पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को मोदी सरकार में करारा जवाब मिल रहा है। कश्मीर में आतंकियों के हौसले पस्त हैं और उनके पांव जमीन से उखड़ रहे हैं। अधिकतर आतंकी या तो अंडरग्राउंड हो चुके हैं या फिर आतंक का रास्ता छोड़ कहीं छिप गए हैं। दरअसल आतंकियों के विरुद्ध सुरक्षा बलों द्वारा Zero Tolerance की नीति अपना रंग दिखा रही है। मंगलवार को लश्कर ए तैयबा का कमांडर अबु दुजाना का मारा जाना सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता मानी जा रही है। सेना, अर्धसैनिक बलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के तालमेल से बीते कुछ समय से आतंकियों के विरुद्ध बड़ी सफलता मिली है। इन सबके बीच सबसे खास है सुरक्षा बलों के इंटेलिजेंस इनपुट में सुधार और स्थानीय लोगों का मिल रहा साथ।
इस साल 86 पाकिस्तानी आतंकी मारे गए
इस साल सुरक्षा बलों ने अब तक 117 आतंकी ढेर कर दिए हैं। सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए इन 117 आतंकियों में से 86 वे हैं जो पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से एलओसी क्रॉस करके भारत में दाखिल हो गए थे। इनमें वे 42 आतंकी भी शामिल हैं जो जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करते हुए मारे गए। सिर्फ जुलाई के महीने में ही 26 आतंकवादी मारे गए हैं। जबकि इसके पिछले साल जम्मू-कश्मीर में 80 आतंकवादी मारे गए थे।
कई आतंकी ढेर, कई निशाने पर
बीते तीन महीनों में ही कई बड़े आतंकी ढेर हो चुके हैं। हाल में जो आतंकी मारे गए हैं उनमें सबजार अहमद बट्ट हिजबुल-मुजाहिदीन का कमांडर था। जुनैद लश्कर का कमांडर था। इनके अलावा बशीर वानी, सद्दाम पद्दर, मोहम्मद यासीन और अल्ताफ मारे गए हैं। ये सब सुरक्षा बलों की ‘मोस्ट वांटेड’ सूची में थे। इसके साथ ही अबू इस्माइल और हिज्बुल लीडर और अलकायदा के एक संगठन के चीफ बन चुके जाकिर मूसा जैसों को खत्म करने के लिए ठोस प्लान तैयार है।
मारे गए प्रमुख आतंकियों की सूची
- बुरहान मुजफ्फर वानी, हिजबुल मुजाहिदीन
- बशीर लश्करी, लश्कर ए तैयबा
- सब्जार अहमद बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन
- जुनैद मट्टू, लश्कर ए तैयबा
- सजाद अहमद गिलकर, लश्क ए तैयबा
- आशिक हुसैन बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर
- अबू हाफिज, लश्कर ए तैयबा
- तारिक पंडित, हिजबुल मुजाहिदीन
सबजार अहमद बट्ट के मई 2017 में मारे जाने के बाद जारी आतंकियों की हिट लिस्ट
- खुदवानी कुलगाम का रहने वाला जुनैद अहमद मट्टू उर्फ कंडरू लश्कर ए तैयबा का डिस्ट्रिक्ट कमांडर है। A कटेगरी का यह आतंकी तीन जून, 2015 को आतंकी गुट में शामिल हुआ था।
- अनंतनाग का रहने वाला बशीर अहमद वानी उर्फ लश्कर, लश्कर ए तैयबा का डिस्ट्रिक्ट कमांडर है। A++ कटेगरी का यह आतंकी 2 अक्टूबर, 2015 को आतंकी गुट में शामिल हुआ।
- शोपियां के सुगान जानीपुरा का रहने वाला जीनत-उल-इस्लाम उर्फ अल्कामा लश्कर ए तैयबा का आतंकी है जो 17 नवंबर, 2015 को आतंकी गुट में शामिल हुआ।
