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ढह रहा है कांग्रेस का किला: हिमाचल चुनाव से ठीक पहले पार्टी को बड़ा झटका, 26 नेता हाथ छोड़ बीजेपी में शामिल

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कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं, लेकिन पार्टी को जोड़कर रखने में नाकाम साबित हो रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का एक के बाद एक करके पार्टी छोड़कर जाने का सिलसिला जारी है। कांग्रेस का किला ढह रहा है। ताजा मामले में पार्टी को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। वोटिंग से सिर्फ चार दिन पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव धर्मपाल ठाकुर खंड समेत पार्टी के 26 नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं। राज्य में विधानसभा की 68 सीटों के लिए 12 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होनी है। मतदान से पहले इन नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस की रही-सही उम्मीद भी खत्म हो गई लगती है।

पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में कांग्रेस के पूर्व हिमाचल प्रदेश महासचिव धर्मपाल ठाकुर खंड, पूर्व सचिव आकाश सैनी, पूर्व पार्षद राजन ठाकुर, पूर्व जिला उपाध्यक्ष अमित मेहता, मेहर सिंह कंवर, युवा कांग्रेस नेता राहुल नेगी, जय मां शक्ति सामाजिक संस्थान अध्यक्ष जोगिंदर ठाकुर, नरेश वर्मा, चमयाना वार्ड सदस्य योगेंद्र सिंह, टैक्सी यूनियन सदस्य राकेश चौहान, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज शिमला के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार, वीरेंद्र शर्मा, राहुल रावत, सोनू शर्मा, अरुण कुमार, शिवम कुमार, गोपाल ठाकुर शामिल हैं।

आनंद शर्मा ने हिमाचल चुनाव संचालन समिति से दिया इस्तीफा
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए गठित संचालन समिति से इस्तीफा दे दिया था। आनंद शर्मा ने इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। पत्र में आनंद शर्मा ने लिखा था कि 26 अप्रैल को हिमाचल कांग्रेस के स्टीयरिंग कमिटी का प्रमुख बनाने के बावजूद आज तक उनकी भूमिका स्पष्ट नहीं की गई। उन्होंने लिखा था कि बीते दिनों दिल्ली और शिमला में हिमाचल चुनाव को लेकर हुई महत्वपूर्ण बैठकों में भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया। इसे ‘अपमान’ की बात कहत हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश में अहम पद से इस्तीफा दे दिया था। यह इस्तीफा पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। शर्मा पहाड़ी राज्य के सियासी हाल को लेकर भी कह रहे हैं कि केवल वह और उनके समर्थक ही भारतीय जनता पार्टी से लड़ सकते हैं। खास बात है कि भाजपा के शासन वाले राज्य में कांग्रेस ऐसे समय पर दोबारा तैयार होने की कोशिश कर रही है, जहां आम आदमी पार्टी भी अपनी सक्रियता बढ़ा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा को 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में संचालन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। आनंद शर्मा को हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े नेताओं में माना जाता है।

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ही कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के एक के बाद एक पार्टी के पदों से इस्तीफा देने और पार्टी छोड़ने से अब यह साफ होता जा रहा है कि जल्द ही भारत कांग्रेस मुक्त हो जाएगी। आइए देखते हैं 2024 से पहले ही कांग्रेस का किला किस तरह ढह रहा है…

हाल के वर्षों में कांग्रेस पार्टी छोड़ने वाले दिग्गज

गांधी परिवार से ‘आजाद’ हुए गुलाम नबी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के नजदीकी रहे गुलाम नबी आजाद ने अगस्त, 2022 में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। सोनिया गांधी को संबोधित अपने इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी के खिलाफ जमकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सोनिया गांधी को भेजे त्यागपत्र में कहा कि कांग्रेस में लिए जाने वाले फैसले जनहित और देशहित के लिए नहीं होते, बल्कि कुछ लोगों के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए होते हैं। कांग्रेस के बागी गुट जी-23 के अहम सदस्य आजाद ने सोनिया गांधी को कांग्रेस में बदलाव को लेकर एक चिट्ठी भी लिखी थी। इस चिट्ठी के बाद काफी बवाल मचा था। सोनिया को लिखी चिट्ठी में आजाद ने कहा कि मैने बिना किसी स्वार्थ भाव के दशकों तक पार्टी की सेवा की है। आपके नेतृत्व में पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। लेकिन दुर्भाग्य से जब से पार्टी में राहुल गांधी की एंट्री हुई, खासतौर पर 2013 के बाद जब आपने राहुल को उपाध्यक्ष नियुक्त किया, तब से उन्होंने पार्टी में बातचीत का पूरा खाका ही ध्वस्त कर दिया। उन्होंने आगे लिखा है कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइडलाइन कर दिया गया। अनुभवहीन नेताओं को पार्टी में तरजीह दी जाने लगी। जिसके कारण धीरे-धीरे पार्टी के जमीनी नेता दूर हो गए। कांग्रेस में हालात अब ऐसी स्थिति पर पहुंच गए है, जहां से वापस नहीं आया जा सकता। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी को सलाह दी है कि इस समय कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से ज्यादा कांग्रेस जोड़ो यात्रा की आवश्यकता है।

