प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से देश में प्रति व्यक्ति सालाना आय पिछले आठ साल में दोगुनी हुई है। यह देश की समृद्धि का द्योतक है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के समय 2014-15 में नॉमिनल टर्म में देश में सालाना प्रति व्यक्ति आय 86,647 रुपये थी, जिसके 2022-23 में मौजूदा कीमतों पर दोगुनी (99 फीसदी) बढ़कर 1.72 लाख पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, आय में असमान वितरण यानी अमीरों व गरीबों के बीच खाई अब भी चुनौती बनी हुई है। लेकिन पीएम मोदी इस खाई को पाटने के काम में जुटे हुए हैं। यही वजह है पीएम मोदी का गरीबों की समृद्धि पर विशेष जोर है और वंचितों को वरीयता दी जा रही है। सरकार ने गरीबों का जीवन आसान बनाने के लिए कई पहल की है जिसमें रसोई गैस, नल से जल, शौचालय, आवास, बिजली, स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान भारत, जनऔषधि जैसी योजनाएं शामिल हैं।
भारत में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी होकर 1.72 लाख रुपये
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी एनएसओ (NSO) क आंकड़ों के मुताबिक नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से (2014-15) भारत की प्रति व्यक्ति आय नॉमिनल टर्म में वर्तमान मूल्य के लिहाज से दोगुनी होकर 1,72,000 रुपये हो गई है। 2014-15 में देश में सालाना प्रति व्यक्ति आय 86,647 रुपये थी।
कोरोना महामारी के समय प्रति व्यक्ति आय में आई थी गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक, स्थिर कीमतों (रियल टर्म) पर प्रति व्यक्ति आय 2014-15 के 72,805 रुपये से 35 फीसदी बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 98,118 रुपये के स्तर पर पहुंच गई। आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना महामारी की शुरुआत में रियल और नॉमिनल टर्म दोनों के स्तर पर प्रति व्यक्ति आय में गिरावट देखने को मिली थी। लेकिन, कोरोना का असर कम होने के साथ 2021-22 और 2022 -23 में प्रति व्यक्ति आय में तेजी देखने को मिली है।
बढ़ती प्रति व्यक्ति आय देश की समृद्धि का संकेत
प्रमुख आर्थिक अनुसंधान संस्थान (एनआईपीएफपी) के पूर्व निदेशक पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा, भारत की प्रति व्यक्ति आय 2014 से 2019 के बीच रियल टर्म में सालाना 5.6% बढ़ी है। यह वृद्धि महत्वपूर्ण है। हमने स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक व सामाजिक मोबिलिटी में सुधार देखा है। हालांकि, कोरोना से काफी खराब असर पड़ा। लेकिन महामारी के बाद इसमें सुधार देखने को मिला है। इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के निदेशक नागेश कुमार ने कहा कि वृद्धि बढ़ती समृद्धि का संकेत है।
आइए जानते हैं कि मोदी सरकार के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के बारे में जो गरीबी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं…
नई सरकार देश के गरीबों को समर्पितः पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले आठ सालों में जनाकांक्षाओं पर खरा उतरने और विकास को सर्वस्पर्शी बनाने के साथ ही देश के सामने सुशासन की एक नई मिसाल पेश की है। उन्होंने सुशासन को राजनीति का केंद्रबिन्दु बनाया है, जो उनकी बड़ी उपलब्धि है। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 20 मई, 2014 को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में नरेन्द्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुना गया था। इसके बाद उन्होंने अपने संबोधन में कहा था, ”सरकार वह हो जो गरीबों के लिए सोचे, सरकार गरीबों को सुने, गरीबों के लिए जिए, इसलिए नई सरकार देश के गरीबों को समर्पित है। देश के युवाओं, मां-बहनों को समर्पित है। यह सरकार गरीब, शोषित, वंचितों के लिए है। उनकी आशाएं पूरी हो, यही हमारा प्रयास रहेगा।”
गरीबी के मोर्चे पर बड़ी सफलता, 41 करोड़ लोग बीपीएल से निकले बाहर
मोदी सरकार गरीब कल्याण और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को तैयार करने और उसका लाभ गरीबों तक पहुंचाने में सफल रही है। इसका परिणाम है कि गरीबों की संख्या और गरीबी के प्रतिशत में लगातार गिरावट आ रही है। सोमवार (12 दिसंबर, 2022) को संसद में पेश मोदी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2005-06 से साल 2019-21 के बीच 41 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाल गया। सरकार ने इसके लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) का हवाला दिया। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा, ‘ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2005-06 से 2019-21 के बीच 41.5 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त हो चुके हैं।
