दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बार-बार और शोर मचाकर झूठ बोलने को राजनीतिक सफलता का मूल मंत्र मान चुके हैं। दिल्ली सरकार के विज्ञापन पर पल रहे कुछ एजेंडाधारी पत्रकार केजरीवाल के झूठ को प्रचारित और प्रसारित करने में पूरी मदद करते हैं। इसलिए सार्वजनिक मंच पर केजरीवाल के झूठ बोलने का सिलसिला जारी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार (31 अगस्त, 2022) को दिल्ली में देश के पहले वर्चुअल स्कूल की शुरुआत करने का दावा किया। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी केजरीवाल का झूठ पकड़ा गया। दिल्ली से पहले बीजेपी की उत्तराखंड सरकार और मोदी सरकार वर्चुअल स्कूल खोल चुकी है। केजरीवाल के इस झूठ से उनके शिक्षा मॉडल पर एक बार फिर सवाल खड़े होने लगे हैं।
दिल्ली के मुख्यमंंत्री केजरीवाल ने 31 अगस्त, 2022 को ट्वीट कर कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति की शुरुआत हो रही है। आज देश का पहला वर्चुअल स्कूल दिल्ली में शुरू। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आगे कहा कि हमें बाबा साहब का सपना पूरा करना है, देश के हर बच्चे तक अच्छी शिक्षा पहुंचानी है, दिल्ली के डिजिटल स्कूल में नौवीं क्लास के लिए एडमिशन शुरू हो गए हैं। इस वेबसाइट DMVS.ac.in पर जाकर बच्चे एडमिशन ले सकते हैं।
आज शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति की शुरुआत हो रही है। आज देश का पहला वर्चुअल स्कूल दिल्ली में शुरू। https://t.co/PIms2geisB
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 31, 2022
जब अरविंद केजरीवाल के इस दावे की पड़ताल की गई, तो यह पूरी तरह से झूठा नकला। दरअसल दिल्ली में खोला गया वर्चुअल स्कूल देश का पहला वर्चुअल स्कूल नहीं है। सबसे पहले 2020 में बीजेपी शासित राज्य उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में देश के पहले वर्चुअल स्कूल की शुरुआत की थी। इस स्कूल के जरिये भारतीय ज्ञान परंपरा, वैदिक गणित, विज्ञान, भारतीय शास्त्रीय संगीत, संस्कृति, कला और परंपराओं की शिक्षा दी जा रही है। वर्चुअल होम स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम में अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों के लोग वर्चुअली जुड़े हुए थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से देश के पहले फुल वर्चुअल होम स्कूल सीज ग्लोबल इंस्टीटयूट का उद्घाटन किया। इस स्कूल के जरिये भारतीय ज्ञान परंपरा,भारतीय शास्त्रीय संगीत, कला और परंपराओं की शिक्षा दी जाएगी। इससे इन विषयों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। pic.twitter.com/reg42RLhED
— Uttarjan Tv (अपनी माटी,अपने लोग) (@uttarjan_tv) October 20, 2020
इसके बाद केजरीवाल के इसी दावे को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) ने गलत बता दिया। एनआईओएस ने बाकायदा बयान जारी कर कहा कि भारत का पहला वर्चुअल स्कूल 2021 में उसका स्थापित किया हुआ है। संस्था ने बताया कि अगस्त 2021 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंंद्र प्रधान ने ये स्कूल (virtual.nios.ac.in) शुरू किया था। ओपन स्कूल ने अपने बयान में बताया कि उससे संबद्ध 7000 से ज्यादा पढ़ाई के केंद्र हैं। ये केंद्र छात्रों को अकादमिक मदद देते हैं। इसके अलावा 1500 से ज्यादा केंद्र छात्रों को कौशल वाले व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में मदद कर रहे हैं। इन सभी जगह ऑनलाइन यानी लाइव इंटरैक्टिव क्लास की जाती हैं।
With reference to certain media reports regarding the claims of India’s first virtual school being launched today. It is informed that the first virtual school of the country was already launched by NIOS in August 2021@dpradhanbjp@Annapurna4BJP@Drsubhassarkar @RanjanRajkuma11 pic.twitter.com/3Yq0N6oVRP
— NIOS (@niostwit) August 31, 2022
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस वर्चुअल स्कूल के उद्घाटन के बाद इस संबंध में ट्वीट कर जानकारी भी दी थी। प्रधान ने तब कहा था कि 3-9 वर्ष के 7.5 करोड़ छात्रों को पढ़ने, लिखने और अंकगणित में निपुण बनाने के लिए ई संसाधन हों या शिक्षक और शिक्षार्थी की दूरी को कम करने तथा छात्रों का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने कि दिशा में शुरू हुए वर्चुअल स्कूल यह सब मोदी सरकार की शिक्षा की ओर प्रतिबद्धता को दृष्टिगत करता है।
