देश में अभिव्यक्ति की स्वतंंत्रता के स्वयंभू आलंबरदारों का दोहरा चरित्र एक बार फिर सामने आ गया है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ब्लूम्सबरी प्रकाशक ने ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ को प्रकाशित करने से मना क्यों कर दिया। आखिर देश में ऐसे कौन लोग हैं जो प्रकाशक पर किताब न छापने का दबाव बना रहे हैं, जबकि इससे पहले ब्लूम्सबरी दिल्ली दंगे पर किताब प्रकाशित कर चुकी है। आखिर दिल्ली दंगे की सच्चाई आने से कौन लोग परेशान हैं?
दरअसल, ब्रिटेन के प्रकाशक ब्लूम्सबरी की भारत की शाखा ब्लूम्सबरी इंडिया दिल्ली दंगों पर एक पुस्तक ‘दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी’ को ब्रिकी के लिए लाने वाली थी। मोनिका अरोड़ा, प्रेरणा मल्होत्रा और सोनाली चितलकर की इस पुस्तक के कंटेंट की सभी तरह से जांच के बाद इसकी 300 प्रतियां लेखकों को दे दी गयी थीं। लेखकों ने पुस्तक मिलने के बाद आज इसका वेव लांच किया। इस वेव लांच से ठीक पूर्व ब्लूम्सबरी ने इसका प्रकाशन नहीं करने का ऐलान कर दिया।
लेखकों और जानकारों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंंत्रता पर आघात बताया है। प्रकाशक ने अपने इस निर्णय का ठीक-ठीक कारण भी नहीं बताया है। प्रश्न है कि जब पुस्तक के कंटेंट को लेकर कोई समस्या नहीं थी तो किसके दबाव में आकर इसे प्रकाशित नहीं करने का निर्णय लिया गया। प्रकाशक के इस निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। इस प्रकाशन से नौ सफल पुस्तकें छपवा चुके प्रसिद्ध लेखक संदीप देव ने अपनी सभी पुस्तकें प्रकाशक से वापस लेने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लोकप्रिय पुस्तक ‘मोदी सूत्र’ लिखने वाले पत्रकार-लेखक हरीश बर्णवाल ने भी अपनी इस पुस्तक को वापस लेने की घोषणा की है।
फर्जी लेफ्ट-लिबरल गैंग और इस्लामिक कट्टरपंथियों के आगे जिस प्रकार @BloomsburyIndia झुक गया है, ऐसे में मैंने भी पीएम @narendramodi पर लिखी महत्वपूर्ण पुस्तक 'मोदी सूत्र' को ब्लूम्सबरी से वापस लेने का फैसला किया है। सच मायने में इस संस्थान ने अपना सम्मान खो दिया है pic.twitter.com/cJI7plL7zI
— Dr. Harish Chandra Burnwal (@hcburnwal) August 22, 2020
मैं एक लेखक के रूप में @BloomsburyIndia से अपनी सारी पुस्तकें वापस लेने की घोषणा करता हूं।#bloomsburyindia ने लेफ्ट-लॉबी के दबाव में #DelhiRiots2020 का पब्लिकेशन कैंसल किया है। यह विचारों की हत्या है। @pubbloomsbury @advmonikaarora @KapilMishra_IND @ippatel @DrPrernaMalhotr pic.twitter.com/XeKtgJDOX8
— संदीप देव #SandeepDeo (@sdeo76) August 22, 2020
इसके बाद ही प्रसिद्ध लेखक संजीव सान्याल और आनंद रंगनाथन ने भी अपनी पुस्तकें वापस लेने की घोषणा कर दी है। जानकारी मिल रही है कि कई और लेखक भी अपनी पुस्तकें वापस लेने जा रहे हैं।
I have have not read the book in question & have no idea if it is good or bad. However, this is obviously not a quality control problem but about censorship.
I commit to never publish a book with @BloomsburyIndia
2/n— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) August 22, 2020
3. If Bloomsbury does not retract its decision, my co-author and I have decided that we will return the substantial advance paid to us by Bloomsbury for our forthcoming book.
We cannot allow our book to be published by a house that does not respect Freedom of Expression. pic.twitter.com/nwTvC3Soue
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) August 22, 2020
गौरतलब है कि इसी प्रकाशक ने Shaheen Bagh: From a Protest to a Movement” by Ziya Us Salam and Uzma Ausaf का चंद दिनों पूर्व ही प्रकाशन किया। इस पुस्तक के लेखकों ने दिल्ली दंगों के अभियुक्त आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को पहले ही निर्दोष करार दिया है। लेकिन इस पुस्तक को लेकर प्रकाशक को कोई परेशानी नहीं हुई।
ऐसा माना जा रहा है कि भारत में इसके प्रकाशन का काम देख रहे लोगों को ऊपर से निर्देश आया। मसला है कि कौन लोग ऊपर तक दबाव बनाने में लगे हैं। मीडिया में इन बातों को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है।
दरअसल , इस पुस्तक में दंगों के पैटर्न से जुड़े ऐसे सच हैं जिनकी चर्चा अभी तक गॉशिप के तौर पर तो होती रही, लेकिन किसी जांच दल ने उसका वास्तविक चित्र सामने नहीं रखा था। सबूतों और चश्मदीदों के हवाले से इसमें ऐसा बहुत कुछ लिखा गया जिसका पुस्तक के रूप में सामने आना एक वर्ग विशेष के खिलाफ जा रहा था। इस दबाव को समझना हो तो लेफ्ट लिबरल्स के पूरे इको सिस्टम को समझना होगा। पुस्तक का प्रकाशन नहीं करने के फैसले ने उन्हें खुले तौर पर बेनकाब किया है।
मजेदार है कि अभिव्यक्ति की स्वतंंत्रता की बात करने वाले लिबरल गैंग का इस खबर के बाद दोहरा चरित्र सामने आया है। उन्हें दंगों के अभियुक्त ताहिर हुसैन को निर्दोष बताने वालों से परेशानी नहीं लेकिन दंगों का सच बताने वालों से बहुत परेशानी है।
आनंद रंगनाथन से ट्विटर ने मांगी माफी
माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने 10 दिन बाद वैज्ञानिक और स्तंभकार डॉ आनंद रंगनाथन के ट्विटर अकाउंट फिर से बहाल कर दिया है। ट्विटर ने रंगनाथन को कुरान की एक आयत पोस्ट करने पर ब्लॉक कर दिया था। अब ट्विटर ने अकाउंट सक्रिय करते हुए ईमेल के जरिए आनंद रंगनाथन को होने वाली असुविधा के लिए खेद जताया है और अपनी गलती भी मानी है।
Hello everyone!
Ten days after claiming my quoting a verse was hateful and violated their rules, @twitter has apologised and restored my account.
The tweet stays.
Thank you for all your love & support. I am overwhelmed. This is a debt I can never repay. https://t.co/Y9UThn9jih pic.twitter.com/zQZi2yPeGz
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) August 22, 2020
उल्लेखनीय है कि बेंगलुरु में हिंसा के बाद आनंद रंगनाथन ने एक ट्वीट किया था जिसके बाद ट्विटर ने उस पोस्ट को विवादित मानते हुए उनके हैंडल को ब्लॉक कर दिया था। अब माफी मांग कर उनके हैंडल को दोबारा बहाल कर दिया है।