आम आदमी पार्टी (AAP) के झंडे का रंग बदल गया है। यूं तो दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को अपनी बातों से पलटने के लिए सोशल मीडिया पर तमाम लोग अपनी राय जाहिर करते रहते हैं लेकिन कोई भी पार्टी अपना झंडा और उसका रंग काफी विचार-विमर्श के बाद तय करती है। एक तरह से कहें तो किसी भी पार्टी का चेहरा उसका झंडा ही होता है। ऐसे में अपनी स्थापना के 10 साल बाद किसी पार्टी के लिए अपना झंडा और उसका रंग बदलना आसान नहीं है। इसके बावजूद AAP ने अपने झंडे का रंग बदल दिया है। यहां सोचने वाली बात यह है कि ऐसी क्या मजबूरी रही होगी कि AAP को अपने झंडे का रंग बदलना पड़ा। पहले उनके झंडे का रंग सफेद और नीला था। अब यह बदलकर पीला और गहरा नीला हो गया है। नए झंडे के रंगों की विवेचना की जाए तो तीन बातें उभरकर सामने आती हैं। पहला कि उन्होंने भगत सिंह से पीला और अंबेडकर से नीला रंग लिया। भगत सिंह जहां क्रांति के प्रतीक हैं वहीं अंबेडकर सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं। लेकिन क्या पार्टी की विचारधारा इससे मेल खाती है? दूसरा कि खालिस्तान दो झंडों का प्रयोग करता है जो बिल्कुल AAP के झंडे के समान हैं। तो क्या खालिस्तान के प्रति एकजुटता जताने के लिए झंडे का रंग बदल दिया गया? तीसरा है यूक्रेन का झंडा। यूक्रेन और AAP में एक बात कॉमन है। ज़ेलेंस्की भी एक गैर-राजनीतिक व्यक्ति थे और केजरीवाल की तरह आंदोलन से राजनीति में आए। इसकी गहराई में जाएं तो यह बात सामने आती है कि केजरीवाल और ज़ेलेंस्की एक कॉमन एजेंसी से जुड़े हुए हैं। यह है फोर्ड फाउंडेशन। वही फोर्ड फाउंडेशन जो अमेरिकी खुफिया एजेंकी CIA के लिए काम करता है। वही CIA जो दुनियाभर में सत्ता को पलटने के लिए जाना जाता है और भारत में पीएम मोदी के आने के बाद वह इस जुगत में लगा हुआ है। यह भी अपने आप में रहस्य है कि बात-बात पर प्रेस कांफ्रेंस करने वाले केजरीवाल ने पार्टी के झंडे का रंग बदले जाने को लेकर औपचारिक रूप से अब तक कुछ नहीं है।
Mystery of AAP's Flag (Thread)
Check these 2 pics
Left pic is AAP's chandigarh rally in Dec 2021
Right pic is AAP's Gujarat rally in Nov 2022Check their flags
Earlier their flag color was : White n Blue
Recent color is : Yellow n Dark Blue1/10 pic.twitter.com/kkqEauTOPJ
— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) December 6, 2022
आप के झंडे के रहस्य को लेकर ट्विटर यूजर Agenda Buster ने कुछ ट्वीट किए हैं। आप भी देखिए उसमें क्या बातें निकलकर आती हैं-
It can be seen in their recent press conference also that yellow n dark blue is their new color
N they have left their old white n light blue color pic.twitter.com/nQfH6z9Hw2
— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) December 6, 2022
पहली तस्वीर दिसंबर 2021 की, दूसरी तस्वीर नवंबर 2022 की
ऊपर दो रैलियों के फोटो हैं। पहली तस्वीर दिसंबर 2021 में आप की चंडीगढ़ रैली की है। दूसरी तस्वीर नवंबर 2022 में आप की गुजरात रैली की है। पहले उनके झंडे का रंग सफेद और नीला था। हाल का रंग है: पीला और गहरा नीला। उनकी हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी देखा जा सकता है कि पीला और गहरा नीला उनका नया रंग है। उन्होंने अपना पुराना सफेद और हल्का नीला रंग छोड़ दिया है।
Thought officially they didn't tell
But lot of people assume that they took
Yellow color from Bhagat Singh
Blue color from AmbedkarBhagat Singh symbol of Revolution
BRA symbol of Social JusticeAnd this can be reason.
