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अगर बंगाल जला तो- धमकी देना ममता को पड़ा भारी: लताड़ पड़ने पर पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुटी, हो रही है किरकिरी

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पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को ‘अगर बंगाल जला तो…’ धमकी देना भारी पड़ रहा है। संवेदनशील मुद्दे पर एक मुख्यमंत्री के इस तरह धमकी देने पर देश भर में गुस्से का माहौल है। कोलकाता में ट्रेनी डॉक्‍टर रेप और मर्डर केस में ममता बनर्जी बुरी तरह घिरी हुई हैं। पीड़िता के न्याय के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर वह अपना आपा खोती जा रही है। ममता बनर्जी ने बुधवार 28 अगस्त को राज्य में बढ़ते तनाव के बीच धमकी दी कि ‘याद रखिए, अगर बंगला जलता है, तो असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जल जाएगी।’

मुख्यमंत्री ममता के यह चेतावनी देते ही देश भर से इस्तीफे की मांग तेज होने लगी। मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति से इस तरह की उम्मीद लोगों को नहीं थी। बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि यह टिप्पणी संवैधानिक पद पर बैठे किसी नेता की नहीं, बल्कि राष्ट्र-विरोधी मानसिकता वाले किसी व्यक्ति की लगती है।

ममता बनर्जी की आग लगा देने की चेतावनी पर केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय गृहमंत्री को एक पत्र लिखकर बयान पर संज्ञान लेने की अपील की है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि ममता बनर्जी की देशविरोधी टिप्पणियां काफी चिंताजनक है। इससे पूरे राज्य में अशांति पैदा होने की आशंका है।

इस बीच कानून-व्यवस्था के बाद चेतावनी मामले पर अपनी मुख्यमंत्री को घिरता देख उनकी पार्टी टीएमसी डैमेज कंट्रोल में उतर गई है। पार्टी नेता ममाले पर सफाई देने के लिए सामने आ गए हैं। पार्टी नेता का कहना है कि ममता के मन में हर राज्य के लिए प्यार है, लेकिन बीजेपी बंगाल को डिस्टर्ब करने की कोशिश कर रही है।

टीएमसी की ओर से सफाई दिए जाने का कोई असर नहीं दिख रहा है। ममता के बयान पर लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। ममता के बयान पर भड़कते हुए मणिपुर के मुख्‍यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि ‘दीदी की हिम्मत कैसे हुई पूर्वोत्तर को धमकाने की? मैं इस तरह की गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियों की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। ममता दीदी को पूर्वोत्तर और देश के बाकी हिस्सों से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए।’ बीरेन सिंह ने कहा कि ‘किसी राजनीतिक नेता के लिए सार्वजनिक मंच पर हिंसा की धमकियां देना बहुत ही अनुचित है।’

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए उन पर देश में विभाजनकारी राजनीति फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि’ दीदी, आपकी हिम्मत कैसे हुई असम को धमकाने की? हमें लाल आंखें मत दिखाइए। आपकी असफलता की राजनीति से भारत को जलाने की कोशिश भी मत कीजिए। आपको विभाजनकारी भाषा बोलना शोभा नहीं देता।’

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी ममता के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘ममता जी, आपको किसने अधिकार दिया ओडिशा के बारे में ऐसे आपत्तिजनक बयान देने का? ओडिशा एक शांतिपूर्ण राज्य है, और यहां के लोग जिम्मेदार और जागरूक हैं। ओडिशा के लोग आपके नफरत भरे रवैये, नकारात्मक टिप्पणियों और हमारे राज्य के प्रति असंवेदनशील रवैये को कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। जघन्य अपराध की पीड़िता को न्याय दिए बिना, आप जो प्रतिशोधात्मक टिप्पणियाँ कर रहीं हैं वह देश के लिए खतरनाक है। कृपया इस तरह के बयानों से दूर रहिए। शांत रहे।’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ‘टीएमसी सरकार का अधिनायकवादी, नारी विरोधी आचरण निःसंदेह लोकतंत्र को लज्जित, मानवता को अपमानित और सभ्य समाज को शर्मसार करने वाला है। देवी पूजा की संस्कृति को धारण करने वाली पावन धरा ‘आमार शोनार बांग्ला’ में मातृशक्ति की सुरक्षा में पूर्णतः असफल वहां की सरकार को समूची मातृशक्ति और देश से अविलंब माफी मांगनी चाहिए।’

ममता बनर्जी के बयान पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ‘पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री द्वारा झारखंड समेत में अन्य राज्यों में अराजकता फैलाने की धमकी देना अत्यंत निंदनीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। खुफिया एजेंसियों ने जो संभावना व्यक्त की थी, ममता बनर्जी ठीक उसी प्रकार की अलगाववादी भाषा में बात कर रही हैं। ममता बनर्जी का यह बयान पूरे देश की संप्रभुता विशेषकर झारखंड, बिहार, ओडिशा, असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने मुख्यमंत्री जैसी संवैधानिक पद पर रहते हुए बांग्लादेश जैसे हालात पैदा करने और देश तोड़ने की बात कर अपने नापाक इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। पश्चिम बंगाल के नाजुक हालात देखते हुए केंद्र सरकार अविलंब हस्तक्षेप कर वहां राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करें।’

इधर दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जी ने जो कहा वो बहुत ही चिंताजनक और खतरनाक है, संविधान कैसे खतरा में होता है वो बंगाल में अच्छी तरह दिखाई पड़ रहा है। पहले आरोपी को बचाना फिर जांच को भटकाना, सबूतों को मिटाना, फिर आंदोलनकारियों को धमकाना और ममता जी का स्टेटमैंट कि मैं नहीं चाहती कि डॉक्टरों पर एफआईआर करूं, क्योंकि ऐसा होगा तो पासपोर्ट और वीज़ा नहीं मिलेगा। मतलब शब्दों के जाल में एक प्रकार से धमकी दी जा रही है कि हम एफआईआर करके आपका करियर तबाह कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘आंदोलनकारियों को मंत्रियों की धमकी मिलती कि अगर कोई उंगली ममता की तरफ़ उठेगी तो तोड़ दी जाएगी।’

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