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पूर्व कैबिनेट सचिव ने किताब में लिखा- यूपीए सरकार ने कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया, प्रशासनिक सुधारों में नहीं दिखाई दिलचस्पी, मोदी सरकार के बिजली सहित अन्य सुधारों की सराहना

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संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान 2007 से 2011 तक कैबिनेट सेक्रेटरी रहे आईएएस अधिकारी के एम चंद्रशेखर ने सेवानिवृत्ति के बाद As Good as My Word: A Memoir (एज़ गुड एज़ माय वर्ड: ए मेमॉयर) नामक किताब लिखी है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार के दौरान पॉलिसी पैरालिसिस से लेकर किस तरह कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, इसका खुलासा किया है। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि कैसे UPA ने RBI के लिए Policy Measures को Dictate किया, कैसे मनमोहन सिंह और उनकी सरकार को प्रशासनिक सुधारों में कोई दिलचस्पी नहीं थी और कैसे मोदी सरकार इसमें सफल हुई, कैसे यूपीए सरकार ने गैस मूल्य निर्धारण पर रिलायंस का पक्ष लिया और एनडीए ने इस गलती को सुधारा आदि। वह कांग्रेस से सहानुभूति रखने के बावजूद अपनी किताब में मोदी सरकार द्वारा बिजली सुधारों और आधार को बढ़ावा देने की सराहना करते हैं।

UPA सरकार ने RBI के लिए Policy Measures को Dictate किया

के एम चंद्रशेखर ने अपनी किताब में लिखा है- प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले, मोंटेक ने मुझे सुब्बाराव को फोन करने और यह देखने का अनुरोध किया कि क्या रिजर्व बैंक उसी दिन एक Supportive Package लेकर आ सकता है। Fiscal Policy Package की घोषणा के एक घंटे बाद, सुब्बाराव ने Liquidity को कम करने के लिए और उपायों की घोषणा की। इसका संयुक्त प्रभाव जोरदार और तीव्र था।

मनमोहन सिंह सरकार को प्रशासनिक सुधारों में कोई दिलचस्पी नहीं थी, मोदी सरकार इसमें सफल हुई

पूर्व कैबिनेट सचिव ने अपनी किताब में लिखा है- इसे किसी भी Political Executive में ऊपर बैठे लोगों द्वारा आगे नहीं बढ़ाया गया, जैसा कि दूसरे देशों में हो रहा था, जिन्होंने New Public Management और इसी तरह के दूसरे Mechanism के माध्यम से प्रभावी रूप से Systemic Changes किए थे। किसी भी प्रधानमंत्री या कैबिनेट मंत्री या कैबिनेट ने ऐसी पहल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। पत्रकारों ने बताया कि प्रधानमंत्री, मंत्रियों के लिए एक Marking System शुरू करने का इरादा रखते हैं। इसका परिणाम पीएमओ द्वारा पूरी तरह से हाथ खड़ा किए जाने के तौर पर सामने आया। इस महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार को कैबिनेट सचिव के Hobby Horse से ज्यादा कुछ नहीं माना गया। अधिकारियों के Conduct Rule में बदलाव कर उसे अधिक Realistic बनाने का मेरा प्रयास भी गति पकड़ने में विफल रहा। मुझे खुशी है कि यह वर्तमान सरकार के द्वारा किया गया है।

के एम चंद्रशेखर ने अपनी किताब में लिखा है- भारत में Highest Level पर RFD System को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त बैठक आयोजित करने का मेरा प्रयास सफल नहीं हो सका और स्वयं प्रधानमंत्री ने सरकार में Performance Management में व्यक्तिगत रूचि नहीं ली।

मोदी सरकार द्वारा बिजली सुधारों और आधार को बढ़ावा देने की सराहना

वह कांग्रेस से सहानुभूति रखने के बावजूद मोदी सरकार द्वारा बिजली सुधारों और आधार को बढ़ावा देने की सराहना करते हैं! वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2021 के बजट भाषण में ‘Open sourcing’ के आगमन की घोषणा की, जिससे Consumers के पास Service Provider का विकल्प होगा। इस प्रकार राजनीतिक कारणों से Cross Subsidization को समाप्त कर दिया जाएगा और भारतीय उद्योगों को एक नई वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी। इसके साथ ही विचाराधीन विद्युत (संसोधन) अधिनियम और नई टैरिफ नीति न केवल बिजली क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए बड़े बदलाव का अग्रदूत बनेगी।