But does AAP's party Ideology match with this Ideology ? pic.twitter.com/45UtqDrclQ— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) December 6, 2022
झंडे को लेकर AAP ने अभी तक कुछ नहीं कहा
AAP के झंडे के रंग बदलने को लेकर न तो इस बारे में पार्टी ने और न ही इसके संयोजक अरविंद केजरीवाल ने औपचारिक रूप से कुछ कहा है। लेकिन बहुत से लोग मानते हैं कि उन्होंने भगत सिंह से पीला रंग लिया और बाबा साहेब अंबेडकर से नीला रंग लिया है। भगत सिंह जहां क्रांति के प्रतीक हैं वहीं अंबेडकर सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं। यह कारण हो सकता है लेकिन यहां यह सवाल उठता है कि क्या आप की पार्टी की विचारधारा इस विचारधारा से मेल खाती है?
One more logic is given that
This is the flag of Khalistan
The pic is from their London rally
N they use 2 flags that is exactly similar to AAP's flag pic.twitter.com/4Iu1mbvbpx— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) December 6, 2022
AAP और खालिस्तान के झंडे में समानता!
एक और तर्क दिया जाता है कि यह खालिस्तान का झंडा है। ऊपर जो तस्वीर है वह खालिस्तान की लंदन रैली की है। वे दो झंडों का उपयोग करते हैं जो बिल्कुल आप के झंडे के समान हैं। AAP पर खालिस्तानी समर्थकों से हमदर्दी रखने के आरोप लगते रहे हैं, हालांकि उन्होंने हमेशा इससे इनकार किया। तो क्या इस दावे को नज़रअंदाज किया जा सकता है कि उन्होंने खालिस्तान की एकजुटता में अपना झंडा बदल लिया?
But there is one more angle, that can't be ignored
This is flag of Ukrain
There is one thing common between Ukraine n AAPZelenskyy was also a non political person n suddenly rise in Politics due to a movement n same with Kejriwal
One more thing pic.twitter.com/Ka693Tjztu
— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) December 6, 2022
यूक्रेन के झंडे से क्यों मिलता-जुलता है AAP का झंडा
एक पहलू और भी है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। ऊपर यूक्रेन का झंडा है। यूक्रेन और आप में एक बात कॉमन है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल दोनों ही राजनीति में आने से पहले गैर राजनीतिक व्यक्ति थे। दोनों आंदोलन की उपज हैं। आंदोलन में दोनों का कद जानबूझकर बढ़ाया गया जिससे वह राजनीति में सफल हो सकें और सरकार में शामिल हो सकें।
One more common link is
Srdja PopovikPopovik is considered a regime change expert. He was behind the regime change in Ukrain. He met to Yogendra Yadav n probably Rahul Gandhi also few years ago.
