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मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता, पहली बार न्यूयॉर्क से बाहर भारत में हो रही UNSC की आतंकवाद निरोधी समिति की बैठक, वैश्विक आतंकवाद पर अंतिम प्रहार की तैयारी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का दबदबा अब हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखाई दे रहा है। भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी बैठक की मेजबानी कर रहा है। 2015 के बाद से पिछले सात सालों में यह पहली बार है जब संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति (सीटीसी) की बैठक न्यूयॉर्क स्थित हेडक्वार्टर से बाहर भारत में हो रही है। इस बैठक का आयोजन क्रमश: 28 अक्टूबर और 29 अक्टूबर को मुंबई और नई दिल्ली में हो रही है। आतंक के खिलाफ रणनीति के लिए भारत को चुना जाना अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दृष्टि से भारत के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस बैठक का विषय ‘आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नई टेक्नोलॉजी के उपयोग का मुकाबला करना’ है।

“सुरक्षा परिषद के हमारे कार्यकाल में आंतक से लड़ाई हमारी प्राथमिकता”

संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति (सीटीसी) की विशेष बैठक के दूसरे दिन शनिवार (29 अक्टूबर, 2022) को नई दिल्ली में ‘आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला’ पर चर्चा की गई। दिल्ली में आतंकवाद निरोधी समिति की विशेष बैठक में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद मानवता पर सबसे बड़े खतरों में से एक है। सुरक्षा परिषद के हमारे कार्यकाल में आंतक से लड़ाई हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि CTC की इस विशेष बैठक के लिए आज दिल्ली में आप सबकी उपस्थिति आतंकवाद के महत्वपूर्ण पहलूओं पर UNSCके सदस्य देशों का ध्यान केंद्रित करने को दर्शाती है। यह उन देशों को ध्यान खींचने में बहुत प्रभावी रहा है जिन्होंने आतंकवाद को राज्य द्वारा वित्त पोषित बिजनेस में बदल दिया है।

होटल ताजमहल पैलेस में बैठक कर आतंकवाद के खिलाफ संदेश

सबसे खास बात यह है कि मुंंबई में इस बैठक का आयोजन होटल ताजमहल पैलेस में किया गया, जो 26/11 के भीषण आतंकी हमले और आतंकवाद का सबसे बड़ा गवाह है। दो दिवसीय बैठक के पहले दिन 28 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति के सदस्य विशेष बैठक के लिए होटल ताजमहल पैलेस पहुंचे। इस दौरान उन्होंने होटल में 26/11 स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत ने ताजमहल पैलेस में बैठक आयोजित कर ना सिर्फ पाकिस्तान को संदेश दिया, बाल्कि दुनिया को बताया है कि भारत 26/11 की आतंकी घटना को कभी भूला नहीं सकता है।

26/11 को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा- एस. जयशंकर

शुक्रवार (28 अक्टूबर, 2022) को यूएनएससी की आतंकवाद निरोधी समिति की विशेष बैठक के पहले सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 26/11 को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। उन्होंने परोक्ष रूप से 26/11 के आतंकी हमलों के अपराधियों को दंडित करने में पाकिस्तान की विफलता पर प्रहार किया। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह सभा संदेश देगी कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने और न्याय देने में कभी हार नहीं मानेगा।

एस. जयशंकर ने 26/11 के आतंकी हमले को किया याद

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 26/11 के आतंकी हमले को याद करते हुए कहा, “14 साल पहले, 26 नवंबर 2008 को मुंबई शहर हमारे समय के सबसे चौंकाने वाले आतंकवादी हमलों का गवाह बना था। 140 भारतीय नागरिकों और 23 अन्य देशों के 26 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई। वास्तव में, इस पूरे शहर को सीमा पार से प्रवेश करने वाले आतंकवादियों ने बंधक बना लिया था। यदि यह टला तो केवल इसलिए क्योंकि वे भारतीय सुरक्षा बलों, बहादुर नागरिकों और सुरक्षा और कर्मचारियों के सामूहिक प्रयास के बाद भाग गए थे। यह वही ताज होटल है। उन सभी ने अपने-अपने तरीके से बहादुरी से लड़ाई लड़ी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बुराई की ताकतों को अंततः पराजित किया जाए।”

विदेश मंत्री ने 26/11 के शहीदों को दी श्रद्धांजलि

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “भारतीय पुलिस बलों के 18 सदस्य, ताज होटल स्टाफ के 12 सदस्य सुरक्षा कर्तव्य के दौरान शहीद हो गए। 26/11 स्मारक स्थल पर हम उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं, हम उनकी वीरता और संकल्प को सलाम करते हैं। हम सभी को याद है पीड़ितों में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर जाने वाले आम मुंबईकर, कामा अस्पताल में मरीज, डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ, कैफे लियोपोल्ड के ताजमहल पैलेस होटल के मेहमान और कर्मचारी और ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, चबाड हाउस जहां बच्चे मोशे के माता-पिता मारे गए थे और सड़क पर कई निर्दोष लोग थे।”


