प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व से घबराए पश्चिमी देश और विदेशी ताकतों के डीप स्टेट एजेंट 2024 में पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए तरह-तरह के प्रपंच रच रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की छवि को बदनाम करने और उन्हें कमजोर करने के लिए वे भारत को अस्थिर करने में जुट गए हैं। पीएम मोदी की छवि को खराब करने के लिए उन्होंने बीबीसी डाक्यूमेंट्री बनवाई। उसके बाद भारत के प्रमुख उद्योग समूह अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट लाया गया। फिर समाचार एजेंसी एएनआई को बदनाम करने के लिए एक रिपोर्ट लाई गई। पीएम मोदी और भारत की छवि को खराब करने के लिए चौतरफा हमला किया जा रहा है। पंजाब में अलगाववाद को हवा दिया जा रहा है। अब भारतीय संस्था आरएसएस के खिलाफ कनाडा में एक दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई। इस रिपोर्ट के आधार पर CBCNews ने एक समाचार छापा जिसमें आरएसएस को आतंकवादी संगठन बताया गया। विदेशी ताकतें भारतीय संस्थाओं को बदनाम कर देश में अव्यवस्था फैलाना चाहती हैं। यह अनायास नहीं है एक तरफ आरएसएस के खिलाफ कनाडा में रिपोर्ट तैयार होती है, उसे आतंकवादी संगठन करार दिया जाता है वहीं लंदन में राहुल गांधी आरएसएस की तुलना मिस्र के आतंकवादी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से करते हैं। यह उसी विदेशी ताकत की साजिश है जो भारत में तख्तापलट करना चाहते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया- RSS अल्पसंख्यकों को मानता है दोयम दर्जे का नागरिक
कैनेडियन काउन्सिल ऑफ मुस्लिम्स एवं वर्ल्ड सिख ऑर्गनाईज़ेशन ने हाल ही में एक संयुक्त रिपोर्ट कनाडा प्रशासन को सौंपी है। इस रिपोर्ट के अनुसार “हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन” आरएसएस अब कनाडा में भी अब अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, और ये कनाडा के लिए “चिंता का विषय है”। परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। CCM के प्रवक्ता स्टीफेन ज़्हू [Stephen Zhou] के अनुसार, कैनेडियन अफसरों को कनाडा में रहने वाले भारतवंशियों एवं उनपर इस संगठन के प्रभाव को ध्यान से देखना होगा, जो विश्व के सबसे NGOs में से एक है, और जिसका दृष्टिकोण “अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे के नागरिकों की भांति ट्रीट करने” का है।
रिपोर्ट में कहा गया- सिख आइडेन्टिटी को समाप्त करना चाहता है RSS
इस रिपोर्ट में स्टीफेन ज़्हू जैसे व्यक्ति का मुस्लिम अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करना ही हास्यास्पद नहीं है, अपितु उससे भी हास्यास्पद है वर्ल्ड सिख ऑर्गनाईज़ेशन का भय, जिनके अनुसार आरएसएस उनकी आइडेन्टिटी को “समाप्त करना चाहते हैं”। ये सब कुछ इस संयुक्त रिपोर्ट में लिखकर कनाडा के प्रशासन को सौंपा गया है।
CBCNews ने लिखा- RSS है आतंकवादी संगठन
इस रिपोर्ट के आधार पर CBCNews ने एक समाचार छापा जिसमें आरएसएस को आतंकवादी संगठन बताया गया। CBCNews ने अपनी खबर में न केवल आरएसएस को उग्रवादी संगठन बता दिया बल्कि इसके जरिये कैनेडियन काउन्सिल ऑफ मुस्लिम्स एवं वर्ल्ड सिख ऑर्गनाईज़ेशन के काले कारनामो को ढकने का काम किया।
RSS के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण एकपक्षीय खबर लिखी गई
पत्रकार Lisa Xing ने CBCNews में यह समाचार लिखा है। Lisa का यह ट्रैक रिकार्ड रहा है कि वह भारत से नफरत वाली खबरें लिखती रही हैं वहीं आतंकी लिंक वाले संगठनों से संबंधित प्रोपेगेंडा खबरें महिमामंडन के साथ लिखती रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि Lisa Xing ने आरएसएस पर लिखते समय पत्रकारिता के नैतिकता को ताक पर रखते हुए उन्होंने आरएसएस से उसका पक्ष भी नहीं जानना चाहा और एकतरफा खबरें लिख दी।
राहुल गांधी ने लंदन में कहा- संघ का काम मुस्लिम ब्रदरहुड जैसा
लंदन में थिंक टैंक चैथम हाउस में एक बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि डेमोक्रेटिक कम्पटीशन का तरीका बिल्कुल बदल गया है। इसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ है। संघ एक कट्टरपंथी और फासीवादी संगठन है, जिसने भारत के सभी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड की तर्ज पर बना हुआ है। भारत में ये एक नैरेटिव चलाया जा रहा है कि बीजेपी को कोई हरा नहीं सकता है। मैं कहना चाहता हूं कि बीजेपी हमेशा के लिए सत्ता में नहीं रहने वाली है। राहुल ने कहा कि भारत में प्रेस, न्यायपालिका, संसद और चुनाव आयोग सभी खतरे में हैं।
