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विदेशी फंडिंग से इमेज चमकाने और करियर बनाने वाले केजरीवाल देश का राजा बनने का देख रहे सपना

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 2000 से विदेशी फंडिंग लेकर इमेज चमकाई और सत्ता की सीढ़ी चढ़कर दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए। विदेशी फंडिंग के लिए उन्होंने कई एनजीओ बनाए। विदेशी फंडिंग करने वाली प्रमुख संस्था फोर्ड फाउंडेशन थी जो कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के लिए काम करती है। फोर्ड फाउंडेशन की फंडिंग से ही मैगसेसे पुरस्कार और अशोका फैलोशिप दी जाती है। केजरीवाल को भी मैगसेसे पुरस्कार और अशोका फैलोशिप मिल चुकी है। दिल्ली में सरकार बनाते ही उन्होंने एडमिरल एल. रामदास को लोकपाल बनाया था। रामदास को भी मैगसेसे पुरस्कार मिल चुका है यानी वो भी उसी इकोसिस्टम का हिस्सा थे। लेकिन केजरीवाल की महत्वाकांक्षा देश का राजा बनने की थी तो उनकी राह में जो भी बाधक बन रहे थे उन्होंने एक-एक कर सभी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब राजा बनने के लिए पैसे भी चाहिए तो शराब घोटाले से लेकर तमाम घोटालों को अंजाम दिया गया। कुल मिलाकर उनका पूरा करियर ही विदेशी फंडिंग से बनी और खड़ी हुई, इसीलिए आज भी वह उनके ही एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।

सीआईए के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करता है फोर्ड फाउंडेशन

अमेरिका की खुफिया संस्था सीआईए के साल 1951 के डिक्लासिफाइड डॉक्यूमेंट में लिखा हुआ है कि कैसे सीआईए को फोर्ड फाउंडेशन के माध्यम से अपने सहयोगी राजनीतिक प्रोजेक्ट तैयार करना है और साथ ही भारत और अन्य देश में कैसे साइकोलॉजिकल वॉरफेर में भी फोर्ड फाउंडेशन का साथ लेना है।

केजरीवाल ने वर्ष 2000 में एनजीओ बनाया परिवर्तन

साल 2000 में केजरीवाल एक एनजीओ बनाते हैं और नाम रखते हैं “परिवर्तन”। इस परिवर्तन एनजीओ को “ट्रांसपेरेंसी इंडिया” से सपोर्ट मिलता है जो कि “फोर्ड फाउंडेशन” और “सोरोस” की “ओपन सोसाइटी फाउंडेशन” के चंदे से चलती है!

केजरीवाल के एनजीओ परिवर्तन को फोर्ड फाउंडेशन का चंदा

साल 2002 से केजरीवाल के एनजीओ “सम्पूर्ण परिवर्तन” को फोर्ड फाउंडेशन सीधा चंदा देना शुरू कर देते है! केजरीवाल ने अपने एनजीओ का नाम “परिवर्तन” से बदलकर “संपूर्ण परिवर्तन” कर लिया था।

फोर्ड फाउंडेशन के चंदे से मिला अशोका फैलोशिप

साल 2004 में केजरीवाल को “अशोका फैलोशिप” मिलती है जिनके दम पर वो फिर पूरी दुनिया में बताता फिरता है कि देखो वो कितना पढ़ा लिखा है! पर आपको जानकर हैरानी होगी कि “अशोका फैलोशिप” का चंदा भी “फोर्ड फाउंडेशन” देती है।

फोर्ड फाउंडेशन के पैसे से मिला मैगसेसे पुरस्कार

साल 2006 में केजरीवाल को मैगसेसे पुरस्कार दिया जाता है और पूरी दुनिया में हो हल्ला मचाता है कि देखो हमें अपने काम के लिए कितना बड़ा अवॉर्ड मिला। लेकिन केजरीवाल ये नहीं बताएंगे कि “मैगसेसे पुरस्कार” भी फोर्ड के चंदे से ही दिया गया था!

दुनिया को बेवकूफ बनाने के लिए रामदास को बनाया लोकपाल

केजरीवाल के साथी एडमिरल एल. रामदास को साल 2004 में “मैगसेसे पुरस्कार” से नवाजा गया था। यानी रामदास भी उसी अमेरिकी डीप स्टेट के इकोसिस्टम का हिस्सा थे। बाद में केजरीवाल ने उन्हें अपनी पार्टी का पहला लोकपाल बनाया। दुनिया को बेवकूफ बनाने के लिए कि देखो वो कितना ईमानदार है!

