Home समाचार गांधी परिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय का झटका, सोनिया गांधी की अध्यक्षता...

गांधी परिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय का झटका, सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले दो एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द,अब नहीं ले पाएंगे विदेश से चंदा

SHARE

कांग्रेस और गांधी परिवार एनजीओ की आड़ में अवैध तरीके से विदेशी कालाधन हासिल कर उसका अपने हित में इस्तेमाल करता है। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो गैर सरकारी संगठनों राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द कर गांधी परिवार को जोरदार झटका दिया है। इन दोनों संगठनों को एफसीआरए नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। अब लाइसेंस रद्द होने से ये दोनों संगठन विदेश से चंदा हासिल नहीं कर सकेंगे।

दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2020 में गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति की जांच के आधार पर यह कार्रवाई की है। जांच में पता चला है कि नियमों को ताक पर रखकर फाउंडेशन ने पड़ोसी देश चीन से फंड लिया। इस जांच कमेटी में गृहमंत्रालय, ईडी, सीबीआई और इनक टैक्स के अधिकारी शामिल थे। इन संगठनों को अब तक जो चंदे मिले है, उनके स्रोत की भी जांच होगी। इसके अलावा गड़बड़ियों के लिए संगठनों के संचालितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह गड़बड़ियां किस्त स्तर की हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लाइसेंस रद्द करने का नोटिस राजीव गांधी फाउंडेशन के ऑफिस बियरर को भेद दिया गया है। इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के खिलाफ जांच की गई थी। जांचकर्ताओं ने चीन सहित विदेशों से धन प्राप्त करते समय धनधोशन करने, निधि के दुरुपयोग और आयकर रिटर्न दाखिल करते समय दस्तावेजों के हेरफेर के आरोपों की जांच की थी। 

इससे पहले फरवरी 2022 में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि सरकार ने पिछले 5 साल में कानून के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए 1900 गैर-सरकारी संगठनों के FCRA लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। जब गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए सरकार उनके लाइसेंस रद्द करती है तो फिर वे विदेशी धन प्राप्त नहीं कर सकेंगे। मोदी सरकार ने एफसीआरए में संशोधन किया था। इसके मुताबिक अब एनजीओ को विदेशी संस्थाओं, व्यक्तियों से अनुदान लेने पर इसकी पूरी जानकारी केंद्र सरकार को देना अनिवार्य है। ताकि पता लगाया जा सके कि जो अनुदान लिया गया है वह किस संस्था से किस कार्य के लिए लिया गया है। 

गौरतलब है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी आरजीएफ और आरजीसीटी की अध्यक्ष हैं। आरजीएफ के अन्य न्यासियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, कांग्रेस के नेता एवं सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे और अशोक गांगुली शामिल हैं। जबकि आरजीसीटी के न्यासियों में राहुल गांधी, अशोक गांगुली, बंसी मेहता और दीप जोशी शामिल हैं।

आइए आपको बताते हैं अब तक कांग्रेस ने किन-किन लोगों और कहां-कहां से दान लिए हैं-

कांग्रेस ने सत्ता का दुरुपयोग कर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा दिलवाया। इसके साथ ही कई सरकारी कंपनियों पर भी पैसा देने के लिए दवाब बनाया गया। इतना ही नहीं राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलती थी। इस फाउंडेशन को गोपनीय तरीके से दान देने वालों की फेहरिस्त काफी लंबी है।

घोटालेबाज मेहुल चोकसी से मिले 10 लाख रुपये

पंजाब नेशनल बैंक को करोड़ों का चूना लगाने वाला मेहुल चोकसी ने भी राजीव गांधी ट्रस्ट को दान दिए थे। चौकसी के नाम पर गीतांजलि ग्रुप है। इसके अंतर्गत एक और कंपनी आती है मैसर्स नवीराज एस्टेट्स। इस कंपनी ने 29 अगस्त, 2014 को राजीव गांधी फाउंडेशन को चेक नंबर 676400 के माध्यम से 10 लाख रुपये दान किए थे।

भगोड़े जाकिर नाइक से मिले 50 करोड़ रुपये

इतना ही नहीं देशद्रोह के आरोपी जाकिर नाइक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF), मैसर्स हारमोनी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड से भी राजीव गांधी ट्रस्ट को पैसा दिया गया। मैसर्स हारमोनी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 2012 से 2016 के बीच लगभग 50 करोड़ रुपये राजीव गांधी फाउंडेशन के नाम पर दिए गए। वहीं, आइआरएफ ने साल 2003-04 में 64.86 करोड़ रुपये और 2016-17 के बीच 75 करोड़ रुपये दिए गए। इसकी पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत जांच हो रही है। इससे कांग्रेस को पैसा दिया गया।

