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मोदी राज में दही-पनीर से चॉकलेट तक के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि, देश की अर्थव्यवस्था लगातार हो रही मजबूत

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज दही-पनीर से लेकर चॉकलेट तक के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इससे देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। कांग्रेस के शासनकाल में ऐसे कई सेक्टर को उपेक्षित छोड़ दिया गया था। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सेक्टर पर ध्यान दिया और इसकी वजह से आज खादी, खिलौना, चॉकलेट, कालीन से लेकर संगीत वाद्ययंत्रों तक के निर्यात में नए रिकार्ड बना रही है और इससे जुड़ा उद्योग भी फल-फूल रहा है। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया कि कालीन निर्यात पिछले नौ साल में कई उपेक्षित सेक्टर ने भी निर्यात में उल्लेखनीय योगदान देने के साथ ही देश में रोजगार के अवसर मुहैया करा रहा है।

दुनिया को भा रहा भारत के दही व पनीर का स्वाद, निर्यात 5 गुना बढ़ा 

भारत के दही व पनीर के निर्यात के बारे में पहले बात भी नहीं की जाती थी लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में इस सेक्टर का निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है और इसका स्वाद दुनिया को पसंद आ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां दही-पनीर का निर्यात करीब 54 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह पांच गुना से ज्यादा बढ़कर 276 करोड़ रुपये हो गया।

दुनिया भारतीय चॉकलेट से कर रही मुंह मीठा, निर्यात दोगुना बढ़ा

देश में दूध और कोको की पैदावार बढ़ने से देश के चॉकलेट उद्योग को पंख लग रहे हैं। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ चुका है वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से चॉकलेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में भारतीय चॉकलेट का निर्यात जहां 304 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह दोगुना से ज्यादा बढ़कर 677 करोड़ रुपये हो गया। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में भारत में कोको उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में भारत के चाकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में चाकलेट मिलेगा और भारत चाकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा।

स्वाद से भरपूर देसी मकई की दीवानी हुई दुनिया, निर्यात 1.5 गुना बढ़ा 

दुनिया के कुछ प्रमुख मक्का उत्पादक देशों में इस साल उत्पादन घटा है। उत्पादन में गिरावट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की किल्लत है। नतीजतन, कीमत में अच्छी वृद्धि हुई है, और इसका लाभ किसानों को मिल रहा है। अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 4274 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह डेढ़ गुना बढ़कर 6507 करोड़ रुपये हो गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इससे भारत से मक्का का निर्यात भी बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2022-23 में मक्का के निर्यात में 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस साल 6 हजार 507 करोड़ रुपये के मक्के का निर्यात किया गया है।

भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये

भारत अब दुनिया के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी योगदान कर रहा है। आयरन और स्टील निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2013 में जहां 41,142 करोड़ रुपये था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022 में भारत का स्टील निर्यात दोगुना बढ़कर 79,623 करोड़ रुपये हो गया। भारत ने जनवरी-नवंबर 2022 की अवधि में 11.34 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत अधिक है। सरकार का लक्ष्य कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को 15 करोड़ टन के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने तक पहुंचाना है। इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने एक साक्षात्कार में कहा कि वर्ष 2023 में इस्पात क्षेत्र के लिए और पहल की जाएंगी।

इलेक्ट्रिल मशीनरी निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़ा

अप्रैल-दिसंबर 2013 में इलेक्ट्रिल मशीनरी का निर्यात 47,008 करोड़ रुपये था जो कि अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह साढ़े तीन गुना बढ़कर 1,64,293 करोड़ रुपये हो गया। भारतीय इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्री दशकों से खराब गुणवत्ता से ग्रस्त रहा है। इस वजह से इसके उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे थे। पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया का विजन दिया जिससे अब यह सुनिश्चित होगा कि घरेलू उत्पाद विश्व स्तर पर बराबरी वाले दर्जे के हों। भारतीय गुणवत्ता के भरोसे को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना होगा और इससे उन वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जो भारत को चीन प्लस वन की रणनीति देखने के इच्छुक हैं।

