भारत सहित सभी सार्क देशों में कोरोना वायरस का कहर जारी है। अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए कोई कारगर दवा सामने नहीं आई है। ऐसे में कोरोना से निपटने का महत्वपूर्ण उपाय इस महामारी की रोकथाम के लिए उठाये जा रहे कदमों का बेहतर प्रबंधन है। इसके लिए भारत ने सार्क देशों के साथ मिलकर ई-प्लेटफॉर्म के माध्यम से मुहिम शुरू की है, जिसमें स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ प्रबंधन और रणनीति से जुड़े मुद्दों पर अनुभव साझा किए जा रहे हैं। ताकि सार्क देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एक-दूसरे के अनुभवों से लाभ उठा सके।
आईटीईसी पोर्टल के माध्यम से वेब आधारित मुहिम
सार्क देशों के स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए विदेश मंत्रालय ने अपने आईटीईसी (भारतीय तकनीकी और आर्थिक कार्यक्रम) पोर्टल के माध्यम से वेब आधारित मुहिम शुरू की है। रायपुर एम्स के नेतृत्व में इसकी शुरुआत हुई है। सत्रह तारीख को पहला सत्र आयोजित हुआ। इसमें कोविड-19 संक्रमण से जुड़ीं प्रबंधन रणनीतियों व संबंधित पहलुओं पर सार्क और अन्य पड़ोसी देशों में स्वास्थ्य सेवा पेशेवर वेब आधारित लाइव वेबिनार से जुड़े। अधिकारियों के मुताबिक सार्क देशों के लिए मुफ्त और इंटरेक्टिव प्रशिक्षण कार्यक्रमों की एक शृंखला उपलब्ध कराई जा रही है। बुनियादी कोविड-19 प्रबंधन पर प्रशिक्षण के लिए ई-आईटीईसी वेबिनार 45 मिनट से 1 घंटे का इंटरेक्टिव सत्र है।
Down But Not Out : Lock-downs have not restricted the learning and sharing.
150 Healthcare professionals of @SAARCsec countries participating in the first session of e-ITEC Training programme on #COVID19 Manangement.#SAARCfightsCorona #IndiafightsCorona@aiims_rpr pic.twitter.com/vPpS3je8iN— ITEC (@ITECnetwork) April 17, 2020
कोरोना संकट से निपटने के उपाय और अन्य मुद्दों पर चर्चा
इंटरेक्टिव सत्र में सवाल जवाब के जरिये हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन,प्लाज्मा तकनीक, टीका आदि से जुड़े कई मुद्दों पर जिज्ञासाओं का समाधान किया जा रहा है। चर्चा में कोरोना वायरस, संक्रमण रोकथाम के उपाय, निदान और कोरोना मरीजों और संपर्कों के नैदानिक प्रबंधन, फील्ड निगरानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। मौजूदा संकट से निपटने के उपाय और अन्य उभरते मुद्दों पर चर्चा की जा रही है।
साझा क्षमता निर्माण में सहायक
विदेश मंत्रालय को बड़ी संख्या में पड़ोसी देशों से स्वास्थ्य पेशेवरों के आवेदन इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मिले हैं। विदेश मंत्रालय का मानना है कि ये पहल बहुत ही सामयिक है क्योंकि जिस तरह से सार्क देशों में मामले बढ़ रहे हैं उसके मद्देनजर साझा क्षमता निर्माण की तत्काल जरूरत है। इसके माध्यम से कोविड-19 के इलाज, बचाव और प्रबंधन की जानकारी साझा की जा रही है। ठीक हुए लोगों पर अपनाए गए अनुभव साझा हो रहे हैं।
स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए सत्र आयोजित
एम्स रायपुर द्वारा कोरोना महामारी, रोकथाम और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के लिए प्रबंधन दिशानिर्देश विषय पर चार सत्र के बाद अब प्रबंधन के अन्य संबंधित पहलुओं पर पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स भुवनेश्वर के नेतृत्व में सत्र आयोजित होंगे। पूरी श्रृंखला जरूरत को देखकर आगे बढ़ाई जाएगी।
मॉडल को संस्थागत बनाने का प्रयास
विदेश मंत्रालय का मानना है कि सत्र दो तरह की प्रक्रियाएं होंगी। जहां देशों को कोरोना चुनौती से निपटने पर नए तरीके सीखने को मिलेंगे, वहीं एक दूसरे की मदद से समस्या को हल करने के प्रयास पर जोर होगा। भारत ने कहा है कि भविष्य में क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने के लिए इस तरह के मॉडल को संस्थागत बनाया जा सकता है।
भारत द्वारा सार्क के सदस्य देशों की मदद
गौरतलब है कि भारत वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए सार्क देशों के बीच सहयोग और सहयोग का नेतृत्व कर रहा है। पड़ोसी देशों को उपकरण और दवा उपलब्ध कराने में प्राथमिकता दी गई है। सार्क देशों के सहयोग के लिए 10 मिलियन अमरीकी डालर का फंड देने के अलावा डॉक्टरों, विशेषज्ञों और परीक्षण उपकरणों की रैपिड रिस्पांस टीमों, चिकित्सा आपूर्ति के जरिये विभिन्न देशों की मदद की जा रही है।
पीएम मोदी ने की ‘कोरोना कवच’ की पेशकश
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्क देशों को एक महत्वपूर्ण पेशकश की। भारत COVID-19 ट्रैक करने के लिए हिन्दी, अंग्रेजी और दूसरी बड़ी क्षेत्रीय भाषाओं में ‘कोरोना कवच’ के नाम से एक एप लॉन्च करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क सदस्य देशों को यह वायरस ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर ऑफर किया है, जिनमें भारत के साथ उसके पड़ोसी पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, मालदीव और बांग्लादेश शामिल हैं।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने में सहायक
भारत ‘कोरोना कवच’ नाम के ऐंड्रॉयड एप की टेस्टिंग पर कुछ दिनों से काम कर रहा है। जानकारी के अनुसार इस एप से स्टेज 2 में यूजर्स के लोकेशन पर लगातार नजर रख कर कम्युनिटी ट्रांसमिशन को चेक कर कोरोना वायरस की रोकथाम हो सकेगी। इस एप में उन यूजर्स का भी डेटा होगा जिन्हें सेल्फ क्वारनटीन के लिए कहा गया है। हालांकि ये एप Covid-19 से इंफेक्टेड शख्स की पहचान जाहिर नहीं करेगा।
इस एप में हरे, पीले और लाल तीन कोड होंगे, जिसमें हरे कोड का मतलब है कि आप पूरी तरह सुरक्षित हैं। पीले कोड का मतलब है कि आप किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए हैं। जबकि लाल कोड का मतलब है कि आप कोरोना संक्रमति हो चुके हैं।
जल्द लॉन्च होगा ‘कोरोना कवच’
इस एप्लीकेशन को मिनिस्ट्री ऑफ इलैक्ट्रोनिक्स और नीति आयोग की तरफ से तैयार किया जा रहा है और जल्द ही जारी किया जाएगा और आप अपने मोबाइल पर इस एप को डाउनलोड करके के पता लगाकर निश्चिंत हो सकेंगे।