कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने माना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति ला रहे हैं। राष्ट्रीय किसान आयोग (एनसीएफ) के अध्यक्ष स्वामीनाथन ने कृषि नीतियों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि आयोग की कई सिफारिशें लागू की हैं। प्रधानमंत्री मोदी गरीबों-किसानों के चेहरे पर एक नई मुस्कान लाने में कामयाब रहे हैं।
स्वामीनाथन ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर मोदी सरकार की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने किसानों के आयोग की कई सिफारिशें लागू की हैं। मोदी सरकार ने किसान आयोग की बेहतर बीज, सॉयल हेल्थ कार्ड, बीमा, सिंचित क्षेत्र की वृद्धि को लागू किया है। स्वामीनाथन ने मोदी सरकार द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के कौशल को बढ़ावा देने के प्रयासों की भी सराहना की। ग्रामीण महिलाओं ने 50% कृषि कार्य में योगदान दिया है। कृषि विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र के माध्यम से अपने बाजार कौशल को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं।
The Modi Govt has implemented several Farmers’ Commission recommendations. These include providing improved seeds, soil health cards (1/2)
— M S Swaminathan (@msswaminathan) June 13, 2017
Farmers’ Commn recos on improved insurance, irrigated area increase & Farmer’s Welfare added to @AgriGoI responsibility implemented (2/2)
— M S Swaminathan (@msswaminathan) June 13, 2017
Farmers Commission recommended non-farm initiatives with agri enterprises for along with NREGA for social protection to landless farmers.
— M S Swaminathan (@msswaminathan) June 13, 2017
Rural women contribute 50% agricultural work. Special efforts made to promote their market skills thru agri universities & private sector
— M S Swaminathan (@msswaminathan) June 13, 2017
स्वामीनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार देश में कृषि की हालत सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी सरकार ने बड़ी संख्या में ऐसे फैसले किए हैं जिससे किसानों की जिन्दगी में बदलाव आए हैं। देखते हैं कौन से हैं वो फैसले-
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
किसानों की फसल को बीमा योजना से जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को ऐसा उपहार दिया है जिसे वे जीवन भर नहीं भूल सकते। अब किसानों को 50 फीसदी फसल नष्ट होने पर मुआवजा देने का किस्सा पुराना हो गया। महज 33 फीसदी फसल नष्ट होने पर ही फसल का बीमा मिलता है। कम प्रीमियम पर अधिकतम बीमा देने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की खासियत है कि इस योजना में सभी खाद्य फसलें, तिलहन, वार्षिक व्यावसायिक या साग सब्जी का बीमा होता है। पहले की योजनाओं में कुछ फसलें और तिलहन का ही बीमा होता था। खरीफ की सभी फसलों और तिलहन के लिए अधिकतम 2 प्रतिशत एवं 1.5 प्रतिशत रबि की फसलों और तिलहन के लिए और व्यावसायिक फसलों और फल व सब्जी के लिए 5 प्रतिशत का वार्षिक प्रीमियम देना है। प्रीमियम की शेष राशि में केन्द्र और राज्य सरकार का बराबर- बराबर हिस्सा होता है।
खाद की किल्लत दूर हो गयी
मोदी सरकार ने आते ही खाद की किल्लत दूर करने की रणनीति बनायी। जल्द ही सरकार को पता चल गया कि ये किल्लत कृत्रिम है और इसके पीछे खाद की कालाबाजारी है। इसे रोकने के लिए नीम कोटिंग यूरिया का प्रयोग शुरू किया। उसके बाद से खाद का उपयोग सिर्फ और सिर्फ खेती में होना सुनिश्चित हो गया। ऐसा होती ही खाद की कालाबाजारी रुक गयी। अब किसानों को समय पर पर्याप्त मात्रा में यूरिया मिलता है। खाद की कमी नहीं रहती। मोदी सरकार ने समस्या का ऐसा समाधान निकाला है कि किसानों के चेहरे खिल उठे हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि
मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर किसानों को बड़ी राहत दी। 2016-17 की खरीफ फसल की दालों में अरहर के समर्थन मूल्य को 4,625 रुपये से बढ़ाकर 5,050 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया, उड़द के मूल्य को 4, 625 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग के लिए 4,850 रुपये से बढ़ाकर 5,250 रुपये तक कर दिया गया है। बाकी फसलों का समर्थन मूल्य भी इसी तर्ज पर बढ़ा दिया गया। इससे किसानों की आमदनी में इतनी बढ़ोतरी हुई कि जीना आसान हो गया।
गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान
गन्ना उत्पादक किसानों को सालों से उनका बकाया नहीं मिल रहा था। मोदी सरकार ने किसानों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए 4,305 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद दी। इससे 32 लाख किसानों को फायदा हुआ। इस तरह से 2014-15 के 99.33 प्रतिशत और 2015-16 के 98.21 प्रतिशत किसानों को अपना बकाया रुपया वापस मिल चुका है। गन्ना किसानों के लिए मोदी सरकार वरदान बनकर आयी।
धान की खरीद में लेवी प्रणाली का खात्मा
धान की खरीद में लेवी प्रणाली खत्म कर मोदी सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी। अपनी उपज अब वे सीधे सरकारी केन्द्रों पर बेच सकते हैं। कोई बिचौलिया नहीं, जो उन्हें परेशान करे। धान की न सिर्फ कीमत अच्छी मिलने लगी है बल्कि कीमत की वसूली का रास्ता भी आसान हो गया है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
हर खेत को पानी कभी बीजेपी का नारा हुआ करता था। मोदी सरकार ने इसे साकार कर दिखाया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत देश में 28.5 लाख हेक्टेयर खेत में पानी पहुंचाया गया है। 2016-17 में Per Drop More Crop की सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत 15.86 लाख हेक्टेयर खेतों को सिंचाई के अंतर्गत लाया गया। खेती में यह योजना किसानों के लिए मददगार साबित हो रही है।
मिट्टी की सेहत के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड
किस जमीन पर कौन सी फसल होगी, किस जमीन की उर्वरा शक्ति कैसी है इसकी जानकारी किसान को उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने सॉइल हेल्थ कार्ड शुरू किया। मोदी सरकार ने फसलों के अनुसार इस योजना शुरुआत की है। इसकी मदद से किसानों को पता चल जाता है कि उन्हें किस फसल के लिए कितना और किस क्वालिटी का खाद उपयोग करना है। फसल की उपज पर इसका सकारात्मक असर पड़ा है। अभी तक 6.5 करोड़ किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड दिये जा चुके हैं।
डिजिटल इंडिया की पहल-e-Nam
मोदी सरकार ने उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को उपज की सही कीमत मिले, इस दिशा में भी कोशिश की है। e-Nam के रूप में देशव्यापी स्तर पर एक ऐसा ई-प्लैटफॉर्म तैयार किया गया है जिनसे किसानों के साथ देश की कृषि मंडियां आपस में जुड़ी हैं। यहां किसान अपनी उपज को बेच सकता है। ई-नाम पर 250 मंडियां जुडी हुई हैं, जिस पर 36.43 लाख किसानों को सीधा फायदा हो रहा है। किसानों के साथ-साथ 84,631 व्यापारी और 42,109 कमीशन एजेंट भी e-nam से जुड़े हैं। इससे किसानों के लिए बाजार की जरूरत पूरी हो गयी है।
कृषि मौसम विज्ञान सेवा की शुरुआत
मौसम विज्ञान से किसानों को लाभ पहुंचाने की नीति मोदी सरकार ने शुरू की है। मौसम विज्ञान से मिलने वाली सीधी सूचनाओं से किसानों को बहुत फायदा हुआ है। मौसम के बारे में किसानों को एसएमएस से मिलने वाली सूचना से हर दिन के काम को सही ढंग से करने में बड़ी मदद मिलती है। 2014 में 70 लाख किसानों तक एसएमएस के माध्यम से ये सूचनाएं पहुंचती थीं, वहीं आज 2 करोड़ 10 लाख किसानों तक सूचनाएं पहुंच रहीं हैं।
किसानों के लिए शुरू हुआ किसान चैनल
पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने मंत्र दिया- हर खेत को पानी और हर हाथ को काम। इसी अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हल के पीछे चल रहे आदमी की सुध ली और देश को किसान चैनल की शुरुआत की। 26 मई 2015 को शुरू किया गया 24 घंटे का यह किसान चैनल कृषि तकनीक का प्रसार, पानी के संरक्षण और जैविक खेती जैसे विषयों की जानकारी देता है। इसमें किसानों को उत्पादन, वितरण, जोखिम, बचने के तरीके, खाद, बीज, वैज्ञानिक कृषि के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है।