कपिल सिब्बल
इस साल की शुरुआत से लेकर इन पांच महीनों के भीतर कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले नेताओं में सबसे बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल का है। बीते काफी समय से उनके रिश्ते कांग्रेस आलाकमान के साथ अच्छे नहीं चल रहे थे। कपिल सिब्बल ने उदयपुर में कांग्रेस के चिंतिन शिवर में बैठक के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। सिब्बल कांग्रेस पार्टी में व्यापक सुधारों पर जोर देने वाले विद्रोही ग्रुप “जी -23” के एक प्रमुख सदस्य थे। सिब्बल काफी समय से ना केवल कांग्रेस, बल्कि राहुल गांधी पर भी निशाना साधते रहे हैं।

सुनील जाखड़
पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया। सुनील जाखड़ को कांग्रेस नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जाखड़ ने एक तीखे संदेश में कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को दोस्तों और दुश्मनों की पहचान करने की आवश्यता है।

हार्दिक पटेल
गुजरात के नेता हार्दिक पटेल ने पार्टी में दरकिनार किए जाने से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी थी। हार्दिक ने अपने त्यागपत्र में राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वे उनसे मिले तो शीर्ष नेता मोबाइल फोन पर व्यस्त थे। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात कांग्रेस पार्टी के मुद्दों की तुलना में नेताओं के लिए “चिकन सैंडविच” की व्यवस्था करने में अधिक रुचि रखती है।

अश्वनी कुमार
पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने इस साल की शुरुआत में फरवरी में कांग्रेस से अपना चार दशक पुराना रिश्ता खत्म कर लिया। उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे अपने त्यागपत्र में कहा कि यह कदम,”मेरी गरिमा के अनुरूप है।” उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि वह निकट भविष्य में कांग्रेस को पतन की ओर जाते हुए देख रहे हैं।

आरपीएन सिंह
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा (BJP) में शामिल हो गए। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, वह 32 साल से कांग्रेस में थे लेकिन पार्टी अब वो नहीं रही जो पहले हुआ करती थी।

जयंती नटराजन
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंती नटराजन ने 30 जनवरी 2015 को कांग्रेस पार्टी का साथ छो़ड़ा था। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप थे। हालांकि उन्होंने पार्टी छोड़ते वक्त राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर बलि का बकरा बनाने का आरोप लगाया था। नटराजन का परिवार कांग्रेस के साथ 1960 के दशक से जुड़ा हुआ था। उनके नाना एम भक्तवत्सलम तमिलनाडु में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री थे।

जीके वासन
यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके जीके वासन ने नवंबर 2014 में पार्टी छोड़ी थी। उनके पिता जीके मुपनार बड़े कांग्रेसी नेता रहे। वासन ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस पार्टी में तमिलनाडु इकाई को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। पार्टी छोड़ने के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने देसिया तमिल मनीला कांग्रेस की स्थापना की।

ज्योतिरादित्य सिंधिया
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में अब तक सबसे ज्यादा सुर्खियां ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय ही मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुई टकराहट आखिरकार सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर जाकर खत्म हुई। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना। सिंधिया राहुल गांधी के बेहद करीबी थे और कांग्रेस के भविष्य के रूप में भी देखे जा रहे थे।

टॉम वडक्कन
तकरीबन 20 सालों तक सोनिया गांधी के खास रहने के बाद टॉम वडक्कन ने पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय में पार्टी के स्टैंड का विरोध किया था। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली।