Shaheen bag, farmer protest all might be his brainchild pic.twitter.com/9dODd26NHR
— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) December 6, 2022
पोपोविक, योगेंद्र यादव, राहुल गांधी में क्या है लिंक
एक और कॉमन लिंक है Srdja Popovik. पोपोविक को सत्ता परिवर्तन विशेषज्ञ माना जाता है। वह यूक्रेन में शासन परिवर्तन के पीछे था। वहीं कुछ साल पहले उनकी मुलाकात योगेंद्र यादव और शायद राहुल गांधी से भी हुई थी। शाहीन बाग, किसान आंदोलन सब उनके दिमाग की उपज हो सकता है। पहला एलएसई इंडिया शिखर सम्मेलन 28-30 जनवरी 2016 को गोवा में हुआ था, और इसमें कई पैनलिस्ट थे जो नागरिक समाज से लेकर भारत में बुनियादी ढांचे की चुनौतियों पर चर्चा कर रहे थे। सम्मेलन में स्पीकर पोपोविक और योगेंद्र यादव ने राजनीतिक सिद्धांत और 21वीं सदी में अहिंसक जन आंदोलनों को बढ़ावा देने की व्यावहारिकताओं पर चर्चा की।
Now if we go more deeper than all links meet at one place
Kejriwal via Ford Foundation
Zelenskyy
Popovik
All r connected to one agency ? pic.twitter.com/0r9AZN63ej— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) December 6, 2022
फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं केजरीवाल, ज़ेलेंस्की, पोपोविक
अब अगर हम और गहराई में जाएं तो सभी कड़ियां एक ही स्थान पर मिलती हैं। फोर्ड फाउंडेशन के जरिए केजरीवाल, ज़ेलेंस्की, पोपोविक सभी एक एजेंसी से जुड़े हुए हैं। सर्बिया के पोपोविक को 1990 के दशक के उत्तरार्ध के बाद से पूर्वी यूरोप और अन्य जगहों पर शासन परिवर्तन के एक प्रमुख वास्तुकार के रूप में जाना जाता है, और Otpor के सह-संस्थापकों में से एक के रूप में जाना जाता है! Occupy.com की रिपोर्ट से पता चलता है कि पोपोविक और ओट्पोर! ऑफशूट कैनवस (सेंटर फॉर एप्लाइड नॉनवायलेंट एक्शन एंड स्ट्रैटजीज) ने गोल्डमैन सैक्स के कार्यकारी और निजी खुफिया फर्म स्ट्रैटफोर (स्ट्रेटेजिक फोरकास्टिंग, इंक।) के साथ-साथ अमेरिकी सरकार के साथ भी घनिष्ठ संबंध बनाए रखा है। पोपोविक की पत्नी ने भी स्ट्रैटफोर में एक साल तक काम किया है।
What is the exact reason of their flag change, I don't know.
This thread just put all perspectivesRevolution for social justice
Was exactly theme of French revolution 1789 when regime was changed n LL intellectuals still consider it best case study till now for regime change
— Agenda Buster (ST⭐R Boy) (@Starboy2079) December 6, 2022
AAP के झंडे बदलने के पीछे क्या हो सकते हैं कारण
उनके झंडे बदलने का सही कारण क्या है, यह साफ-साफ नहीं कहा जा सकता। यहां सभी संभावित कारणों पर प्रकाश डाला गया है। सामाजिक न्याय के लिए क्रांति। वास्तव में फ्रांसीसी क्रांति 1789 का विषय था जब शासन बदल गया था और बुद्धिजीवी अभी भी इसे शासन परिवर्तन के लिए अब तक का सबसे अच्छा केस स्टडी मानते हैं। जेएनयू में जिस तरह ब्राह्मणों को निशाना बनाया जा रहा है, वह वामपंथ का वैचारिक केंद्र है। ठीक उसी तरह जैसे फ़्रांसीसी क्रांति में शुरू में पादरियों को निशाना बनाया गया था। कुछ भी अचानक नहीं हुआ, हर चीज के पीछे कारण होता है। यहां तक कि जहां तक झंडे के रंग की बात है। कोई भी पार्टी आसानी से अपना झंडा नहीं बदलती।
क्या आप ने AAP पार्टी का अपग्रेडेड ध्वज देखा है?
