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पीएम मोदी के खिलाफ डीप स्टेट की साजिश बेनकाब, अमृतपाल के पक्ष में उतरे ग्लोबल खालिस्तानी, 5 दिन में बन गए 3 हजार सोशल मीडिया हैंडल

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अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के इशारे पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की ओर से रचे गए खालिस्तान एजेंडे का मोहरा अमृतपाल सिंह के खिलाफ जब भारत में कार्रवाई में शुरू होने जा रही थी तो CIA को इसकी भनक लग गई। उसके बाद अमृतपाल के समर्थन में तीन हजार सोशल मीडिया अकाउंट बना दिए गए और उसे #WeStandWithAmritpalSingh के साथ ट्रेंड किया जाने लगा। वैश्विक स्तर पर खालिस्तान समर्थक गुट उसके समर्थन में अपने खोल से बाहर आ गए। अमृतपाल और खालिस्तान के समर्थन बहाने जिस तरह पश्चिम के देशों कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका से भारत विरोधी प्रोपेगेंडा किया जा रहा है उससे उनका चेहरा बेनकाब हो गया है। लंदन में जिस तरह भारतीय दूतावास से तिरंगा उतारा गया उससे यह साफ हो गया है कि ब्रिटिश सरकार खालिस्तान समर्थकों को मौन समर्थन दे रही है।

पीएम मोदी को हर कीमत पर रोकना चाहता है डीप स्टेट

दरअसल पश्चिमी देश भारत के चौतरफा विकास से घबरा गए हैं। भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत होती जा रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होने जा रहा है। यानि जिन सामानों का आयात अब तक पश्चिम के देशों से किया जा रहा था वह अब बंद हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ भारत रक्षा उपकरण से लेकर खिलौना तक में अब दूसरे देशों को निर्यात करने लगा है। इससे पश्चिमी देशों को अपना बाजार सिमटता दिख रहा है। उन्हें डर है कि पीएम मोदी अगर 2024 में चुनाव जीत जाते हैं तो 2029 तक कई और बाजार उनसे छिन जाएगा। यही कारण है कि पश्चिमी देशों का डीप स्टेट हर कीमत पर पीएम मोदी को 2024 में रोकना चाहता है।

खालिस्तानी समर्थक एजेंडा मुख्य रूप से पश्चिम से

अमृतपाल सिंह और खालिस्तान पर किए गए ट्वीट की जांच करें तो पाएंगे कि खालिस्तानी समर्थक एजेंडा मुख्य रूप से पश्चिम यानी कनाडा, यूएसए, यूके और ऑस्ट्रेलिया से समर्थित है। ये सभी आईएसआई समर्थित खालिस्तानी तत्वों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल हैं।

ओछी राजनीति के लिए पंजाब में खून खराबे को बढ़ावा

खालिस्तानी भगोड़े अमृतपाल को कनाडा के राजनेताओं का भारी समर्थन मिला, जिन्होंने भारत में लोकतंत्र को बचाने, मानवाधिकारों के नाम पर खालिस्तानी समर्थक भावनाओं को भड़काया। यह सिखों की आंखें खोलने वाली बात है कि कैसे ये राजनेता अपनी ओछी राजनीति के लिए पंजाब में खून खराबे को बढ़ावा देते हैं।

कनाडाई सांसद भी खालिस्तान के समर्थन में

खालिस्तान के समर्थन में कनाडाई सांसदों को कॉपी-पेस्ट अभियान में हिस्सा लेते साफ देखा जा सकता है। इससे पता चलता है वे इस टूलकिट अभियान का हिस्सा हैं। इनमें @jasrajshallan, @KisaanSm, @TimUppal के अकाउंट को देखा जा सकता है। इन वैश्विक समर्थकों ने #WeStandWithAmritpalSingh सहित #AmritpalSingh के समर्थन में कई हैशटैग का इस्तेमाल किया। इस हैशटैग पर ज्यादातर ट्वीट कनाडा और अमेरिका से हैं।

किसान आंदोलन के दौरान भी एक्टिव थे ये सोशल मीडिया अकाउंट

इन खालिस्तान समर्थकों ने #WeStandWithAmritPalSingh को आगे बढ़ाते हुए फर्जी अकाउंट और ट्रोल भी शुरू किए। डीप स्टेट की भारत और पीएम मोदी के खिलाफ गहरी साजिश को इससे समझें कि इनमें से कुछ अकाउंट का इस्तेमाल किसान आंदोलन (2020) के दौरान भी किया गया था, जबकि कई अकाउंट पिछले तीन-चार दिनों में बनाए गए हैं।

डीप स्टेट को अमृतपाल के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी थी

#WeStandWithAmritPalSingh पर ट्वीट करने वाले अकाउंट पर नजर डालें तो 15-19 मार्च के बीच 1739 अकाउंट बनाए गए। और सबसे ज्यादा 820 खाते 17 मार्च को ही बनाए गए थे! इससे यह भी संकेत मिलता है कि इन डीप स्टेट एजेंट को सरकार की अमृतपाल के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी थी। सोशल मीडिया पर जितने अकाउंट बनाए गए उससे पता चलता है कि ये सभी अकाउंट एक नेटवर्क से जुड़े रहे और एक-दूसरे की बातों को फैलाया, ट्वीट साझा किया और अमृतपाल के पक्ष में हैशटैग को बढ़ाया।