घोटालेबाज राणा कपूर ने दिया 9.45 लाख रुपये का डोनेशन

आपको बता दें कि यस बैंक स्कैम का आरोपी राणा कपूर ने भी 14 सितंबर 2016 को 9.45 लाख रुपये का फंड यस बैंक के फंड से राजीव गांधी फाउंडेशन को ट्रांसफर किया था। ये किसी का पर्सनल फंड नहीं था, बैंक का पैसा था, जो कांग्रेस को दे दिया गया।

NSEL घोटाले के आरोपी जिग्‍नेश शाह ने दिए 50 लाख रुपये 

NSEL घोटाले के आरोपी जिग्‍नेश शाह ने 27 अक्‍टूबर 2011 को राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख रुपये का दान दिया। जिग्‍नेश शाह और Financial Technologies India Ltd (FTIL) पर 5,600 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शाह को मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। इस घोटाले में 18000 इन्वेस्टरों का 5,600 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं।

घोटालेबाज जीवीके ग्रुप ने कांग्रेस को दिए दान

सूत्रों के मुताबिक जीवीके एयरपोर्ट फाउंडेशन ने 2010-11 से 2016-17 के दौरान राजीव गांधी फाउंडेशन को कीमती 47 मोटर चालित वाहन दान के रूप में दिए। जीवीके ग्रुप पर 2012 से 2018 के बीच मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के डेवलपमेंट में 700 करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप है। इस घोटाले में सीबीआई ने जीवीके समूह के अध्यक्ष जी वेंकट कृष्णा रेड्डी, उनके बेटे संजय रेड्डी और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

शेयर बाजार घोटाले के आरोपी हर्षद मेहता से मिले 16 करोड़ रुपये

2 दिसंबर, 1992 को टाइम्स आफ इंडिया ने खुलासा किया कि 31 अक्तूबर, 1992 तक फाउंडेशन को चंदा देने वालों की सूची में शेयर बाजार घोटाले के आरोपी हर्षद मेहता, उसकी कंपनी ग्रोमोर और चीन के नेता ली पेंग का नाम था। फाउंडेशन को इनसे मिले चंदे की राशि 16 करोड़ रुपये से भी अधिक थी। ली पेंग को ‘बूचर आॅफ बीजिंग’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसके नाम तियान्मेन चौक नरसंहार दर्ज है। 1993 में फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में देश-विदेश से आए भागीदारों का पूरा खर्च एयर इंडिया और आईटीडीसी के खाते में डाल दिया गया।

चीन की सरकार और भारत स्थित दूतावास से मिले दान

राजीव गांधी फाउंडेशन की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2005-06 में राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार और चीनी दूतावास से दो अलग-अलग दानकर्ताओं के रूप में 3 लाख अमेरिकी डॉलर का दान मिला। चीनी दूतावास को सामान्य दाताओं की सूची में रखा गया है।

टाइम्स नाउ के अनुसार भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। खबर के अनुसार चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है।
राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है।

चीनी दूतावास के अनुसार, भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने 10 लाख रुपए दान दिए थे। इस फंडिंग का नतीजा ये रहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया।

लक्जमबर्ग जैसे टैक्स हैवन देश से भी मिला दान

लक्जमबर्ग जैसे टैक्स हैवन देश ने भी 2006 से 2009 के बीच हर साल दान किया। ऐसे एनजीओ और कंपनियों ने भी फाउंडेशन को दान दिए, जिनके गहरे हित थे। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सवाल किया कि आखिर सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन सरकार, दूतावास से क्यों पैसे लिए? क्या पैसों के लिए राष्ट्रीय हितों को कुबार्न करना शर्मनाक नहीं है?

