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मोदी सरकार की लाखों लोगों को सौगात, अब नौकरी बदलने पर पीएफ अकाउंट ट्रांसफर कराने के झंझट से मिली मुक्ति, सितंबर में ईपीएफओ से रिकॉर्ड 15.41 लाख सदस्य जुड़े

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मोदी सरकार ने करोड़ों नौकरीपेशा लोगों के फायदे का फैसला लिया है। इसके चलते अब नौकरी बदलने पर लोगों को अपना पीएफ अकाउंट नई कंपनी में ट्रांसफर कराने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। कर्मचारियों का पीएफ खाता खुद-ब-खुद नई कंपनी में ट्रांसफर हो जाएगा। इसके लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने प्रोविडेंट फंड अकाउंट के लिए सेंट्रलाइज आईटी सिस्टम को मंजूरी दे दी है।सेंट्रलाइज आईटी सिस्टम अलग-अलग अकाउंट्स को मर्ज करेगा
सेंट्रलाइज आईटी सिस्टम की मदद से कर्मचारियों का खाता मर्ज होगा। अभी तक यह नियम है कि जब कोई कर्मचारी एक कंपनी छोड़कर दूसरी कंपनी में जाता है तो वह या तो पीएफ का पैसा निकाल लेता है या फिर दूसरी कंपनी में इसे ट्रांसफर कराता है। सेंट्रलाइज सिस्टम स्वत: ही पीएफ के खाताधारकों के अलग-अलग अकाउंट्स को मर्ज करके एक अकाउंट बनाएगा। केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने सरकारी उन्नत कंप्यूटिंग एजेंसी सी-डैक के जरिए ईपीएफओ के लिए एक केंद्रीकृत सूचना-प्रौद्योगिकी प्रणाली स्थापित करने का निर्णय किया है।ईपीएफओ को ज्यादा रिटर्न पर खाताधारकों को ज्यादा ब्याज मिलेगा
ईपीएफओ को सालाना डिपॉजिट का 5 प्रतिशत हिस्सा अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स में निवेश करने की इजाजत दी गई है, जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) भी शामिल है। लेकिन अभी केवल सरकार समर्थित अल्टरनेटिव फंड में ही निवेश की इजाजत दी गई है। इनविट के रूप में नया विकल्प मिलने से ईपीएफओ को ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद है। ईपीएफओ को जितना ज्यादा रिटर्न मिलेगा, उतना ही ज्यादा ब्याज वह अपने खाताधारकों को देगा । इससे छह करोड़ खाताधारकों को फायदा मिल सकता है।देश में पहली बार नौकरी ज्वाइन करने वालों की संख्या इतनी बढ़ी
देश में रोजगार बढ़ा है। सितंबर 2021 में 15.41 लाख लोग ईपीएफओ से जुड़े हैं। यह संख्या अगस्त 2021 की तुलना में 13 प्रतिशत ज्यादा है। अगस्त माह में ईपीएफओ से 13.60 लाख नए सदस्य जुड़े थे। ईपीएफओ में हर माह औसतन 7 लाख नए सदस्य जुड़ते हैं। इससे जुड़ने वालों में 22 के 25 साल के 4.12 लाख और 18 के 21 साल के 3.18 लाख कर्मचारी हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में पहली बार नौकरी ज्वाइन करने वालों की संख्या बढ़ी है।

ये राज्य सबसे आगे, ईपीएफओ से सितंबर में जुड़े 15.41 लाख सदस्य
ईपीएफओ के नए सदस्य सबसे ज्यादा गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और कर्नाटक के जुड़े हैं। इन राज्यों में नेट पेरोल के 61 प्रतिशत कर्मचारी हैं। नए सदस्यों में महिलाओं की संख्या 3.2 लाख है। इस वर्ष सितंबर में कुल 15.41 लाख अंशदाता जुड़े। ईपीएफओ से इस साल जुड़े नए सदस्य की बात करें तो अप्रैल में 8.90 लाख, मई में 6.57 लाख, जून में 11.16 लाख, जुलाई में 14.65 लाख, अगस्त में 13.60 लाख और सितंबर में 15.41 लाख सदस्य जुड़े हैं।90 हजार से ज्यादा बच्चों के सिर से पिता का साया उठा
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज नेशनल (NIDA) और इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की एक रिपोर्ट बताती है कि कोरोना काल में एक लाख के ज्यादा बच्चे अनाथ हुए। इनमें से 25500 ऐसे बच्चे हैं, जिन्होंने कोरोना काल में अपना मां को खो दिया। इसके अलावा 90751 बच्चे ऐसे हैं, जिनके सिर से पिता का साया उठ गया। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश में ऐसे हजारों बच्चे हैं, जिन्होंने अपने पिता या मां को या दोनों को खो दिया। कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों की पीड़ा को समझते हुए मोदी सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के माध्यम से अनाथ बच्चों को पेंशन देने का फैसला लिया है। एम्‍प्‍लॉई प्रॉविडेंड फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) ने ट्वीट कर ईपीएस स्कीम के तहत अनाथ बच्चों को मिलने वाले फायदों (EPS Benefits) के बारे में बताया है।