किसान आंदोलन के दौरान “योग और चाय” के प्रति नफरत फैलाया गया

इस टूलकिट को अगर बड़े फलक पर देखा जाए तो पता चलता है कि इस एजेंडे में शामिल प्रमुख चेहरे पहले भी खालिस्तान के समर्थक रहे हैं और अतीत में भारत की छवि खराब करने में लगे हुए थे। देखने में तो सब कुछ एक-दूसरे से स्वतंत्र लगता है। लेकिन यह वास्तव में टूलकिट के एक बड़े उद्देश्य का हिस्सा रहा है। यहां याद कीजिए कनाडा स्थित खालिस्तान समर्थक अलगाववादी और पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के संस्थापक मो धालीवाल के टूलकिट को। वह ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट के पीछे था, जिसका उद्देश्य 2020-21 में किसानों के विरोध के दौरान भारत की “योग और चाय” की छवि को खराब करना था।

सिख फेमिनिस्ट जो कौर को अमृतपाल की ‘चिंता’!

ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट को सिख फेमिनिस्ट जो कौर ने प्रमोट किया था। जिसे अब अमृतपाल की ‘चिंता’ है! जो कौर ने अब ट्वीट किया है कि भारत में लोकतंत्र नहीं है। पंजाब को फ्री करो।

खालिस्तानी प्रोपेगेंडा में CIA की भूमिका भी उजागर

अब इस खालिस्तानी प्रोपेगेंडा में CIA की भूमिका भी उजागर हो गई है। एक और कट्टर खालिस्तानी समर्थक @ Shawn_Singh1974 ने सीआईए के लिए काम करने का खुद ही दावा किया है! उसने अपने ट्विटर बायो में CIA को टैग भी किया है!

खूंखार KISS भी अमृतपाल को बचाने के लिए कूद पड़ी

सीआईए ही नहीं, जाहिर तौर पर खालिस्तान इंटेलिजेंस एंड सीक्रेट सर्विस (खूंखार KISS) भी अमृतपाल को बचाने और खालिस्तान को बढ़ावा देने के लिए कनाडा के राजनेताओं के साथ कूद पड़ी है।

पाकिस्तान के पीएसएफ ने भी इस प्रोपेगेंडा को बढ़ाया

फर्जी खबर फैलाने में माहिर पाकिस्तान का संगठन पाकिस्तान स्ट्रैटेजिक फोरम (पीएसएफ) ने भी इस प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाया। उसने पीएम मोदी के आस्ट्रेलिया सरकार से खालिस्तान मुद्दा उठाने के बारे में भी ट्वीट किया।

पश्चिम के देशों ने आईएसआई को दिया खालिस्तान आंदोलन का ठेका

ऐसे समय में जब पाकिस्तान कंगाली के कगार पर है और दाने-दाने को मोहताज है तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के पैसे कहां से होंगे जो वह खालिस्तान प्रोपेगेंडा में शामिल हो सके। इसमें अंदर की बात यह है कि पश्चिमी देश नहीं चाहते कि वे खालिस्तान समर्थक के रूप में दिखें और उनका चेहरा सामने आए। चूंकि आईएसआई दुनियाभर में आतंकवाद फैलाने के पर्याय बन चुका है, तो पश्चिम के देशों ने खालिस्तान मुद्दे को उठाने का ठेका आईएसआई को दे दिया। आईएसआई ने भी इसे हाथोंहाथ लिया क्योंकि इन दिनों वह माली हालत से गुजर रही है। इससे उसे कुछ कमाई का मौका मिल गया।

खालिस्तान पर शुरू हो चुका है सूचना-युद्ध

खालिस्तान पर सूचना-युद्ध अभी शुरू हुआ है और आगे गंभीर रूप ले सकता है। अब आगे पाकिस्तानी एजेंट सिख हैंडल की आड़ में इस प्रोपेगेंडा खेल में प्रवेश करेंगे। यह सिख फॉर जस्टिस के मामले में भी देखा गया था। जिसने ब्रिटेन और कनाडा में स्वतंत्र रूप से भारत विरोधी अलगाववादी जनमत संग्रह करा चुका है। इसी क्रम में भारतीय मिशनों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और भारतीयों को निशाना भी बनाया जा रहा है।

डीप स्टेट ने आईएसआई के जरिये किस तरह खालिस्तान मुद्दे को हवा देना शुरू किया इस पर एक नजर-

