प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस-यूक्रेन और अमेरिका सहित तीन देशों की सफल यात्रा के बाद वैश्विक स्तर पर भारत गुंजायमान होने लगा है। पीएम के इन तीनों देशों के दौरे ने एक बात तो साबित कर दिया कि दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। दुनिया के बड़े-बड़े विकसित देश में भारत का मान-सम्मान दिनोंदिन बढ़ रहा है। ढाई साल तक लड़ने के बाद आख़िरकार रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन को समझ में आ रहा है कि जंग से किसी का भला नहीं होने वाला है। पीएम मोदी ने भी अपने दौरे के दौरान साफ-साफ शब्दों में चेताया था कि यह युद्ध का समय नहीं है। अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के लिए भारत मध्यस्थता कर सकता है। इस भूमिका को पीएम मोदी बखूबी निभा सकते हैं। भारत जब यूक्रेन शांति बहाली के लिए आगे बढ़ता है तो वे भी इस पर विचार करने के लिए तैयार हैं। क्योंकि शांति से ही विकास का रास्ता निकलता है।
पीएम मोदी की युद्धरत दोनों देशों की यात्राओं का दूरगामी असर
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका एक तरह से यूक्रेन का समर्थन करता रहा, जिससे रूस का ग़ुस्सा बढ़ता गया। अमेरिका चूँकि यूक्रेन के साथ था, इसलिए चीन ने रूस और उसके राष्ट्रपति पुतिन के ग़ुस्से को भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह एक शक्तिशाली भारत ही था, जो ना अमेरिका से डरा और ना ही चीन से। उसने अपने शांति प्रयास जारी रखे। वह अमेरिका के दबाव के बावजूद इस युद्ध में तटस्थ बना रहा। पीएम मोदी की यही भूमिका दुनियाभर में सराही गई। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं जो रूस भी गए और यूक्रेन भी गए। दोनों राष्ट्रपतियों से मिले। शांति का संदेश दिया और भारत का यह मंत्र दोनों को अच्छी तरह समझाने में कामयाब रहे कि युद्ध आख़िर किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। बातचीत ही समाधान की धुरी है और दोनों देशों को यह बात समझ में आ गई।
भारत के पीएम ने बनाया माहौल, दोनों देश वार्ता टेबल पर आने को तैयार
रूस के राष्ट्रपति पुतिन अब यूक्रेन से बात करने को तैयार हो गए हैं और यह भी कह रहे हैं कि इस बातचीत में भारत मध्यस्थता कर सकता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को तो पीएम मोदी पर इतना विश्वास है कि वो भारत की भूमि पर शांति वार्ता करने का सुझाव तक रख चुके हैं। ऐसा नहीं है कि युद्ध टालने की कोशिशें नहीं की गईं, लेकिन ये तमाम कोशिशें एकतरफ़ा थीं। अमेरिका और उसके साथी देश यूक्रेन को नाटो में मिलाने की गरज से उसके साथ खड़े हो गए थे और पुतिन के ग़ुस्से की यही सबसे बड़ी वजह थी। पहले से अपेक्षाकृत कमजोर अमेरिका की निष्पक्षता भी शक के दायरे में आ चुकी थी। यही वजह है कि वह युद्ध रोक पाने में नाकामयाब रहा। लेकिन जो काम दुनियाभर को मिलकर करना था, वह अकेले भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी ने कर दिखाया। कम से कम वार्ता टेबल पर आने के लिए तो अब दोनों देश तैयार हुए!
पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के दौरे के दौरान की थी शांति की अपील
ईस्टर्न इकॉनोमिक फोरम के कार्यक्रम में पुतिन ने कहा कि हमारा प्रमुख उद्देश्य यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र को कब्जे में लेना है। फिलहाल रूसी सेना कुर्स्क से यूक्रेनी सेना को पीछे खदेड़ रही है। रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को दो साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। कई बार रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की कोशिश की गई है, लेकिन रूस के इन शांति वार्ताओं में शामिल न होने के चलते इन बैठकों का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पाया। अब खुद पुतिन ने संकेत दिए हैं कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं। पुतिन का यह बयान ऐसे समय सामने आया है, जब बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के दौरे पर शांति की अपील की थी। बीते महीने ही यूक्रेन दौरे पर भी पीएम मोदी ने शांति की अपील की थी और कहा था कि भारत इसके लिए मदद करने के लिए तैयार है। यूक्रेन ने भी रूस के साथ शांतिवार्ता के लिए भारत की भूमिका को अहम बताया था।
जंग रोकने के लिए पुतिन की शर्तों को मानने से जेलेंस्की ने किया था इनकार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वे जंग में समझौते को लेकर यूक्रेन से बातचीत के लिए तैयार हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पुतिन ने कहा है कि इस बातचीत के लिए भारत मध्यस्थता कर सकता है। फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के एक महीने बाद रूस और यूक्रेन के बीच तुर्किये की राजधानी इस्तांबुल में कई दौर की बातचीत हुई थी। इसका मकसद जंग रोकना था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जंग रोकने के लिए दो शर्तें रखी थीं। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसोन और जपोरजिया से अपने सैनिक हटाने होंगे। इसके अलावा यूक्रेन कभी भी नाटो का हिस्सा नहीं बनेगा। हालांकि यूक्रेन ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा भारत में करवा सकते हैं पीस समिट