गरीब कल्याण के लिए वचनबद्ध प्रधानमंत्री मोदी
बीते आठ सालों के प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल पर ध्यान दें तो उनकी कही गई बात अक्षरश: सही साबित हुई है। उन्होंने देश के गरीबों के उत्थान के लिए कई कार्यक्रम चलाये, नई योजनाएं बनाईं और यह भी ध्यान रखा कि गरीबों को उसका लाभ मिले और उनकी आकांक्षाएं पूरी हो सके। कोरोना महामारी के दौरान भी मोदी सरकार ने गरीबों का पूरा ख्याल रखा। मोदी सरकार द्वारा गरीब कल्याण के लिए समर्पित योजनाओं ने गरीबों की दशा सुधारने के साथ ही गरीबी कम करने में मदद की है।
गरीबी 2011 में 22.5% से घटकर 2019 में 10.2% ही रह गई
कांग्रेस ने गरीबी हटाने का नारा दिया था। लेकिन उसके कार्यकाल में गरीबी और गरीब घटने के बजाए सुरसा के मुंह ही तरह बढ़ते ही रहे। इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी ने नारे की जगह ईमानदारी के साथ गरीबों के कल्याण में अपनी सरकार को समर्पित कर दिया। भ्रष्टाचार मुक्त कई योजनाएं शुरू कीं। इसका परिणाम हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी को कम करने का कमाल कर दिखाया। गरीबी का आंकड़ा 2011 में 22.5 प्रतिशत से घटकर 2019 में 10.2 प्रतिशत हो गया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही मनमोहन सरकार की तुलना में गरीबी काफी कम हो गई। अब दूसरे कार्यकाल में ग्रामीणों को सशक्त करने वाली कई केंद्रीय योजनाओं के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी कम हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से प्रकाशित वर्किंग पेपर में भी कहा गया है कि भारत में गरीबी दर घटी है। भारत में 2011 की तुलना में 2019 में 12.3 प्रतिशत की कमी आई है।
कोरोना काल में 80 करोड़ देशवासियों को मुफ्त राशन
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था करके दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है। मोदी सरकार ने अप्रैल 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की थी। 28 सितंबर, 2022 को सातवीं बार अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक विस्तार दिया गया। इस चरण के विस्तार के लिए 44,762 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इससे 122 लाख मीट्रिक टन अनाज वितरित किया जाएगा। इस योजना का लाभ देश के 80 करोड़ लोगों को मिलता है और यह तीन महीने आगे जारी रहेगा। पहले छह चरण में इस योजना पर 3.45 लाख करोड़ सब्सिडी के तौर पर खर्च हो चुका है। सातवें विस्तार के साथ यह 3.91 लाख करोड़ होगा। इस योजना के अंतर्गत 80 करोड़ देशवासियों को प्रति माह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का काम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किया गया। इसके साथ ही वन नेशन- वन राशन कार्ड के कारण लगभग 65 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांसेक्शन से लोगों ने अपने अन्न को अपने घर की जगह कहीं और से लिया है।
जन धन योजना से आर्थिक सशक्तीकरण
प्रधानमंत्री मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को गरीबों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन धन योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत 13 दिसंबर, 2022 तक न सिर्फ 47.57 करोड़ से ज्यादा गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया। लाभार्थियों के खाते में 176,912.36 करोड़ रुपये की धनराशि जमा है। 32.43 करोड़ जनधन खाताधारकों को रूपे डेबिट कार्ड जारी किया गया है। 56 प्रतिशत जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 67 प्रतिशत जनधन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। कोरोना संकट के समय यह जनधन खाता वरदान साबित हुआ। महामारी का सामना करने के लिए मोदी सरकार ने गरीब महिलाओं को बड़ी राहत दी। सरकार ने 20 करोड़ से अधिक महिला जनधन खाताधारकों के खाते में 500-500 रुपये दिए।
वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगजनों की मदद
कोरोना काल में मोदी सरकार ने वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों का पूरा ख्याल रखा। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत लगभग 3 करोड़ वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों कोरोना महामारी की वजह से उत्पन्न हुई आर्थिक समस्या से छुटाकार दिलाने के लिए सरकार ने तीन महीनों के लिए उन्हें 1,000 रुपये देने की घोषणा की। करीब 1,405 करोड़ रुपये वितरित किए गए। प्रत्येक लाभार्थी को इस योजना के तहत पहली किस्त के रूप में 500 रुपये दिए गए। सभी 2.812 करोड़ लाभार्थियों को वित्तीय मदद ट्रांसफर की गई।
