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मोदी सरकार में तेजी से निपटेंगे दागी नेताओं से जुड़े मामले, देखिए भ्रष्टाचार पर चोट के 10 खास कदम

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केंद्र की सत्ता में आने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का अपना अटल इरादा जाहिर कर दिया था। अपनी पहली ही बैठक में मोदी कैबिनेट ने काले धन के खिलाफ एसआईटी के गठन का फैसला किया, आगे बढ़ते हुए नोटबंदी और GST जैसे कदम उठाए। इसी कड़ी में अब बारी है सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने की। इसके लिए सरकार ने 12 स्पेशल कोर्ट के साथ विधायकों और सांसदों से जुड़े रहे हजारों मामलों के तेज निपटारे का फैसला किया है। आइए इस फैसले के साथ ही मौजूदा सरकार के उन 10 कदमों पर नजर डालते हैं जिनसे भ्रष्टाचार पर सीधी चोट हुई है।

विधायकों और सांसदों के केस के लिए स्पेशल कोर्ट

जनता के प्रतिनिधि के रूप में चुनकर आये विधायक और सांसद कानून बनाने वाले लोगों में शामिल होते हैं। लेकिन देश भर की अलग-अलग अदालतों में 1581 विधायकों और सांसदों से जुड़े मामले हैं जिनमें हो रही है तो सिर्फ तारीख पर तारीख। मोदी सरकार ने अब इनसे जुड़े करीब साढ़े तेरह हजार मामलों के तेज निपटारे की ठानी है। सरकार इसके लिए साल भर में 12 स्पेशल कोर्ट बनाएगी और इस मद में 7.80 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी जा चुकी है।

कोर्ट गठन के साल भर में निपट सकते हैं मामले

ऐसे मामलों की कमी नहीं जिनमें अदालतों में सुनवाई की धीमी प्रक्रिया के चलते दागी नेता लंबे समय तक अपने पद पर बने रह जाते हैं। इसलिए सरकार की कोशिश रहेगी कि स्पेशल कोर्ट में उनसे जुड़े मामलों की तेज से तेज सुनवाई हो। पिछले दो दशक से ज्यादा से आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाले के कई मामले सुनवाई के दौर से ही गुजर रहे हैं। हालांकि चार साल पहले एक मामले में दोषी साबित होने के बाद उनकी संसद की सदस्यता चली गई थी। आज लालू की पत्नी राबड़ी, दोनों बेटे, बेटी मीसा और दामाद पूरा कुनबा ही अलग-अलग तरह के भ्रष्टाचार के आपराधिक आरोपों में घिरा हुआ है। स्पेशल कोर्ट बनने से अब ऐसे मामले एक छोटी समयसीमा में निपटाये जा सकते हैं। नेशनल हेराल्ड केस में भी तेज फैसला आ सकता है जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी आरोपी हैं।   

कैश में राजनीतिक चंदा सिर्फ 2000 रु तक 

राजनीतिक दल किसी भी व्यक्ति से कैश में बड़ा चंदा नहीं ले सकते। मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में ये प्रावधान किया गया कि सभी राजनीतिक पार्टियां एक व्यक्ति से कैश में सिर्फ 2000 रुपये तक ही चंदा ले सकती हैं। इस राशि से अधिक चंदा ऑनलाइन या चेक के तौर पर ही लिया जा सकता है। इससे पहले राजनीतिक दलों को अपनी आय में से 20 हजार से कम के चंदे को घोषित करने से छूट मिली हुई थी।

बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून

नोटबंदी के बाद सरकार ने बेनामी संपत्तियों के बारे में पुख्ता जानकारी जुटाना शुरू कर दिया। बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून, जिसे सालों से कांग्रेस ने लटकाये रखा था, उसे लागू करके इन संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। सरकार की इस कवायद का नतीजा ये है कि पहले 10 महीनों की कार्रवाई में ही 1350 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति जब्त की जा चुकी है। 650 से अधिक संदिग्ध बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई की जा चुकी है।

