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ब्रांड बना ब्रह्मोस, 1300 करोड़ से शुरू हुए उपक्रम का कारोबार 40 हजार करोड़ के पार  

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मोदी सरकार ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में एक और कामयाबी हासिल की है। भारत और रूस के बीच सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ बनाने को लेकर 1300 करोड़ के शुरुआती निवेश से शुरू हुआ संयुक्त उपक्रम का कारोबार अब 40,000 करोड़ के पार पहुंच चुका है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और प्रबंध निदेशक सुधीर मिश्रा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘ब्रह्मोस संयुक्त उपक्रम ऐसे समय शुरू किया गया था, जब रूस आर्थिक संकट से जूझ रहा था और भारत ने उस अवसर का लाभ उठाया और कई समझौते किए। इस साझेदारी ने 40,000 करोड़ रुपये मूल्य का कारोबार दिया है, जबकि शुरुआती निवेश मात्र 1300 करोड़ रुपये था। ऐसे में हमें लगता है कि हमने संपत्ति और व्यवस्था का निर्माण किया है। आज की तारीख में हम भारत सरकार को करीब 4000 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देते हैं। सुपरसोनिक मिसाइल प्रोजेक्ट की तरह ही भारत और रूस के बीच अन्य क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम होने चाहिए।’

1988 में गठित ब्रह्मोस संयुक्त उपक्रम में भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिया की साझेदारी है। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को तीनों सेनाओं के उपयोग में लाया जा सकता है। इसे थल, वायु, जहाजों और पनडुब्बियों में फिट किया जा सकता है। मिश्रा ने कहा कि आज 200 से ज्यादा उद्योग हमारे व्यावसायिक साझेदार हैं और 20,000 से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस संयुक्त उपक्रम में कार्यरत हैं।

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