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PK की भविष्यवाणी: बेहद पॉपुलर PM Modi को अगले 20 साल में भी मुश्किल से चुनौती दे पाएगी आप, पीके बोले- विपक्ष का एकजुट होना संभव नहीं, अब चुनावों में हिंदुत्व बड़ा फैक्टर होगा

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प्रशांत किशोर उर्फ पीके…जो किसी दल की राजनीति में नहीं, लेकिन सभी दलों की राजनीति को प्रिडिक्ट करता है। कोई उसे डेटा एनालिस्ट समझता है तो कोई सोशल मीडिया एक्सपर्ट…कुछ लोगों के लिए पीके के मायने पॉलिटिकल पीआर है तो कुछ के लिए मार्केटिंग-ब्रांडिंग करने वाली संस्था। आप पीके से सहमत-असहमत हो सकते हैं, लेकिन उन्हें इग्नोर नहीं कर सकते। इन्हीं प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी को बेहद शानदार तरीके से प्रिडिक्ट किया है। पीके का मानना है कि पीएम मोदी में बहुत सारी अच्छाइयां हैं। यदि कोई भी व्यक्ति इतने ऊंचे पद तक पहुंचा है तो उसमें खूबियां तो बहुत ही होंगी। उनको किसी एक शब्द या वाक्य में बांधना बड़ा मुश्किल है, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि “ही इज ए ग्रेट लिसनर।” जो व्यक्तिगत तौर पर उनकी खूबी कह सकते हैं। उनकी ताकत भी है और उनकी ताकत के अलग आयाम भी हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 52 साल का यूनीक प्रोफेशनल मिक्स एक्सपीरिएंस 
पीके साफ कहते हैं कि भारतीय राजनीति के वर्तमान काल में पीएम नरेंद्र मोदी के समान यूनीक प्रोफेशनल मिक्स एक्सपीरिएंस किसी भी दल के किसी भी नेता में है। एक मीडिया के डिजिटल प्लेटफार्म के साथ लंबी बातचीत में पीके ने पीएम मोदी के बारे में खुलकर अपने विचार रखे। पीके के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने करीब 15 साल आरएसएस प्रचारक के तौर पर या संघ से जुड़े होने के कारण अपने समाज का फर्स्ट हैंड एक्सपीरिएंस किया। फिर बीजेपी में 15 साल एक पॉलिटिकल वर्कर के तौर पर सक्रिय रहे, उसमें पॉलिटिकल संगठन से जुड़ी बातों का अनुभव लिया।

अनुभव के आधार पर पीएम मोदी सबसे बेहतर पोजिशन में हैं, वे जानते हैं लोग क्या चाहते हैं
इसके बाद 15 साल चीफ मिनिस्टर रहकर शासन-प्रशासन चलाने का अनुभव हासिल किया और अब सात साल से ज्यादा देश के पीएम हैं। अगर आप इन 52 साल को जोड़ देंगे तो यह एक यूनीक प्रोफेशनल मिक्स है। यही उन्हें इस बात के लिए इक्विप्ड करता है कि वो यह जान जाते हैं कि आम लोग क्या सोच रहे हैं। वो ऐसा इसलिए कर पाते हैं, क्योंकि उनका पांच दशक का ऐसा अनुभव है। उस अनुभव के आधार पर वो हमसे और आपसे बेहतर पोजिशन में हैं, ये समझने के लिए कि लोग क्या सुनना चाहते हैं ? लोगों की पहली जरूरतें क्या हैं ? यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

किसी भी दल को राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए 20 करोड़ वोट हासिल करने की जरूरत
दिल्ली के बाद पंजाब में भी सत्ता पर काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी के हौंसले बुलंद हैं। आप अब गुजरात में भी अपनी सक्रियता बढ़ाने में लगी है। इस बीच, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी आम आदमी पार्टी को लेकर बड़ी भविष्यवाणी कर दी है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि कोई भी पार्टी रातोंरात नेशनल पार्टी नहीं बन जाती। आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनने में अभी लंबा वक्त लगेगा। यह समय कम से कम 15 से 20 साल हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी दल को राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए 20 करोड़ वोट हासिल करने की जरूरत होती है, जबकि आप को 2019 में मात्र 27 लाख वोट मिले थे। इसको देखते हुए आम आदमी पार्टी के लिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इतिहास के पन्नों को देखने पर यह साफ है कि सिर्फ भाजपा और कांग्रेस ही पूरे देश के लोगों तक पहुंच चुके हैं। ये हैसियत कुछ सालों में हासिल नहीं की जा सकती।केजरीवाल को केंद्र में पीएम मोदी को टक्कर देने में 20 साल से ज्यादा लगेंगे