3-9 वर्ष के 7.5 करोड़ छात्रों को पढ़ने, लिखने और अंकगणित में निपुण बनाने के लिए ई संसाधन हों या शिक्षक और शिक्षार्थी की दूरी को कम करने तथा छात्रों का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने कि दिशा में शुरू हुए वर्चूअल स्कूल यह सब मोदी सरकार की शिक्षा की ओर प्रतिबद्धता को दृष्टिगत करता है। pic.twitter.com/42TEso0lFl
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) August 24, 2021
बीजेपी ने केजरीवाल के झूठ का पोल खोल अभियान शुरू कर दिया है। बीते दिनों बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया और आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज के बीच एक टीवी डिबेट के दौरान बहस सोशल मीडिया से होती हुई सड़क पर आ गई। सौरभ भारद्वाज ने गौरव भाटिया को दिल्ली के स्कूलों का निरीक्षण करने की चुनौती दी थी। इसके बाद गौरव भाटिया ने सौरभ भारद्वाज से 500 स्कूलों की लिस्ट जारी करने की मांग की। इस दौरान दोनों ने एक दूसरे की पोल खोलने का दावा किया। लेकिन एक आरटीआई ने केजरीवाल के 500 स्कूल खोलने के वादे की पोल खोलकर रख दी है। आरटीआई के मुताबिक 2015 से 2021 तक केजरीवाल सरकार ने 27 नए स्कूल खोले, लेकिन 16 स्कूल बंद हो गए।
Please find attached. A total 06 question asked and they replied on only 2 that is number of new school opened /constructed from 2015 to 2021 which is 27 and school closed 16.
If u still have any doubt please file only RTI it will cost just rs 10 pic.twitter.com/arIvEo56hT— Mango Man *Amit Gupta* (@rockme26) September 1, 2022
देखिए यू-टर्न मास्टर केजरीवाल ने कब-कब बोला झूठ
दिल्ली के 10 लाख बच्चों को नौकरी देने का दावा निकला झूठ
पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भी केजरीवाल ने दिल्ली में 10 लाख नौकरियां देने का दावा किया था। अब हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव होने वाले हैं तो वहां जाकर भी उन्होंने इस तरह का दावा किया। इसके अलावा आप के तमाम नेता भी इस मामले में अपनी पीठ ठोकने से पीछे नहीं हटते, लेकिन झूठ की पोल खुल ही जाती है। वहीं RTI से मिली जानकारी में यह सामने आया कि दिल्ली में 7 सालों में केवल 3246 नौकरियां दी गई हैं। नौकरियां देने के मुद्दे पर केजरीवाल और उनके करीबी मनीष सिसोदिया ने कब क्या कहा, इस पर गौर फरमाइए- 21 फरवरी 2022 को केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में 10 लाख नौकरी दी। 24 मार्च 2022 को केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में 12 लाख युवाओं को नौकरी दी। इसके ठीक दो दिन बाद 26 मार्च 2022 को मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में 1.78 लाख युवाओं को नौकरी दी गई।
अभी अभी केजरीवाल ने गुजरात में झूठ बोला
मैं केजरीवाल को चुनौती देता हूँ किन 10 लाख युवाओं को नौकरी दी, कौन से विभाग में नौकरी दी , लिस्ट सार्वजनिक करें
RTI के मुताबिक़ 7 सालों में केवल 3246 नौकरियाँ दिल्ली में दी गई
गुजरात के युवाओं से झूठ बोलने के लिए माफ़ी माँगे केजरीवाल pic.twitter.com/6WSVOwV61s
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) August 23, 2022
सिसोदिया को लेकर केजरीवाल ने बोला झूठ
अमेरिका के अखबार न्यूयार्क टाइम्स में पेड न्यूज छपवाकर सरकार पर लगे दाग को साफ करने की जुगत से लेकर, सिसोदिया को भारत रत्न देने की बात कह कर केजरीवाल इन दिनों तमाम प्रयास कर रहे हैं जिससे उनकी सरकार पर लग रहे दाग को छिपाया जा सके। यही नहीं वे झूठे वादे से लेकर ऐसी बातें भी कर बैठते हैं जिस पर लोग अपनी हंसी नहीं रोक पाते। गुजरात के भावनगर में केजरीवाल ने कहा, ”आज मैं अपने साथ देश ही नहीं दुनिया के सबसे अच्छे शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को लेकर आया हूं। इन्हें(BJP) लगता है दुनिया में सबकुछ बिकता है। 75 साल के इतिहास में एक भी शिक्षामंत्री का नाम मुझे बता दे कोई जो सुबह 6 बजे स्कूलों को दौरा करता हो?”