रंजीत देशमुख
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रंजीत देशमुख ने संगठन पर आरोप लगाकर कांग्रेस छोड़ दी थी। वो महाराष्ट्र की विलासराव देशमुख सरकार में मंत्री भी रहे थे। हालांकि बाद में खराब स्वास्थ्य की वजह से रंजीत सक्रिय राजनीति से अलग हो गए।

चौधरी बीरेंदर सिंह
हरियाणा कांग्रेस के ताकतवर नेता रहे चौधरी बीरेंदर सिंह ने 2014 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। कहते हैं कि उन्होंने पार्टी राज्य के तत्कालीन सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के विरोध में छोड़ी थी। फिर उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर हरियाणा से जीता और फिर केंद्रीय मंत्री बने।

रीता बहुगुणा जोशी
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं रीता बहुगुणा जोशी ने साल 2016 में कांग्रेस छोड़ी थी। बाद में वो बीजेपी के टिकट पर लखनऊ से विधायक बनीं। उनके पिता हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस के दिग्गज नेता और यूपी के मुख्यमंत्री रहे।

विजय बहुगुणा
2012 से 2014 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा की बहन उत्तर प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रही थीं। इनके पिता हेमवतीनंदन बहुगुणा का परिवार दशकों से कांग्रेस में था। 2013 की बाढ़ आपदा में राहत कार्यों में अनियमितता को लेकर उनके नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे थे। मुख्यमंत्री का पद चला गया और दो साल बाद दोनों भाई बहन कांग्रेस छोड़ 2016 में बीजेपी में शामिल हो गए।

हिमंता बिस्वा सरमा
हिमंता बिस्वा सरमा असम की तरुण गोगोई सरकार में मंत्री थे और गोगोई के ख़ास माने जाते थे। बाद में गोगोई से मतभेद होने पर 2015 में पार्टी छोड़ दी। राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा था पर तब राहुल गांधी कथित रूप से कुत्ते को खिलाने में व्यस्त थे। इन्होंने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए। अभी असम के मुख्यमंत्री हैं।

नारायण राणे
कभी शिवसेना के बड़े नेता रहे नारायण राणे ने 2005 में कांग्रेस ज्वाइन की थी। कांग्रेस की सरकारों में वे मंत्री भी रहे थे। पार्टी छोड़ते वक़्त नारायण राणे ने कहा था- कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था पर अपने वादे से मुकर गई। उन्होंने 2017 में कांग्रेस पार्टी छोड़ी। अभी मोदी सरकार में मंत्री हैं।

राधाकृष्ण विखे पाटिल
राधाकृष्ण विखे पाटिल 5 बार के विधायक और नेता प्रतिपक्ष रहे। पिता बालासाहब विखे पाटिल कद्दावर कांग्रेसी थे। राधाकृष्ण विखे पाटिल बेटे सुजय विखे पाटिल को अहमदनगर से लोकसभा का टिकट न मिलने से नाराज थे। सुजय विखे पाटिल ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया और अहमदनगर से बीजेपी सांसद है।

प्रियंका चतुर्वेदी
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी से मथुरा में कुछ नेताओं ने अभद्रता की थी। अभद्रता करने वालों को पहले पार्टी ने निकाला और फिर पार्टी में शामिल भी कर लिया। प्रियंका इससे नाराज थीं। जिसके बाद उन्होंने 2019 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया.

जितिन प्रसाद
मनमोहन सरकार में मंत्री रहे जितिन प्रसाद अब योगी सरकार में मंत्री हैं। माना जाता है कि वह उत्तर प्रदेश के मामलों में सलाह न लिए जाने से नाराज थे। पिछले साल (2021 में) दिग्गज नेता जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे।

सुष्मिता देव
गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाली सुष्मिता देव कांग्रेस की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष थीं। उन्होंने 2021 में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह असम में पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सिलचर सीट से हार गईं। बाद में अगस्त 2021 में वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गईं। अभी टीएमसी से राज्यसभा सांसद हैं।

जयवीर शेरगिल
जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से त्यागपत्र दे दिया और पार्टी से नाता तोड़ लिया। जयवीर शेरगिल ने अपने इस्तीफे को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि, ‘मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि फैसला लेना अब जनता और देश के हितों के लिए नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के स्वार्थी हितों से प्रभावित है जो चाटुकारिता में लिप्त हैं और लगातार जमीनी हकीकत को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।’ सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले वकील शेरगिल उस वक़्त सुर्ख़ियों में आए थे, जब उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को कानूनी मदद प्रदान करने के लिए 24×7 कानूनी टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किया था।

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