संगीत वाद्ययंत्रों का निर्यात करीब 4 गुना बढ़कर 242 करोड़ रुपये

भारतीय वाद्ययंत्रों (म्यूजिकल इंट्रूमेंट्स) का निर्यात अप्रैल-दिसंबर 2013-14 में 65 करोड़ रुपये का हुआ था जबकि अप्रैल-दिसंबर 2022-23 में करीब गुना बढ़कर 242 करोड़ रुपये हो गया। इन आंकड़ों से आप कल्पना कर सकते हैं कि जहां आजादी के 65 वर्षों बाद 2013 तक 65 करोड़ निर्यात होता था वहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में यह बढ़कर 242 करोड़ रुपये हो गया। आज भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट 173 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। सबसे बड़े खरीदार देशों में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान और यूके जैसे विकसित देश शामिल हैं। इससे पता चलता है कि भारतीय संस्कृति और संगीत का क्रेज दुनियाभर में बढ़ रहा है। सबसे ज्यादा निर्यात वाले वाद्य यंत्रों में डमरू, तबला, हारमोनियम, ढोलक, मंजीरा जैसे वाद्य यंत्र शामिल हैं।

कालीन निर्यात 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा

भारत का कालीन उद्योग प्राचीन काल से प्रख्यात रहा है लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर सेक्टर पर ध्यान दिया और इसकी वजह से आज कालीन निर्यात नए रिकार्ड बना रही है इससे जुड़ा उद्योग भी फल-फूल रहा है। वित्त वर्ष 2013-14 के अप्रैल-दिसंबर अवधि में कालीन निर्यात 7,127 करोड़ रुपये थी। वहीं 2022-23 में इसी अवधि में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़कर 11,274 करोड़ रुपये हो गया। यह पीएम मोदी के विजन से ही संभव हो पाया कि कालीन निर्यात पिछले नौ साल में दोगुना के करीब पहुंचने वाला है।

खिलौना निर्यात 6 गुना बढ़कर 1000 हजार करोड़ रुपये पहुंचा

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद भारत के विकास की तस्वीर बदल दी। बंद पड़े खाद कारखानों से लेकर कई उद्योगों एवं फैक्टरी को फिर से शुरू किया गया। इन्हीं उद्योगों में एक था खिलौना उद्योग जिसे कांग्रेस ने मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया था। लेकिन पीएम मोदी के विजन से खिलौना उद्योग सफलता के नए कीर्तिमान रच रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान देश का खिलौनों का निर्यात छह गुना बढ़कर 1,017 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जबकि इसी अवधि में 2013 में यह 167 करोड़ रुपये था। वर्ष 2021-22 में निर्यात 2,601 करोड़ रुपये रहा था।

दवाओं का निर्यात एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंचा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ‘विश्व की फार्मेसी’ बनने की ओर अग्रसर है। अप्रैल-दिसंबर 2022 में दवाओं एवं फार्मास्युटिकल उत्पादों का निर्यात 2013 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 2.4 गुना बढ़ गया। अप्रैल-दिसंबर 2013-14 में भारत से दवाओं का निर्यात जहां 49,200 करोड़ रुपये का था वहीं अप्रैल-दिसंबर 2022-23 में यह बढ़कर 1,17,740 करोड़ रुपये हो गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत से दवा का निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 27 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को छू सकता है। फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अब तक का सबसे अधिक मूल्यांकन वाला निर्यात होगा।

मेड इन इंडिया का कमाल, 2.5 अरब डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट

पहले भारत में चीन में निर्मित सस्ते स्मार्ट फोन की बड़ी मांग थी, लेकिन अब भारत में बने आईफोन की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं। एप्पल ने 2022-23 के पहले नौ महीने यानी पिछले साल अप्रैल-दिसंबर माह में भारत से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट किया, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) में किए गए निर्यात का लगभग दोगुना है। तेजी से बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे एप्पल अपने उत्पादन को चीन के बाहर स्थानांतरित कर रही है। इस क्षेत्र के जानकारों मुताबिक भारत में आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी समूह और विस्ट्रॉन कॉर्प ने साल 2022-23 के पहले नौ महीने में एक-एक अरब डॉलर से ज्यादा के एप्पल के साजो-सामानों का निर्यात किया है। एप्पल के लिए प्रोडक्शन करने वाली एक और कंपनी पेगाट्रॉन कॉर्प भी इस महीने के अंत तक करीब 50 करोड़ डॉलर के Gadgets निर्यात करने वाली है।

भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात 8 गुना बढ़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 अक्टूबर 2022 को डिफेंस एक्सपो-2022 का उद्घाटन करने के बाद कहा कि भारतीय रक्षा बलों का देश में बने अधिकतर उपकरणों को खरीदने का निर्णय ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्षमता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर रक्षा क्षेत्र में कुछ निर्माण कंपनियों के एकाधिकार के बावजूद भारत ने अपना स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि भारत से रक्षा निर्यात 2021-22 में लगभग 13,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और आने वाले समय में हमने इसे 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। भारतीय रक्षा उत्पादों का निर्यात पिछले कुछ वर्षों में आठ गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘देश बहुत आगे निकल गया है, क्योंकि पहले हम कबूतर छोड़ते थे और अब हम चीतों को छोड़ते हैं।’ प्रधानमंत्री ने समुद्री सुरक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महत्व पर भी जोर दिया। मोदी ने कहा कि पहली बार डिफेंस एक्सपो में केवल भारतीय कंपनियां भाग ले रही हैं। इसमें 1,300 से अधिक प्रदर्शकों ने शिरकत की है, जिनमें भारतीय रक्षा उद्योग, इससे जुड़े कुछ संयुक्त उद्यम, 100 से अधिक स्टार्ट-अप हैं।

भारत ने 7,034 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात किया

भारत ने 1 नवंबर 2022 तक 7000 करोड़ का रक्षा निर्यात किया है। इस तरह चालू वित्त वर्ष में 15000 करोड़ रुपये रक्षा निर्यात किए जाने की उम्मीद है। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, भारत ने इस साल 1 नवंबर तक 7,034 करोड़ रुपये की रक्षा सामग्री का निर्यात किया है। वर्ष 2021-22 में भारत ने 12,814 करोड़ रुपये का के रक्षा निर्यात किया था। 2014-15 के बाद से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, उस दौरान यह आंकड़ा मात्र 1940.64 करोड़ था।

अनाज के निर्यात में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में जहां अनाजों का भरपूर उत्पादन हो रहा है, वहीं भारत को निर्यात के मोर्चे पर लगातार सफलता मिल रही है। कृषि व खाद्य वस्तुओं के निर्यात में लगातार तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है। चावल के अलावा विभिन्न प्रकार के अनाज के निर्यात में तो नवंबर 2022 में 53.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर माह में चाय, चावल, विभिन्न अनाज, तंबाकू, ऑयल मिल्स, तिलहन, फल व सब्जी, विभिन्न प्रकार के तैयार अनाज व प्रोसेस्ड आइटम के निर्यात में पिछले साल नवंबर के मुकाबले दहाई अंक में बढ़ोतरी रही। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चाय 27.03 प्रतिशत, चावल 19.16 प्रतिशत, ऑयल मिल्स 17.55 प्रतिशत, तिलहन 38.83 प्रतिशत, फल व सब्जी 25.01 प्रतिशत, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के एक्सपोर्ट करने में 22.75 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है। निर्यातकों के मुताबिक आगामी वर्ष को संयुक्त राष्ट्र ने मिलेट्स वर्ष घोषित किया है और इससे मोटे अनाज के निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।

40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के मोबाइल फोन का निर्यात

नीति आयोग के अनुसार चालू वर्ष के दौरान नवंबर 2022 तक, मोबाइल फोन का निर्यात 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान हुए निर्यात के दोगुने से भी अधिक है। मोबाइल फोन का उत्पादन जो 2014-15 में लगभग छह करोड़ का था वह 2021-22 में बढ़कर लगभग 31 करोड़ हो गया। जिस रफ्तार से मोबाइल फोन का निर्यात हो रहा है, उससे यह उम्मीद की जा रही है कि पूरे वित्त वर्ष 2022 के आंकड़े को दिसंबर की शुरुआत में ही पार कर लिया जाएगा और वित्तीय वर्ष 2023 को यह 8.5-9 बिलियन डॉलर की सीमा को भी पार कर लेगा। वहीं भारत ने वित्त वर्ष 2022 में 5.8 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात किया है।