- शोपियां के श्रीमल का रहने वाला वसीम अहमद उर्फ ओसामा शोपियां जिला का लश्कर ए तैयबा कमांडर है। A++ कटेगरी का यह आतंकी 28 मार्च, 2014 को आतंकी गुट में शामिल हुआ था और यह बुरहान वानी गुट का सदस्य था।
- पाकिस्तान का रहने वाला अबु दुजाना उर्फ हाफिज दक्षिण कश्मीर के लिए लश्कर ए तैयबा का डिविजनल कमांडर था। A++ कटेगरी का यह आतंकी दिसंबर, 2014 से ही एक्टिव था।
- पाकिस्तान का रहने वाला अबु हमास जैश ए मोहम्मद का डिविजनल कमांडर है। A++ कटेगरी का यह आतंकी 2016 से सक्रिय है।
- शोपियां के श्रीमल का रहने वाला सद्दाम पद्दर उर्फ जैद शोपियां में हिजबुल मुजाहिदीन का डिस्ट्रिक्ट कमांडर है। A++ कटेगरी का यह आतंकी 25 सितंबर 2015 को बुरहान वानी गुट में शामिल हो गया था।
- अवंतिपुर के पंजगाम का रहने वाला शौकत अहमद टाक उर्फ हुजैफा पुलवामा जिला का लश्कर कमांडर है। A++ कटेगरी का यह आतंकी 17 अक्टूबर 2011 को आतंकी गुट में शामिल हुआ था।
- अवंतिपुर के टोकून का रहने वाला रियाज अहमद नायकू उर्फ जुबैर पुलवामा में हिजबुल मुजाहिदीन का डिस्ट्रिक्ट कमांडर है। A++ कटगरी का यह आतंकी दिसंबर 2012 में आतंकी गुट में शामिल हुआ था।
- बडगाम के चादूरा का रहने वाला मोहम्मद यासिन इट्टू उर्फ मानसून बडगाम में हिजबुल मुजाहिदीन का डिस्ट्रिक्ट कमांडर था। A कटेगरी का यह आतंकी 6 दिसंबर 2015 को आतंकी गुट में शामिल हुआ था।
- अवंतिपुर के नूरपुरा का रहने वाला जाकिर राशिद बट्ट उर्फ मूसा दक्षिण कस्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन का डिविजनल कमांडर है। A++ कटेगरी का यह आतंकी जुलाई 2013 में आतंकी गुट में शामिल हुआ था।
- कुलगाम के हावारा का रहने वाला अल्ताफ अहमद डार उर्फ कचरू कुलगाम में हिजबुल मुजाहिदीन का डिस्ट्रिक्ट कमांडर है। A++ का यह आतंकी 2006 में आतंकी गुट में शामिल हुआ था।
इंटेलिजेंस इनपुट में हुआ सुधार
कश्मीर के पुलवामा जिले में लश्करे तैयबा के कमांडर अबु दुजाना के मारे जाने के पीछे एक वजह यह भी है कि विदेशी आतंकवादियों और स्थानीय गिरोहों के बीच टकराव पैदा हो गया है। विदेशी और स्थानीय आतंकी गिरोहों के बीच टकराव होने के कारण हमें गोपनीय सूचनाएं मिलती हैं, जिनके आधार पर सुरक्षा बल कार्रवाई करते हैं। दुजाना के मारे जाने से यह साफ है कि स्थानीय लोगों से लश्कर और जैश से जुड़े विदेशी आतंकियों से जुड़े इंटेलिजेंस इनपुट्स ज्यादा बेहतर ढंग से मिल रहे हैं।
तीन बिंदुओं पर फोकस कर रही सरकार
सरकार कश्मीर को लेकर मुख्य तौर पर तीन बिंदुओं पर फोकस कर रही है। आतंकी सरेंडर करने से इनकार करते हैं तो उन्हें खत्म कर दिया जाए। इसके लिए सुरक्षाबल एनकाउंटर वाली जगहों पर स्थानीय लोगों के प्रदर्शनों से बेअसर रहते हैं। इसके साथ ही टेरर फंडिंग से जुड़े हुर्रियत अलगाववादियों पर ऐक्शन हो रहा है। इसके साथ ही स्थानीय नागरिकों के प्रति नरम रुख अपनाया जा रहा है ताकि वे लोग खुद को पीड़ित या हाशिये पर न महसूस करें।