मुद्रा योजना ने बदली जिंदगी
कई लोगों के पास हुनर तो है, लेकिन पूंजी की कमी की वजह से अपने हुनर का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देने और उनके हाथों को काम देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरूआत की थी। पिछले सात वर्षों में 2 दिसंबर, 2022 तक 37.76 करोड़ से अधिक लोगों को मुद्रा लोन दिया जा चुका है। मुद्रा योजना में दिए गए 88 प्रतिशत ऋण ‘शिशु’ श्रेणी के हैं। अब तक करीब 22 प्रतिशत लोन नए उद्यमियों और 68 प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को दिये गए हैं। मुद्रा योजना के तहत लगभग 51 प्रतिशत ऋण अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को दिये गए हैं। इसके साथ ही करीब 11 प्रतिशत लोन अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिए गए हैं।
गरीबों के लिए वरदान बनी आयुष्मान भारत योजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार चिकित्सा क्षेत्र में व्यापक सुधार करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ (पीएमजेएवाई) की शुरुआत की। आयुष्मान भारत योजना गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत 2 दिसंबर, 2022 तक 3.62 करोड़ लोगों का इलाज हो चुका है। अब तक 18 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए गए हैं। आयुष्मान भारत योजना ने लिंग समानता को बढ़ावा देने में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। एक अध्ययन के अनुसार इस योजना का लाभ पाने वालों में 46.7 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना से करीब 27,300 निजी एवं सरकारी अस्पताल जुड़े हुए हैं। साथ ही इस योजना के तहत 141 ऐसे medical procedures शामिल किए गए हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं।
आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत की थी। इसके जरिए मोदी सरकार देश की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रही है। इससे जहां अस्पतालों की प्रक्रियाओं में सुधार होगा, वहीं दूर-दराज के लोगों की भी स्वास्थ्य सेवा देने वाली संस्थाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित होगी। इसका लाभ खासकर गरीब और मध्यम वर्ग को मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ समाधानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा। इस मिशन से न केवल अस्पतालों की प्रक्रियाएं सरल होंगी, बल्कि इससे जीवन की सुगमता भी बढ़ेगी। इसके तहत अब देशवासियों को एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी और हर नागरिक का स्वास्थ्य रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रखा जायेगा।
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से गरीबों के धन की बचत
गरीबों को सस्ती और सुलभ दवाएं सुनिश्चित करना इस सरकार की प्राथमिकता में रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। जन औषधि स्टोर से गरीबों के लिए सस्ती दवाओं के साथ उन्हें मुफ्त जांच करवाने की सुविधा भी दी जा रही है। इससे 2021-22 में जन औषधि केंद्रों के जरिए 800 करोड़ के ज्यादा की दवाइयां बिकीं। इसका मतलब ये हुआ कि केवल इसी साल जनऔषधि केंद्र के जरिए गरीब को, मध्यम वर्ग को पांच हजार करोड़ रुपये बचे। इससे अब तक कुल 13 हजार करोड़ रूपये बचये जा चुके हैं। 02 दिसंबर, 2022 तक देशभर में 8,918 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं।
मोदी राज में गरीबों को मिला पक्के घर का सम्मान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने हर परिवार को छत मुहैया कराने के मामले में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अपने घर का हसरत पाले बैठे लोगों के सपनों में मोदी सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना ने एक नई जान डाल दी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोदी सरकार 3 करोड़ से ज्यादा पक्के घरों का निर्माण कर चुकी है। इसकी जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि देश के हर निर्धन को पक्का घर देने के लिए सरकार महत्त्वपूर्ण कदम उठा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत तीन करोड़ से अधिक मकान बनाए जा चुके हैं। सभी घर मूलभूत सुविधाओं से युक्त हैं और ये घर महिला सशक्तिकरण के प्रतीक बन गए हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की शुरूआत की और 20 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारंभ किया।