पुतिन का यह बयान तब आया है जब PM मोदी करीब 2 महीने पहले 8 जुलाई को रूस के दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने पुतिन से जंग रोकने पर चर्चा की थी। इसके कुछ समय बाद PM मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन का भी दौरा किया था। इस दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने भारत में दूसरा पीस समिट करवाने की इच्छा जाहिर की थी। वहीं जेलेंस्की के साथ बैठक में PM मोदी ने कहा था, भारत हमेशा से शांति के पक्ष में रहा है। मैं कुछ दिन पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिला था। तब मैंने मीडिया के सामने उनकी आंख से आंख मिलाकर कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है।
इस्तांबुल में हुए प्राथमिक समझौते को बातचीत का आधार बनाना चाहते हैं पुतिन
पुतिन के बयान का नतीजा चाहे जो हो, बातचीत का माहौल बनेगा तो कम से कम युद्ध विराम का रास्ता भी खुल ही जाएगा। पीएम मोदी की यात्रा के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अब यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के लिए भारत मध्यस्थता कर सकता है। गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान पुतिन ने कहा रूस और यूक्रेन की जंग शुरू होने के एक हफ्ते बाद ही इस्तांबुल में हुई बातचीत में शांतिवार्ता को लेकर एक प्राथमिक समझौते पर सहमति बनी थी, लेकिन इस समझौते को कभी लागू नहीं किया गया। अब अगर फिर से मध्यस्थता की बातचीत शुरू होती है तो इस्तांबुल में हुआ प्राथमिक समझौता इस बातचीत का आधार बन सकता है।
ढाई साल में कहां पहुंची रूस-यूक्रेन जंग
- 24 फरवरी 2022 को शुरू हुई रूस-यूक्रेन जंग को ढाई साल पूरे हो चुके हैं। इस बीच अब तक यूक्रेन के 10 हजार आम नागरिकों की मौत हुई है, जबकि 18,500 लोग घायल हुए हैं।
- यूक्रेन का दावा है कि रूस 3.92 लाख सैनिक गंवा चुका है। इस बीच अमेरिका ने रूस की 500 रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रखे हैं।
- रूस-यूक्रेन जंग में 6 अगस्त 2024 को पहली बार ऐसा हुआ, जब यूक्रेन ने रूस में घुसकर उसके कुर्स्क इलाके पर कब्जा कर लिया। तभी से यूक्रेन लगातार रूस पर हमलावर है।
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 20 दिनों में यूक्रेन के हमलों में रूस के 31 नागरिकों की जान जा चुकी है।
- दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा पहली बार है, जब रूस की धरती पर किसी विदेशी ताकत ने कब्जा किया हो। यूक्रेन ने दो हफ्ते में रूस के 1263 वर्ग किमी इलाके पर कब्जा कर लिया था।
- यूक्रेन का दावा है कि रूस ने 2024 के 8 महीने में जितने इलाके पर कब्जा किया है, उससे ज्यादा जमीन पर यूक्रेन ने 2 हफ्तों में कब्जा कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की साख दुनियाभर में मजबूत हुई है। भारत एक विश्व शक्ति बनकर उभर रहा है। आज दुनिया भर में भारत की आवाज प्रभावी तरीके से सुनी जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति से विश्व पटल पर आज जो भारत की धाक बढ़ी है। यही कारण है कि अमेरिका ने रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए भारत से अहम भूमिका निभाने का आग्रह किया है। अमेरिका का कहना है कि भारत दोनों देशों के बीच संघर्ष खत्म कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अमेरिका ने भारत से अपील की है कि वह रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों का इस्तेमाल कर राष्ट्रपति पुतिन को कहे कि वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध रोक दें। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने ये अपील की। उन्होंने कहा कि ‘भारत के रूस के साथ पुराने और मजबूत संबंध रहे हैं और ये सभी को पता हैं। हम चाहेंगे कि भारत, रूस के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति पुतिन से अपील करें कि वह यूक्रेन के खिलाफ जारी अवैध युद्ध को रोक दें और शांति स्थापित करें।’
#WATCH | US State Department Spokesperson, Matthew Miller says, “India has a longstanding relationship with Russia, that is well known. Speaking for the United States, we have encouraged India to use that longstanding relationship with Russia and the unique position they have to… pic.twitter.com/Skyc3S1cDR
— ANI (@ANI) July 15, 2024
अमेरिका को भरोसा भारत खत्म करवा सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध
इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी के हाल के रूस दौरे के दौरान अमेरिका समेत पूरी दुनिया को एक बार फिर रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ उनकी गहरी दोस्ती देखने को मिली। इसे देखकर अमेरिका को पक्का यकीन हो गया कि सिर्फ भारत ही पुतिन को यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए मना सकता है। अमेरिका ने साफ कहा है कि रूस के साथ भारत के अच्छे रिश्ते हैं। इसी रिश्ते की वजह से भारत के पास रूसी राष्ट्रपति पुतिन से यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने को कहने की क्षमता है। अमेरिका ने कहा कि भारत रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म कराने की ताकत रखता है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे से जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत के पास ये क्षमता है कि वो रूस से बातचीत कर युद्ध को रुकवा सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि रूस के साथ भारत के दीर्घकालिक और अच्छे संबंध हैं। यही चीज भारत को राष्ट्रपति पुतिन से यह कहने की क्षमता देते हैं कि रूस किसी तरह यूक्रेन जंग को समाप्त करे। भारत हमारा एक रणनीतिक साझेदार है और हमने रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में पहले भी बात की है।