आतंकवाद का संरक्षक देश घोषित हुआ पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली वाले देशों की सूची में डाल ही दिया है। भारत लंबे समय से इसकी मांग करता आया था। इसके कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन पर पाबंदी लगायी थी।
बॉर्डर पर सेना को मिली खुली छूट
पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए सेना हर कदम पर कुछ ठोस कर रही है। बीते दिनों इसी सिलसिले में घुसपैठ में मददगार नौगाम और नौशेरा में पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को ध्वस्त कर दिया गया। पहली बार सेना ने कार्रवाई का वीडियो भी जारी किया। जाहिर है ये भारत की सैन्य कूटनीति के बदलाव की कहानी कहती है। पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक का खुला ऐलान और अब पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त करने का वीडियो जारी कर भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की चोरी छिपे युद्ध वाली नीति अब नहीं चलने वाली।
पत्थरबाजों पर नकेल कसने की छूट
कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की साजिश की सच्चाई दुनिया के सामने पहले ही आ चुकी है। ये साफ है कि पत्थरबाजों को अलगावादी नेताओं द्वारा फंडिंग की जाती है और बेरोजगार नौजवानों को गुमराह कर पत्थरबाजी करवाई जाती है। पाकिस्तान इसके लिए बाकायदा फंडिंग भी करता है। लेकिन अब अलगाववादियों पर एक्शन के साथ पत्थरबाजों के खिलाफ एक्शन की भी छूट है। पत्थरबाज को जीप के बोनट पर बांधने वाले मेजर गोगोई को सम्मान देने जैसे कदम मोदी सरकार की नीति को साफ बता रहे हैं।
‘खोजो और मारो’ का अभियान
11 जुलाई को अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले के बाद अब कश्मीर में आतंकियों को जिंदा पकड़ने की बाध्यता को खत्म करते हए ‘खोजो और मारो’ की नयी नीति बनाई गई है। सरकार की इस नयी नीति से आतंक के खिलाफ केंद्र सरकार के कठोर संकल्प का पता चलता है। ‘खोजो और मारो’ अभियान के साथ ही साथ दूसरी रणनीति भी शुरू हो चुकी है, ये रणनीति है आबादी में ‘घेरो, जंगल में मारो’। सरकार का मानना है कि इस रणनीति के तहत कश्मीर घाटी में आतंकियों का सफाया कर पाने में कामयाब हो पाएगी। जाहिर पीएम मोदी की ये सख्त नीति आतंक के खात्मे के लिए एक बड़ी पहल है।
अलगाववादियों से बात नहीं की नीति
मोदी सरकार ने पहले साल ही साफ कर दिया था कि देश विरोधी तत्वों से वो कोई बात नहीं करेगी। ये संदेश कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के लिए भी था। पाकिस्तानी उच्चायुक्त के डिनर में अलगाववादी नेताओं को न्योता देने के मामले पर भी मोदी सरकार ने साफ विरोध जता कर पाकिस्तान को कश्मीर मामले से दूर रहने के लिए आगाह कर दिया था। पाकिस्तान परस्तों को साफ संदेश है कि पहले मुख्यधारा में शामिल हों, फिर अपनी बात रखें, क्योंकि अब उनकी हेकड़ी के दिन लद चुके हैं। उन्हें भारतीय संविधान के दायरे में रहकर ही कोई भी मांग सरकार के सामने रखनी पड़ेगी, अन्यथा कानून के दायरे में ही अंजाम भुगतने को भी तैयार रहें।