उज्ज्वला से धुएं से मुक्ति,1.5 लाख लोगों की बची जान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता के कल्याण के लिए सैकड़ों योजनाएं शुरू की हैं, जो आज गरीबों और महिलाओं के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। उन योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। मोदी सरकार की इस योजना के चलते एलपीजी गैस के इस्तेमाल से 2019 में प्रदूषण से होने वाली मौतों में से 1.5 लाख लोगों की जान बचाई जा चुकी है। इसके चलते घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में लगभग 13 प्रतिशत की कमी आई। इतना ही नहीं उज्ज्वला योजना एयर क्वालिटी में सुधार और वायु प्रदूषण को कम करने में सफल रही है। इसका खुलासा एक रिसर्च से हुआ है। इस योजना के तहत कुल 9.49 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जा चुके हैं। उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण और गरीब महिलाओं के जीवन के प्रति नजरिये को सकारात्मक रूप से बदलने का काम किया है।
गरीब महिलाओं को खुले में शौच से मिली मुक्ति
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ने स्वच्छता के लिए एक जन आंदोलन का रूप लेकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल दी है। इसने 2 अक्टूबर, 2019 को देश के सभी गांवों, जिलों और राज्यों द्वारा खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषणा की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जिससे ग्रामीण भारत खुले में शौच की समस्या से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 को एसबीएम (जी) की शुरुआत के समय ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत था, जो बढ़कर अब सौ प्रतिशत हो चुका है। 2 अक्टूबर, 2014 से अब तक 11.68 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है। खुले में शौच मुक्त गांवों की संख्या बढ़कर 6.03 लाख और जिलों की संख्या बढ़कर 706 हो गई है। खुले में शौच मुक्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 35 है।
स्वच्छ भारत मिशन से पैसे की बचत, बीमारी से मुक्ति
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के आर्थिक प्रभाव का पहली बार विश्लेषण अक्टूबर 2020 के साइंस डायरेक्ट जर्नल में एक शोध प्रकाशित हुआ। शोध के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक भारतीय परिवार को सालाना 53 हजार रुपये तक का फायदा हुआ। इसके चलते डायरिया से बीमार पड़ने की घटनाएं कम हुईं और शौच के लिए घर से बाहर जाने में लगने वाले समय की बचत हुई। अध्ययन में पता चला कि दस सालों में घरेलू खर्च पर जो रिटर्न है वह लगात का 1.7 गुना है, जबकि समाज को दस साल में कुल रिटर्न का 4.3 गुना है। इसमें बताया गया है कि योजना से गरीब लोगों को निवेश का 2.6 गुना फायदा हुआ है जबकि समाज को 5.7 गुनी धनराशि का।
सुरक्षित मातृत्व अभियान में जननी की चिंता
वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) की शुरुआत हुई। इस अभियान के माध्यम से अब तक एक करोड़ से अधिक महिलाएं लाभांवित हो चुकी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार अब तक 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को पीएमएसएमए का लाभ मिला है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्म के लिए तीन किस्तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्साहन दिया जाता है।
गरीबों को एलईडी बल्ब के वितरण से दूर हो रहा अंधेरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार लोगों को सस्ता और सुलभ बिजली उपलब्ध कराने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री उजाला योजना के तहत अब तक देशभर में 36.86 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब वितरित किए जा चुके हैं। यह आंकड़ा 02 दिसंबर, 2022 तक का है। मोदी सरकार की इस ऐतिहासिक पहल से जहां बिजली की बचत हो रही हैं वहीं लोगों की बिजली बिल में कमी आई है। अब तक हुए 36.86 करोड़ LED बल्ब के वितरण से प्रतिवर्ष 18,734 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हो रही है। इसके साथ ही 46, 434 mn kWh से ज्यादा प्रतिवर्ष ऊर्जा की बचत हो रही है।
सौभाग्य योजना से घर-घर बिजली
मोदी सरकार ने आते ही यह पता लगाया कि 18,452 गांवों में आजादी के बाद से अब तक बिजली नहीं पहुंची है। 1 मई, 2018 तक हर गांव में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया। इसके लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की गई, जिसके तहत 987 दिन में ही लक्षय को पूरा कर लिया गया। अक्टूबर 2017 में शुरू हुई सौभाग्य योजना के तहत देश के गरीब परिवारों को मुफ्त में बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। 02 दिसंबर, 2022 तक 2.81 करोड़ से अधिक दलित-आदिवासी और पिछड़े जो अब तक अंधेरे में रहने को मजबूर थे, उन्हें रोशनी मिल गयी है। ये लोकप्रियता के लिए नहीं हो रहा है, ये गरीबों के कल्याण के लिए है। इससे चार करोड़ परिवारों के घर में नयी रोशनी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
