेगी। व्यक्तिगत टैक्स रिटर्न की संख्या भी बढ़ी है। जहां वर्ष 2013-14 में यह संख्या 3.5 करोड़ थी, वह 2020-21 में बढ़कर 6.5 करोड़ हो गई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय प्रतिभाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर और इनोवेशन को लेकर भारतीय वित्तीय प्रणाली को शिखर पर ले जा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने जी-ई-एम, डिजिटल लेन-देन के उदाहरण देते हुए कहा, “उद्योग 4.0 के इस दौर में भारत आज जिस तरह के प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है, वह पूरी दुनिया के लिये आदर्श बन रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी के इस 75वें वर्ष में, 75 हजार करोड़ लेन-देन डिजिटल रूप से किए गए, जिससे पता चलता है कि यूपीआई का दायरा कितना विशाल हो गया है। उन्होंने कहा, “रूपे और यूपीआई न केवल सस्ती और अत्यंत सुरक्षित प्रौद्योगिकी है, बल्कि दुनिया में हमारी पहचान भी है। उसमें नवाचार की अपार संभावनाए हैं। यूपीआई को पूरी दुनिया के लिए वित्तीय समावेश और सशक्तिकरण का माध्यम बनना चाहिए और इसके लिए हमें सामूहिक रूप से काम करना होगा। मेरा सुझाव है कि हमारे वित्तीय संस्थानों को अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए फिन-टेक के साथ ज्यादा से ज्यादा साझीदारी करनी चाहिए।”

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि कभी-कभार छोटे-छोटे कदम भी बहुत ज्‍यादा फर्क पैदा कर सकते हैं। उन्होंने बिना रसीद के सामान खरीदने का उदाहरण दिया। बिल नहीं लेने के बारे में आमतौर पर ही महसूस होता है कि इसमें कोई नुकसान नहीं है, इसी का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि बिल की प्रति लेने के प्रति जागरूरता बढ़ाने की जरूरत है, जो अंततः देश को ही फायदा पहुंचायेगा। उन्होंने कहा, “हमें लोगों को बस ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की जरूरत है।”

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