देश में 1.19 लाख बच्चे कोरोना के चलते अनाथ हुए
यूके बेस्ड प्रख्यात मेडिकल जनरल द लांसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में 15 लाख से ज्यादा बच्चों ने कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण कम से कम एक माता-पिता, कस्टोडियल दादा-दादी को खो दिया है। इनमें भारत में अनाथ हुए 1,19,000 बच्चे शामिल हैं। शोध के मुताबिक करीब दस लाख से ज्यादा बच्चों के माता और पिता में से कोई एक या फिर दोनों की मौत महामारी के शुरुआती 14 महीनों के दौरान हो गई। इसी तरह बाकी के 5 लाख बच्चों ने अपने ही घर में रहने वाले दादा-दादी की मौत देखी है।ईपीएस के सदस्य तो बच्चों को आर्थिक मदद मिलेगी
ऐसे हालात में अनाथ बच्चों के लिए मोदी सरकार की योजना वरदान साबित हो सकती है। अगर माता-पिता में कोई एक या दोनों नौकरीपेशा थे और एम्‍प्‍लॉई पेंशन स्‍कीम में मेंबर (EPS Member) रहे हैं तो उनके बच्‍चों को आर्थिक मदद मिल सकती है। ईपीएस में पैसे जमा करने के लिए कंपनी अपने कर्मचारी की सैलरी से पैसे नहीं काटती, बल्कि कंपनी के योगदान का कुछ हिस्सा ईपीएस में जमा किया जाता है।

माता-पिता में से कोई एक या दोनों नौकरीपेशा थे
कोरोना वायरस महामारी के देश में बड़ी संख्‍या में अपनों को खो दिया. यहां तक कि कई बच्‍चे अनाथ हो गए। कई ऐसी खबरें आईं कि परिवार के सभी सदस्‍यों की कोरोना के कारण मौत हो गई और बच्‍चे बेसहारा हो गए। ऐसे अनाथ बच्चों के लिए एम्‍प्‍लॉई पेंशन स्कीम (EPS) के तहत आर्थिक मदद मिल सकती है। हालांकि, ये फायदा उन अनाथ बच्चों को मिलेगा, जिनके माता-पिता में कोई एक या दोनों नौकरीपेशा थे और ईपीएस मेंबर रहे हों।ईपीएस के तहत अनाथ बच्चों को मिलेंगे ये फायदे
– अनाथ बच्चों को मिलने वाली पेंशन की राशि मासिक विधवा पेंशन की 75 फीसदी होगी. यह राशि कम से कम 750 रुपये प्रति महीना होगी।
– एक समय पर दो अनाथ बच्चों में से प्रत्येक को 750 रुपये प्रति महीना की पेंशन राशि मिलेगी।
– ईपीएस स्कीम के तहत अनाथ बच्चों को 25 साल की उम्र तक पेंशन दी जाएगी।
– अगर बच्चे किसी अक्षमता से पीड़ित हैं तो उन्हें जीवनभर पेंशन दी जाएगी।क्‍या ईपीएस के लिए करना होगा कोई भुगतान?
– ईपीएस के लिए कंपनी कर्मचारी के वेतन से कोई पैसे नहीं काटती हैं।
– कंपनी के योगदान का कुछ हिस्सा ईपीएस में जमा किया जाता है।
– नए नियम के तहत 15,000 रुपये तक बेसिक सैलरी वालों को ये सुविधा मिलेगी।
– नए नियम के मुताबिक सैलरी का 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में जमा किया जाता है।
– 15,000 रुपये बेसिक सैलरी होने पर कंपनी ईपीएस में 1,250 रुपये जमा कराती है।

पेंशन के लिए जमा करना होगा जीवन प्रमाणपत्र
पेंशन पाने वालों को कर्मचारी पेंशन योजना-1995 (EPS-95) के तहत पेंशन भुगतान के लिए जीवन प्रमाण पत्र या डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा कराना अनिवार्य है। हर साल पेंशनर्स को लाइफ सर्टिफिकेट या जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की जरूरत होती है। इससे पेंशन मिलने में किसी तरह की बाधा नहीं आती है। अब वीडियो कॉल के जरिये भी जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की सुविधा शुरू कर दी गई है।

 

(*बच्चों के सभी फोटो सांकेतिक हैं)

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