अलगाववादी सुरों को हवा दे रहा था अमृतपाल

‘वारिस पंजाब दे’ का चीफ अमृतपाल लगातार अलगाववादी सुरों को हवा दे रहा है। कभी वह कहता है पंजाब एक अलग देश है तो कभी वो संविधान पर सवाल उठाता है। 80 के दशक में पंजाब में उग्रवाद का चेहरा रहे जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसी वेशभूषा रखने वाले अमृतपाल एक इंटरव्यू में कहा है कि लोकतंत्र में अगर कोई खड़े होकर कहे कि इस देश से हमारा संबंध नहीं है तो उसको सम्मान देना भी लोकतंत्र की भावना में आता है। अमृतपाल और उसके समर्थकों ने हाल ही में अमृतसर के अजनाला थाने के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया था।

अमृतपाल सिंह की ‘पैराशूट एंट्री’ के पीछे आईएसआई

खालिस्तान मुद्दे को हवा देने के पीछे भी अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और डीप स्टेट एजेंट जार्ज सोरोस हैं। सोरोस ने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 करोड़ रुपये देने का खुलेआम ऐलान किया था। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई दशकों से खालिस्तान समर्थकों को उकसाती रही है और खालिस्तान से जुड़े लोगों से उसके नजदीकी संबंध रहे हैं। इसे देखते हुए सीआईए ने आईएसआई को यह काम सौंप दिया। यह भी अपने आप में दिलचस्प है कि जो पाकिस्तान आज दाने-दाने को मोहताज है उसकी खुफिया एजेंसी भारत में खालिस्तान मुद्दे को भड़काकर अपने आका अमेरिकी एजेंसी सीआईए को खुश करने में जुटी है। खासकर जिस तरह से अमृतपाल सिंह की खालिस्तान मुद्दे पर ‘पैराशूट एंट्री’ हुई है उससे यह बात साबित हो जाती है कि इस साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई है।

अमृतपाल का उभार, भिंडरावाले की याद दिलाई

अमृतपाल ने जिस तरह से साथी को छुड़ाने के लिए थाने पर हमला किया उस मंजर ने पंजाब में 80 के दशक के उन भयानक पलों की याद दिला दी है, जिनमें जरनैल सिंह भिंडरावाले का उभार हुआ और राजनीतिक सरपरस्ती में वो दमदमी टकसाल के मुखी से एक आतंकी में तब्दील हो गया। अब ये राजनीतिक सरपरस्ती अमृतपाल को भी मिल रही है, जिसने पंजाब में खतरे की घंटी तो बजा ही दी है। क्योंकि अगर बात आगे बढ़ी तो फिर किसी के रोके नहीं रुकेगी और पंजाब में आतंक के उभार का इतिहास एक फिर दोहराया जाएगा।

अमृतपाल के जरिये भिंडरावाले की कहानी दोहराने की साजिश

30 साल का अमृतपाल सिंह संधू करीब 10 साल तक दुबई में रहा और जब भारत लौटा तो खालिस्तान का झंडा बुलंद कर पंजाब सरकार और देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गया। उसके बयान, उसके कारनामे और उसकी वेशभूषा अब इस बात की गवाही देते हैं कि अगर इसे जल्द ही रोका नहीं गया तो फिर ये पंजाब का दूसरा जरनैल सिंह भिंडरावाले बन सकता है, जिसकी वजह से ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ और जिसके कारण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या तक हो गई थी। पंजाब का अमृतसर जिला स्वर्ण मंदिर के कारण पूरी दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखता है। दुनियाभर के सिखों के लिए यहां की धरती स्वर्ग के समान है। इसी धरती से अमृतपाल सिंह का भी ताल्लुक है। वह अमृतसर की बाबा बकाला तहसील के जल्लूपुर खैरा का रहने वाला है।

किसान आंदोलन का समर्थक, वेशभूषा भिंडरावाले की

वर्ष 2019 में शुरू हुए किसान आंदोलन का भी उसने खुलकर समर्थन किया था, जिसने उसे पंजाब में एक नई पहचान दी थी। लेकिन यह सब वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर कर रहा था। दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत के बाद वो दुबई में अपना कारोबार छोड़कर ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया बनने के लिए भारत लौटा और खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव पहुंचा। यहीं खालिस्तानी नारेबाजी के बीच उसकी ताजपोशी हुई। इस ताजपोशी के दौरान उसकी पूरी वेशभूषा जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह ही थी।

‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनकर भारत लौटा

वर्ष 2022 से पहले अमृतपाल सिंह की कोई खास पहचान नहीं थी। लेकिन ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बनकर भारत लौटा। उसने सबसे पहले पंजाब में ड्रग्स के विरोध में अभियान चलाया। अमृत प्रचार अभियान शुरू किया, जिसका मकसद लोगों को निहंग सिख का हिस्सा बनाना था। दूसरे शब्दों में कहें तो अमृतपाल सिंह ने घर वापसी का अभियान शुरू कर दिया।

भारत में इस तरह बढ़ा अमृतपाल का कारवां

अमृत प्रचार अभियान का पहला आयोजन उसने राजस्थान के गंगानगर में किया, यहां उसने 647 लोगों को अमृत चखाकर निहंग सिख में बदल दिया। फिर उसने आनंदपुर साहिब में कुल 927 हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों को अमृत चखाया और निहंग सिख बनाया। उसके इस कारनामे को देखकर हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने उसे अपना समर्थन दे दिया। इसके बाद उसका कारवां बढ़ता ही गया।