100 पिछड़े जिलों का उत्थान योजना
पिछड़ों और गरीबों के कल्याण के लिये मोदी सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि सरकार ने सबसे पहले देश के सबसे पिछड़े 100 जिलों में ही पहले विकास की योजना बनाई है। इस योजना पर नीति आयोग बाकी संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से काम करेगा। ये बात किसी से छिपी नहीं कि सबसे पिछड़े जिलों का मतलब क्या है? ये वो जिले होते हैं जहां आम तौर पर दलित और आदिवासियों की तादाद अधिक होती है। यानी मोदी सरकार की नजर जरूरतमंदों के उत्थान पर है, अपनी लोकप्रियता पर नहीं।
गरीब आदिवासी बच्चों के लिए एकलव्य विद्यालय
केंद्र में एनडीए सरकार बनने से पहले देश में महज 110 ईएमआरएस चल रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 नवंबर, 2021 को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर भोपाल से वर्चुअल तरीके से 50 स्कूलों की नींव रखी। इसके बाद एकलव्य विद्यालयों के निर्माण कार्य में बड़ी तेजी आई है। ये स्कूल 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 26 जिलों में स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इन स्कूलों की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पूरे भारत में 740 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 50 प्रतिशत से अधिक एसटी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी लोगों वाले प्रत्येक ब्लॉक में ऐसे स्कूल होंगे। ये स्कूल देश के पहाड़ी और वन क्षेत्रों में स्थित हैं और देश के सुदूर इलाकों में रहने वाले गरीब आदिवासियों के बच्चों को इससे लाभ मिलेगा।
सुरक्षा बीमा योजना से गरीबों का सुरक्षित भविष्य
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सबका साथ-सबका विकास और सबका प्रयास के मंत्र पर चलते हुए देश की तस्वीर बदल दी है। उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं ने देश के गांव-गरीब और आम लोगों के जीवन की तस्वीर बदल दी। समाज के अंतिम व्यक्ति को भी जन सुरक्षा की सुविधा प्रदान करने वाली मोदी सरकार की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के 9 मई, 2022 को 7 साल पूरे हो गए। प्रधानमंत्री मोदी ने 9 मई, 2015 को कोलकाता में इन तीनों योजनाओं को लॉन्च किया था।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई): 14.01 करोड़ लोगों ने जीवन बीमा के लिए पंजीकरण कराया
गरीब-वंचितों के साथ आम किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना की शुरूआत की है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी अब पीएमजेजेबीवाई के तहत 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर प्रति दिन 1 रुपये से कम पर पर प्राप्त कर सकता है। इसमें आपको 330 रुपये प्रति वर्ष के प्रीमियम भुगतान पर 2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर मिलता है। पीएमजेजेबीवाई के तहत 02 दिसंबर, 2022 तक 14.01 करोड़ व्यक्तियों ने जीवन बीमा के लिए पंजीकरण कराया है और 5,76,121 व्यक्तियों के परिवारों को योजना के तहत कुल 11,522 करोड़ रुपये मूल्य के दावे प्राप्त हुए हैं। यह योजना महामारी के दौरान कम आय वाले परिवारों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुई है, क्योंकि वित्त वर्ष 2021 में भुगतान किए गए कुल दावों में लगभग 50 प्रतिशत कोरोना से हुई मौतों से सम्बंधित थे।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजनाः 30.57 करोड़ लोगों ने दुर्घटना कवर के लिए पंजीकरण कराया
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना मोदी सरकार की एक दुर्घटना बीमा योजना है। इसमें बेहद मामूली रकम देकर दुर्घटना बीमा कराया जा सकता है। पीएमएसबीवाई से 2 दिसंबर, 2022 तक 30.57 करोड़ लोगों ने दुर्घटना कवर के लिए पंजीकरण कराया है। इस योजना का मकसद बीमा से वंचित देश की एक बड़ी आबादी को बीमा कवर उपलब्ध कराना है। यह दुर्घटना के कारण हुई मृत्यु या दिव्यांगता के लिए कवरेज प्रदान करता है। इसमें मात्र 12 रुपये का सालाना प्रीमियम देकर 2 लाख रुपये का एक्सीडेंटल इंश्योरेंस कराया जा सकता है। बचत बैंक या डाकघर में खाता रखने वाले 18 से 70 वर्ष के व्यक्ति इस योजना के तहत पंजीकरण करा सकते हैं। इस योजना के बारे में भी विस्तृत जानकारी आप इस लिंक को क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं।