मुंबई पर हमला नहीं था बल्कि सार्वभौमिक समुदाय पर हमला

विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा, “यह सिर्फ मुंबई पर हमला नहीं था बल्कि सार्वभौमिक समुदाय पर हमला था। विशिष्ट देशों के नागरिकों की हत्या से पहले पहचान की गई थी। परिणामस्वरूप, संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य राज्य की प्रतिबद्धता आतंकवाद का मुकाबला सार्वजनिक रूप से चुनौती दी गई। तब से, हमने इस हमले के मास्टरमाइंड और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का प्रयास किया है। यह कार्य अधूरा है। इसलिए, इस स्थल पर UNSC की आतंकवाद-रोधी समिति का एक साथ आना विशेष और महत्वपूर्ण दोनों है ।”

यूएनएससी राजनीतिक कारणों से आतंकियों पर कार्रवाई करने में नाकाम

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के मामले में ढिलाई बरतने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 26/11 आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता और उसकी योजना बनाने वाले अब भी सुरक्षित हैं और उन्हें सजा तक नहीं दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि जब कुछ आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की बात आती है तो कुछ मामलों में यूएनएससी राजनीतिक कारणों से कार्रवाई करने में नाकाम रही है। वहीं, चीन को लेकर उन्होंने कहा कि उसने कई मौकों पर पाकिस्तानी आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए यूएनएससी में लाए गए प्रस्तावों में रोड़ा ही अटकाया है।

आतंकवादियों द्वारा आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर मंथन

दरअसल आतंकवादी संगठन भी आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर रहे हैं। दुनिया के बड़े देशों की चिंता यह है कि आतंकवादी तकनीक को हाईजैक कर रहे हैं। यूएन के अनुसार आतंकी तकनीक का इस्तेमाल कर पैसों को इधर से उधर भेज रहे हैं और इसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। क्राउडफंडिंग, व्यापारिक बिक्री, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से दान के लिए अपील और अन्य तरीकों का इस्तेमाल आतंकी फंड इकट्ठा करने के लिए कर रहे हैं। इससे वैश्विक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है। इसको देखते हुए इस बैठक में इंटरनेट और सोशल मीडिया, वैश्विक आतंकी नेटवर्क के लिए फंडिंग और मानव रहित हवाई प्रणालियों का प्रसार, जैसे ड्रोन जैसी चुनौतियों से निबटने के तरीके खोजने पर चर्चा हो रही है।

पाकिस्तानी साजिशकर्ता साजिद मीर का चला ऑडियो क्लिप 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने देश-विदेश के प्रतिनिधियों के सामने एक ऑडियो क्लिप भी पेश किया। यह क्लिप मुंबई के छबाड़ हाउस का है। इसमें पाकिस्तानी आतंकी और 26/11 का साजिशकर्ता साजिद मीर फोन पर आतंकियों को निर्देश दे रहा है, “जहाँ भी मूवमेंट (हिलता) दिखे। कोई बंदा छत पर चल रहा हो या कोई आ रहा है या जा रहा है, उस पर फायर ठोको (गोली चलाओ)। उसे नहीं पता वहाँ क्या हो रहा है।” इसके बाद साजिद मीर को जबाव देते हुए फोन पर दूसरा आतंकी उसे ऐसा करने का भरोसा देता है।

भारत कर रहा आतंकवाद-रोधी समिति की अध्यक्षता

गौरतलब है कि भारत आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र के शक्तिशाली निकाय सुरक्षा परिषद में दो वर्षों के लिए अस्थायी सदस्य बना है। UNSC में भारत को तीन अहम जिम्मेदारियां मिली हैं। भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली संगठन के तीन प्रमुख सहायक निकायों की अध्यक्षता कर रहा है। इसमें तालिबान प्रतिबंध समिति, आतंकवाद-रोधी समिति (2022 के लिए) और लीबिया प्रतिबंध समिति शामिल है। आतंकवाद-रोधी समिति की अध्यक्षता भारत के लिए खास मायने रखती है। भारत आतंकवाद से लड़ने में सबसे आगे है, विशेष रूप से सीमा पार से आतंकवाद, बल्कि इसके सबसे बड़े पीड़ितों में से एक है। 11 सितंबर, 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद 28 सितंबर 2001 को आतंकवाद निरोधी समिति का गठन किया गया था। संयुक्त सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य इसमें शामिल थे। समिति को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को बढ़ाने के उपायों की निगरानी का काम सौंपा गया है।

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