रामदास अपनी कार में बैठाकर ले गए थे केजरीवाल

अन्ना आंदोलन के बाद अरविंद केजरीवाल ने जब आम आदमी पार्टी का गठन किया, तो उनका समर्थन करने के लिए देश-विदेश की कई शख्सियत आगे आईं। इनमें एक नाम पूर्व चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल एल. रामदास का भी था। वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें अरविंद केजरीवाल 2013 में अपनी कार में बैठाकर निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर पहुंचे।

सत्ता मिलते ही केजरीवाल ने रामदास को लोकपाल से हटाया

2015 में मिले प्रचंड बहुमत के बाद केजरीवाल सीएम बन गए। पार्टी के कई संस्थापक सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखाया जाने लगा। इस पर एडमिरल ने सवाल उठाया, केजरीवाल को पत्र लिखकर उन्हें समझाने का प्रयास किया। 80 वर्षीय रामदास का फोन तक नहीं उठाया। उन्हें बिना बताए एक झटके में लोकपाल समूह से बाहर कर दिया। एडमिरल का गला भर आया था, मगर किसी ने उनसे बात करना भी उचित नहीं समझा।

एल. रामदास की बेटी फोर्ड फाउंडेशन के प्रेसिडेंट की सीनियर एडवाइजर

मजे की बात देखिए कि केजरीवाल ने अपनी ईमानदार छवि गढ़ने के लिए जिस एल रामदास को पहला लोकपाल बनाया था उसकी बेटी फोर्ड फाउंडेशन के प्रेसिडेंट की सीनियर एडवाइजर थी!

मैगसेसे पुरस्कार, फोर्ड फाउंडेशन और सीआईए की प्लानिंग

सीआईए के डिक्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स पर नजर डालेंगे तो आपको साफ पता चल जाएगा कि “मैगसेसे पुरस्कार”, फोर्ड फाउंडेशन और सीआईए का सीधा सीधा प्लानिंग है। वे सभी एक ही उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं।

साल 2006 में केजरीवाल को अमेरिकी एनजीओ “ऐड इंडिया” से मिला चंदा

साल 2006 में केजरीवाल को अमेरिकी एनजीओ “ऐड इंडिया” उसे “एड साथी” के रूप में चुन कर उसे चंदा देती है। यहां भी मजे की बात देखिए की “फोर्ड फाउंडेशन” ही एड इंडिया को चंदा देती है।

केजरीवाल के एनजीओ कबीर को पंजीकरण से पहले मिल गया चंदा

साल 2005 में केजरीवाल ने एक और एनजीओ शुरू किया जिसका नाम था “कबीर”। मजे की बात देखिए “कबीर” के पंजीकरण के पहले ही “फोर्ड फाउंडेशन” उसे लाखों रुपए का चंदा दे देती है!

रतन टाटा साल 1994 से साल 2006 तक फोर्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी रह चुके

रतन टाटा साल 1994 से साल 2006 तक फोर्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी रह चुके है और साल 2008 से कुछ सालो के लिए नारायण मूर्ति फोर्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी रहे थे।

नारायण मूर्ति और रतन टाटा 2008 से अगले 5 साल केजीरवाल को देते रहे 25 लाख रुपये चंदा

साल 2008 से लेकर अगले 5 साल तक यानी अन्ना आंदोलन तक नारायण मूर्ति और रतन टाटा हर साल 25-25 लाख रुपये केजरीवाल के एनजीओ को देते रहे है। इसके लिए केजरीवाल ने नारायण मूर्ति से खुद अनुरोध किया था।

केजरीवाल का पूरा कैरियर सीआईए के लिए काम कर रही फोर्ड फाउंडेशन के चंदे से बना

इस तरह केजरीवाल अपना पूरा कैरियर विदेशी जासूसी संस्था सीआईए के लिए काम कर रही फोर्ड फाउंडेशन के चंदे से बनाता है। यही नहीं जिसके दम पर वो पूरी दुनिया में पढ़ा लिखा होने का दम भरता है वैसी “अशोका फैलोशिप” की डिग्री के पैसे भी “फोर्ड फाउंडेशन” ने दिए हैं!

