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पीएम मोदी ने बेहतर माहौल के साथ श्रमिकों को दी आर्थिक सुरक्षा, स्वस्थ कार्यबल को बनाया ज्यादा उत्पादक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कामगारों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए योजनाओं को जितनी तेज गति से लागू किया, वह अपने आप में एक मिसाल है। उन्होंने कामगारों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया, वहीं नौकरी जाने पर कामगारों की आर्थिक चिंता को भी दूर किया। प्रधानमंत्री मोदी ने श्रमिकों के हित में ‘श्रमेव जयते’ अभियान की शुरुआत की। इंस्पेक्टर राज को खत्म कर देश में हितकर औद्योगिक और कारोबारी माहौल को बढ़ावा दिया। कार्यस्थलों में कामकाज की बेहतर स्थितियां सुनिश्चित कीं, ताकि देश का स्वस्थ कार्यबल ज्यादा उत्पादक हो सके।

आइए एक नजर डालते हैं किस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने श्रमिकों के सर्वांगीण विकास और उनके हितों का ध्यान रखा हैं-

समुचित माहौल

  • 16 अक्टूबर, 2014 को एक एकीकृत श्रम सुविधा पोर्टल लांच किया गया।
  • श्रम सुविधा पोर्टल पर केंद्रीय क्षेत्र में पारदर्शी श्रम निरीक्षण योजना की शुरुआत की गई।
  • ऑनलाइन निरीक्षण के लिए औद्योगिक इकाइयों को यूनिक लेबर आइडेंटिफिकेशन नंबर (एलआईएन) दिया गया।
  • 08 नवंबर, 2019 तक 27,81,065 इकाइयों को यूनिक लेबर आडेंटिटी नंबर आवंटित किया गया था।
  • लेबर इंस्पेक्टर की भूमिका अब केवल ‘निरीक्षक’ के साथ-साथ ‘सहायक’ की भी हो गई है।
  • निरीक्षण रिपोर्टों को अपलोड करने की समयावधि 5 नवम्‍बर, 2018 से कम होकर 48 घंटे हो गई है।
  • 9 श्रम कानूनों के अंतर्गत अलग से रिटर्न भरने के बजाय सिर्फ एक संगठित ऑनलाइन रिटर्न भरने की सुविधा दी गई है।
  • मोदी सरकार के इस कदम से सुरक्षा और कार्यस्थलों में कामकाज की बेहतर स्थितियां बनी हैं।

श्रमिकों की सुविधा

  • कर्माचारियों की सुविधा के लिए यूनिवर्सल एकाउंट नंबर (यूएएन) कार्यक्रम को 16 अक्टूबर, 2014 को शुरू किया गया।
  • सितंबर 2017 से फरवरी 2020 के दौरान ईपीएफओ से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या करीब 3.29 करोड़ रही।
  • कर्मचारियों को नौकरी बदलने के बाद ईपीएफओ खाते को ट्रांसफर करने की जरूरत खत्म हो गई है।
  • यूनिवर्सल एकाउंट नंबर (UAN)से ईपीएफओ खाते की पोर्टेबिलिटी में सुविधा मिली है।
  • कर्मचारी को यूएएन के लिए नियोक्ता पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
  • ईपीएफओ ने अंशदान के मासिक रिटर्न जमा करने, निवेश और अन्य क्रियाकलापों के लिए ऑनलाइन सुविधा की शुरुआत की।
  • मोदी सरकार ने सदस्यों को अपने निष्क्रिय खातों का पता लगाने, उनसे धन आहरण करने की सुविधा दी है।
  • निष्क्रिय खातों को वर्तमान खातों के साथ जोड़ने के लिए एक ऑनलाइन हेल्प डेस्क बनाया गया है।
  • पंजीकरण से छूटे कर्मचारियों को पंजीकृत करने के लिए जनवरी 2017 में कर्मचारी पंजीकरण अभियान की शुरुआत की गई।
  • नाम, जन्म तिथि और लिंग परिवर्तन आदि के लिए भी ऑनलाइन सुविधा शुरू की गई है।