पीएम मोदी ने आधार कार्ड के फायदों को पहचाना

उस समय आधार कार्ड जारी करने का कोई इरादा नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आधार कार्ड के फायदों को पहचानने और इसे सरकारी गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला से जोड़ने का निर्णय लेने के बाद ही, आधार कार्ड वो स्थान हासिल कर सका, जो अभी है।

यूपीए ने गैस मूल्य निर्धारण पर रिलायंस का पक्ष लिया, एनडीए ने इस गलती को सुधारा

के.एम. चंद्रशेखर अपनी किताब As Good as My Word: A Memoir (एज़ गुड एज़ माय वर्ड: ए मेमॉयर) में लिखते हैं- मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि मुकेश जिस कीमत की मांग कर रहा था, वह बहुत अधिक थी। एनटीपीसी और उनके भाई के साथ 2.34 डॉलर की कीमत पर सहमति बन चुकी थी उसके बाद उन्होंने अधिक कीमत मांगी जो कि संदेहास्पद लग रहा था।

मेरा कहना यह था कि लागत से अधिक के फॉर्मूले (कॉस्ट प्लस फॉर्मूला) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और इस कीमत के निर्धारण में सीएजी को शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा, जब रिलायंस ने 2.34 डॉलर की कीमत पर गैस बेचने पर सहमति जताई थी, जो कि अंतरराष्ट्रीय बोली के माध्यम से तय की गई कीमत थी, तो मुझे चार डॉलर से अधिक की कीमत को सही ठहराने का कोई तार्किक कारण नहीं मिला। मेरे विचार से कम कीमत देश के लिए अधिक लाभदायक होगी।

रुपया-आधारित मूल्य निर्धारण के बजाय डॉलर-आधारित मूल्य निर्धारण को तरजीह

के.एम. चंद्रशेखर लिखते हैं- चूंकि मैं सचिवों की समिति की बैठकों में भाग लेने वाले कुछ लोगों की विश्वसनीयता और तटस्थता के बारे में पूरी तरह से निश्चित नहीं था, इसलिए मैंने कैबिनेट सचिव की रिपोर्ट के रूप में रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसकी तत्काल प्रतिक्रिया यह थी कि इस मामले को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष सी. रंगराजन को भेजा गया था। प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में एक अधिकार प्राप्त मंत्रियों का समूह भी गठित किया गया। रंगराजन ने सूर्य सेठी द्वारा दिए गए किसी भी तर्क पर न तो सवाल उठाया और न ही खारिज किया। वास्तव में, उनकी अधिकांश रिपोर्ट ने सेठी द्वारा अपनाए गए स्टैंड का समर्थन किया। इसके बावजूद, संदिग्ध फॉर्मूले को मामूली बदलावों के साथ स्वीकार किया गया, जिसमें प्रस्तावित रुपया-आधारित मूल्य निर्धारण के बजाय डॉलर-आधारित मूल्य निर्धारण को तरजीह दी गई।

रिलायंस की संशोधित योजना पर मंत्री ने आपत्ति जताई तो मंत्री को बदल दिया

2006 में रिलायंस ने एक संशोधित योजना प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि वे लागत से चार गुना (8.8 अरब डॉलर) पर दोगुनी मात्रा (80 एमएमएससीएमडी) का उत्पादन करेंगे। चूंकि लागत में वृद्धि असंगत थी, तत्कालीन मंत्री ने आपत्ति जताई। उन्हें तुरंत बदल दिया गया और कम महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो.32 दिया गया।

एनडीए सरकार ने यूपीए सरकार की गलतियों को सुधारा

2014 के चुनावों ने हालांकि कैबिनेट के इस फैसले को लागू करने पर पानी फेर दिया। नई एनडीए सरकार ने 2013 की रंगराजन समिति द्वारा अनुशंसित प्राकृतिक गैस के मूल्य निर्धारण की फिर से जांच की और अक्टूबर 2014 में एक बेहतर फार्मूला पेश किया, जिसने $ 4.2-$ 5.25/ MMBTU के बीच गैस की प्रचलित कीमतों के मुकाबले $ 5.55/ MMBTU की गैस कीमत हासिल की। रंगराजन के नए फॉर्मूले के कुछ तत्व, जैसे कि जापानी और भारतीय एलएनजी-लिंक्ड कीमतों को महत्व दिए गए थे उसे छोड़ दिया गया था और अमेरिका, रूसी और कनाडाई गैस की वेल हेड कीमतों (well head prices) की गणना के लिए बेहतर मार्करों का उपयोग किया गया। इसके अलावा, नया फॉर्मूला कीमत तय करने के अंतरराष्ट्रीय मानदंड पर बनाया गया जो कि gross calorific value पर आधारित था।

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