ड्रग्स मुक्त बनाने की मुहिम के बहाने युवाओं को खालिस्तान के लिए प्रेरित किया

भिंडरावाले को अपना आदर्श मानने वाले अमृतपाल सिंह का कहना है, “मैं जरनैल सिंह भिंडरावाले की पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हूं। मैं तो सिर्फ भिंडरवाले के दिखाए रास्ते पर चलने की कोशिश कर रहा हूं।” 23 नवंबर 2022 वो तारीख थी, जिसने अमृतपाल सिंह को पंजाब में एक नई पहचान दे दी। इस दिन वो तमाम जिलों में रोडशो करते हुए हजारों की संख्या में अपने अनुयायियों के साथ श्रीअकाल तख्त पहुंचा। पंजाब को ड्रग्स मुक्त बनाने की मुहिम के बहाने उसने बड़ी संख्या में युवाओं को अपने साथ जोड़ा और उन्हें खालिस्तान के लिए प्रेरित किया।

साल 2022 खत्म होते-होते बना ली समर्थकों की बड़ी फौज

साल 2022 खत्म होते-होते उसने समर्थकों की एक बड़ी फौज खड़ी कर ली, जिसने धार्मिक उन्माद भड़काने के साथ ही पंजाब की पुलिस को भी चुनौती देनी शुरू कर दी। अक्टूबर 2022 में उसने जीसस क्राइस्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से ईसाई समुदाय के लोग भड़क गए थे और अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी की मांग की। खालिस्तान का समर्थन करने की वजह से ही उसका ट्विटर अकाउंड तक सस्पेंड कर दिया। 15 फरवरी 2023 को अमृतसर के अजनाला थाने में अमृतपाल सिंह और उसके 6 समर्थकों के खिलाफ किडनैपिंग और मारपीट समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ।

पंजाब के युवाओं को फिदायीन बनाने की तैयारी में था अमृतपाल

वारिस पंजाब दे संगठन का चीफ और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के बारे में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। खुफिया जानकारी के मुताबिक, अमृतपाल सिंह मानव बम यानी फिदायीन बनाने की कोशिश में जुटा था। युवाओं को आत्मघाती हमले करने के लिए उनका ब्रेनवॉश कर रहा था। साथ ही अपने संगठन के लिए हथियार जमा करने की तैयारी में भी जुटा था। इन सब काम के लिए वो एक धार्मिक स्थल और नशामुक्ति केंद्रों का इस्तेमाल कर रहा था। पंजाब पुलिस पहले ही कह चुकी है कि अमृतपाल सिंह का कनेक्शन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से है।

युवाओं को देता था बेअंत सिंह की हत्या करने वाले दिलावर सिंह का उदाहरण

खुफिया एजेंसियों का दावा है कि भारत लौटने के बाद अमृतपाल सिंह युवाओं का ब्रेनवॉश कर उनको मानव बम की तरह इस्तेमाल करने की तैयारी में था। नशामुक्ति केंद्रों में जो युवा भर्ती थे, उनको वो मानव बम बनाने की तैयारी में जुटा था। इन युवाओं को बहला-फुसलाकर और लालच देकर खाड़कू बनाने की कोशिश अमृतपाल सिंह कर रहा था। इन युवाओं को मानव बम बनकर पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या करने वाले दिलावर सिंह का उदाहरण दिया जा रहा था। युवाओं से कहा जा रहा था कि वे दिलावर सिंह का रास्ता चुनें और खाड़कू (आतंकी) बन जाएं।

अमृतपाल को 2 साल में 35 करोड़ रुपए का विदेशी फंड

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तानी अमृतपाल सिंह के फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी के पास 2 साल में 35 करोड़ रुपए का विदेशी फंड आया। उसके फोन से पाकिस्तान में भी बात हुई। पुलिस उसके मोबाइल की जांच कर रही है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, खालिस्तानी अमृतपाल सिंह नशा मुक्ति केंद्र के नाम पर फिदायीन हमलावर तैयार कर रहा था।

लाल किला हिंसा के आरोपी रहे दीप सिद्धू ने बनाई थी ‘वारिस पंजाब दे’

अमृतसर में हिंदू नेता सुधीर सूरी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या के बाद अमृतपाल सिंह का नाम खूब चर्चा रहा। परिवार अमृतपाल सिंह पर केस दर्ज करने की मांग करता रहा। ‘वारिस पंजाब दे’ संस्था किसान आंदोलन और फिर दिल्ली में लाल किला हिंसा के आरोपी रहे दीप सिद्धू ने बनाई थी। किसान आंदोलन के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किला हिंसा के बाद दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 को वारिस पंजाब संस्था बनाने का ऐलान किया था। लेकिन फरवरी 2022 में कार एक्सीडेंट के दौरान उनका देहांत हो गया।