AAP पार्टी के अपग्रेडेड ध्वज और ख़ालिस्तानी ध्वज में कितनी समानताएँ हैं, इस पर आप ज़रा ग़ौर कीजिएगा।
हमारे देशभक्त नागरिक देश के विभाजन की बात करने वालों को करारा जवाब देंगे। ??@narendramodi @AmitShah @blsanthosh @VijayShekhar9 pic.twitter.com/98e0t9ZBAb— Sherlyn Chopra (शर्लिन चोपड़ा)?? (@SherlynChopra) December 5, 2022
इस बारे में शर्लिन चोपड़ा ने ट्वीट किया है- क्या आप ने AAP पार्टी का अपग्रेडेड ध्वज देखा है? AAP पार्टी के अपग्रेडेड ध्वज और ख़ालिस्तानी ध्वज में कितनी समानताएं हैं, इस पर आप ज़रा ग़ौर कीजिएगा। हमारे देशभक्त नागरिक देश के विभाजन की बात करने वालों को करारा जवाब देंगे।
अब फोर्ड फाउंडेशन के भारत में कार्यकलाप और इससे जुड़े लोगों पर नजर डालते हैं-
फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े रहे हैं केजरीवाल के एनजीओ कबीर और राजीव गांधी फाउंडेशन
केजरीवाल के एनजीओ कबीर और राजीव गांधी फाउंडेशन से लेकर शबनम हाशमी के एनजीओ अनहद जैसे कई एनजीओ फोर्ड फाउंडेशन से फंडिंग लेते रहे हैं। और ये सब कांग्रेस और आम आदमी के करीब हैं। फोर्ड फाउंडेशन द्वारा बनाए गए एनजीओ और उनके आकाओं के इकोसिस्टम इन दोनों के बहुत करीब हैं और हाथ से हाथ मिलाकर काम करते हैं। ऐसे कई दस्तावेज हैं, जो बताते हैं कि फोर्ड फाउंडेशन अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के लिए काम करता है। इस तरह देखें तो यह साफ होता है कि फंडिंग से लेकर इकोसिस्टम तक, प्लानिंग से लेकर ग्राउंड सपोर्ट तक, दोनों पार्टियों को एक ही लोगों, एक ही इकोसिस्टम और एक ही विदेशी एनजीओ का समर्थन प्राप्त है!
6. Working on Ground:
As everyone knows, Foreign-funded Medha Patkar has a special relationship with AAP and Congress.
She was an AAP member and candidate too!
Every Gujarati remembers her name. Just Because of her people of Gujarat have suffered a lot without water for decades. pic.twitter.com/Rnv16XiVJ3— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
मेधा पाटकर, AAP, कांग्रेस, फोर्ड फाउंडेशन
जैसा कि सभी जानते हैं कि मेधा पाटकर का आप और कांग्रेस से खास रिश्ता है। और वह AAP सदस्य थीं और उम्मीदवार भी! हर गुजराती को उनका नाम याद है। सिर्फ उन्हीं की वजह से गुजरात के लोगों ने दशकों से पानी के बिना बहुत कुछ झेला है। फोर्ड फाउंडेशन द्वारा बनाए गए एनजीओ और उनके आकाओं के इकोसिस्टम इन दोनों के बहुत करीब हैं और हाथ से हाथ मिलाकर काम करते हैं। आगे इसे कुछ उदाहरण से समझिए।
8. Yogendra Yadav:
In 2001, Yogendra Yadav's NGO survived just because Ford Foundation has given them a grant at that time!
How can he forget that help!
I don't need to write about his relationship with AAP and Congress! pic.twitter.com/shVOg8SoT2— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
योगेंद्र यादव: 2001 में योगेंद्र यादव का एनजीओ सिर्फ इसलिए बच पाया क्योंकि फोर्ड फाउंडेशन ने उन्हें उस समय अनुदान दिया था! वह उस मदद को कैसे भूल सकते हैं! यह जगजाहिर कि उनके AAP और कांग्रेस के साथ संबंध किस तरह के रहे हैं।
9. Shabnam Hashmi:
She was fighting a case for terrorist Ishrat Jahan Who came to kill Narendra Modi with a few other terrorists.
