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गरीबों को घर दिलाने का कोई उपाय नहीं छोड़ रहे प्रधानमंत्री मोदी, एक और संभावना पर विचार के निर्देश

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में गरीबों और वंचितों को उनका हक दिलाने के लिए किस प्रकार से लगातार मंथन चल रहा होता है, इसका उदाहरण अक्सर देखने को मिलता रहता है। अब वे गरीबों को घर दिलाने में तेजी लाने के लिए एक और संभावना निकालने में जुटे हैं। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्रालय से उन संभावनाओं को तलाशने को कहा है कि सरकारी इकाइयों के ऐसे घर, दफ्तर और ऐसी जमीन जिनका उपयोग नहीं हो रहा है, उन्हें कैसे गरीबों के हक में इस्तेमाल किया जा सकता है।

गरीबों के काम आ सकती है खाली पड़ी सरकारी जमीन
कई जगहों पर ऐसी पुरानी सरकारी इमारतों या जमीन को देखा जा सकता है, जिनका वर्षों से कोई उपयोग नहीं हो रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर उस ओर गई है। वे चाहते हैं कि इनकी यथास्थिति बनाए रखने से बेहतर होगा कि इन्हें गरीबों के हक में इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए आवास मंत्रालय को तमाम संभावनाओं का पता लगाते हुए इस दिशा में तेज कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आवास मंत्रालय से कहा है कि वह खाली पड़े या गैर उपयोगी सरकारी दफ्तरों और जमीन को गरीबों के लिए घर में तब्दील करने की संभावनाओं पर विचार करे। प्रधानमंत्री ने पूछा है कि मुंबई की खाली पड़ी जमीन को कैसे लोगों के सिर पर छत देने के उपयोग में लाया जा सकता है। गौर करने वाली बात है कि मुंबई जैसी जगहों पर सरकारी उपक्रमों की कई ऐसी जमीन है जिनका लंबे समय से किसी भी तरह का उपयोग नहीं हो रहा है।

देश के संसाधनों के जनहित में इस्तेमाल की पहल
साफ है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं कि बेकार पड़े सरकारी भवन या जमीन से अच्छा है कि वे गरीबों के काम आ जाएं। गरीबों को उन पर रिहायश मिल जाए। प्रधानमंत्री की कोशिश रही है कि देश में मौजूद सभी संसाधनों का जनहित में इस्तेमाल हो, तो इससे गरीबों-वंचितों का भला भी होगा और विकास को रफ्तार भी मिलेगी। हाल ही में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण और शहरी दोनों की प्रगति का जायजा लिया है। बताया जा रहा है कि इसी दौरान प्रधानमंत्री ने गरीबों के लिए हाऊसिंग की नई संभावनाओं पर अपनी बातें रखीं। गौर करने वाली बात है कि सरकार ने 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में एक करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा है। दोनों ही योजनाओं के तहत डेढ़ करोड़ से अधिक मकान बनवाए जा चुके हैं।

सबके लिए पक्का घर सुनिश्चित करने के प्रयासों में तेजी
2022 में आजादी के 75वें वर्ष के मौके पर सबके पास पक्का घर सुनिश्चित करने के प्रयास में मोदी सरकार निरंतर जुटी हुई है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रामीण विकास मंत्रालय जो कि आवास योजना की ग्रामीण घटक है, उसे 3.94 लाख जमीनविहीन परिवारों को दिसंबर तक जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया है। इसके लाभार्थियों को घर बनाने के लिए आर्थिक मदद तभी मिलेगी जब उनके पास जमीन होगी। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण का हाल ही में तब एक उत्साहवर्धक रंग सामने आया जब गुजरात के 26 जिलों में इस योजना के अंतर्गत बने 1.15 लाख से अधिक घरों का सामूहिक ई-गृह प्रवेश का कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इस कार्यक्रम के साक्षी बने थे और उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों के लाभार्थियों से संवाद भी किया था।

बिचौलिये खत्म, आवास योजना में अब शानदार घर
दरअसल सरकार के प्रति जो पुरानी धारणा थी, उसके हिसाब से ये लगेगा ही नहीं कि प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण में जैसा घर लोगों को मिल रहा है वह सरकार ने बनवाया है। गुजरात में इस योजना के तहत बने घरों के सामूहिक ई-गृह प्रवेश के दौरान जिस प्रकार की डिजाइन वाले घर लोगों को देखने को मिले वह अविश्वसनीय लग सकते हैं। लेकिन यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इसे संभव कर दिखाया गया है। उनकी सरकार ने सरकारी स्कीमों के रास्ते से बिचौलियों को खत्म कर दिया है, जिससे पूरे पैसे अब सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंच रहे हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों ने अपने घर अपनी पसंद के मुताबिक बनवाए हैं। देश वह दौर भी देख चुका है जब बिचौलियों की बंदरबांट के चलते रुपये में सिर्फ 15 पैसे लाभार्थियों के खाते में पहुंच पाते थे।

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