अटल पेंशन योजनाः 4.67 करोड़ से अधिक लोग सदस्यता ले चुके
अटल पेंशन योजना सभी भारतीयों, खासकर गरीबों, वंचितों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। यह असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की एक पहल है। यह योजना 18 से 40 वर्ष आयु वर्ग के सभी बैंक खाताधारकों के लिए खुली है। इस योजना में शामिल होने के बाद ग्राहक द्वारा दिए गए प्रीमियम के आधार पर 60 वर्ष की आयु से गारंटीशुदा न्यूनतम मासिक पेंशन के रूप में 1000 रुपये या 2000 रुपये या 3000 रुपये या 4000 रुपये या 5000 रुपये मिलते हैं। एपीवाई में मासिक, तिमाही या अर्ध-वार्षिक आधार पर प्रीमियम का भुगतान किया जा सकता है। अटल पेंशन योजना का लाभ पाने के लिए 02 दिसंबर, 2022 तक 4.67 करोड़ से अधिक लोग सदस्यता ले चुके हैं।
भारत में प्रति व्यक्ति आय में दोगुनी वृद्धि जहां समृद्धि को दर्शाती वहीं अर्थव्यवस्था और विकास के मोर्चे पर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है, उस पर एक नजर …
भारत की विकास दर पूरी दुनिया में होगी सबसे तेज
पूरे विश्व में भारतीय अर्थव्यवस्था का डंका बज रहा है। विदेशी उद्योगपति और निवेशक भी भारत के आर्थिक विकास का लोहा मान रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट 2023 में भारत के आर्थिक सुधारों की तारीफ करते हुए अमेरिका के मशहूर निवेशक रे डालियो ने कहा कि भारत की विकास दर पूरी दुनिया में सबसे तेज होगी। अमेरिकी कारोबारी डेलियो ने ‘सरकार और बदलती विश्व व्यवस्था’ सत्र के दौरान इस बात पर जोर दिया कि भारत आने वाले वर्षों में सबसे ज्यादा तरक्की करेगा। उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है। मोदी सरकार में हुए सुधारों की तारीफ करते हुए डालियो ने कहा कि एक दशक में दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत में सबसे तेज और बड़े बदलाव हुए हैं। अब भी तेज रफ्तार से बदलाव जारी हैं। पिछले 10 वर्षों के अध्ययन से और जो हम देश के लिए देख रहे हैं उसके आधार पर, भारत में सबसे बड़ी और सबसे तेज विकास दर होगी।
6.1 प्रतिशत के साथ विकास दर में अव्वल बना रहेगा भारत
दुनिया भर के सभी अंतरराष्ट्रीय संगठन और अर्थशास्त्री भारत की आर्थिक तरक्की का लोहा मान रहे हैं। तमाम सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि भारत आने वाले समय में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2023-24 में भी 6.1 प्रतिशत की विकास दर के साथ दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। आईएमएफ की ओर से जारी की गई वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 6.1 प्रतिशत के दर से बढ़ेगा। आईएमएफ के अनुसंधान विभाग के मुख्य अर्थशास्त्री और निदेशक पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था और मजबूत होकर 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2022 में 3.4 प्रतिशत और 2023 में 2.9 प्रतिशत और 2024 में 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
कई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है भारत
इसके पहले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की उपप्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की कई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है। अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत को लेकर दुनियाभर में पॉजिटिव सेंटीमेंट है। बहुत सारे बिजनेस और कंपनियां भारत को एक निवेश डेस्टिनेशन के रूप में देख रही हैं, क्योंकि वे चीन सहित दूसरे देशों से निकलने की कोशिश कर रहे हैं। भारत की विकास दर पर गीता गोपीनाथ ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में यह 6.8 प्रतिशत, जबकि अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
ग्लोबल इकोनॉमी में बढ़ेगी हिस्सेदारी- IMF
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के मुताबिक नए वर्ष में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को राहत मिलती नहीं दिख रही है। अमेरिका, यूरोप और चीन में मंदी के संकेत मिल रहे हैं। इन देशों की आर्थिक गतिविधायां कमजोर नजर आ रही है। वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी साल 2022 की तुलना में 2023 में बढ़कर 3.6 प्रतिशत होने की उम्मीद है। 2000 में भारत की हिस्सेदारी 1.4 प्रतिशत रही थी। इससे पहले आईएमएफ ने भारत के लिए अपनी वार्षिक परामर्श रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि, भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्त वर्ष में काफी मजबूती से आगे बढ़ रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि वास्तविक जीडीपी के वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में क्रमश: 6.8 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