विदेशी फंडिंग से चमकाई अपनी इमेज, दूसरे को बता रहा अनपढ़

अब केजरीवाल वो चंदे वाली डिग्रियां दिखा दिखा कर देश में अपनी मेहनत से ली हुई डिग्री को तुच्छ मान कर दूसरे लोगों को अनपढ़ कहता फिरता है! और उनके शिष्यों और साथियों को लगता है कि केजरीवाल बहुत पढ़ लिख लिए हैं और पूरे ब्रम्हांड में उनके जैसा पढ़ा लिखा कोई नहीं है!

हिंदू विरोधी और भारत विरोधी NGO से AAP के क्या हैं संबंध?

केजरीवाल के संबंध विदेशी फंडिंग से आतंकवादी का केस लड़ने वालों से क्यों?

केजरीवाल के संबंध शबनम हाशमी, गगन सेठी, हर्ष मंदर, और अन्य विदेशी फंड से चलने वाली एनजीओ के सदस्यों से है। ये सभी लोग विदेशी वित्त पोषित एनजीओ के कार्टेल चलाते हैं, जिसमें उन्हें फोर्ड फाउंडेशन, सोरोस, क्रिश्चियन चर्च और अन्य पश्चिमी संस्थाओं से फंड मिलता है। विदेशी फंड की मदद से ये लोग आतंकवादी का केस लड़ते हैं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का विरोध करते हैं और देश की विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं और उसमें अड़ंगा डालते हैं। यहां यह सवाल उठता है कि इस तरह के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों से केजरीवाल के संबंध क्यों हैं?

विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ से AAP का गहरा नाता 

विदेशी वित्त पोषित एनजीओ ‘कबीर’ के सह-संस्थापक मनीष सिसोदिया हैं। ऐसा लगता है कि वे लोग बहुत बारीकी से काम करते हैं। सिसोदिया ही नहीं, ऐसा लगता है कि AAP का शबनम हाशमी और विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ चलाने वाले ऐसे ही लोगों के साथ बहुत खास सहयोग है!

फोर्ड फाउंडेशन से केजरीवाल और गगन सेठी के क्या हैं रिश्ते?

गगन सेठी फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों के कार्टेल के लिए काम करता है। वह ऑक्सफैम के लिए भी काम करता है। गगन सेठी जनविकास एनजीओ के संस्थापक हैं, जिसे फोर्ड फाउंडेशन और अन्य विदेशी गैर सरकारी संगठनों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। क्या यह महज इत्तेफाक है कि अरविंद केजरीवाल को भी फोर्ड फाउंडेशन से फंड और अवॉर्ड मिल चुके हैं? गुजरात चुनाव के दौरान गगन सेठी ने आम आदमी पार्टी के लिए काम किया था।

आम आदमी पार्टी के झंडे का रंग बदलने के पीछे क्या है रहस्य?

आम आदमी पार्टी (AAP) के झंडे का रंग दिसंबर 2022 बदल गया। स्थापना के 10 साल बाद किसी पार्टी के लिए अपना झंडा और उसका रंग बदलना आसान नहीं है। इसके बावजूद AAP ने अपने झंडे का रंग बदल दिया। यहां सोचने वाली बात यह है कि ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि AAP को अपने झंडे का रंग बदलना पड़ा। पहले उनके झंडे का रंग सफेद और नीला था। अब यह बदलकर पीला और गहरा नीला हो गया है। नए झंडे के रंगों की विवेचना की जाए तो तीन बातें उभरकर सामने आती हैं। पहला कि उन्होंने भगत सिंह से पीला और अंबेडकर से नीला रंग लिया। भगत सिंह जहां क्रांति के प्रतीक हैं वहीं अंबेडकर सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं। लेकिन क्या पार्टी की विचारधारा इससे मेल खाती है? दूसरा कि खालिस्तान दो झंडों का प्रयोग करता है जो बिल्कुल AAP के झंडे के समान हैं। तो क्या खालिस्तान के प्रति एकजुटता जताने के लिए झंडे का रंग बदल दिया गया? तीसरा है यूक्रेन का झंडा। यूक्रेन और AAP में एक बात कॉमन है। ज़ेलेंस्की भी एक गैर-राजनीतिक व्यक्ति थे और केजरीवाल की तरह आंदोलन से राजनीति में आए। इसकी गहराई में जाएं तो यह बात सामने आती है कि केजरीवाल और ज़ेलेंस्की एक कॉमन एजेंसी से जुड़े हुए हैं। यह है फोर्ड फाउंडेशन। वही फोर्ड फाउंडेशन जो अमेरिकी खुफिया एजेंकी CIA के लिए काम करता है। वही CIA जो दुनियाभर में सत्ता को पलटने के लिए जाना जाता है और भारत में पीएम मोदी के आने के बाद वह इस जुगत में लगा हुआ है। यह भी अपने आप में रहस्य है कि बात-बात पर प्रेस कांफ्रेंस करने वाले केजरीवाल ने पार्टी के झंडे का रंग बदले जाने को लेकर औपचारिक रूप से कुछ नहीं कहा।