दीप सिद्धू के देहांत के बाद खाली था जत्थेदार का पद

फरवरी 2022 को दीप सिद्धू की कार का एक्सीडेंट हो गया। जिसमें उनकी मौत हो गई। इसके बाद से ही वारिस पंजाब दे संस्था में जत्थेदार का पद खाली थी। इससे पहले व बाद में भी वारिस पंजाब दे पंजाब में इतनी अधिक पॉपुलर नहीं हुई। लेकिन सितंबर में अमृतपाल सिंह के आने के बाद वारिस पंजाब दे संस्था लाइम लाइट में आ गई।

सितंबर 2022 से ही वारिस पंजाब दे के लिए अमृतपाल के नाम की चर्चा

29 साल के अमृतपाल सिंह का जन्म अमृतसर के बाबा बकाला तहसील के जल्लूपुर खेड़ा में हुआ था। 12वीं के बाद उनका परिवार दुबई चला गया। जहां उनका ट्रांसपोर्ट का बिजनेस रहा। इसी साल अमृतपाल पंजाब लौटा और सोशल मीडिया पर उसकी वीडियो काफी तेजी से वायरल हुईं। सितंबर 2022 में अचानक से ही वारिस पंजाब दे के जत्थेदार पद पर अमृतपाल सिंह का नाम जुड़ने लगा।

अमृतपाल के जत्थेदार बनाए जाने का हुआ विरोध

अमृतपाल सिंह के जत्थेदार के पद पर आने के साथ ही विवाद भी उसके साथ जुड़ने लगा। दीप सिद्धू के पारिवारिक सदस्य भी उसके चयन पर सवाल उठा चुके हैं। परिवार ने बार-बार यही कहा कि अमृतपाल का चयन गलत तरीके से हुआ है। लेकिन अमृतपाल ने इसका विरोध किया और सदस्यों की रजामंदी के बाद ही इस पद पर बैठने की बात कही। उसके लिए गांव रोडे में खास समागम आयोजित किया गया था, जिसमें सिख नेताओं के साथ साथ रेडिकल सोच के नेता भी पहुंचे थे।

गृह मंत्री अमित शाह को दे चुका है धमकी

इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बयान दिया कि पंजाब में खालिस्तान समर्थित गतिविधियों पर सरकार की नजर है। गृहमंत्री के इस बयान पर 19 फरवरी को अमृतपाल ने शाह को ही धमकी दे दी। उसने कहा, “शाह को कह दो कि पंजाब का बच्चा-बच्चा खालिस्तान की बात करता है। जो करना है कर ले। हम अपना राज मांग रहे हैं, किसी दूसरे का नहीं। हमें न इंदिरा हटा सकी थी और न ही मोदी या अमित शाह हटा सकता है। दुनिया भर की फौजें आ जाएं, हम मरते मर जाएंगे, लेकिन अपना दावा नहीं छोड़ेंगे। इंदिरा ने भी हमें दबाने की कोशिश की थी, क्या हश्र हुआ। अब अमित शाह अपनी इच्छा पूरी कर के देख लें।”

अमृतपाल के बयान पर विवाद बढ़ा तो बात से पलटा

अमृतपाल के इस बयान पर विवाद बढ़ा तो 22 फरवरी को वह अपनी बात से पलट गया, लेकिन उसका लहजा खालिस्तान के लिए नरम नहीं हुआ। उसने कहा, “हिन्दू राष्ट्र की बात करने पर सरकारें कोई कार्रवाई नहीं करती, लेकिन जब सिख खालिस्तान और मुस्लिम जिहाद की बात करते हैं तो सरकार तुरंत एक्शन ले लेती हैं।”

तूफान सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन

इस बात पर विवाद चल ही रहा था कि पुलिस ने उसके साथी तूफान सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के विरोध में 23 फरवरी की सुबह अमृतपाल सिंह ने अपने हजारों समर्थकों के साथ अजनाला थाने पर चढ़ाई कर दी। पुलिस के साथ उसके समर्थकों की झड़प भी हुई, जिसमें 6 पुलिसवाले भी घायल हो गए। उसने पंजाब सरकार को एक घंटे के भीतर तूफान सिंह को छोड़ने का अल्टीमेटम दिया।

पंजाब पुलिस को तूफान सिंह को रिहा करना पड़ा

अमृतपाल के अल्टीमेटम पर पंजाब सरकार ने झुकते हुए तूफान सिंह को रिहा कर दिया। इस पूरे हंगामे के बाद अमृतसर के पुलिस कमिश्नर जसकरण सिंह ने कहा, “तूफान को छोड़ा जा रहा है। उसके समर्थकों ने उसकी बेगुनाही के पर्याप्त सबूत दिए हैं। मामले की जांच के लिए एसपी तेजबीर सिंह हुंदल की अगुवाई में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई है।”