यह पहली बार नहीं है, जब राहुल ने आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की है। 2018 में भी राहुल गांधी मुस्लिम ब्रदरहुड से संघ की तुलना कर चुके हैं। उस वक्त संघ प्रचारक अरुण कुमार ने बयान जारी कर कहा था कि राहुल गांधी को हमारे संगठन के बारे में जानकारी ही नहीं है।
मुस्लिम ब्रदरहुड और होस्नी मुबारक का तख्तापलट
मिस्र में 1928 में सुन्नी नेता हसन अल बन्ना ने इस्लामिक देश बनाने की मांग को लेकर मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थापना की। इसमें कहा गया कि कुरान हमारा कानून है और जिहाद रास्ता। यह एक आतंकवादी संगठन है। 2010 के संसदीय चुनाव में होस्नी मुबारक ने एकतरफा जीत दर्ज की, लेकिन विपक्षी दलों ने मुबारक पर फर्जी तरीके से जीतने का आरोप लगाया। मुबारक के खिलाफ तहरीर चौक पर लाखों लोग जुट गए। इस आंदोलन के पीछे ब्रदरहुड का हाथ बताया गया। सभी ने राष्ट्रपति होस्नी मुबारक सत्ता छोड़ने की मांग रखी। मुबारक शुरू में तो सेना के बदौलत आंदोलन पर कंट्रोल करना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी।
पीएम मोदी और भारत की छवि को बदनाम करने के लिए बीबीसी डाक्यूमेंट्री से लेकर अब भारतीय संस्थाओं पर भी तमाम प्रपंच रचे जा रहे हैं। उन पर एक नजर-
पीएम मोदी और भारत की छवि खराब करने के लिए बीबीसी डाक्यूमेंट्री
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) ने दो एपिसोड की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई जिसका नाम है – इंडिया: द मोदी क्वेश्चन। बीबीसी ने साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर निशाना साधते हुए दो पार्ट्स में सीरीज दिखाई। इसको लेकर ब्रिटेन में भारतवंशियों की ओर से काफी नाराजगी जताई गई और फिर डॉक्यूमेंट्री को चुनिंदा प्लेटफार्मों से हटा दिया गया। यह डॉक्यूमेंट्री भारत और पीएम मोदी की छवि को खराब करने के एजेंडे तहत बनाया गया। इसमें नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में साल 2002 में हुई हिंसा में लोगों की मौत पर सवाल उठाए गए हैं। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट से भी पीएम मोदी को इस मामले में क्लीन चिट मिल गई है तो फिर समझा जा सकता है कि इस प्रोपेगेंडा का मकसद क्या है। मकसद साफ है…भारत को कमजोर करो। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत मजबूत हो रहा है तो मोदी की छवि खराब करो और किसी तरह उसे सत्ता से हटाओ।
रामचरितमानस व सनातन धर्म के खिलाफ उगला गया जहर
यह अनायास नहीं है कि उधर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री आई और इधर देश में कुछ नेताओं ने रामचरितमानस व सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया। यह भी उसी पटकथा का हिस्सा है जिसके तहत बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री आई। सबसे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में रामचरितमानस और मनुस्मृति ग्रंथों को लेकर विवादित बयान दिया। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी मानस की चौपाई का उल्लेख करते हुए इस ग्रंथ को दलित विरोधी बताया। उन्होंने इस धार्मिक ग्रंथ पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की। उसके बाद AAP नेता राजेंद्रपाल गौतम तीसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने रामचरितमानस और मनुस्मृति को लेकर सवाल खड़े किए हैं और विवादित बयान दिया। समाज में विद्वेष फैलाने के लिए यह कुचक्र रचा गया।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट भारत के विकास की रफ्तार रोकने का षडयंत्र
भारत वैश्विक मंच पर एक ताकत बन गया है। कोरोना महामारी से लेकर यूक्रेन-रूस संकट के बावजूद भारत की विकास रफ्तार से विश्व के ताकतवर देशों में खलबली मची हुई है। बहुत सारे ताकतवर देश अब तक भारत को बहुत सारे सामान बेचा करते थे यानी निर्यात किया करते थे लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत जैसे-जैसे आत्मनिर्भर हो रहा है उनकी दुकानदारी पर संकट के बादल छाने लगे हैं। इससे घबराए पश्चिम के देश भारत और पीएम मोदी के खिलाफ षडयंत्र में जुट गए हैं। इसके लिए उन्होंने औद्योगिक समूह को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया। इसी क्रम अडानी समूह को बदनाम करने के लिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट लाई गई।