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि उनके समर्थक लगातार उनके पक्ष में डटे हुए हैं और कार्यकर्ता उनके लिए मेहनत कर रहे हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल को केंद्र में पीएम मोदी को टक्कर देने में दो दशक से ज्यादा का वक्त लग सकता है। एक-दो राज्यों में चुनाव जीतकर थोड़ी बड़ी शक्ति के तौर पर उभरना एक बात है और लोकसभा चुनाव जीतना दूसरी बात है। थ्योरेटिकली तो कोई भी पार्टी नेशनल पार्टी बन सकती है, लेकिन यदि आप देश के लोकतांत्रिक इतिहास को देखेंगे तो पाएंगे कि ओवरनाइट ये बदलाव संभव नहीं है।पीएम मोदी शानदार पॉपुलैरिटी बरकरार, देश की राजनीति में बीजेपी बड़ी ताकत बनी रहेगी
पीएम मोदी की शानदार पॉपुलैरिटी के बारे में पीके ने कहा कि यह बिल्कुल सही है कि पीएम मोदी की पॉपुलैरिटी बरकरार है। पांच में से चार राज्यों के नतीजे से अच्छे से साबित करते हैं। एक बार जब कोई पार्टी इतनी बड़ी हो जाती है कि उसको 30 परसेंट या इससे ज्यादा वोट मिलें तो उसे आप विश अवे नहीं कर सकते। इसका मतलब ये नहीं कि वो कभी चुनाव हारेगी नहीं। लेकिन देश की राजनीति में भाजपा एक बड़ी ताकत के रूप में बनी रहेगी। आने वाले कई सालों तक, इसमें कहीं कोई दो-मत नहीं है। जैसे स्वतंत्रता के बाद करीब चार-पांच दशक तक कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही राजनीति चली। वैसे ही अब बीजेपी के इर्द-गिर्द ही राजनीति चलेगी।

देश में विपक्ष का एकजुट होना ही बहुत मुश्किल और एकजुट होकर भी हो सकता है कमजोर
पीके से जब यह पूछा कि क्या अब हिंदुत्व एक बड़ा फैक्टर है ? उन्होंन जवाब दिया- हां, बिल्कुल, हिंदुत्व एक बड़ा फैक्टर है। इसका चुनाव में बहुत असर होता है। अब लगातार तीन सालों में कई चुनाव हैं। क्या अभी जितनी भी पार्टियां हैं, क्या वे सभी मिलकर बीजेपी को 2024 में चुनौती दे सकती हैं? पीके ने कहा कि मेरा मानना है कि विपक्ष एकजुट होकर भी बहुत कमजोर हो सकता है और कई ऐसे संदर्भ हैं, जहां विपक्ष एकजुट न होकर भी मजबूत दिखा, तो ये दोनों चीजें एक नहीं हैं। पहले तो विपक्ष का एकजुट होना ही बहुत मुश्किल है, क्योंकि पार्टियों का आपस में कॉम्पीटिंग इंटरेस्ट है। एक साथ सब आ जाएं, ये संभव नहीं है।

मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों को संग आने के साथ-साथ नरेटिव भी चाहिए, चेहरा भी चाहिए
आपने ज्यादातर देखा होगा कि लोग जो यूनाइटेड अपोजिशन की बात करते हैं, वो ये चाहते हैं कि भाई मेरे राज्य में मुझ पर न लागू हो, बाकी पूरे देश में एकजुट हो जाएं। पीके का डिटेल इंटरव्यू आप दैनिक भास्कर के डिजिटल प्लेटफार्म पर भी देख सकते हैं। पीके ने कहा कि सिर्फ और सिर्फ पार्टियों या नेताओं के साथ आ जाने से आपके पूरे वोटर भी एक साथ आ जाएं, ये जरूरी नहीं है। पार्टियों के संग आने के साथ-साथ आपको नरेटिव भी चाहिए, चेहरा भी चाहिए, ग्राउंड पर कोऑर्डिनेशन भी चाहिए, आपका कैंपेन भी इफेक्टिव होना चाहिए। सिर्फ पार्टियों और नेताओं के मिलने से आप मजबूत विपक्ष की परिकल्पना नहीं कर सकते।

 

 

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