केजरीवाल का अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ बेनकाब, दिल्ली डायलॉग कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह पद से बर्खास्त

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह को उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया है। इससे केजरीवाल का अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ अब बेनकाब होने लगा है। विदेश में स्थित कई एनजीओ से केजरीवाल के संबंध रहे हैं और जैस्मीन शाह भी उसी इकोसिस्टम का हिस्सा रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने जैस्मीन शाह जैसे लोगों को अपने इकोसिस्टम में फिट करने के लिए दिल्ली डायलॉग कमीशन बनाया था। फरवरी 2015 में केजरीवाल ने सरकार बनाई और दिल्ली के लिए नीति बनाने और उनकी सलाह और योजना पर दिल्ली सरकार चलाने के लिए एक थिंक टैंक दिल्ली डायलॉग कमीशन (DDC) बनाया।

जैस्मीन शाह अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ गठजोड़ का हिस्सा

2016 में जैस्मीन शाह आप में शामिल हुए और तुरंत उन्हें डिप्टी सीएम सिसोदिया के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। जैस्मीन शाह आप में शामिल होने से पहले अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (J-PAL) के साथ काम कर रहे थे। 2018 में केजरीवाल ने जैस्मीन शाह को डीडीसी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया और उन्हें दिल्ली के लिए नीति बनाने की पूरी जिम्मेदारी दे दी। 2019 में डीडीसी ने अपनी सभी योजनाओं की निगरानी के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण डेटा है। कोई इस महत्वपूर्ण डेटा को किसी विदेशी संस्था को कैसे सौंप सकता है? ऐसा लगता है कि मुफ्त बिजली से लेकर ‘मीडिया’ शिक्षा मॉडल ‘फोर्ड फाउंडेशन’ इंटरनेशनल के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी द्वारा विकसित किया गया है!

फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं केजरीवाल, ज़ेलेंस्की, पोपोविक

अब अगर हम और गहराई में जाएं तो सभी कड़ियां एक ही स्थान पर मिलती हैं। फोर्ड फाउंडेशन के जरिए केजरीवाल, ज़ेलेंस्की, पोपोविक सभी एक एजेंसी से जुड़े हुए हैं। सर्बिया के पोपोविक को 1990 के दशक के उत्तरार्ध के बाद से पूर्वी यूरोप और अन्य जगहों पर शासन परिवर्तन के एक प्रमुख वास्तुकार के रूप में जाना जाता है, और Otpor के सह-संस्थापकों में से एक के रूप में जाना जाता है! Occu​py.com की रिपोर्ट से पता चलता है कि पोपोविक और ओट्पोर! ऑफशूट कैनवस (सेंटर फॉर एप्लाइड नॉनवायलेंट एक्शन एंड स्ट्रैटजीज) ने गोल्डमैन सैक्स के कार्यकारी और निजी खुफिया फर्म स्ट्रैटफोर (स्ट्रेटेजिक फोरकास्टिंग, इंक।) के साथ-साथ अमेरिकी सरकार के साथ भी घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है। पोपोविक की पत्नी ने भी स्ट्रैटफोर में एक साल तक काम किया है।

क्या ये एनजीओ सरकार का विरोध करने के लिए लेते हैं चंदा

इन एनजीओ को देश में राहत कार्य के लिए चंदा मिलता है या सरकार का विरोध करने के लिए? देश में जहां कहीं धरना प्रदर्शन होता है आप उन्हें हर विरोध में पाएंगे! चाहे वह सीएए का विरोध हो, किसान आंदोलन हो या किसी भी विकास परियोजना के खिलाफ विरोध हो। इससे साफ जाहिर होता है कि यह अमेरिकी डीप स्टेट की साजिश है और वह एनजीओ को मदद पहुंचाकर अपना हित साधते रहे हैं।

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