जब 6 बजे सुबह कोई स्कूल खुलता ही नहीं तो कोई जायेगा क्यों ?
सिसोदिया की तरह झाड़ू लगाने ? https://t.co/2eJDCXqLtO— Social Tamasha (@SocialTamasha) August 23, 2022
केजरीवाल ने ऑटो चालक के घर डिनर को लेकर बोला झूठ
केजरीवाल ने दिल्ली की तरह पंजाब में भी ऑटो पॉलिटिक्स कर लोगों को झांसा दिया था। लेकिन लुधियाना में उनकी ऑटो पॉलिटिक्स की सच्चाई सामने आ गई। दरअसल, जिस ऑटो चालक ने केजरीवाल को डिनर के लिए बुलाया था, वो आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता निकला। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक केजरीवाल को खाने पर निमंत्रण देने वाले दिलीप कुमार तिवारी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रहने वाले हैं और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी के ट्विटर हैडल से ट्वीट किया गया कि पंजाब के एक सामान्य ऑटो ड्राइवर के निमंत्रण पर सीएम अरविंद केजरीवाल जी उसी की ऑटो में बैठ कर उनके घर खाना खाने पहुंचे।
Punjab के एक Auto Driver के Invitation पर CM @ArvindKejriwal जी उसी की ऑटो में बैठ कर उनके घर खाना खाने पहुँचे! pic.twitter.com/XDcaquwj5s
— AAP (@AamAadmiParty) November 22, 2021
ट्री ट्रांसप्लांटेशन को लेकर बोला झूठ
झूठ की सियासत करने वाले केजरीवाल ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन को लेकर झूठ बोला था। अरविंद केजरीवाल ने एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि कैबिनेट की बैठक में हमने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पास कर दी है। अब आपको पेड़ काटना नहीं, बल्कि उसे दूसरी जगह शिफ्ट करना होगा। आज हमारे पास ऐसी तकनीक है कि हम उस पेड़ को उठाकर दूसरी जगह ट्रांसप्लांट कर सकते हैं। केजरीवाल ने दावा किया कि पूरे देश में दिल्ली पहला ऐसा राज्य है जहां ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पास हुई है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गुजरात में ट्री ट्रांसप्लांटेशन का काम सात साल पहले 2013 से ही हो रहा है। इस बारे में साल 2013 में देश-विदेश की कई पत्र-पत्रिकाओं में इस बारे में खबर छपी थी।
मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने ही बातों, बयानों, आरोपों और वादों से यू-टर्न लेने में महारत हासिल कर चुके हैं। केजरीवाल अपनी नाकामी और गलती छिपाने के लिए दूसरे को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। देखिए कब-कब बोला झूठ और लिया यू-टर्न
वायु प्रदूषण को लेकर केजरीवाल के झूठे दावे
प्रदूषण को लेकर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल लगातार झूठ बोलते रहे हैं। एक तरफ दिल्ली की जनता का प्रदूषित हवा में दम फूलता रहता है और दूसरी तरफ केजरीवाल बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर दावा किया था कि दिल्ली में 25 प्रतिशत प्रदूषण कम हो गया।
प्रदूषण को लेकर केजरीवाल की राजनीति की वजह से ही दिल्ली में हवा सबसे खराब स्तर तक पहुंच गई है। दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। लेकिन केजरीवाल अपनी तरफ से कोई प्रयास करने के बजाए पूरा ठीकरा पंजाब, हरियाणा और केंद्र की सरकारों पर मढ़ने का काम करते रहे हैं।
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से मारपीट का मामला
