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एआई लाखों लोगों के जीवन को बदलने में मदद कर सकता है: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार 11 फरवरी को पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ एआई एक्शन शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की। शिखर सम्मेलन के सह-अध्यक्ष के रूप में अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि दुनिया एआई युग की शुरुआत के दौर में है, जहां यह तकनीक तेजी से मानवता के लिए संहिता लिखने के साथ हमारी राजनीति, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और समाज को नया आकार दे रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और ऐसी बहुत सी चीजों में सुधार करके लाखों लोगों के जीवन को बेहतर करने में मदद कर सकता है। यह एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद कर सकता है जिसमें विकास लक्ष्यों को तेजी और आसानी से हासिल किया जा सकता है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘ऐसा करने के लिए, हमें संसाधनों और प्रतिभाओं को एक साथ लाना होगा। हमें ओपन-सोर्स प्रणाली विकसित करने होंगे जिससे विश्वास और पारदर्शिता बढ़ सके। हमें पूर्वाग्रहों से मुक्त गुणवत्ता वाले डेटा सेट बनाने होंगे। हमें टेक्नोलॉजी को सबके लिए सुलभ करना चाहिए और जन केंद्रित एप्लिकेशन बनाना चाहिए। हमें साइबर सुरक्षा, गलत सूचना और डीप फेक से जुड़ी चिंताओं को दूर करना चाहिए। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि टेक्नोलॉजी स्थानीय प्रणाली में निहित हो ताकि यह प्रभावी और उपयोगी हो सके।’

एआई एक्शन शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सकारात्मक क्षमता बिल्कुल अद्भुत है, लेकिन इसमें कई पूर्वाग्रह भी हैं जिनके बारे में हमें सावधानी से सोचने की जरूरत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहले से ही हमारी राजनीति, हमारी अर्थव्यवस्था, हमारी सुरक्षा और यहां तक कि हमारे समाज को नया आकार दे रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस सदी में मानवता के लिए कोड लिख रहा है। लेकिन, यह मानव इतिहास में अन्य प्रौद्योगिकी उपलब्धियों से बहुत अलग है।’

उन्होंने कहा कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अभूतपूर्व पैमाने और गति से विकसित हो रहा है। इसे और भी तेजी से अपनाया जा रहा है। इसलिए, शासन और मानकों को स्थापित करने के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयासों की जरूरत है, जो हमारे साझा मूल्यों को बनाए रखें, जोखिमों से निपटे और भरोसे का निर्माण करें।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘शासन सिर्फ जोखिमों और प्रतिद्वंद्विता से निपटने के बारे में नहीं है। यह नवाचार को बढ़ावा देने और इसे विश्व कल्याण के लिए तैनात करने के बारे में भी है। इसलिए, हमें नवाचार और शासन के बारे में गहराई से सोचना चाहिए और खुलकर चर्चा करनी चाहिए। शासन का मतलब सभी के लिए पहुंच सुनिश्चित करना भी है, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में। यह वह जगह है जहां क्षमताओं की सबसे अधिक कमी है – चाहे वह कंप्यूटिंग शक्ति हो, प्रतिभा हो, डेटा हो या वित्तीय संसाधन हों।’

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि ‘जॉब का नुकसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सबसे भयावह पक्ष है। लेकिन, इतिहास बताता है कि टेक्नोलॉजी के कारण जॉब खत्म नहीं होता है। इसकी प्रकृति बदलती है और नए प्रकार की नौकरियां पैदा होती हैं। हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस -संचालित भविष्य के लिए अपने लोगों को कौशल और पुनः कौशल प्रदान करने में निवेश करने की जरूरत है।’

उन्होंने कहा कि ‘भारत ने बहुत कम लागत पर 1.4 अरब से अधिक लोगों के लिए सफलतापूर्वक एक डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। यह एक खुले और सुलभ नेटवर्क के आसपास बनाया गया है। इसमें नियम हैं, और हमारी अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने, शासन में सुधार करने और हमारे लोगों के जीवन को बेहतर करने की एक विस्तृत श्रृंखला है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि ‘हमने डिजिटल वाणिज्य को सबके लिए लोकतांत्रिक और सुलभ बनाया है। यह विजन भारत के राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन की नींव है। यही वजह है कि अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान हमने जिम्मेदारी से, बेहतरी के लिए और सभी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने पर आम सहमति बनाई। आज, भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपनाने और डेटा गोपनीयता पर तकनीकी-कानूनी समाधानों में अग्रणी है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘हमारे पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। भारत अपनी विविधता को देखते हुए अपना स्वयं का बड़ा भाषा मॉडल बना रहा है। हमारे पास कंप्यूट पावर जैसे संसाधनों को पूल करने के लिए एक अनूठा सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल भी है। यह हमारे स्टार्ट-अप और शोधकर्ताओं को सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है। और, भारत यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए तैयार है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य अच्छे के लिए और सभी के लिए हो।’

उन्होंने कहा कि, ‘हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युग की शुरूआत में हैं जो मानवता की दिशा को आकार देगा। कुछ लोगों को बुद्धिमत्ता में मशीनों को इंसानों से बेहतर होने की चिंता है। लेकिन, हमारे सामूहिक भविष्य और साझा नियति की कुंजी हम इंसानों के अलावा किसी और के पास नहीं है।’

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