She is the founder of ANHAD NGO.
She is Part of the Ecosystem of Ummar Khalid and Ford Funded Teesta, etc.— Vijay Patel?? (@vijaygajera) November 23, 2022
शबनम हाशमी: शबनम हाशमी आतंकवादी इशरत जहां के लिए केस लड़ रही थी जो कुछ अन्य आतंकवादियों के साथ नरेंद्र मोदी को मारने आई थी। वह अनहद एनजीओ की संस्थापक हैं। वह उमर खालिद और फोर्ड फंडेड तीस्ता सीतलवाड़ आदि के इकोसिस्टम का हिस्सा हैं। AAP के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध हैं।
आतंकवादी इशरत जहां का केस लड़ने वाले, हिंदू विरोधी और भारत विरोधी NGO से AAP के क्या हैं संबंध?
गुजरात चुनाव के दौरान घूम-घूम कर तमाम तरह की गारंटी बांटने वाले केजरीवाल और उनकी पार्टी का संबंध आतंकवादी इशरत जहां का केस लड़ने वाले, हिंदू विरोधी और भारत विरोधी NGO और इससे जुड़े लोगों से है। यह बात सामने आने के बाद इस बात की आशंका बढ़ जाती है कि केजरीवाल अपने छुपे एजेंडे पर काम कर रहे हैं। आखिर उनका छुपा एजेंडा क्या है और इन देश विरोधी लोगों से संबंध क्या है। गुजरात के लोगों को विदेशी फंड से चलने वाली हिंदू विरोधी और भारत विरोधी एनजीओ और उनके संस्थापकों के साथ उनके संबंधों के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए। ये लोग हैं शबनम हाशमी, गगन सेठी, हर्ष मंदर, और अन्य विदेशी-वित्त पोषित प्रचार कार्यकर्ता। ये सभी लोग विदेशी वित्त पोषित एनजीओ चलाते हैं, जिसमें उन्हें फोर्ड फाउंडेशन, सोरोस, क्रिश्चियन चर्च और अन्य पश्चिमी संस्थाओं से फंड मिलता है। इन दिनों कई रिपोर्ट इस तरह की भी आई हैं कि कुछ विदेशी ताकतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करना चाहती है। क्योंकि पीएम मोदी के रहते भारत में उनकी दाल नहीं गल रही है। इसीलिए इन ताकतों ने अब लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम को नफरत फैलाने का जिम्मा सौंपा है और केजरीवाल एवं उनके करीबी गोपाल इटालिया इसके अगुवा बने हुए हैं।
Very Important Thread
1. AAP should clarify to the people of Gujarat about their relationship with foreign-funded anti-Hindu and anti-India NGOs and their founders.
Let me show you an example ?
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 16, 2022
केजरीवाल के संबंध आतंकवादी का केस लड़ने वालों से क्यों?
केजरीवाल के संबंध शबनम हाशमी, गगन सेठी, हर्ष मंदर, और अन्य विदेशी फंड से चलने वाली एनजीओ के सदस्यों से है। ये सभी लोग विदेशी वित्त पोषित एनजीओ के कार्टेल चलाते हैं, जिसमें उन्हें फोर्ड फाउंडेशन, सोरोस, क्रिश्चियन चर्च और अन्य पश्चिमी संस्थाओं से फंड मिलता है। विदेशी फंड की मदद से ये लोग आतंकवादी का केस लड़ते हैं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का विरोध करते हैं और देश की विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं और उसमें अड़ंगा डालते हैं। यहां यह सवाल उठता है कि इस तरह के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों से केजरीवाल के संबंध क्यों हैं? वह भारत की बेहतरी के लिए कार्य कर रहे हैं या देश को कमजोर करने के लिए?
5. These people oppose development projects.
So countries who fund them can grow but India can't.