मोबाइल आयात पर निर्भरता लगभग 5 प्रतिशत हुआ

उद्योग निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, जैसे-जैसे निर्यात बढ़ रहा है, भारत ने वित्त वर्ष 2022 में मोबाइल आयात पर निर्भरता को भी लगभग 5 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जो 2014-15 में 78 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था। वहीं अब भारत का लक्ष्य 2025-26 तक 60 बिलियन डॉलर के सेल फोन का निर्यात करना है। शुरुआत में भारत से मुख्य तौर पर साउथ एशिया,अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और ईस्टर्न यूरोप के देशों को मोबाइल फोन निर्यात किया जाता था। लेकिन अब कंपनियों का ध्यान यूरोप और एशिया के कॉम्पिटिटिव मार्केट पर है। पहले मोबाइल फोन निर्यात के मामले में काफी पीछे हुआ करता था। वर्ष 2016-17 में देश से केवल 1 प्रतिशत से अधिक ही मोबाइल फोन उत्पादन का निर्यात हुआ करता था, लेकिन आईसीईए के आंकड़ों के अनुसार यह प्रतिशत 2021-22 में बढ़कर लगभग 16 प्रतिशत तक पहुंच गया। वहीं ऐसी संभावनाएं जतायी जा रही हैं कि साल 2022-2023 में उत्पादन का लगभग 22 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।

पीएम मोदी के विजन से फलों का निर्यात तीन गुना बढ़ा

भारत विश्वभर में आम, केला, आलू तथा प्याज जैसे फलों और सब्जियों का प्रमुख उत्पादक है। सब्जियों की बात करें तो अदरक और भिंडी के उत्पादन में भारत पहले स्थान पर है। आलू, प्याज, फूलगोभी, बैगन तथा पत्ता गोभी आदि के उत्पादन में विश्व में दूसरा स्थान रखता है। लेकिन जब बात निर्यात या वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी की आती है तो इसमें भारत बहुत पीछे रह गया। वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूचे भारत के विकास पर जोर दिया और उन्होंने हर उस सेक्टर की पहचान की जिसमें भारत बेहतर कर सकता है। पिछले आठ साल में भारतीय फल पपीता और खरबूजे के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2013-2014 के अप्रैल-सितंबर में इन दोनों फलों का निर्यात जहां 21 करोड़ रुपये का होता था वहीं अब अप्रैल-सितंबर वर्ष 2022-2023 में यह तीन गुना बढ़कर 63 करोड़ रुपये का हो गया है।

आदिवासी हैंडीक्राफ्ट ने विदेशों में की 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई

देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया कि भारत अब सबसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों में से एक है, जिसमें आदिवासी हस्तशिल्प विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करते हैं। आज दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं।

भारत ने 2 लाख टन चीनी निर्यात किया

भारत ने चालू वर्ष 2022-23 में अबतक लगभग 35 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए अनुबंध किए हैं। इसमें से 2,00,000 टन चीनी का पिछले महीने निर्यात किया गया है। पांच नवंबर को घोषित 2022-23 की चीनी निर्यात नीति में 31 मई तक कोटा के आधार पर 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी गई थी। घरेलू उत्पादन का आकलन करने के बाद निर्यात के लिए आगे की मात्रा के लिए अनुमति दी जाएगी। इसमें से लगभग 2,00,000 टन चीनी का भौतिक रूप से अक्टूबर में देश के बाहर निर्यात किया गया है, जबकि पिछले साल इसी महीने में लगभग 4,00,000 टन चीनी का निर्यात किया गया था। पिछले 2021-22 सत्र में भारत ने 1.1 करोड़ टन चीनी का निर्यात किया था।