फर्जी कंपनियों पर सख्त कार्रवाई

नोटबंदी के बाद सरकार ने काला धन जमा करने के लिए बनाई गई तीन लाख से भी अधिक फर्जी कंपनियों का पता लगाया। इनमें से ज्यादातर कंपनियां नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करने में लगी थीं। सरकार की कार्रवाई में ऐसी दो लाख से ज्यादा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है। नोटबंदी के दौरान इन फर्जी कंपनियों में जमा 65 अरब रुपये की पड़ताल की जा रही है। कार्रवाई के दौरान ऐसी कंपनियों का भी पता लगा जहां एक पते पर ही 400 फर्जी कंपनियां चलाई जा रहीं थी।

Tax Heaven देशों के साथ कर संधियों में संशोधन 

ऐसे मामलों की कमी नहीं जिनमें कर चोरी के लिए उन देशों में पैसा ठिकाना लगाने की कोशिश की जाती है जो Tax Heaven देश के रूप में माने जाते हैं। यानी वो देश जहां के नियमों के चलते काले धन को सुरक्षित रखना आसान होता है। लेकिन मौजूदा सरकार ने मॉरीशस, स्विटजरलैंड, सऊदी अरब, कुवैत आदि देशों के साथ कर संबंधी समझौता करके सूचनाओं को प्राप्त करने का रास्ता सुगम कर लिया गया है।

रियल एस्टेट में 20 हजार रु तक ही कैश लेनदेन

रियल एस्टेट में कालेधन का निवेश सबसे अधिक होता था। पहले की सरकारें इसके बारे में जानती थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती थी। इस कानून के लागू होते ही में रियल एस्टेट में लगने वाले कालेधन पर रोक लग गई।

प्राकृतिक संसाधानों की ऑनलाइन नीलामी

मोदी सरकार सभी प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। इसकी वजह से पारदर्शिता बढ़ी है और घोटाले रुके हैं। यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला, स्पेक्ट्रम नीलामी जैसे घोटालों में देश का इतना खजाना लूट लिया गया था कि देश के सात आठ शहरों के लिए बुलेट ट्रेन चलवाई जा सकती थी।

‘आधार’ लिंक करने से फर्जीवाड़े पर शिकंजा

कालेधन पर लगाम लगाने के लिए पैन कार्ड और दूसरी कई योजनाओं से आधार को लिंक करना एक बहुत ही अचूक कदम है। ये निर्णय छोटे स्तर के भ्रष्टाचारों पर भी नकेल कसने में काफी कारगर साबित हो रहा है। गैस सब्सिडी को सीधे आधार से जुड़े बैंक खातों में देकर, मोदी सरकार ने हजारों करोड़ों रुपये के घोटाले को खत्म कर दिया। इसी तरह राशन कार्ड पर मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को भी सीधे खाते में देकर हर साल लगभग 50 हजार करोड़ रुपये से ऊपर की बचत की जा रही है। मनरेगा के तहत जॉब कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने से भी करोड़ों रुपये की बचत हुई है।

DBT से खत्म हुए बिचौलिये और फर्जी लाभार्थी

देश वो दौर भी देख चुका है जब सरकारी स्कीम के पैसों में लाभार्थियों तक पहुंचने से पहले बड़ी बंदरबांट होती थी। वक्त था जब 100 रुपये में से सिर्फ 15 रुपये ही लाभार्थियों तक पहुंचते थे। डीबीटी से 224 स्कीमों को जोड़ने के बाद सरकार  लगभग 32 करोड़ लोगों के खाते में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की रशि डायरेक्ट पहुंचा चुकी है। इनमें जन धन के तहत अब तक खुले 29 करोड़ से अधिक खातों का बड़ा योगदान रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुर्सी संभालते ही यह कहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना रुख साफ कर दिया था : ‘’भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई ऐसी है कि इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा और इसमें कोई पकड़ा जायेगा, वह बचेगा नहीं। मेरा कोई रिश्तेदार नहीं है।‘’ प्रधानमंत्री का यही संकल्प रहा है जो नोटबंदी और GST जैसे ऐतिहासिक कदम उन्होंने राजनीतिक नफे-नुकसान की परवाह किये बिना उठाकर दिखाये। इन दोनों ही कदमों ने  अर्थव्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सबसे बड़ी चोट की है।

 

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