अडानी ग्रुप के वैश्विक विस्तार मिशन से डरी विदेशी कंपनियां
पिछले कुछ सालों में अडानी ग्रुप ने अपना प्रभाव जमाया है। गौतम अडानी ने अडानी ग्रुप के वैश्विक विस्तार मिशन को आगे बढ़ाया। ऐसे में वैश्विक रूप से अडानी ग्रुप का बढ़ना भला विदेशी कंपनियों को कैसे रास आ सकता है। तब तो और नहीं जब अडानी ग्रुप भारत की पहचान को दिनोदिन और सुदृढ़ करने में आगे की ओर बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में पश्चिमी दुनिया में जिस गति से भारत विरोधी नैरेटिव को फैलाया जा रहा है उसमें काफी वृद्धि हुई है।
#BadSources – our latest investigation into how Indian news agency ANI repeatedly quoted non-existent bloggers, experts, journalists and think tanks spreading anti-Pakistan/China narratives in India. 🧵1/Nhttps://t.co/24o5ekFwUE#BadSources #StoryKillers
— EU DisinfoLab (@DisinfoEU) February 23, 2023
ईयू-डिसइन्फोलैब की रिपोर्ट, ANI के तमाम सोर्सेस फर्जी हैं
यूरोपीय संघ (ईयू) के एक नॉन-प्रॉफिट समूह ईयू-डिसइन्फोलैब ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि ANI की खबरें फर्जी हैं और फर्जी सूत्रों के हवाले से खबर चलाकर प्रोपेगेंडा फैलाती है। जार्ज सोरोस गैंग की साजिश कितनी गहरी उसे इस बात से समझा जा सकता है कि ANI की प्रमुख मीडिया एजेंसी है जिसके जरिये इसकी फीड और खबरों को देशभर के छोटे-बड़े मीडिया संस्थान सब्सक्राइब करते हैं। समाचार एजेंसी एएनआई देश के इंफार्मेशन इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पूरे भारत में सैकड़ों मीडिया हाउस को सामग्री प्रदान करती है। अब इस पर सरकारी मुखपत्र होने का आरोप लगाकर बदनाम किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ANI फर्जी स्रोतों के आधार पर गढ़ी गई प्रोपेगेंडा खबरें चलाती है।
भारत को अस्थिर करने के लिए खालिस्तान प्रोपेगेंडा
खालिस्तान मुद्दे को हवा देने के पीछे भी अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और डीप स्टेट एजेंट जार्ज सोरोस हैं। सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ रुपये देने का खुलेआम ऐलान किया था। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई दशकों से खालिस्तान समर्थकों को उकसाती रही है और खालिस्तान से जुड़े लोगों से उसके नजदीकी संबंध रहे हैं। इसे देखते हुए सीआईए ने आईएसआई को यह काम सौंप दिया। यह भी अपने आप में दिलचस्प है कि जो पाकिस्तान आज दाने-दाने को मोहताज है उसकी खुफिया एजेंसी भारत में खालिस्तान मुद्दे को भड़काकर अपने आका अमेरिकी एजेंसी सीआईए को खुश करने में जुटी है। खासकर जिस तरह से अमृतपाल सिंह की खालिस्तान मुद्दे पर ‘पैराशूट एंट्री’ हुई है उससे यह बात साबित हो जाती है कि इस साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई है।
पीएम मोदी के सामने बेवश पश्चिम देश और अमेरिका बौखलाया
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और पश्चिमी देश अपना हित साधने के लिए सरकार भी खरीद लेती थी और तमाम तरह की साजिश रचने में सफल हो जाती थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 90 के दशक में हुए इसरो जासूसी कांड है। उस वक्त भारतीय वैज्ञानिक नंबी नारायण के नेतृत्व में भारत लिक्विड प्रोपेलेंट इंजन बनाने में सफल होने के करीब पहुंच गया था लेकिन CIA ने कांग्रेस सरकार और नेताओं को खरीद कर नंबी नारायण को जेल में डलवा दिया और भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 20-30 साल पीछे चला गया। इसरो जासूसी कांड में जब नंबी नारायण को गिरफ्तार किया गया था तो उस वक्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि नंबी नारायण की अवैध गिरफ्तारी में केरल सरकार के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी शामिल थे। हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा कि नंबी नारायण की गिरफ्तारी संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थी। पीएम मोदी जब से सत्ता में आए हैं पश्चिमी देशों की एक नहीं चल रही है इसी से वे बौखला गए हैं।