Home समाचार कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने फिर उगला...

कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने फिर उगला जहर, आर्टिकल की लेखिका अनुराधा भसीन के बारे में सनसनीखेज खुलासे

SHARE

भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सिंडिकेट काम कर रहा है। इस सिंडिकेट के तार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, अंतरराष्ट्रीय मीडिया, जॉर्ज सोरोस जैसे बड़े उद्योगपतियों और गैर-सरकारी संगठनों से जुड़े हुए हैं। इस सिंडिकेट को भारत के विपक्षी दलों के नेताओं, सेक्युलर-लिबरल पत्रकारों और विदेशी फंडिंग एनजीओ का पूरा सहयोग मिलता है। इस सिंडिकेट के सदस्य पाकिस्तान और भारत विरोधी संगठनों के सहयोग से मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव तैयार करते हैं और इनके नैरेटिव को आगे बढ़ने के मामले में अमेरिकी समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स काफी कुख्यात है। फिर न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर झूठ फैलाने की कोशिश की गई है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के दुष्प्रचार के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया

न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित लेख पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।  केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस लेख को छलावा और काल्पनिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क टाइम्स और अन्य विदेशी मीडिया भारत और हमारे लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में झूठ फैला रहे हैं। इस तरह के झूठ लंबे समय तक नहीं चल सकते हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत के बारे में कुछ भी प्रकाशित करते समय तटस्थता मानकों को बहुत पहले छोड़ दिया था। कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता पर एनवाईटी की तथाकथित राय छलावा और काल्पनिक है। इसे भारत और उसके लोकतांत्रिक संस्थानों एवं और मूल्य के बारे में दुष्प्रचार करने के लिए प्रकाशित किया गया है।’

प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ एजेंडा

न्यूयॉर्क टाइम्स में ‘Modi’s Final Assault On India’s Press Freedom Has Begun’ शीर्षक से प्रकाशित इस लेख की लेखिका द कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन जामवाल हैं। इस लेख के माध्यम से झूठ फैलाने की कोशिश की गई है कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता कम होती जा रही है। अनुराधा भसीन ने मोदी सरकार को प्रेस विरोधी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ओपिनियन में लिखा गया है कि अगर नरेन्द्र मोदी देश के बाकी हिस्सों में मीडिया को नियंत्रित करने के कश्मीर मॉडल को लागू करने में सफल होते हैं, तो यह न सिर्फ प्रेस की स्वतंत्रता को खतरे में डालेगा, बल्कि खुद भारतीय लोकतंत्र को भी खतरे में डालेगा।

अनुराधा और वेद भसीन पर भारत विरोधी एजेंडा चलाने का आरोप 

गौरतलब है कि अनुराधा भसीन ‘द कश्मीर टाइम्स’ अखबार के संस्थापक दिवंगत पत्रकार वेद भसीन की बेटी हैं। पिता और पुत्री को भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए जाना जाता है। अनुराधा भसीन ‘Brown Sepoys’ की एक प्रमुख सदस्य है, जो देखने में तो भारतीय लगते हैं, लेकिन उनकी मानसिकता पूरी तरह विदेशी और औपनिवेशिक होती है। कश्मीर में पत्रकारों के लिए घर आंवटित किए गए थे। इसमें से एक घर अनुराध भसीन के पिता वेद भसीन को भी आवंटित किया गया था। इस घर पर 1990 के दशक से 2015 तक वेद भसीन का कब्जा था। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद इस पर अनुराधा भसीन का अवैध कब्जा हो गया।

ISI के जासूस गुलाम फई के दोस्त थे अनुराधा के पिता

वेद भसीन पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के कट्टर समर्थक थे और कश्मीर को भारत से अलग करने के विचार और अभियान का समर्थन करते थे। दरअसल, वह अमेरिका में आईएसआई के एजेंट गुलाम नबी फई के करीबी दोस्त थे। वेद भसीन के निधन के बाद फई ने उनसे संबंधित एक लेख भी लिखा था। अनुराधा भसीन अपने पिता वेद भसीन के साथ किसी न किसी रूप में भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहीं, जो आज भी जारी है। आईएसआई के एजेंट गुलाम नबी फई और उनकी कश्मीर अमेरिकन काउंसिल (केएसी) द्वारा अक्सर आईएसआई-प्रायोजित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था, जिसमें वेद भसीन, अनुराधा भसीन, प्रोफेसर अंगना चटर्जी, गौतम नवलखा और एजाज उल हक (पाकिस्तान के पूर्व केंद्रीय मंत्री) भाग लेते थे।

कश्मीर में ISI की गतिविधियों को पूरा समर्थन देती है अनुराधा

अनुराधा भसीन ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए कश्मीर में आईएसआई की गतिविधियों संचालित करने में पूरी मदद की है। यहां तक कि अनुराधा भसीन ने तत्कालीन भारत सरकार द्वारा आईएसआई की गतिविधियों पर रोक लगाने की कोशिश का विरोध किया। उन्होंने एक लेख में फई का मजबूती के साथ बचाव किया। उन्होंने गुलाम नबी फई पर आईएसआई के पैसे से कश्मीर में भारत विरोधी अभियान चलाने के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कई मौकों पर आईएसआई प्रायोजित भारत विरोधी कार्यक्रमों का समर्थन किया है और उसमें खुलकर भाग लेती रही हैं।

ISI से पैसे लेने के आरोप में फई को अमेरिका में दो साल की जेल 

गुलाम नबी फई पर आईएसआई से पैसे लेकर काम करने के लगातार आरोप लगते रहे। आखिरकार गुलाम नबी फई की चोरी पकड़ी गई। अमेरिका में आईएसआई से लाखों डॉलर के लेनदेन को छिपाने और भारत विरोधी अभियानों के लिए उनका उपयोग करने के मामले में दोषी पाया गया। अमेरिका को धोखा देने और कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने आरोप में फई को दो साल की जेल हुई थी। गुलाम नबी फई के बेनकाब होने और उनके खिलाफ अमेरिका में कार्रवाई के बावजूद अनुराधा भसीन उनसे जुड़ी रहीं और उनका समर्थन देती रहीं।

जेल की सजा के बावजूद अनुराधा भसीन का फई को समर्थन जारी

2015 में न्यूयॉर्क में आयोजित 12 वें अंतर्राष्ट्रीय कश्मीर सम्मेलन में अनुराधा भसीन को एक वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था, जहां गुलाम नबी फई को पोलिस प्रोजेक्ट की सह-संस्थापक सुचित्रा विजयन के साथ वक्ता के रूप में पेश किया गया था। लेकिन अब अनुराधा भसीन से जुड़ी जानकारियां सामने आ चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने लेख प्रकाशित करने से पहले इन तथ्यों पर ध्यान देने और अपने विश्वसनीय स्रोतों से जांच करने की जरूरत क्यों नहीं समझी ? दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स भारत विरोधी सिंडिकेट का माउथपिस है, जो मोदी सरकार के खिलाफ झूठे और आधारहीन एजेंडा चलाने के लिए काम करता है। 

 

Leave a Reply