प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया। इसके साथ ही पीएम मोदी ने इस वर्ष विकसित की गई 8 फसलों की 17 जैव संवर्धित किस्मों को भी राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने वर्ल्ड फूड डे के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दीं और कहा कि दुनियाभर में जो लोग कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, उन सभी को बहुत-बहुत बधाई।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के हमारे किसान साथी- हमारे अन्नदाता, हमारे कृषि वैज्ञानिक, हमारे आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का एक बहुत बड़ा मजबूत किला है, मजबूत आधार हैं। इन लोगों ने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर गरीब से गरीब तक पहुंचने में सरकार की बहुत मदद की है। इन सभी के प्रयासों से ही भारत कोरोना के इस संकटकाल में भी कुपोषण के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि FAO के World Food Program को इस वर्ष का नोबल शांति पुरस्कार मिलना भी बहुत महत्वपूर्ण है। भारत को खुशी है कि इसमें भी भारत की साझेदारी और भारत का जुड़ाव ऐतिहासिक रहा है।
FAO को विशेष धन्यवाद कि उसने वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को समर्थन दिया है।
इससे पौष्टिक आहार प्रोत्साहित होंगे, उनकी उपलब्धता और बढ़ेगी। साथ ही, ऐसे किसानों को बहुत लाभ होगा, जिनके पास कम जमीन है और जो बारिश पर निर्भर होते हैं। pic.twitter.com/AsKNdZnbAa
— Narendra Modi (@narendramodi) October 16, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम जानते हैं कि छोटी आयु में गर्भधारण करना, शिक्षा की कमी, जानकारी का अभाव, शुद्ध पानी की पर्याप्त सुविधा न होना, स्वच्छता की कमी, ऐसी अनेक वजहों से हमें वो अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए थे, जो कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में मिलने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि जब साल 2014 में देश की सेवा करने का मौका मिला तो पूरे देश के अंदर कुछ प्रयासों को प्रारंभ किया। हम हॉलिस्टिक अप्रोच लेकर आगे बढ़े। तमाम अवरोधों को खत्म कर बहुआयामी रणनीति पर काम शुरू किया। एक तरफ नेशनल न्यूट्रिशन मिशन शुरू हुआ तो दूसरी तरफ हर उस फैक्टर पर काम किया गया जो कुपोषण बढ़ने का कारण था। इन सब प्रयासों का एक असर ये हुआ कि देश में पहली बार पढ़ाई के लिए बेटियों का Gross Enrolment Ratio, बेटों से ज्यादा हो गया है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में अनाज की बर्बादी हमेशा से बहुत बड़ी समस्या रही है। अब जब Essential Commodities Act में संशोधन किया गया है, इससे स्थितियां बदलेंगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि छोटे किसानों को ताकत देने के लिए, Farmer Producer Organizations यानि FPOs का एक बड़ा नेटवर्क देश में तैयार किया जा रहा है।
छोटे किसानों को ताकत देने के लिए Farmer Producer Organizations यानि FPOs का एक बड़ा नेटवर्क देश में तैयार किया जा रहा है।
देश में ऐसे कृषि उत्पादक संघ बनाने का काम तेजी से चल रहा है। #SahiPoshanDeshRoshan pic.twitter.com/I3VSJtJmuH
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पीएम मोदी ने कहा कि किसानों को लागत का डेढ़ गुणा दाम MSP के रूप में मिले, इसके लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। MSP और सरकारी खरीद, देश की फूड सिक्योरिटी का अहम हिस्सा हैं। इसलिए इनका जारी रहना स्वभाविक है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
MSP और सरकारी खरीद, देश की फूड सिक्योरिटी का अहम हिस्सा हैं। इसलिए इनका वैज्ञानिक तरीके से, अच्छी से अच्छी व्यवस्था के साथ, अच्छा से अच्छा प्रबंधन भी हो और ये आगे भी जारी रहें, यह बहुत आवश्यक है। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। #SahiPoshanDeshRoshan pic.twitter.com/0vWCHVbJzq
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पीएम ने कहा कि कोरोना के कारण जहां पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है, वहीं भारत के किसानों ने इस बार पिछले साल के प्रोडक्शन के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। इतना ही नहीं सरकार ने गेहूं, धान और दाल समेत सभी प्रकार के खाद्यान्न की खरीद के अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
कोरोना के कारण जहां पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है, वहीं भारत के किसानों ने इस बार पिछले साल के प्रोडक्शन के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया।
सरकार ने गेहूं, धान और दाल सहित सभी प्रकार के खाद्यान्न की खरीद के अपने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।#SahiPoshanDeshRoshan pic.twitter.com/NzCb5ojEMb
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पीएम ने कहा कि इन सभी के प्रयासों से ही भारत कोरोना के इस संकटकाल में भी कुपोषण के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहा है। भारत के हमारे किसान साथी- हमारे अन्नदाता, हमारे कृषि वैज्ञानिक, हमारे आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का आधार हैं। इन्होंने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर, गरीब से गरीब तक पहुंचने में ये सरकार की मदद भी कर रहे हैं।
भारत में पोषण अभियान को ताकत देने वाला एक और अहम कदम आज उठाया गया है।
गेहूं और धान सहित अनेक फसलों के 17 नए बीजों की वैरायटी अब देश के किसानों को उपलब्ध है। इसके लिए मैं एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज और कृषि वैज्ञानिकों को बधाई देता हूं। pic.twitter.com/v5NAf2TtAe
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