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 19 फरवरी, 2018 की आधी रात को अपने मुख्यमंत्री निवास पर बैठक के बहाने बुलाया। फिर दो विधायकों द्वारा मुख्य सचिव के साथ मारपीट करा दिया। मामला उजागर होने पर केजरीवाल झूठ पर झूठ बोलते रहे जबकि उनके सलाहकार ने स्वीकार कर लिया था कि केजरीवाल के सामने मारपीट हुई। इस मामले को लेकर 20 फरवरी, 2018 को अंशु प्रकाश ने कई अन्य आईएएस अफसरों के साथ उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात करके इसकी जानकारी दी थी। अंशु प्रकाश की शिकायत पर सिविल लाइंस थाना पुलिस ने आप विधायक अमानतुल्ला खां और प्रकाश जरवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। बाद में, केजरीवाल एंड कंपनी ने दलित का एंगल देते हुए मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के खिलाफ संगम विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई जिसमें विधायकों का आरोप है कि मुख्य सचिव ने उन्हें जातिसूचक अपशब्द कहे।
एलजी पर झूठा आरोप
इसके पहले अपनी गलती छिपाने के झूठ का सहारा लेने वाले केजरीवाल का एक और झूठ उस समय पकड़ा गया, जब केजरीवाल सरकार ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के फाइलों को मंजूरी नहीं देते हैं जिससे दिल्ली सरकार का काम बाधित होता है। इस पर पलटवार करते हुए तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने एक डाटा जारी किया था। उपराज्यपाल के डाटा से केजरीवाल सरकार के झूठ का पर्दाफाश हुआ था।
केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल के कार्यों को लेकर 89 पेज की रिपोर्ट पेश किया था। जिसमें उपराज्यपाल पर फाइलों को मंजूरी नहीं देने को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ प्रस्तावों का जिक्र किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए एलजी कार्यालय के कामों को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया था। उन्होंने बताया कि जब से इस सरकार का गठन हुआ है तब से 10 हजार फाइल आए उसमें से 97 प्रतिशत फाइल को ज्यों का त्यों बिना कोई संशोधन के स्वीकृति दी गई। जिन फाइलों को कानून सम्मत नहीं पाया गया और जो नियम विरुद्ध थे, उसमें संशोधन करने की टिप्पणी देकर लौटाया गया।
बुलेट ट्रेन किराये को लेकर पकड़ा गया था झूठ
आईआईटी से इंजीनियर और पूर्व राजस्व अधिकार रहे अरविंद केजरीवाल खुलेआम झूठ बोलने में माहिर हैं। बुलेट ट्रेन को लेकर वह मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के बारे में लोगों को झूठी जानकारी दे रहे थे। वह लोगों को बता रहे थे कि मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का किराया 75 हजार रुपये होगा जबकि यह 1800 से 3000 रुपये के बीच ही होगा। आप भी देखिए केजरीवाल के झूठ का वीडियो –
ईवीएम पर केजरीवाल के झूठ का पर्दाफाश
मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में प्रत्याशी रहे श्रीकांत सिरसाट का दावा था कि उसे खुद का भी वोट नहीं मिला था। इस दावे के साथ उसने ईवीएम पर संदेह जताया था। श्रीकांत के दावे को आम आदमी पार्टी ने खूब उछाला। आप नेता इसे एक सुनहरा मौका समझ भुनाने में लगे थे लेकिन चुनाव आयोग ने जब पड़ताल की तो पता चला कि उसे जीरो नहीं 44 वोट मिले थे। इसके बाद श्रीकांत ने चुनाव आयोग से माफी मांग ली लेकिन आम आदमी पार्टी अब तक इस मुद्दे पर चुप है।
इसके पहले सबूतों का पिटारा रखने का दावा करने वाले सीएम केजरीवाल ने अपने विरोधी नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगाए और जब एक के बाद एक मानहानि का केस कोर्ट में पहुंचने लगा तो माफीनामा लिखने लगे।
अरुण जेटली से कोर्ट में माफीनामा