भिंडरावाले की याद ताजा हुई, पुलिस के रवैये से उठे सवाल

पुलिस के इस रवैये ने पंजाब की बिगड़ती स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 80 के दशक में भी ऐसे ही हालात थे। तब पंजाब में कांग्रेस ने अकाली दल को कमजोर करने के लिए जरनैल सिंह भिंडरावाले पर भरोसा जताया था। वो उस वक्त दमदमी टकसाल का मुखिया था। वह सिखों को कट्टरपंथी बना रहा था। इसी कारण उसकी निरंकारियों से दुश्मनी हो गई थी। इस दुश्मनी में दोनों समुदायों के बीच काफी हिंसा हुई। 24 अप्रैल 1980 को हुई निरंकारी संप्रदाय के तीसरे गुरु गुरुबचन सिंह की हत्या में भी भिंडरावाले और उसके लोगों का ही नाम सामने आया था। पंजाब केसरी अखबार के संपादक रहे लाला जगत नारायण की हत्या में भी भिंडरावाले का ही हाथ था।

भिंडरावाले को गिरफ्तारी के दो दिन अंदर रिहा करना पड़ा

गुरु गुरुबचन सिंह और लाला जगत नारायण की हत्याओं की वजह से कांग्रेस ने जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार करवा दिया। इंदिरा गांधी के आदेश पर भिंडरावाले को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके विरोध में पंजाब जल उठा और पुलिस को दो दिन के अंदर ही भिंडरावाले को रिहा करना पड़ा। इसके बाद पूरा पंजाब उग्रवाद की आग में जलने लगा। 25 अप्रैल 1983 को उसने पंजाब पुलिस के डीआईजी अवतार सिंह अटवाल की हत्या करा दी। भिंडरावाले के डर से 2 घंटे तक डीआईजी का शव किसी ने छुआ तक नहीं था। जब भिंडरावाले ने बॉडी उठाने की इजाजत दी, तभी पुलिस अपने अधिकारी के शव को उठाया था।

भिंडरावाले के लोगों ने हिंदुओं की हत्या की

5 अक्टूबर, 1983 को भिंडरावाले के लोगों ने ढिलवान बस नरसंहार को अंजाम दिया, जिसमें एक बस को घेरकर छह हिंदुओं की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे दरबारा सिंह की सरकार को भंग कर दिया और पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। कांग्रेस सरकार ने भिंडरावाले से बात करने की भी कोशिश की. लेकिन नाकामयाबी ही हाथ लगी और तब आखिर में भारतीय सेना को ऑपरेशन ब्लू स्टार करने की मंजूरी दे दी गई।

3 जून 1984 को हुआ ऑपरेशन ब्लू स्टार

इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के जवानों के साथ ही सीआरपीएफ, बीएसएफ और पंजाब पुलिस के भी जवान शामिल थे। ऑपरेशन की कमान संभाली लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने, जो खुद एक सिख थे। 3 जून 1984 को भारतीय सेना ने पूरे गोल्डेन टेंपल को चारों तरफ से घेर लिया। सिखों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों, इसके लिए लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने ऑपरेशन शुरू होने से पहले जवानों को संबोधित करते हुए कहा, “ये ऐक्शन न तो सिखों के खिलाफ है और न ही सिख धर्म के खिलाफ। ये ऐक्शन आतंकवाद के खिलाफ है। अगर किसी को भी लगता है कि उसकी धार्मिक भावनाएं इससे आहत हो रही हैं या फिर और भी कोई दूसरी धार्मिक वजहें हैं तो वो खुद को इस ऑपरेशन से अलग कर सकता है और इस अलगाव का किसी भी अधिकारी या जवान के करियर के ऊपर कोई असर नहीं होगा।”

ऑपरेशन ब्लू स्टार में बड़ी तादाद में सिख अधिकारी और जवान भी शामिल थे

ऑपरेशन में शामिल किसी भी अधिकारी या जवान ने खुद को इससे अलग नहीं किया। और इसमें बड़ी तादाद में सिख अधिकारी और जवान भी शामिल थे। 3 जून की शाम तक लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह ब्रार ने कोशिश की कि भिंडरावाले सरेंडर कर दे। बार-बार लाउडस्पीकर से ऐलान किया जाता रहा। बार-बार भिंडरवाले और उसके समर्थकों को समझाने की कोशिश की जाती रही। लेकिन कोई हल नहीं निकला। उल्टे भिंडरावाले की ओर से सेना के टैंक और तोपों पर हमला कर दिया गया। फिर सेना ने जवाबी कार्रवाई की। करीब 24 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद भिंडरावाले मारा गया। इस ऑपरेशन के दौरान सेना के 83 जवान शहीद हो गए और कुल 249 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं इस ऑपरेशन में 493 आतंकी मारे गए और 1500 से ज्यादा गिरफ्तार हो गए।

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा की हत्या हुई

इस ऑपरेशन से नाराज दो सिखों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंग भड़क गए, जिसमें कम से कम 3000 सिखों की हत्या कर दी गई और लाखों सिखों को घर-बार छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