कॉर्पोरेट को दिए ठेके के बादले RJF को मिला दान 

राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से भारी पैसा लिया। बदले में सरकार ने कई ठेके दिए। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सेल, गेल, एसबीआई आदि पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया।

पीएम राहत कोष से फंड ट्रांसफर 

यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया। यह पैसा उस समय दान किया गया, जब सोनिया गांधी पीएमएनआरएफ के बोर्ड में भी थीं और आरजीएफ की अध्यक्ष भी थीं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, ‘भारत के लोगों ने जरूरतमंदों की मदद करने के लिए अपनी मेहनत की कमाई को पीएमएनआरएफ को दान कर दिया। इस सार्वजनिक धन को परिवार चलाने की बुनियाद में इस्तेमाल करना न केवल एक संगीन धोखाधड़ी है, बल्कि भारत के लोगों के लिए एक बड़ा धोखा भी है।’

लाइब्रेरी के लिए दान में मिले लाखों रुपए का बंदरबाट!

उत्तर प्रदेश के रायबरेली और बाराबंकी के पुस्तकालयों में किताबें मुहैया कराने और दूसरी सुविधाएं बढ़ाने के लिए अमेरिका के मेलिंडा गेट्स ट्रस्ट ने 2013 में राजीव गांधी फाउंडेशन को एक लाख डॉलर रुपए यानि करीब 63 लाख रुपये दान में दिए थे, लेकिन इस फंड में हेराफेरी की गई है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार बाराबंकी के लाइब्रेरियन का कहना है कि उन्हें कोई फंड नहीं मिला है, जबकि रायबरेली स्थित लाइब्रेरियन का कहना है कि उसे सिर्फ एक लाख रुपए प्राप्त हुए हैं।

आरजेएफ को दान देने वालों की सूची बहुत लंबी

राजीव गांधी फाउंडेशन को दान देने वालों की सूची बहुत लंबी है। इसमें चीन सरकार, चीनी दूतावास, लक्जमबर्ग दूतावास, भारत सरकार का गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, जेआरडी टाटा ट्रस्ट, दायचे बैंक, फोर्ड फाउंडेशन, जर्मन टेक्निकल कॉरपोरेशन के अलावा भारतीय कॉरपोरेट जगत की बेशुमार कंपनियां शामिल हैं। इनमें से कई आज भी रकम का खुलासा किए बगैर दान दे रही हैं। फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी क्षेत्र की कंपनियां भी दान देने में पीछे नहीं रही हैं, इनमें हुडको, आॅयल इंडिया लिमिटेड, ओएनजीसी, सेल, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक आॅफ महाराष्ट्र, आईसीआईसीआई और आईडीबीआई शामिल हैं। कंपनियों में कुछ प्रमुख नाम हैं- अल्काटेल साउथ एशिया, अम्बुजा सीमेंट, एपीजे प्राइवेट लिमिटेड, भारत फोर्ज, भारती फाउंडेशन, डीसीएम श्रीराम, जेनपैक्ट, गोदरेज, जीटीएल, जीवीके, महिंद्रा एंड महिंद्रा, ओमैक्स, रैनबक्सी, एसआरएफ, टाटा स्टील, टीवीएस मोटर, उषा मार्टिन, वर्सिला आदि।

हकीकत में इसके कार्यकलाप काफी अलग

राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना के उद्देश्यों का जो विवरण फाउंडेशन की वेबसाइट पर दर्ज है, हकीकत में इसके कार्यकलाप इससे काफी अलग रहे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की दृष्टि और सपनों को पूरा करने के लिए उनके नाम से इस फाउंडेशन की स्थापना 21 जून, 1991 को की गई थी। फाउंडेशन की वेबसाइट पर बताया गया है कि 1991 से 2009 तक इसने स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान एवं तकनीक, महिला एवं बाल विकास, अपंगता सहयोग, शारीरिक रूप से निशक्तों की सहायता, पंचायती राज, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन आदि क्षेत्रों में काम किया। 2010 में फाउंडेशन ने शिक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। लेकिन फाउंडेशन के कार्यकलापों को देखा जाए तो यह बिल्कुल ही अलग लक्ष्य के साथ काम करता रहा है।

अंतरराष्ट्रीय लॉबी के साथ कांग्रेस का संबंध

फाउंडेशन के कामकाज और इसे मिलने वाले दान के तौर-तरीके को देखा जाए तो यह इस बात की ओर इंगित करता है कि इसके संबंध चीनी आर्थिक साम्राज्यवाद, साम्यवाद और अंतरराष्ट्रीय लॉबी गिरोह के साथ रहे हैं। इनका काम भारत के सरकारी कामकाज को अपने स्वार्थपरक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अपने हित में करवाने के लिए होते रहे हैं। बता दें कि राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन, डॉ. अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा भी फाउंडेशन के न्यासी हैं।

 

Leave a Reply