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अप्रैल, 2018 में भाजना नेता अरुण जेटली से माफी मांगी। सीएम केजरीवाल के साथ आशुतोष, संजय सिंह और राघव ने एक संयुक्त माफीनामा पटियाला हाउस कोर्ट में सौंपा। केजरीवाल ने पहले भी अरुण जेटली से माफी मांगी थी, लेकिन तब उन्होंने कहा था कि जबतक आप के सभी नेता माफी नहीं मांगते, केस वापस नहीं होगा। केजरीवाल ने अरुण जेटली पर डीडीसीए की अध्यक्षता के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। केजरीवाल के आरोप लगाने के बाद जेटली ने उनपर और उनके सहयोगी नेताओं पर 10 करोड़ रुपये मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।
नितिन गडकरी से लिखित में मांगी माफी
इसके पहले केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगते हुए कोर्ट केस खत्म करने की गुजारिश की। केजरीवाल ने नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर उनके खिलाफ लगाए गए असत्यापित आरोपों के लिए खेद व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरी आपसे कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है। मैं इसके लिए खेद जताता हूं। इस मामले को पीछे छोड़ते हुए कोर्ट केस को खत्म करें।’ केजरीवाल के माफीनामे के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मानहानि केस वापस लेने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दायर की है।
कपिल सिब्बल से भी मांगी माफी
आम आदमी पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने वर्ष 2013 में प्रेस कांफ्रेंस करके अमित सिब्बल (कपिल सिब्बल का बेटा) पर ‘निजी लाभ के लिए शक्तियों के दुरुपयोग’ का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे समय में एक दूरसंचार कंपनी की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए, जब उनके पिता कपिल सिब्बल केंद्रीय संचार मंत्री थे। केजरीवाल ने भाजपा नेता नितिन गडकरी के बाद कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी अपने बयान के लिए खेद प्रकट किया।
CM @ArvindKejriwal has tendered an apology to me in the court,for all the baseless&false allegations he & his party levelled against me in drug https://t.co/Fl679yeKHW mother suffered the most due to all this&this apology is vindication of her faith in Waheguru’s power of justice pic.twitter.com/YXs3f710eu
— Bikram Majithia (@bsmajithia) March 15, 2018
अकाली नेता बिक्रम मजीठिया पर लगाए आरोपों से लिया यू-टर्न
पंजाब चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने चुनावी रैलियों में अकाली दल के महासचिव और प्रदेश के तत्कालीन मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग्स माफिया होने का आरोप लगाए। यह आरोप अलग-अलग जगहों पर विवादित मुख्यमंत्री केजरीवाल बार-बार दोहराते रहे। इन आरोपों से दुखी होकर बिक्रम मजीठिया ने मानहानि का केस अमृतसर कोर्ट में किया। अब जब अरविन्द केजरीवाल को लगने लगा कि उनके आरोपों में कोई दम नहीं है, झूठे आरोप लगाने के मामले में जेल हो जाएगी तो आदतन अरविन्द केजरीवाल ने यू-टर्न मारा और लिखित में माफी मांगकर मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया है।
राजनीति में न आने की बात पर मारा यू-टर्न
अन्ना आंदोलन के दौरान कहा करते थे- राजनीति करने नहीं आया हूं, मुझे संसद नहीं जाना, पीएम-सीएम नहीं बनना, मैं भ्रष्टाचार मिटाने निकला हूं। लेकिन यू टर्न लेते हुए 26 नवंबर, 2012 को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर लिया। और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।