इसके पहले आईएमएफ ने कहा था कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने भी माना भारतीय अर्थव्यवस्था का लोहा
वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक विकास दर के लिए जारी अनुमान में भारत की आर्थिक स्थिति की जमकर तारीफ की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल इकोनॉमी में भारत फिलहाल एक आकर्षक स्थल है। इसकी जीडीपी ग्रोथ रेट इस साल 5.8 प्रतिशत और 2024 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 25 जनवरी, 2023 को जारी ‘वैश्विक आर्थिक स्थिति और संभावनाएं-2023’ रिपोर्ट में वैश्विक आर्थिक वृद्धि 2023 में 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो हाल के दशकों में सबसे कम विकास दर में से एक है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दक्षिण एशियाई देशों के लिए संभावनाएं “ज्यादा चुनौतीपूर्ण” हैं, वहीं चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2024 में यानि अगले साल 6.7 प्रतिशत आर्थिक ग्रोथ रेट हासिल करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। यह ग्रोथ रेट जी-20 देशों की तुलना में काफी ऊंची है।
2030 तक विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनेगा भारत
स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) 2023 में वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म ईवाई द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट का सामना करने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था साल 2028 में 5 लाख करोड़, 2036 में 10 लाख करोड़ के पड़ाव को पार करते हुए साल 2047 तक 26 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। वहीं प्रति व्यक्ति सालाना औसत आय बढ़कर छह गुना हो जाएगी। वैश्विक कंसल्टेंसी फर्म ईवाई द्वारा ‘इंडिया एट 100 : रीयलाईजिंग द पोटेंशियल ऑफ 26 ट्रिलियन इकोनॉमी’ नाम से पेश रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2030 तक भारत जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन चुका होगा। 6 प्रतिशत की सालाना औसत वृद्धि दर के आधार पर आंकलन किया गया कि 2047 में प्रति व्यक्ति सालाना औसत आय 15 हजार डॉलर यानी मौजूदा विनिमय दर के लिहजा से करीब 12.25 लाख रुपये पहुंच जाएगी, यह आज के स्तर से 6 गुना से अधिक होगी।
बिजनेस लीडर्स को उम्मीद 2023-24 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी जीडीपी
मोदी सरकार की नीतियों के कारण वित्त वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है। Deloitte Touche Tohmatsu India (डीटीटीआई) के सर्वेक्षण के अनुसार देश के 60 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का मानना है कि 2023-24 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इंडस्ट्री लीडर्स ने यह भी कहा कि इंडस्ट्री, केमिकल, कैपिटल गुड्स और ऊर्जा सेक्टर में उच्च वृद्धि देखने को मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, पीएलआई और रिजर्ब बैक की अनुकूल मौद्रिक नीतियां, बुनियादी ढांचे पर खर्च में वृद्धि और रिसर्च व इनोवेशन इस गति को और आगे बढ़ाएंगे। उद्योगपतियों का यह भी कहना था कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है और 7 प्रतिशत विकास दर की राह पर है।
सात प्रतिशत से ज्यादा रहेगी आर्थिक वृद्धि दर
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ेगी। इतना ही नहीं 2023-24 में भी यह वृद्धि दर बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि मंदी की आशंका कुछ समय से बनी हुई है, लेकिन अभी तक न तो अमेरिका और न ही यूरोपीय संघ इसकी चपेट में आया है। भारत के लिए सबसे खराब दौर खत्म हो चुका है। अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक झटकों के बीच ऊंची और जुझारू क्षमता का प्रदर्शन कर रही है।
देश में कई साल रह सकता है 9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट
मोदी राज में विकास की स्थिति यह है कि देश में कई साल तक 9 प्रतिशत का ग्रोथ रेट रह सकता है। राजस्थान के उदयपुर जिले में जी-20 अध्यक्षता के तहत आयोजित पहली शेरपा बैठक में आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारत कई वर्षों तक 9 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि दुनिया लगातार उच्च वृद्धि दर हासिल करे। सान्याल ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति आय केवल 2,200 अमेरिकी डॉलर है और यह कई वर्षों की उच्च वृद्धि दर के बाद हासिल की गई है। विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में एसडीजी हासिल करने के लिए जीडीपी विकास दर को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा भारत