अमृतपाल की लोकप्रियता संदेह के घेरे में

यह बहुत आश्चर्य की बात है कि 29 साल का दुबई से आया हुआ एक व्यक्ति कैसे रातों-रात इतना प्रसिद्ध हो गया। भिंडरावाले तो एक धार्मिक नेता भी था। हम जानते हैं कि एक राजनीतिक पार्टी ने उसे खड़ा किया था। लेकिन अमृतपाल की इस कदर लोकप्रियता रहस्यमयी नज़र आती है। सवाल यह भी उठता है कि क्या वजह है कि इतने लोग उनके साथ खड़े हो जाते हैं? कुछ यही बात इस ओर इशारा करती है कि उसे विदेशी ताकतों का समर्थन है और वह उनके हाथों में खेल रहा है।

पाकिस्तान की ISI का नया प्यादा है अमृतपाल सिंह

इंटेलिजेंस एजेंसियों का मानना है कि अमृतपाल के पीछे पाकिस्तान के आईएसआई का हाथ है, जो पंजाब में अशांति फैलाने की कोशिश में है। अधिकारी बताते हैं कि केंद्रीय इंटेलिजेंस एजेंसियां अमृतपाल को संभावित खतरे के रूप में देखती है और उसके भारत आने के पहले दिन से ही एजेंसियों ने यह चेतावनी दी। एजेंसियां उसे भिंडरावाले और बुरहानवानी जैसा मानती है, जिसका भारत में अशांति फैलाने के लिए आईएसआई ने प्यादे के रूप में इस्तेमाल किया।

अमृतपाल को ISI कर रही फंडिंग और समर्थन

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) खालिस्तान समर्थक नेता और ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह को सोशल मीडिया पर समर्थन दे रही है। अगस्त 2022 में दुबई से भारत आने के बाद से ही अमृतपाल भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी अप्रत्यक्ष ‘फंडिंग रूट’ के माध्यम से सिंह का समर्थन कर रही है।

आईएसआई के निशाने पर भारत के युवा सिख

आईएसआई सोशल मीडिया के माध्यम से 18 से 25 साल के युवा सिखों को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भारत में सिखों पर कथित ‘अत्याचार’ और ‘दमन’ की झूठी तस्वीरें दिखाकर टारगेट कर रही है। जानकारी के मुताबिक, ऐसी पोस्ट पर कमेंट्स भारत के पंजाब से नहीं बल्कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से हैं जो वीपीएन के माध्यम से भारत में दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय गृह मंत्रालय पंजाब की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि सिंह को फंडिंग कौन कर रहा है।

खालिस्तानी समर्थकों के सामने पंजाब पुलिस का आत्मसमर्पण

पंजाब के अंमृतसर में 23 फरवरी, 2023 जो कुछ हुआ, उसने भिंडरावाले की याद ताजा कर दी। ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह अपने समर्थकों के साथ अजनाला पुलिस थाने के बाहर खूब तांडव किया। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि हिंसक हो चुके अमृतपाल के समर्थक पूरी तरह हथियारों से लैस थे। इनके हाथ में लाठी, बंदूकें और तलवारें थीं। इन्होंने पुलिस के बैरिकेड्स भी तोड़ दिए। पुलिस वालों पर भी हमला किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। अमृतपाल समर्थकों की भीड़ और आक्रोश देखकर पुलिसकर्मियों ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद भीड़ जबरन पुलिस स्टेशन के अंदर घुस गई। ये सभी किडनैपिंग केस में गिरफ्तार अपने एक साथी लवप्रीत तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। आखिरकार पुलिस ने आरोपी को रिहा कर दिया। इस घटना ने साबित कर दिया कि पंजाब में सरकार पूरी तरह पंगु हो चुकी है और खालिस्तानी सरकार चला रहे हैं।

पंजाब में AAP की मान सरकार खालिस्तान के प्रति रही नरम

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद से इस सरहदी राज्य में खालिस्तानी शक्तियां फिर से सिर उठा रही हैं। विदेशों में बैठे खालिस्तानी आतंकियों से स्थानीय लोगों के ‘गठजोड़’ की कहानियां कई बार सामने आने के बावजूद मान सरकार बंद आंख से तमाशा देखने में मशगूल है। पंजाब से लेकर दिल्ली तक और आस्ट्रेलिया से लेकर कनाडा और अन्य देशों तक खालिस्तानी समर्थक राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में लगे हैं। पंजाब में तो सरकार की नाक के नीचे खालिस्तानी समर्थकों ने खुलेआम जुलूस निकाला था। इसे रोकना तो दूर पंजाब की भगवंत मान सरकार ने इसे बकायदा पुलिस प्रोटेक्शन दिया। आप सरकार के ऐसे ही सहयोगात्मक रवैये का ही दुष्परिणाम हाल ही में दिल्ली और ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी समर्थकों की सक्रियता को लेकर सामने आया है। एक ओर केंद्र की पीएम मोदी सरकार की आतंक, आतंकियों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों पर प्रहार करने के लिए जीरो टोलरेंस नीति लगातार जारी है। दूसरी ओर आप की दिल्ली और पंजाब की सरकार राष्ट्र विरोधी खालिस्तानी समर्थकों के लिए पलक-पांवड़े बिछा रही थी। अब जब पानी सिर से ऊपर बहने लगा तब केंद्र सरकार से मदद मांगी और कार्रवाई शुरू की गई।