अन्ना की बात मानने पर किया यू-टर्न
अरविन्द केजरीवाल कहा करते थे कि जो अन्ना कहेंगे वही कहूंगा। पर अन्ना ने जब राजनीतिक दल बनाने पर हामी भरने से इनकार कर दिया तो ‘जनता की राय’ के बहाने नयी पार्टी बना डाली। अपने गुरु को अकेला छोड़ दिया। उनकी बातें ही इसका सबूत हैं-
कांग्रेस से समर्थन न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि सरकार बनाने के लिए वो कांग्रेस को ना समर्थन देंगे ना कांग्रेस से समर्थन लेंगे। लेकिन सत्ता के लोभ में यू-टर्न ले लिया। कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बन बैठे। 31 जनवरी 2015 को एक ट्वीट किया, जो उनके डर को दिखाता है और यह भी बताता है कि सत्ता के लिए वह हर काम करने के लिए तैयार है। इस ट्वीट को उन्होंने दस मिनट अपने एकाउंट से हटा दिया था।
सरकारी सुविधाएं न लेने पर मारा यू-टर्न
केजरीवाल कहा करते थे कि वो सरकारी बंगला, गाड़ी और लालबत्ती नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के लिए भी सरकारी एश-ओ-आराम हासिल किए।
जनलोकपाल देने के वादे पर मारा यू-टर्न
सरकार में आने के बाद 15 दिन में जनलोकपाल लाने का वादा किया, पर वो वादा भी अधूरा रहा। बहानेबाजी करते हुए 14 जनवरी, 2014 को ज़िम्मेदारी से भाग निकले, सरकार ही छोड़ दी।
शीला दीक्षित के खिलाफ जांच पर मारा यू-टर्न
शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उठाने वाले अरविन्द केजरीवाल अब चुप हैं। उन्होंने कहा था कि शीला दीक्षित के खिलाफ 370 पन्नों का सबूत है और सीएम बना तो वो 2 दिन में जेल जाएंगी। लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर लम्बी चुप्पी साध ली, फिर भेज दी केन्द्र को रिपोर्ट।
दिल्ली छोड़कर न जाने पर यू-टर्न
सत्ता को अपनी मर्जी से चलाने की ऐसी सनक सवार थी कि जब उन्होंने देखा कि केन्द्रशासित राज्य दिल्ली में शासन करना आसान नहीं है, तो उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली का काम सौंप कर पंजाब में चुनाव प्रचार करने चल दिए। प्रचार अभियान में खुलासा हुआ कि अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री बनेगें। इससे दिल्ली के लोग नाराज हो गये क्योंकि उनका मुख्यमंत्री किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहा था जबकि दिल्ली में समस्याओं का अंबार लगा था।
भ्रष्टाचार से उत्पन्न कालेधन को खत्म करने पर यू-टर्न
केजरीवाल के अन्ना आंदोलन का मूल उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार को खत्म करना था। इस भ्रष्टाचार की जड़ में देश का कालाधन था जिसे खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी अभियान शुरू किया। लेकिन केजरीवाल ने इसका जमकर विरोध किया क्योंकि उन्हें पीएम मोदी का विरोध करना था। ममता बनर्जी के साथ मिलकर नोटबंदी के खिलाफ जनसभा की और मोर्चा निकाला, जिसकी हवा निकल गई। केजरीवाल ने ट्विटर पर झूठी बातों का प्रचार किया।
जाति-धर्म से ऊपर उठकर राजनीति करने पर यू-टर्न
केजरीवाल ने भ्रष्टाचार ही नहीं जाति से ऊपर उठकर राजनीति करने की वकालत की थी लेकिन पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने यू टर्न ले लिया। केजरीवाल ने एलान किया है कि पंजाब में उनकी पार्टी जीती तो प्रदेश को पहला डिप्टी दलित सीएम मिलेगा। इसी तरह से वह धर्म की भी राजनीति करने के लिए कोई अवसर नहीं छोड़ते। मोदी का विरोध करने के लिए कभी वह हिन्दू और कभी मुस्लिमों की राग छेड़ देते हैं।
देशभक्ति की भावना पर केजरीवाल का यू-टर्न