भारत 2023 में जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा। रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कहा कि राजकोष के स्तर पर भारत का मजबूत रुख बरकरार है और आने वाले समय में राजस्व के साथ कर्ज के स्थिर होने के मामले में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रिश्चियन डी गुजमैन ने कहा कि देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि भारत 2023 में जी-20 में तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाला देश होगा। मूडीज ने 2023 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि 4.8 और 2024 में 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। जबकि मूडीज ने जी-20 अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर 2023 में 1.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया।
देश में मंदी की आशंका नहीं, छह से सात प्रतिशत रहेगी वृद्धि दर- राजीव कुमार
दुनियाभर में मंदी की आशंकाओं के बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि भारत में इसका कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन की अर्थव्यवस्थाएं नीचे आ रही हैं। ऐसे में यह स्थिति आने वाले महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जा सकती है। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित तो जरूर हो सकती है, लेकिन 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत में मंदी की ऐसी कोई आशंका नहीं है, क्योंकि भले ही हमारी वृद्धि वैश्विक परिस्थितियों से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है, इसके बावजूद 2023-24 में हम 6-7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने में कामयाब रहेंगे।”
विकास दर 6- 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद- पीएचडीसीसीआई
देश के लिए अच्छी खबर यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर 6- 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था छह से सात प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है। पीएचडीसीसीआई के नए अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि उत्पादन में तेजी आई है और देश में मजबूत मांग है। डालमिया ने यह भी कहा कि उद्योग मंडल ने अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि और रसायनों जैसे 75 संभावित उत्पादों की पहचान की है, ताकि वर्ष 2027 तक 750 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सके।
विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान- मुख्य आर्थिक सलाहकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट को संबोधित करते हुए नागेश्वरन ने कहा कि भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवी बड़ी आर्थिक शक्ति बना है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन वास्तव में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में और एक दशक तक भारत की आर्थिक विकास दर सात प्रतिशत के आसपास रह सकती है।
ADB को भी सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद
एशियाई विकास बैंक- (एडीबी-ADB) को भी सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अपनी फ्लैगशिप एडीओ रिपोर्ट में कहा कि जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
एशिया की दूसरी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत
भारत वर्ष 2030 तक जापान को पीछे छोड़कर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आईएचएस मार्किट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया कि वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की जीडीपी 2030 में बढ़कर 84 खरब डॉलर होने का अनुमान है, जो फिलहाल 27 खरब डॉलर है। वर्ष 2030 तक भारत की जीडीपी की साइज जर्मनी और ब्रिटेन से ज्यादा होकर अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन सकती है। आईएचएस मार्किट ने दावा किया कि कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य मजबूत और स्थिर दिख रहा है, जिससे अगले एक दशक तक यह सबसे तेज बढ़ती जीडीपी वाला देश बना रहेगा।
दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वे के अनुसार 2023 में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है।