लद्दाख से 35 एमटी ताजा खुबानी का निर्यात किया गया

लद्दाख से कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने वाली अपनी संस्था एपीडा के माध्यम से ‘लद्दाख एप्रिकोट’ यानी लद्दाख खुबानी ब्रांड के तहत लद्दाख से निर्यात बढ़ाने के लिए खुबानी मूल्य श्रृंखला के हितधारकों को सहायता देने की प्रक्रिया में है। खुबानी लद्दाख के महत्वपूर्ण फलों में से एक है और स्थानीय स्तर पर ‘चुली’ के नाम से जानी जाती है। एपीडा ने वर्ष 2021 के दौरान केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से ताजा खुबानी फलों के निर्यात की पहचान की थी और खुबानी सीजन 2021 के अंत में परीक्षण के तहत इसकी दुबई को आपूर्ति की गई थी। इसके अनूठे स्वाद और सुगंध के कारण उत्पाद की स्वीकार्यता के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पाद की खासी मांग थी। एपीडा ने 14 जून, 2022 को लेह में एक अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक का भी आयोजन किया था, जो खुबानी की खेती का सीजन शुरू होने से ठीक पहले हुई थी। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से खुबानी और अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ संवाद के लिए भारत, अमेरिका, बांग्लादेश, ओमान, दुबई, मॉरिशस आदि देशों के 30 से ज्यादा खरीदार एकजुट हुए थे। इसके परिणामस्वरूप 2022 सीजन के दौरान पहली बार लद्दाख से 35 एमटी ताजी खुबानी का विभिन्न देशों को निर्यात किया गया। परीक्षण के तहत 2022 सीजन के दौरान सिंगापुर, मॉरिशस, वियतनाम जैसे देशों को भी शिपमेंट भेजी गई। 15,789 टन के कुल उत्पादन के साथ लद्दाख देश का सबसे बड़ा खुबानी उत्पादक है जो कुल उत्पादन का लगभग 62 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में लगभग 1,999 टन सूखी खुबानी का उत्पादन किया, जिससे यह देश में सूखी खुबानी का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। लद्दाख में खुबानी की खेती का कुल क्षेत्रफल 2,303 हेक्टेयर है।

बासमती और गैर बासमती चावल का निर्यात 10 फीसदी बढ़ा

चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान जहां बासमती चावल के निर्यात में 10.67 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, वहीं गैर बासमती चावल का निर्यात इस दौरान 9.28 फीसदी ज्यादा हुआ। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 21.57 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 19.49 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बासमती चावल का निर्यात 17,896 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 12,294 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बढ़कर 89.56 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 81.95 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में में गैर बासमती चावल का निर्यात 25,191 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 21,853 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था।

मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात 10.29 प्रतिशत बढ़ा

चालू वित्त वर्ष के छह महीनों में मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में 10.29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। अकेले पोल्ट्री निर्यात में 83 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इन रिकॉर्ड निर्यातों से देश को 57 मिलियन अमरीकी डॉलर का लाभ हुआ है। डेयरी उत्पादों की बात करें तो यहां भी 58 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जहां अप्रैल-सितंबर 2021-22 में क्षेत्र से 216 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई थी वहीं अप्रैल-सितंबर 2022-23 में यह कमाई 342 मिलियन अमेरिकी डॉलर रही।

कृषि उत्पादों के निर्यात में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 की समान अवधि के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के 6 महीनों के दौरान 25% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान 11,056 मिलियन डॉलर के कृषि एवं प्रशंसक खाद्य उत्पाद निर्यात किए गए थे जबकि इस वर्ष 13,771 मिलीयन डॉलर दर्ज किया गया है। निर्यात किए गए उत्पादों में फल, सब्जियां और अनाज मुख्य रूप से शामिल है।

148 करोड़ डॉलर के गेहूं का निर्यात

वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान देश के गेहूं निर्यात में जबरदस्त उछाल आया है। अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान देश से कुल 148 करोड़ डॉलर का गेहूं एक्सपोर्ट किया गया, जो पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। अप्रैल से सितंबर 2021 के दौरान देश से कुल 63 करोड़ रुपये के गेहूं का निर्यात किया गया था।

मसाला निर्यात में 22 फीसदी वृद्धि, बढ़कर 42,860 टन हुआ

नवंबर 2022 में भारत से मसाला निर्यात बढ़कर 42,860 टन हो गया। मसाला बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में निर्यात 0.56 प्रतिशत बढ़कर 42,860 टन रहा। पिछले वर्ष इसी महीने में 42,620 टन मसालों का निर्यात हुआ था। इस दौरान मसाला निर्यात 22 प्रतिशत बढ़कर 62,162.78 करोड़ रुपये का रहा, जो पिछले वर्ष नवंबर में 50,969.37 करोड़ रुपये का था। नवंबर में भारत ने 25,000 टन मिर्च का निर्यात किया जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 19,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड के बयान के अनुसार अप्रैल-नवंबर 2010 के दौरान 4,320.8 करोड़ रुपये के 3.6 लाख टन मसालों का निर्यात किया गया। अप्रैल-नवंबर 2009 में 3,770.1 करोड़ रुपये मूल्य के 3,41,950 टन मसालों का निर्यात हुआ था। यह मात्रा में 6 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। बोर्ड ने कहा कि चालू वित्तवर्ष में 4,65,000 टन/5,100 करोड़ रुपये के मसाला निर्यात कर लक्ष्य रखा गया है।

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