देशभक्ति के तराने गाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी अपने देश की सरकार के दावे पर उंगली उठाई। पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे। जिसको लेकर सोशल मिडिया पर उनकी काफी थू-थू हुई।
भष्टाचारियों का न साथ देने पर मारा यू-टर्न
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर भ्रष्टाचार के लिए लगातार उंगली उठाते रहे अरविन्द केजरीवाल बिहार में चुनाव के दौरान यू-टर्न लेते दिखे, जब वो सार्वजनिक मंच पर लालू से गले मिले।
पार्टी को मिले दान को लेकर लिया यू-टर्न
राजनीति को पाक-साफ करने के इरादे से आई आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने पार्टी की वेबसाइट से दानदाताओं की सूची गायब कर दी। चंदे को लेकर दूसरी पार्टियों पर सवाल उठाने वाली आम आदमी पार्टी ने वेबसाइट रीलांच के नाम पर दानदाताओं की लिस्ट के ऑप्शन ही हटा दिया है। इससे पहले डोनर लिस्ट ऑप्शन पर क्लिक करने पर टेक्लिकल प्रॉब्लम बताकर पेज नहीं खुलता था। हालांकि वेबसाइट में चंदा देने के लिए डोनेशन का ऑप्शन रखा गया है। इस तरह से केजरीवाल ने डोनेशन के मामले में यू-टर्न ले लिया है।
धारा 144 लगाने पर केजरीवाल का यू-टर्न
केजरीवाल ने 23 दिसम्बर, 2012 को ट्वीट करते हुए धारा 144 को गलत बताया था। आगे भी अपने और साथियों के खिलाफ इस धारा के इस्तेमाल को गलत करार दिया था। लेकिन सत्ता में आने पर उन्होंने खुद अपने ही पूर्व साथियों के खिलाफ इस धारा का तब इस्तेमाल किया जब विधानसभा के बाहर वो प्रदर्शन कर रहे थे।
सतलुज-यमुना लिंक नहर पर केजरीवाल का यू-टर्न
विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब को ललचाई नजर से देख रहे अरविन्द केजरीवाल ने सतलज यमुना लिंक के पानी पर पंजाब का अधिकार तो बता दिया लेकिन जैसे ही हरियाणा सरकार ने मुनक नहर का पानी दिल्ली को देने पर पुनर्विचार की धमकी दी, मुख्यमंत्री केजरीवाल को यू टर्न लेना पड़ा।
‘ठुल्ला’ पर यू-टर्न
मुख्यमंत्री रहते अरविन्द केजरीवाल ने एक टीवी इंटरव्यू में पुलिस के जवानों को ठुल्ला कहा था, बवाल होने पर यू-टर्न लेते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लिए उन्होंने इस शब्द का प्रयोग किया था। अपने कहे पर उन्होंने माफी भी मांगी।
उप राज्यपाल को ड्राफ्ट्स भेजने पर यू-टर्न
केजरीवाल सरकार विधानसभा में पेश करने से पहले बिल ड्राफ्ट्स को उप-राज्यपाल के पास नहीं भेजने पर अड़ी थी। बाद में सरकार को यू-टर्न लेना पड़ा और सारे ड्राफ्ट्स उप-राज्याल के पास भेजे जाने लगे।
समर्थन पर यू-टर्न
केजरीवाल ने बिहार चुनाव में किसी भी दल या नेता का समर्थन करने से इनकार किया, लेकिन बाद में नीतीश कुमार के लिए दिल्ली में रह रहे बिहारियों से वोट करने की अपील की।
पानी पर यू-टर्न
दिल्लीवासियों को 700 लीटर पानी रोज मुफ्त देने का वादा आप नेता अरविन्द केजरीवाल ने किया था। इस वादे के बदले दिल्ली वालों को उन्होंने ऐसा पानी पिलाया कि पहले से भी दुगना-तिगुना बिल देना पड़ रहा है।
पक्की नौकरी पर यू-टर्न
ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए पक्की नौकरी का वादा भी केजरीवाल ने किया था, पर अब उस वादे से भी यू-टर्न ले चुके हैं।
चुनावी वादों पर यू-टर्न
चुनावी वादों को पूरा करने पर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यू टर्न लिया। पहले कहा करते थे कि सभी वादों को पूरा करूंगा लेकिन दिल्ली में एक समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि पांच साल में 100 फीसदी नहीं भी हो तो 40-50 फीसदी वादे पूरा करना भी काफी होगा।