केजरीवाल स्वतंत्र राष्ट्र खालिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं- विश्वास

आप और खालिस्तानी समर्थकों का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है। पंजाब में विधानसभा चुनाव से चार दिन पहले भी पूर्व आप नेता कुमार विश्वास ने सनसनीखेज खुलासा किया था कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को खालिस्तानी अलगाववादियों की मदद लेने में भी कोई परहेज नहीं है। विश्वास का आरोप था कि केजरीवाल पंजाब में चुनाव जीतने और आप की सरकार बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। क्योंकि अरविंद केजरीवाल पंजाब में अलगाववादियों के समर्थक हैं। कुमार विश्वास ने कहा कि एक बार केजरीवाल ने उनसे कहा था कि वे या तो पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे या स्वतंत्र राष्ट्र खालिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बनकर अपना पीएम बनने का सपना साकार करेंगे। इसीलिए केजरीवाल को अलगाववादियों की मदद लेने में भी कोई परहेज नहीं है। विश्वास ने कहा कि एक ऐसा आदमी जिसे एक समय मैंने ये तक कहा था कि अलगाववादियों का साथ नहीं लीजिए। तो उन्होंने कहा था कि नहीं-नहीं हो जाएगा।

मान के राज में बठिंडा में खालिस्तान के समर्थन में नारे और होशियारपुर में निकाली रैली

कवि कुमार विश्वास की बातों में दम इसलिए नजर आने लगा है, क्योंकि पंजाब में मान सरकार बनने के बाद खालिस्तान समर्थक एक बार फिर सक्रिय नज़र आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य के बठिंडा में वन विभाग के दफ्तर की दीवार पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे पाए गए हैं, तो वहीं होशियारपुर में खालिस्तान समर्थक रैली निकाली गई। और तो और इसमें भारत विरोधी और पंजाब बनेगा खलिस्तान जैसे नारे लगाए गए। इन नारों के पीछे प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ की भूमिका सामने आई। ये दावा खुद इस आतंकी संगठन के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नू ने किया है। हैरानी की बात यह है कि होशियारपुर में खालिस्तान समर्थक रैली राज्य पुलिस की मौजूदगी में ही निकाली गई। अब इस पर फिल्ममेकर अशोक पंडित ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को घेरा था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि यह अरविंद केजरीवाल का खालिस्तानियों के लिए उधार चुकाने का समय है, क्योंकि खालिस्तान वालों ने ही चुनाव के समय केजरीवाल जी का समर्थन किया था।

राहुल गांधी और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की भाषा एक जैसी क्यों है?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मई 2022 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत में भारत को राज्यों का संघ के रूप में वर्णित किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि “भारत एक राष्ट्र नहीं है, बल्कि राज्यों का एक संघ है।” इस पर कइयों ने आपत्ति जताई थी। आईआरटीएस एसोसिएशन के एक सिविल सेवक और कैम्ब्रिज में सार्वजनिक नीति के विद्वान सिद्धार्थ वर्मा ने राहुल गांधी को टोकते हुए कहा था कि भारत राज्यों का संघ नहीं बल्कि राष्ट्र है। हालांकि राहुल गांधी अपनी बात पर अड़े रहे। इस पर वर्मा ने कहा था कि आपका विचार न केवल त्रुटिपूर्ण और गलत है, बल्कि विनाशकारी भी है। फरवरी 2022 में भी राहुल गांधी ने भारतीय संसद में कहा था कि भारत सिर्फ “राज्यों का संघ” है, न कि एक राष्ट्र। जिस तरह राहुल गांधी भारत को राष्ट्र नहीं मानते उसी तरह खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह का कहना है कि वह भारत की परिभाषा नहीं मानता और पंजाब एक अलग देश है। खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह जब इस तरह की बात करता है तो यह समझ में आता है कि वह भटका हुआ युवक है और विदेशी हाथों में खेल रहा है। लेकिन राहुल गांधी भी अगर वही भाषा बोल रहे हैं तो इसका सीधा मतलब यही है कि वह भी विदेशी ताकतों के इशारे पर नाच रहे हैं।

विदेशी फंडिंग और विदेशी ताकत पर खेला जा रहा खालिस्तान खेल

लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है डीप स्टेट ने पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए भारत पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है। वे देश को आंदोलन की आग में झोंककर तख्तापलट का ख्वाब देख रहे हैं। इसी क्रम में वे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से खालिस्तान मुद्दे को हवा देकर भारत को अस्थिर करना चाहते हैं। खालिस्तान का नया चेहरा अमृतपाल सिंह जो कि दुबई में अपना व्यवसाय कर रहा था, अचानक पैराशूट से भारत में उतरा और आंदोलन का चेहरा बन गया। उसने भिंडरावाले का चोला भी धारण कर लिया। जिस तेजी से उसके सोशल मीडिया हैंडल बने और फालोअर्स बढ़े उससे इस साजिश को समझा जा सकता है कि वह यह सब विदेशी फंडिंग और विदेशी ताकत के इशारे पर हो रहा है।

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