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मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि, सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन, मिले 100 प्रतिशत अंक, चीन को छोड़ा पीछे

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भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर है। सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया है। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला है। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बुस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर सकती है।

सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर

दरअसल यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें 85 देशों में से भारत समग्र सर्वश्रेष्ठ देशों की रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। इसके अलावा, सूची ने भारत को ‘ओपन फॉर बिजनेस’ श्रेणी में 37 वें स्थान पर रखा गया है। हालांकि, ‘open for business’ की उप-श्रेणी के तहत भारत ने सबसे सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर किया। यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट ने 73 मापदंडों पर देशों का मूल्यांकन किया है। इन खूबियों को 10 सब-सेगमेंट्स में बांटा गया था। इनमें साहसिक, चपलता, उद्यमिता, बिजनेस के लिए खुला, सामाजिक मकसद और जीवन की गुणवत्ता शामिल है।

चीन की जगह भारत बना विदेशी कंपनियों की पहली पसंद

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया भर में कम्पनियां कम लागत के साथ भरोसेमंद मैन्युफैक्चरर के तौर पर उभरे भारत का रुख कर रही है। पहले कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के लिए दुनिया भर के देशों की पहली पसंद चीन और वियतनाम थे। ‘ओपन फॉर बिजनेस’ सेगमेंट में चीन को 17वां स्थान मिला है। लेकिन सस्ती मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के मामले में चीन भारत से पिछड़कर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। बीते कुछ बरसों में कपड़ों और फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स को आकर्षित करने वाला वियतनाम मैन्युफैक्चरिंग लागत में भारत-चीन के बाद तीसरे नंबर पर है।

भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की कोशिश

सर्वे के इन नतीजों से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को काफी बढ़ावा मिल सकता है। मोदी सरकार भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की लगातार कोशिश कर रही है। कोरोना की पहली लहर के दौरान लॉन्च किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान से इस मिशन की शुरुआत हो गई थी। इसके लिए विदेशी कंपनियों को लुभाने का दांव चला गया। compliance का बोझ घटाने से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बड़ा फायदा मिला। प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी स्कीम्स के ज़रिए दुनिया की बड़ी बड़ी कंपिनयों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत भी की। 

मोदी सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बनाया आकर्षक

कोरोना के बाद जिस तरह से वैश्विक समीकरण बदले हैं और भारत ने अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आकर्षक बनाया है, उससे सर्विस के साथ-साथ ये सेक्टर मिलकर एक ऐसा कॉम्बो बना सकते हैं कि भारत को ग्रोथ के लिए दमदार डबल इंजन मिल सकता है। सर्विसेज में ग्रोथ की वजह भारत में अंग्रेजी बोलने वाली सस्ती मैनपावर है जो आगे भी इसी तरह काम करती रहेगी और देश की ग्रोथ में योगदान करेगी। 

दुनिया की दिग्गज इकॉनमी बनने का मार्ग प्रशस्त

पिछले कुछ बरसों में चीन ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग के दम पर तरक्की की है तो भारत की ग्रोथ का आधार सर्विस सेक्टर रहा है। इस बीच भारत ने मैन्युफैक्चरिंग में चीन को पीछे छोड़ दिया है, तो फिर भारत को दुनिया की दिग्गज इकॉनमी बनने से कोई नहीं रोक सकता। इसके बाद ‘बैक ऑफिस ऑफ वर्ल्ड’ के साथ साथ ‘वर्ल्ड फैक्ट्री’ का तमगा भी भारत को मिल सकता है।

 

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