You can see Shabnam Hashmi with AAP candidate Medha Patkar in this photo pic.twitter.com/75Axxob9mI
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 16, 2022
शहरी नक्सली मेधा पाटकर ने कच्छ को पांच दशक तक पानी से वंचित रखा
ये लोग विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं। इसलिए जो देश उन्हें फंड देते हैं वे विकास कर सकते हैं लेकिन इन्हें भारत के विकास की राह में रोड़ा अटकाने का काम दिया जाता है। अब जब नर्मदा का पानी कच्छ पहुंच गया है, तो हमें यह भी याद रखना चाहिए कि वे लोग कौन थे जिन्होंने करीब पांच दशकों से कच्छ को इस पानी से वंचित रखा था। हम सभी जानते हैं कि नर्मदा बांध परियोजना का विरोध करने वाले शहरी नक्सली कौन थे। उन शहरी नक्सलियों में से सबसे आगे थी मेधा पाटकर। हम सभी जानते हैं कि ये लोग किस राजनीतिक दल से जुड़े हैं और इनकी पॉलिटिकल सोच क्या है। शबनम हाशमी को आम आदमी पार्टी से जुड़ी मेधा पाटकर के साथ देखा सकता है। इससे इनके बीच गठजोड़ का पता चलता है और साथ ही यह भी पता चलता है कि भारत के विकास के खिलाफ साजिश में किस तरह ये लोग एक एकजुट हैं। शबनम हाशमी का एनजीओ और वह स्वयं सभी आंदोलनजीवी लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं!
एनजीओ ‘कबीर’ के सह-संस्थापक हैं मनीष सिसोदिया
एक और विदेशी वित्त पोषित एनजीओ ‘कबीर’ के सह-संस्थापक मनीष सिसोदिया हैं। ऐसा लगता है कि वे लोग बहुत बारीकी से काम करते हैं। सिसोदिया ही नहीं, ऐसा लगता है कि AAP का शबनम हाशमी और विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ चलाने वाले ऐसे ही लोगों के साथ बहुत खास सहयोग है!
गोपाल इटालिया लेफ्ट लिबरल गैंग और विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ का हैं हिस्सा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी और आम आदमी पार्टी (आप) की गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष गोपाल इटालिया इन दिनों अपनी बदजुबानी के लिए चर्चा में हैं। गुजरात चुनाव के दौरान पीएम मोदी और भारत को कमजोर वाली ताकतें सक्रिय हो गई। उन्होंने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस के साथ ही अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी गोपाल इटालिया को यह काम सौंप दिया। गोपाल इटालिया यूं ही नहीं पीएम मोदी को ‘नीच’ और उनकी मां को नौटंकीबाज कह रहे हैं। गुजरात की महिलाओं का अपमान, महिलाओं को ‘सी’ शब्द से संबोधित करना, मंदिर और कथाओं में जाने वालों का अपमान करना, सनातन धर्म का अपमान करना… ये सब एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। यह रणनीति उस लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम का है जो विदेशी ताकतों के इशारे पर नाचते हैं। आजादी के बाद से कांग्रेस जहां वर्षों तक विदेशी ताकतों का पिछलग्गू बनी रही है, वहीं पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद ये ताकतें असहाय महसूस कर रही हैं। इसीलिए इन ताकतों ने अब लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम नफरत फैलाने का नया जिम्मा सौंपा है और केजरीवाल और गोपाल इटालिया इसके अगुवा बने हुए हैं।
2. In 2018 Anti Hindu and foreign-funded Shabnam Hashmi and his NGO arranged a program with the name " Dismantling India"
In Ahmedabad Gopal Italia and Altnews owner Nirjhari Sinha attended this event along with a few other communists pic.twitter.com/0WQ9wjsEXw
— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 11, 2022