श्रमिक सुरक्षा

  • कंपनियों को निश्चित समय के लिए कर्मचारियों को नौकरी पर रखने का अधिकार दिया गया है।
  • 100 या इससे ज्यादा कर्मचारी वाली कंपनियों को छंटनी से पहले सरकार से पूछना अनिवार्य किया गया है।
  • कंपनियों को नोटिफिकेशन के जरिए 100 कर्मचारियों की सीमा को घटाने और बढ़ाने का अधिकार दिया गया है।
  • अचानक ऑर्डर मिलने पर कंपनियां तीन महीने या छह महीने के लिए कर्मचारियों को काम पर रख सकती है।
  • नियमों के पालन का बोझ कम करने के लिए फॉर्मों और रिपोर्टों को 36 से घटकर 12 कर दिया गया है।
  • 5.85 करोड़ प्रतिष्ठानों के लिए श्रम रजिस्टरों की संख्या को 56 से घटाकर केवल 5 कर दिया गया है।

श्रमिकों को आर्थिक राहत

  • राज्य कर्मचारी बीमा के लिए वेतन की अधिकतम सीमा को 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 21 हजार रुपए किया गया।
  • बोनस की अधिकतम सीमा को 3500 रुपए से बढ़ाकर 7000 रुपए किया गया।
  • बोनस के लिए पात्रता की सीमा को 10,000 रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 21,000 रुपए प्रति माह किया गया।
  • कर्मचारी भविष्य निधि पर दावे निपटान की सीमा को 30 दिन से घटाकर 20 दिन किया गया।
  • बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास योजना के तहत वित्तीय सहायता राशि 20 हजार रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए की गई।
  • मोदी सरकार ने कर मुक्त ग्रेच्युटी सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया।
  • मोदी सरकार ने निजी क्षेत्र में ग्रेच्युटी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 5 साल से घटाकर 3 साल किया।
  • एनपीएस में सरकार का योगदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर मूल वेतन का 14 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • एनपीएस में कर्मचारियों का न्यूनतम योगदान 10 प्रतिशत पर बना रहेगा।
  • ईपीएफओ ने एक आवास योजना शुरू की,जिसमें सदस्यों को पीएफ से धन निकालने की अनुमति है।

श्रमिकों की आर्थिक सुरक्षा      

  • मोदी सरकार ने संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ‘अटल बीमित व्यक्ति कल्याण’ नाम की योजना शुरू की।
  • इस योजना के तहत सरकार कर्मचारी की नौकरी छूटने पर 24 महीने तक पैसे देकर आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
  • ईएसआई के कवरेज क्षेत्र को बढ़ाया जा रहा है ताकि पूरे देश में सामाजिक सुरक्षा के जाल को बढ़ाया जा सके।
  • मोदी सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र में नए कर्मचारियों के ईपीएफ में तीन साल तक 12 प्रतिशत योगदान का फैसला किया।
  • सितंबर 2017 से फरवरी 2020 तक करीब 3.75 करोड़ नए लोगों ने ESIC की सदस्यता ली।
  • जुलाई 2019 में ईएसआई अंशदान की दरों में कमी की गई, जिससे नियोक्ताओं और कर्मचारियों को वित्तीय राहत मिली।
  • नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का संयुक्त योगदान 6.5 प्रतिशत से घटा कर 4 प्रतिशत किया गया।

स्वास्थ्य सुरक्षा 

    • ईएसआईसी ने चरणबद्ध तरीके से ईएसआई लाभार्थियों के लिए एक स्वास्थ्य पासबुक पेश की।
    • ईएसआईएस के लाभार्थियों को आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है।
    • ईएसआईसी ने 2022 तक देश के हर जिले में डिस्पेन्सरी कम ब्रांच कार्यालय खोलने की कवायद तेज कर दी है।
    • ईएसआईसी के पीपीपी मॉडल पर आधारित अस्पतालों में कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों के इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
    • ईएसआईसी कर्मचारियों को टेलीमेडिसिन सुविधा भी प्रदान कर रहा है।
    • ईएसआईसी के अस्पतालों मे एलोपैथिक के साथ आयुष यानि एवाईयूएसएच के अंतर्गत भी इलाज होता है।
    • ईएसआईसी ने मोबाइल एप ‘उमंग’ लॉन्च किया, जिसके माध्यम से बीमित व्यक्ति अनेक प्रकार की सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
    • ईएसआईसी अस्पतालों में गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की खरीद की गई।

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