जैविक खेती पर जोर
जैविक उत्पादों की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए सरकार जैविक खेती के विकास के लिए काम कर रही है। 2015 से 2018 तक 10000 समूहों के अन्तर्गत 5 लाख एकड़ क्षेत्र को जैविक खेती के दायरे में लाया गया है। अब तक राज्य सरकारें 7186 समूहों के माध्यम से 3.59 लाख एकड़ भूमि को जौविक खेती के दायरे में ला चुकी हैं। देश के उत्तर पूर्वी राज्यों की भौगोलिक दशा को देखते हुए जैविक खेती पर विशेष बल दिया जा रहा है, जिसके लिए 2015 से 2018 तक 400 करोड़ की परियोजना चल रही है। 2015 -17 तक 143.13 करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं जिनसे 2016-17 तक 1975 समूहों के माध्यम से 39,969 किसानों को जैविक खेती का काम कर रहे हैं।
ब्लू रिवोल्यूशन से बढ़ा मत्स्य उत्पादन
देश में ब्लू रिवोल्यूशन के जरिए किसानों को आय के वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध कराने के संकल्प से सरकार ने मत्स्य प्रबंधन और विकास के लिए अगले पांच साल में 3000 करोड़ रुपये की योजना दी है। 15000 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र विकसित किया गया है। 2012-14 में मत्स्य उत्पादन जहां 186.12 लाख टन था वहीं 2014-16 में 209.59 लाख टन हो गया।
किसानों के लिए ऋण सुविधा बढ़ी
खेती के लिए ऋण लेने की सुविधा बढ़ायी गयी है। अब 10 लाख करोड़ ऋण किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ जिन राज्यों में किसानों की आर्थिक स्थिति खराब है और ऋण लौटाने में दिक्कत हो रही है वहां स्थानीय सरकार से बातचीत कर रास्ता निकालने की कोशिश बढ़ी है। यूपी जैसे राज्यों ने किसानों के लिए बड़े पैमाने पर ऋण माफ कर दिया है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
मिशन मोड में लागू की गयी गोकुल योजना का उद्देश्य देश की पशुधन संपदा को संवर्धित करके किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारना है। इससे देशज पशुधन के जेनेटिक स्टाक संवर्धित होगा और दूध उत्पादन भी बढ़ेगा। इस योजना में 14 गोगुल गांव स्थापित किये गये हैं। 41 बुल मदर फार्म का आधुनिकीकरण किया गया है। देश में दूध उत्पादन 155 मिलियन टन के पास पहुंच चुका है। इसी प्रकार इस क्षेत्र में युवाओं को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए पशुविज्ञान कॉलेजों की संख्या 36 से बढ़कर 52 तक पहुंच चुकी है। देश के प्रति व्यक्ति के लिए 2013-14 में जहां 307 ग्राम दूध उपलब्ध था वहीं 2015-16 में बढ़कर 340 ग्राम हो गया।
किसानों के हक में मोदी सरकार की कृषि नीति ने देश में खेती की तस्वीर बदल दी है। फसल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है और इसने कीर्तिमान बनाया है।
फसल का रिकॉर्ड उत्पादन
- इस साल बंपर फसल हुई है। रिकार्ड 271.98 मिलियन टन अनाज के उत्पादन का अनुमान है।
– चावल का 108.86 मिलियन टन और गेहूं का 96.64 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।
– मोटे अनाजों का भी उत्पादन रिकार्ड 44.34 मिलियन टन है तो 22.14 मिलियन टन दाल का उत्पादन हुआ है।
– तिलहनों का भी उत्पादन रिकार्ड 33.60 मिलियन टन हुआ है। - दूध उत्पादन में भारत दुनिया में नंबर वन है, 2015-16 में 155 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ।
फल और सब्जियों के उत्पादन में नंबर 2 पर है भारत। यहां 254 मिलियन टन फल और सब्जियों का उत्पादन होता है। - चावल उत्पादन में भी भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- मत्स्य उत्पादन में भी भारत का स्थान विश्व में दूसरा है।
- अंडों के उत्पादन में तीसरे और मांस के उत्पादन में भारत पांचवें स्थान पर है।
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। इसके तहत नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने, फसल चक्र में परिवर्तन करने और कम लागत में खेती की जाए की जानकारी किसानों को दी जा रही है। सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी की जाए। इस संकल्प के साथ कई आधारभूत योजनाओं को जमीन पर उतारा गया है जो खेती-किसानी में सहायक सिद्ध हो रहा है।