अर्बन नक्सलियों का एजेंडा है भारत तोड़ो
ट्विटर यूजर विजय पटेल ने इटालिया की लेफ्ट लिबरल गैंग के साथ सांठ-गांठ पर ट्वीट की एक श्रृंखला प्रकाशित की है जो उनके भारत तोड़ो, गुजरात दंगों, शाहीन बाग, अर्बन नक्सलियों से गठजोड़ का खुलासा करते हैं। 2018 में हिंदू विरोधी और विदेशी फंड से एनजीओ चलाने वाली शबनम हाशमी और उनके एनजीओ ने “डिसमेंटलिंग इंडिया” नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया। अहमदाबाद में गोपाल इटालिया और ऑल्टन्यूज़ की मालिक निर्झरी सिन्हा कुछ अन्य कम्युनिस्टों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
शबनम हाशमी हमेशा पीएम मोदी और गुजरात सरकार के खिलाफ आवाज़ें उठाती रही थीं। पीएम मोदी जब केंद्र की सत्ता में आए तब उन्होंने कहा था, “आवाज़ें उठती रहेंगी जैसे पहले उठती थीं। असहमति और विरोध रहेंगे लेकिन इसे दबाने की कोशिशें अब बहुत ज़्यादा बढ़ जाएंगी और अब दमन अधिक बढ़ जाएगा। लेकिन आवाज़ें तो हिटलर के खिलाफ़ भी उठी थीं। उसके जो भी नतीजे हों आवाज़ें तो उठती रहेंगी।”
“डिसमेंटलिंग इंडिया” एक पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट थी जिसके लेखक एन रामदास (AAP के पूर्व लोकपाल और फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े), हर्ष मंदर, कम्युनिस्ट कविता कृष्णन, विदेश से वित्त पोषित कॉलिन गोंजाल्विस और कई अन्य कम्युनिस्ट और उनके समर्थक हैं।
9. Let me introduce one more person who can be seen in the same video.
Mr. Gagan Sethi. He works for cartels of Ford Foundation-funded NGOs. He works for Oxfam too. pic.twitter.com/DrmUNY9JcE— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 11, 2022
फोर्ड फाउंडेशन से केजरीवाल और गगन सेठी के क्या हैं रिश्ते?
गगन सेठी फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों के कार्टेल के लिए काम करता है। वह ऑक्सफैम के लिए भी काम करता है। गगन सेठी जनविकास एनजीओ के संस्थापक हैं, जिसे फोर्ड फाउंडेशन और अन्य विदेशी गैर सरकारी संगठनों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। क्या यह महज इत्तेफाक है कि अरविंद केजरीवाल को भी फोर्ड फाउंडेशन से फंड और अवॉर्ड मिल चुके हैं? क्या यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल ने इटालिया को आप गुजरात का अध्यक्ष और सीएम उम्मीदवारों में से एक बनाया है? इनके साथ शबनम हाशमी, मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़, हर्ष मंदर और अन्य सभी कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं जैसे विदेशी वित्त पोषित लोग हैं, जिन्होंने गुजरात में हर बड़ी बुनियादी परियोजनाओं के खिलाफ एक बड़ी भूमिका निभाई है।
14. So These NGOs get a donation for relief work or protest against the government?
You will find them in every protest! Be it an Anti-CAA protest, Farmer protest or Protest against any development projects. For example, Sardar Sarovar Dam. pic.twitter.com/dToUPc0nOG— Vijay Patel?? (@vijaygajera) October 13, 2022
क्या ये एनजीओ सरकार का विरोध करने के लिए लेते हैं चंदा?
इन एनजीओ को देश में राहत कार्य के लिए चंदा मिलता है या सरकार का विरोध करने के लिए? देश में जहां कहीं धरना प्रदर्शन होता है आप उन्हें हर विरोध में पाएंगे! चाहे वह सीएए का विरोध हो, किसान आंदोलन हो या किसी भी विकास परियोजना के खिलाफ विरोध हो। उदाहरण के तौर पर सरदार सरोवर बांध का विरोध हम सबने देखा है।