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उद्धव राज में सुरक्षित नहीं है हिन्दू, दो संतों की मॉब लिंचिंग, मौन हैं ढोंगी लिबरल और सेक्युलर गैंग

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महाराष्ट्र में आज हिंदुत्व की बात करने वाली शिवसेना की सरकार है। लेकिन इस सरकार में हिन्दू सुरक्षित नहीं है। हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। पालघर में जिस तरह पुलिस की मौजूदगी में दो संतों और उनके ड्राइवर की मॉब लिंचिंग की गई है, उससे पूरा देश हैरान है। इस घटना को गुरुवार को अंजाम दिया गया, लेकिन इस मॉब लिंचिंग पर न तो उद्धव ठाकरे का बयान आया है और न ही लिबरल और सेक्युलर गिरोह का। 

मॉब लिंचिंग की यह घटना उस समय घटी जब पालघर जिले के गडचिनचले गांव के लोगों ने चोर होने के शक में तीन लोगों को उनकी कार से बाहर निकालकर उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। पुलिस के मुताबिक सुशील गिरि महाराज, जयेश और नरेश येलगडे एक वैन में बैठ कर सूरत में किसी शख्स के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। इन तीनों में से ही एक शख्स कार चला रहा था। इसी बीच 200 से अधिक ग्रामीणों ने तीनों को चोर समझकर रोक लिया। उन्होंने शुरुआत में तो उन पर पथराव किया और एक बार जब गाड़ी रुकी, तो तीनों को बाहर निकाला गया और लाठी-डंडों से जमकर पीटा गया। इसी दौरान ड्राइवर ने पुलिस को कॉल भी किया कि उनके वाहन पर हमला किया जा रहा है और ग्रामीण उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे। जल्द ही पुलिस टीम भी मौके पर पहुंच गई।


पुलिस टीम के पहुंचने पर भी ग्रामीण नहीं रूके, यहां तक कि उन्होंने पुलिस के वाहनों पर भी हमला कर दिया। खबरों के मुताबिक इस हमले में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं। पालघर के कलेक्टर कैलाश शिंदे ने बताया, ‘जिन तीन लोगों की भीड़ ने पिटाई की उन्हें अस्पताल लाया गया था जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले में लगभग 110 गांवों वालों को पूछताछ के लिए पुलिस थाने में लाया गया है और आगे की जांच जारी है।’

घटना की जानकारी मिलने पर शुरुआत में पहुंचे पुलिसकर्मी पीड़ितों को बचा नहीं सके क्योंकि हमलावरों की संख्या बहुत अधिक थी और भीड़ ने पुलिस वाहन में भी पीड़ितों की पिटाई की। कासा पुलिस स्टेशन के निरीक्षक आनंदराव काले ने बताया कि यह वीभत्स घटना गुरुवार को रात में 9.30 से 10 बजे के बीच हुई।

एक सीनियर पुलिस अधिकारी का कहना है कि फिलहाल मामले की सभी एंगल से जांच की जा रही है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि क्या इलाके में सोशल मीडिया के जरिए अफवाह फैलाई जा रही है? आखिर इतने सारे ग्रामीण एक साथ कैसे जमा हो गए? ग्रामीणों से भी इसको लेकर पूछताछ की जा रही है।

हैरानी की बात यह है कि गौ-तस्करों के मामले में लिंचिंग-लिंचिंग की रट लगाने वाले बुद्धिजीवी संतों की हत्या पर मौन है। न तो टीवी चैनलों पर डिबेट हो रही और न ही कोई मार्च निकाला जा रहा है। इस घटना ने फिर साबित कर दिया है कि तथाकथित बुद्धिजीवियों को सिर्फ गौ-तस्करों की चिंता है।  

जिस बेरहमी से संतों और उनके ड्राइवर को पीट-पीटकर मौत के घाट उतारा गया है और पुलिस पर पथराव किया गया। उससे पता चलता है कि महाराष्ट्र में सरकार बदलते ही देश और हिन्दू विरोधियों के हौसले बुलंद है। उन्हें न तो पुलिस का डर है और न कानून का। अब उनके निशाने पर बेकसूर साधु-संत हैं।

महाराष्ट्र में अपराधियों के हौसले इसलिए बुलंद है,क्योंकि उद्धव सरकार को कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन हासिल है। इसलिए उद्धव सरकार कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के संरक्षण में चलने वाले अपराधी गिरोहों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रही है। आज प्रदेश में अपराधी गिरोहों का बोलबाला है। बैशाखी पर चल रही उद्धव सरकार की कमजोरी और नाकामी का खामियाजा प्रदेश की बेकसूर जनता को भुगतना पड़ रहा है। 

 

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